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Read the New Testament in 24 Weeks

A reading plan that walks through the entire New Testament in 24 weeks of daily readings.
Duration: 168 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
इफ़ेसॉस 3-4

एक भेद के सेवक पौलॉस

इसलिए मैं, पौलॉस, तुम अन्यजातियों के लिए मसीह येशु का बन्दी हूँ.

निश्चित ही तुमने परमेश्वर के अनुग्रह के उस प्रबन्धन के विषय में सुना है, जो मुझे तुम्हारे लिए प्रदान किया गया अर्थात् वह भेद, जो मुझ पर प्रकाशन के द्वारा प्रकट किया गया, जिसका संक्षेप में वर्णन मैं पहले कर चुका हूँ. इसे पढ़ते हुए तुम मसीह के भेद के विषय में मेरे विवेक को समझ सकते हो, जो मानवजाति पर अन्य पीढ़ियों में इस प्रकार प्रकट नहीं किया गया था, जिस प्रकार अब प्रभु के पवित्र प्रेरितों तथा भविष्यद्वक्ताओं पर पवित्रात्मा में प्रकट किया गया है: अब ईश्वरीय सुसमाचार के द्वारा अन्यजाति मसीह येशु में मीरास के साझी, एक ही शरीर के अंग और प्रतिज्ञा के सहभागी हैं.

परमेश्वर के अनुग्रह के वरदान में उनकी सक्रिय सामर्थ के अनुसार यह ईश्वरीय सुसमाचार मुझे सौंपा गया और मैं जिसका सेवक चुना गया. मुझे, जो पवित्र लोगों में छोटे से भी छोटा हूँ, अन्यजातियों में मसीह के अगम्य धन का प्रचार करने के लिए यह अनुग्रह प्रदान किया गया कि सभी सृष्टि के सृजनहार परमेश्वर में युगों से गुप्त रखे गए इस भेद के प्रबन्धन को सब पर प्रकट करूँ 10 कि अब कलीसिया के द्वारा परमेश्वर का विभिन्न प्रकार का ज्ञान आकाशमण्डल के प्रधानों और अधिकारियों पर प्रकट किया जाए. 11 यह उस सनातन उद्धेश्य के अनुसार हुआ, जो परमेश्वर ने मसीह येशु हमारे प्रभु में पूरा किया, 12 जिनमें अपने विश्वास के द्वारा प्रवेश के लिए हमें साहस तथा भरोसा प्राप्त हुआ है. 13 इसलिए तुमसे मेरी यह विनती है कि तुम उन सताहटों के कारण, जो मैं तुम्हारे लिए सह रहा हूँ, निराश न हो; क्योंकि वे तुम्हारा गौरव हैं.

पौलॉस की प्रार्थना

14 यही कारण है कि मैं पिता के सामने घुटने टेकता हूँ, 15 जिनमें स्वर्ग और पृथ्वी के हर एक कुल का नाम रखा जाता है 16 कि वह अपनी अपार महिमा के अनुसार अपने पवित्रात्मा के द्वारा तुम्हारे जीवन की आत्मा को शक्ति-सम्पन्न करें, 17 कि विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में वास करें कि प्रेम में मजबूत व स्थिर होकर 18 तुम सभी पवित्र मसीह के प्रेम की लम्बाई, चौड़ाई, ऊँचाई व गहराई को भली-भांति समझ सको 19 और मसीह के उस प्रेम को जान सको, जो ज्ञान से परे है कि परमेश्वर की सारी भरपूरी तुममें स्थापित हो जाए.

20 अब उन्हें जो हम में कार्यशील सामर्थ्य के द्वारा हमारी विनती और सोच और समझ से अपार कहीं अधिक बढ़कर करने में सक्षम हैं, 21 हममें इस समय सक्रिय सामर्थ्य के द्वारा, कलीसिया और मसीह येशु में उनकी महिमा पीढ़ी से पीढ़ी, सदा-सर्वदा होती रहे, आमेन.

एकता के लिए बुलाया जाना

इसलिए मैं, जो प्रभु के लिए बन्दी हूँ, तुमसे विनती करता हूँ कि तुम्हारी जीवनशैली तुम्हारी बुलाहट के अनुरूप हो. तुम में विशुद्ध विनम्रता, सौम्यता तथा धीरज के साथ आपस में प्रेम में सहने का भाव भर जाए. शान्ति के बन्धन में पवित्रात्मा की एकता को यथाशक्ति संरक्षित बनाए रखो. एक ही शरीर है, एक ही आत्मा. ठीक इसी प्रकार वह आशा भी एक ही है जिसमें तुम्हें बुलाया गया है. एक ही प्रभु, एक ही विश्वास, एक ही बपतिस्मा और सारी मानवजाति के पिता, जो सबके ऊपर, सबके बीच और सब में एक ही परमेश्वर हैं.

