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Read the New Testament in 24 Weeks

A reading plan that walks through the entire New Testament in 24 weeks of daily readings.
Duration: 168 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
2 कोरिन्थॉस 5-6

हमारा स्वर्गीय घर

हमें यह मालूम है कि जब हमारे घर—हमारी शारीरिक देह—को गिरा दिया जाएगा तो हमारे लिए परमेश्वर की ओर से एक ऐसा घर तय किया गया है, जो मनुष्य के हाथ का बनाया हुआ नहीं परन्तु स्वर्गीय और अनन्त काल का है. यह एक सच्चाई है कि हम कराहते हुए वर्तमान घर में उस स्वर्गीय घर को धारण करने की लालसा करते रहते हैं क्योंकि उसे धारण करने के बाद हम नंगे न रह जाएँगे. सच यह है कि इस घर में रहते हुए हम बोझ में दबे हुए कराहते रहते हैं क्योंकि हम चाहते हैं कि हम नंगे न रहें परन्तु वस्त्र धारण करें कि जो कुछ शारीरिक है, वह जीवन का निवाला बन जाए. जिन्होंने हमें इस उद्धेश्य के लिए तैयार किया है, वह परमेश्वर हैं, जिन्होंने अपना आत्मा हमें बयाने के रूप में दे दिया.

यही अहसास हमें हमेशा प्रोत्साहित करता रहता है कि जब तक हम अपनी शारीरिक देह के इस घर में हैं, हम प्रभु—अपने घर—से दूर हैं क्योंकि हम रूप को देखकर नहीं, विश्वास से जीवित हैं. हम पूरी तरह आश्वस्त हैं तथा हमारी इच्छा है कि हम शरीर से अलग हो प्रभु के साथ अपने घर में निवास करें. हमारी बड़ी इच्छा भी यही है कि चाहे हम घर में हों या उससे दूर, हम प्रभु को भाते रहें 10 क्योंकि यह अवश्य है कि हम सब मसीह के न्यायासन के सामने उपस्थित हों कि हर एक को शारीरिक देह में किए गए उचित या अनुचित के अनुसार फल प्राप्त हो.

मेल-मिलाप-सेवकाई

11 हमें यह अहसास है कि परमेश्वर का भय क्या है, इसलिए हम सभी को समझाने का प्रयत्न करते हैं. परमेश्वर के सामने यह स्पष्ट है कि हम क्या हैं और मैं आशा करता हूँ कि तुम्हारे विवेक ने भी इसे पहचान लिया है. 12 यह तुम्हारे सामने अपनी बड़ाई नहीं परन्तु यह तुम्हारे लिए एक ऐसा सुअवसर है कि तुम हम पर गर्व करो कि तुम उन्हें इसका उत्तर दे सको, जो अपने मन की बजाय बाहरी रूप का घमण्ड़ करते हैं. 13 यदि हम बेसुध प्रतीत होते हैं, तो यह परमेश्वर के लिए है और यदि कोमल, तो तुम्हारे लिए. 14 अपने लिए मसीह के प्रेम का यह अहसास हमें परिपूर्ण कर देता है कि सबके लिए एक की मृत्यु हुई इसलिए सभी की मृत्यु हो गई; 15 और वह, जिनकी मृत्यु सभी के लिए हुई कि वे, जो जीवित हैं, मात्र अपने लिए नहीं परन्तु उनके लिए जिएँ, जिन्होंने प्राणों का त्याग कर दिया तथा मरे हुओं में से सभी के लिए जीवित किए गए.

16 इसलिए हमने मनुष्य की दृष्टि से किसी को भी समझना छोड़ दिया है. हाँ, एक समय था, जब हमने मसीह का अनुमान मनुष्य की दृष्टि से लगाया था—अब नहीं. अब हम उन्हें जान गए हैं. 17 यदि कोई मसीह में है, तो वह नई सृष्टि है. पुराना बीत गया. देख लो: सब बातें नई हो गई हैं! 18 यह सब परमेश्वर की ओर से है, जिन्होंने मसीह के द्वारा स्वयं से हमारा मेल-मिलाप किया और हमें मेल-मिलाप की सेवकाई सौंपी है. 19 दूसरे शब्दों में, परमेश्वर ने संसार के खुद से मेल-मिलाप की स्थापना की प्रक्रिया में मसीह में मनुष्य के अपराधों का हिसाब न रखा. अब उन्होंने हमें मेल-मिलाप की सेवकाई सौंप दी है. 20 इसलिए हम मसीह के राजदूत हैं. परमेश्वर हमारे द्वारा तुमसे विनती कर रहे हैं. मसीह की ओर से तुमसे हमारी विनती है: परमेश्वर से मेल-मिलाप कर लो. 21 वह, जो निष्पाप थे, उन्हें परमेश्वर ने हमारे लिए पाप बना दिया कि हम उनमें परमेश्वर की धार्मिकता बन जाएँ.

