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Read the New Testament in 24 Weeks

A reading plan that walks through the entire New Testament in 24 weeks of daily readings.
Duration: 168 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
मत्ती 18-19

सबसे बड़ा कौन

(मरकुस 9:33-37; लूका 9:46-48)

18 तब यीशु के शिष्यों ने उसके पास आकर पूछा, “स्वर्ग के राज्य में सबसे बड़ा कौन हैं?”

तब यीशु ने एक बच्चे को अपने पास बुलाया और उसे उनके सामने खड़ा करके कहा, “मैं तुमसे सत्य कहता हूँ जब तक कि तुम लोग बदलोगे नहीं और बच्चों के समान नहीं बन जाओगे, स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकोगे। इसलिये अपने आपको जो कोई इस बच्चे के समान नम्र बनाता है, वही स्वर्ग के राज्य में सबसे बड़ा है।

“और जो कोई ऐसे बालक जैसे व्यक्ति को मेरे नाम में स्वीकार करता है वह मुझे स्वीकार करता है।

पापों के परिणाम के बारे में यीशु की चेतावनी

(मरकुस 9:42-48; लूका 17:1-2)

“किन्तु जो मुझमें विश्वास करने वाले मेरे किसी ऐसे नम्र अनुयायी के रास्ते की बाधा बनता है, अच्छा हो कि उसके गले में एक चक्की का पाट लटका कर उसे समुद्र की गहराई में डुबो दिया जाये। बाधाओं के कारण मुझे संसार के लोगों के लिए खेद है, पर बाधाएँ तो आयेंगी ही किन्तु खेद तो मुझे उस पर है जिसके द्वारा बाधाएँ आती हैं।

“इसलिए यदि तेरा हाथ या तेरा पैर तेरे लिए बाधा बने तो उसे काट फेंक, क्योंकि स्वर्ग में बिना हाथ या बिना पैर के अनन्त जीवन में प्रवेश करना तेरे लिए अधिक अच्छा है; बजाये इसके कि दोनों हाथों और दोनों पैरों समेत तुझे नरक की कभी न बुझने वाली आग में डाल दिया जाये। यदि तेरी आँख तेरे लिये बाधा बने तो उसे बाहर निकाल कर फेंक दे, क्योंकि स्वर्ग में काना होकर अनन्त जीवन में प्रवेश करना तेरे लिये अधिक अच्छा है; बजाये इसके कि दोनों आँखों समेत तुझे नरक की आग में डाल दिया जाए।

खोई भेड़ की दृष्टान्त कथा

(लूका 15:3-7)

10 “सो देखो, मेरे इन मासूम अनुयायियों में से किसी को भी तुच्छ मत समझना। मैं तुम्हें बताता हूँ कि उनके रक्षक स्वर्गदूतों की पहुँच स्वर्ग में मेरे परम पिता के पास लगातार रहती है। 11 [a]

12 “बता तू क्या सोचता है? यदि किसी के पास सौ भेड़ें हों और उनमें से एक भटक जाये तो क्या वह दूसरी निन्यानवें भेड़ों को पहाड़ी पर ही छोड़ कर उस एक खोई भेड़ को खोजने नहीं जाएगा? 13 वह निश्चय ही जाएगा और जब उसे वह मिल जायेगी, मैं तुमसे सत्य कहता हूँ तो वह दूसरी निन्यानवें की बजाये-जो खोई नहीं थीं, इसे पाकर अधिक प्रसन्न होगा। 14 इसी तरह स्वर्ग में स्थित तुम्हारा पिता क्या नहीं चाहता कि मेरे इन अबोध अनुयायियों में से कोई एक भी न भटके।

जब कोई तेरा बुरा करे

(लूका 17:3)

15 “यदि तेरा बंधु तेरे साथ कोई बुरा व्यवहार करे तो अकेले में जाकर आपस में ही उसे उसका दोष बता। यदि वह तेरी सुन ले, तो तूने अपने बंधु को फिर जीत लिया। 16 पर यदि वह तेरी न सुने तो दो एक को अपने साथ ले जा ताकि हर बात की दो तीन गवाही हो सकें। 17 यदि वह उन को भी न सुने तो कलीसिया को बता दे। और यदि वह कलीसिया की भी न माने, तो फिर तू उस से ऐसे व्यवहार कर जैसे वह विधर्मी हो या कर वसूलने वाला हो।

18 “मैं तुम्हें सत्य बताता हूँ जो कुछ तुम धरती पर बाँधोगे स्वर्ग में प्रभु के द्वारा बाँधा जायेगा और जिस किसी को तुम धरती पर छोड़ोगे स्वर्ग में परमेश्वर के द्वारा छोड़ दिया जायेगा। 19 मैं तुझे यह भी बताता हूँ कि इस धरती पर यदि तुम में से कोई दो सहमत हो कर स्वर्ग में स्थित मेरे पिता से कुछ माँगेंगे तो वह तुम्हारे लिए उसे पूरा करेगा 20 क्योंकि जहाँ मेरे नाम पर दो या तीन लोग मेरे अनुयायी के रूप में इकट्ठे होते हैं, वहाँ मैं उनके साथ हूँ।”

क्षमा न करने वाले दास की दृष्टान्त कथा

21 फिर पतरस यीशु के पास गया और बोला, “प्रभु, मुझे अपने भाई को कितनी बार अपने प्रति अपराध करने पर भी क्षमा कर देना चाहिए? यदि वह सात बार अपराध करे तो भी?”