किन्तु हममें से हर एक को मसीह के वरदान के परिमाण के अनुसार अनुग्रह प्रदान किया गया है, इसी सन्दर्भ में पवित्रशास्त्र का लेख है:

जब वह सबसे ऊँचे पर चढ़ गए,
    बन्दियों को बन्दी बना कर ले गए और
    उन्होंने मनुष्यों को वरदान प्रदान किए.

इस कहावत का मतलब क्या हो सकता है कि वह सबसे ऊँचे पर चढ़ गए, सिवाय इसके कि वह पहले अधोलोक में नीचे उतर गए? 10 वह, जो नीचे उतरे, वही हैं, जो ऊँचे स्थान में बड़े सम्मान के साथ चढ़े कि सारे सृष्टि को परिपूर्ण कर दें. 11 उन्होंने कलीसिया को कुछ प्रेरित, कुछ भविष्यद्वक्ता, कुछ ईश्वरीय सुसमाचार सुनानेवाले तथा कुछ कलीसिया के रखवाले उपदेशक प्रदान किए 12 कि पवित्र सेवकाई के लिए सुसज्जित किए जाएँ, कि मसीह का शरीर विकसित होता जाए; 13 जब तक हम सभी को विश्वास और परमेश्वर-पुत्र के बहुत ज्ञान की एकता उपलब्ध न हो जाए—सिद्ध मनुष्य के समान—जो मसीह का सम्पूर्ण डील-डौल है.

14 तब हम बालक न रहेंगे, जो समुद्री लहरों जैसे इधर-उधर उछाले व फेंके जाते तथा मनुष्यों की ठग विद्या की आँधी और मनुष्य की चतुराइयों द्वारा बहाए जाते हैं; 15 परन्तु सच को प्रेमपूर्वक व्यक्त करते हुए हर एक पक्ष में हमारी उन्नति उनमें होती जाए, जो प्रधान हैं अर्थात् मसीह, 16 जिनके द्वारा सारा शरीर जोड़ों द्वारा गठकर और एक साथ मिलकर प्रेम में विकसित होता जाता है क्योंकि हर एक अंग अपना तय किया गया काम ठीक-ठाक करता जाता है.

मसीह में नवजीवन

17 इसलिए मैं प्रभु के साथ पुष्टि करते हुए तुमसे विनती के साथ कहता हूँ कि अब तुम्हारा स्वभाव अन्यजातियों के समान खोखली मन की रीति से प्रेरित न हो. 18 उनके मन की कठोरता से उत्पन्न अज्ञानता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग हैं और उनकी बुद्धि अंधेरी हो गई है, 19 सुन्न होकर उन्होंने स्वयं को लोभ से भरकर सब प्रकार की कामुकता और अनैतिकता के अधीन कर दिया है. 20 मसीह के विषय में ऐसी शिक्षा तुम्हें नहीं दी गई थी 21 यदि वास्तव में तुमने उनके विषय में सुना और उनकी शिक्षा को ग्रहण किया है, जो मसीह येशु में सच के अनुरूप है. 22 इसलिए अपने पुराने स्वभाव से प्रेरित स्वभाव को त्याग दो, जो छल की लालसाओं के कारण भ्रष्ट होता जा रहा है 23 कि तुम्हारे मन का स्वभाव नया हो जाए. 24 नए स्वभाव को धारण कर लो, जिसकी रचना धार्मिकता और पवित्रता में परमेश्वर के स्वरूप में हुई है.

25 इसलिए झूठ का त्याग कर, हर एक व्यक्ति अपने पड़ोसी से सच ही कहे क्योंकि हम एक ही शरीर के अंग हैं. 26 यदि तुम क्रोधित होते भी हो, तो भी पाप न करो. सूर्यास्त तक तुम्हारे क्रोध का अन्त हो जाए. 27 शैतान को कोई अवसर न दो. 28 वह, जो चोरी करता रहा है, अब चोरी न करे किन्तु परिश्रम करे कि वह अपने हाथों से किए गए उपयोगी कामों के द्वारा अन्य लोगों की भी सहायता कर सके, जिन्हें किसी प्रकार की ज़रूरत है.

29 तुम्हारे मुख से कोई भद्दे शब्द नहीं परन्तु ऐसा वचन निकले, जो अवसर के अनुकूल, अन्यों के लिए अनुग्रह का कारण तथा सुननेवालों के लिए भला हो.

30 परमेश्वर की पवित्रात्मा को शोकित न करो, जिनके द्वारा तुम्हें छुटकारे के दिन के लिए छाप दी गई है. 31 सब प्रकार की कड़वाहट, रोष, क्रोध, झगड़ा, निन्दा, आक्रोश तथा बैर-भाव को स्वयं से अलग कर दो. 32 एक दूसरे के प्रति कृपालु तथा सहृदय बने रहो तथा एक-दूसरे को उसी प्रकार क्षमा करो जिस प्रकार परमेश्वर ने मसीह में तुम्हें क्षमा किया है.

Saral Hindi Bible (SHB)

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