परमेश्वर के सहकर्मी होने के कारण हमारी तुमसे विनती है कि तुम उनसे प्राप्त उनके अनुग्रह को व्यर्थ न जाने दो क्योंकि परमेश्वर का कहना है:

“अनुकूल अवसर पर मैंने तुम्हारी पुकार सुनी,
    उद्धार के दिन मैंने तुम्हारी सहायता की.”

सुनो! यही है वह अनुकूल अवसर; यही है वह उद्धार का दिन!

पौलॉस के कष्ट

हमारा स्वभाव किसी के लिए किसी भी क्षेत्र में बाधा नहीं बनता कि हमारी सेवकाई पर दोष न हो. इसलिए हम हर एक परिस्थिति में स्वयं को परमेश्वर के सुयोग्य सेवक के समान प्रस्तुत करते हैं: धीरज से पीड़ा सहने में, दरिद्रता में, कष्ट में, सताहट में, जेल में, उपद्रव में, अधिक परिश्रम में, अपर्याप्त नींद में, उपवास में, शुद्धता में, ज्ञान में, धीरज में, सहृदयता में, पवित्रता के भाव में, निश्छल प्रेम में, सच के सन्देश में, परमेश्वर के सामर्थ्य में, वार तथा बचाव दोनों ही पक्षों के लिए परमेश्वर की धार्मिकता के शस्त्रों से सुसज्जित, आदर-निरादर में और निन्दा-प्रशंसा में; हमें भरमानेवाला समझा जाता है, जबकि हम सत्यवादी हैं; हम तुच्छ समझे जाते हैं फिर भी प्रसिद्ध हैं; हम मरे हुए समझे जाते हैं किन्तु देखो! हम जीवित हैं! हमें दण्ड तो दिया जाता है किन्तु हमारे प्राण नहीं लिए जा सके. 10 हम कष्ट में भी आनन्दित रहते हैं. हालांकि हम स्वयं तो कंगाल हैं किन्तु बाकियों को धनवान बना देते हैं. हमारी निर्धनता में हम धनवान हैं.

11 कोरिन्थवासियो! हमने पूरी सच्चाई में तुम पर सच प्रकट किया है—हमने तुम्हारे सामने अपना हृदय खोल कर रख दिया है. 12 हमने तुम पर कोई रोक-टोक नहीं लगाई; रोक-टोक स्वयं तुमने ही अपने मनों पर लगाई है. 13 तुम्हें अपने बालक समझते हुए मैं तुमसे कह रहा हूँ: तुम भी अपने हृदय हमारे सामने खोल कर रख दो.

विश्वासियों और अविश्वासियों में मेल-जोल असम्भव

14 अविश्वासियों के साथ असमान सम्बन्ध में न जुड़ो. धार्मिकता तथा अधार्मिकता में कैसा मेलजोल या ज्योति और अंधकार में कैसा सम्बन्ध? 15 मसीह और शैतान में कैसा मेल या विश्वासी और अविश्वासी में क्या सहभागिता? 16 या परमेश्वर के मन्दिर तथा मूर्तियों में कैसी सहमति? हम जीवित परमेश्वर के मन्दिर हैं. जैसा कि परमेश्वर का कहना है:

मैं उनमें वास करूँगा,
    उनके बीच चला फिरा करूँगा,
मैं उनका परमेश्वर होऊँगा और वे मेरी प्रजा.

17 इसलिए

उनके बीच से निकल आओ
    और अलग हो जाओ.
            यह प्रभु की आज्ञा है
उसका स्पर्श न करो, जो अशुद्ध है तो मैं तुम्हें स्वीकार करूँगा.
18 मैं तुम्हारा पिता होऊँगा
    और तुम मेरी सन्तान.
            यही है सर्वशक्तिमान प्रभु का कहना.

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