22 यीशु ने कहा, “न केवल सात बार, बल्कि मैं तुझे बताता हूँ तुझे उसे सात बार के सतत्तर गुना तक क्षमा करते रहना चाहिये।”

23 “सो स्वर्ग के राज्य की तुलना उस राजा से की जा सकती है जिसने अपने दासों से हिसाब चुकता करने की सोची थी। 24 जब उसने हिसाब लेना शुरू किया तो उसके सामने एक ऐसे व्यक्ति को लाया गया जिस पर दसियों लाख रूपया निकलता था। 25 पर उसके पास चुकाने का कोई साधन नहीं था। उसके स्वामी ने आज्ञा दी कि उस दास को, उसकी घर वाली, उसके बाल बच्चों और जो कुछ उसका माल असबाब है, सब समेत बेच कर कर्ज़ चुका दिया जाये।

26 “तब उसका दास उसके पैरों में गिर कर गिड़गिड़ाने लगा, ‘धीरज धरो, मैं सब कुछ चुका दूँगा।’ 27 इस पर स्वामी को उस दास पर दया आ गयी। उसने उसका कर्ज़ा माफ करके उसे छोड़ दिया।

28 “फिर जब वह दास वहाँ से जा रहा था, तो उसे उसका एक साथी दास मिला जिसे उसे कुछ रूपये देने थे। उसने उसका गिरहबान पकड़ लिया और उसका गला घोटते हुए बोला, ‘जो तुझे मेरा देना है, लौटा दे!’

29 “इस पर उसका साथी दास उसके पैरों में गिर पड़ा और गिड़गिड़ाकर कहने लगा, ‘धीरज धर, मैं चुका दूँगा।’

30 “पर उसने मना कर दिया। इतना ही नहीं उसने उसे तब तक के लिये, जब तक वह उसका कर्ज़ न चुका दे, जेल भी भिजवा दिया। 31 दूसरे दास इस सारी घटना को देखकर बहुत दुःखी हुए। और उन्होंने जो कुछ घटा था, सब अपने स्वामी को जाकर बता दिया।

32 “तब उसके स्वामी ने उसे बुलाया और कहा, ‘अरे नीच दास, मैंने तेरा वह सारा कर्ज़ माफ कर दिया क्योंकि तूने मुझ से दया की भीख माँगी थी। 33 क्या तुझे भी अपने साथी दास पर दया नहीं दिखानी चाहिये थी जैसे मैंने तुम पर दया की थी?’ 34 सो उसका स्वामी बहुत बिगड़ा और उसे तब तक दण्ड भुगताने के लिए सौंप दिया जब तक समूचा कर्ज़ चुकता न हो जाये।

35 “सो जब तक तुम अपने भाई-बंदों को अपने मन से क्षमा न कर दो मेरा स्वर्गीय परम पिता भी तुम्हारे साथ वैसा ही व्यवहार करेगा।”

तलाक

(मरकुस 10:1-12)

19 ये बातें कहने के बाद वह गलील से लौट कर यहूदिया के क्षेत्र में यर्दन नदी के पार चला गया। एक बड़ी भीड़ वहाँ उसके पीछे हो ली, जिसे उसने चंगा किया।

उसे परखने के जतन में कुछ फ़रीसी उसके पास पहुँचे और बोले, “क्या यह उचित है कि कोई अपनी पत्नी को किसी भी कारण से तलाक दे सकता है?”

उत्तर देते हुए यीशु ने कहा, “क्या तुमने शास्त्र में नहीं पढ़ा कि जगत को रचने वाले ने प्रारम्भ में, ‘उन्हें एक स्त्री और एक पुरुष के रूप में रचा था?’(A) और कहा था ‘इसी कारण अपने माता-पिता को छोड़ कर पुरुष अपनी पत्नी के साथ दो होते हुए भी एक शरीर होकर रहेगा।’(B) सो वे दो नहीं रहते बल्कि एक रूप हो जाते हैं। इसलिए जिसे परमेश्वर ने जोड़ा है उसे किसी भी मनुष्य को अलग नहीं करना चाहिये।”

वे बोले, “फिर मूसा ने यह क्यों निर्धारित किया है कि कोई पुरुष अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है। शर्त यह है कि वह उसे तलाक नामा लिख कर दे।”

यीशु ने उनसे कहा, “मूसा ने यह विधान तुम लोगों के मन की जड़ता के कारण दिया था। किन्तु प्रारम्भ में ऐसी रीति नहीं थी। तो मैं तुमसे कहता हूँ कि जो व्यभिचार को छोड़कर अपनी पत्नी को किसी और कारण से त्यागता है और किसी दूसरी स्त्री को ब्याहता है तो वह व्यभिचार करता है।”

10 इस पर उसके शिष्यों ने उससे कहा, “यदि एक स्त्री और एक पुरुष के बीच ऐसी स्थिति है तो किसी को ब्याह ही नहीं करना चाहिये।”

11 फिर यीशु ने उनसे कहा, “हर कोई तो इस उपदेश को ग्रहण नहीं कर सकता। इसे बस वे ही ग्रहण कर सकते हैं जिनको इसकी क्षमता प्रदान की गयी है। 12 कुछ ऐसे हैं जो अपनी माँ के गर्भ से ही नपुंसक पैदा हुए हैं। और कुछ ऐसे हैं जो लोगों द्वारा नपुंसक बना दिये गये हैं। और अंत में कुछ ऐसे हैं जिन्होंने स्वर्ग के राज्य के कारण विवाह नहीं करने का निश्चय किया है। जो इस उपदेश को ले सकता है ले।”

यीशु की आशीष: बच्चों को

(मरकुस 10:13-16; लूका 18:15-17)

13 फिर लोग कुछ बालकों को यीशु के पास लाये कि वह उनके सिर पर हाथ रख कर उन्हें आशीर्वाद दे और उनके लिए प्रार्थना करे। किन्तु उसके शिष्यों ने उन्हें डाँटा। 14 इस पर यीशु ने कहा, “बच्चों को रहने दो, उन्हें मत रोको, मेरे पास आने दो क्योंकि स्वर्ग का राज्य ऐसों का ही है।” 15 फिर उसने बच्चों के सिर पर अपना हाथ रखा और वहाँ से चल दिया।

एक महत्वपूर्ण प्रश्न

(मरकुस 10:17-31; लूका 18:18-30)

16 वहीं एक व्यक्ति था। वह यीशु के पास आया और बोला, “गुरु अनन्त जीवन पाने के लिए मुझे क्या अच्छा काम करना चाहिये?”

17 यीशु ने उससे कहा, “अच्छा क्या है, इसके बारे में तू मुझसे क्यों पूछ रहा है? क्योंकि अच्छा तो केवल एक ही है! फिर भी यदि तू अनन्त जीवन में प्रवेश करना चाहता है, तो तू आदेशों का पालन कर।”

18 उसने यीशु से पूछा, “कौन से आदेश?”

तब यीशु बोला, “हत्या मत कर। व्यभिचार मत कर। चोरी मत कर। झूठी गवाही मत दे। 19 ‘अपने पिता और अपनी माता का आदर कर’(C) और ‘जैसे तू अपने आप को प्यार करता है, वैसे ही अपने पड़ोसी से भी प्यार कर।’[b]

20 युवक ने यीशु से पूछा, “मैंने इन सब बातों का पालन किया है। अब मुझ में किस बात की कमी है?”

21 यीशु ने उससे कहा, “यदि तू संपूर्ण बनना चाहता तो जा और जो कुछ तेरे पास है, उसे बेचकर धन गरीबों में बाँट दे ताकि स्वर्ग में तुझे धन मिल सके। फिर आ और मेरे पीछे हो ले!”

22 किन्तु जब उस नौजवान ने यह सुना तो वह दुःखी होकर चला गया क्योंकि वह बहुत धनवान था।

23 यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, “मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि एक धनवान का स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर पाना कठिन है। 24 हाँ, मैं तुमसे कहता हूँ कि किसी धनवान व्यक्ति के स्वर्ग के राज्य में प्रवेश पाने से एक ऊँट का सूई के नकुए से निकल जाना आसान है।”

25 जब उसके शिष्यों ने यह सुना तो अचरज से भरकर पूछा, “फिर किस का उद्धार हो सकता है?”

26 यीशु ने उन्हें देखते हुए कहा, “मनुष्यों के लिए यह असम्भव है, किन्तु परमेश्वर के लिए सब कुछ सम्भव है।”

27 उत्तर में तब पतरस ने उससे कहा, “देख, हम सब कुछ त्याग कर तेरे पीछे हो लिये हैं। सो हमें क्या मिलेगा?”

28 यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम लोगों से सत्य कहता हूँ कि नये युग में जब मनुष्य का पुत्र अपने प्राप्त सिंहासन पर विराजेगा तो तुम भी, जो मेरे पीछे हो लिये हो, बारह सिंहासनों पर बैठकर परमेश्वर के लोगों का न्याय करोगे। 29 और मेरे लिए जिसने भी घर-बार या भाईयों या बहनों या पिता या माता या बच्चों या खेतों को त्याग दिया है, वह सौ गुणा अधिक पायेगा और अनन्त जीवन का भी अधिकारी बनेगा। 30 किन्तु बहुत से जो अब पहले हैं, अन्तिम हो जायेंगे और जो अन्तिम हैं, पहले हो जायेंगे।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International