Read the New Testament in 24 Weeks
1 पौलॉस की ओर से, जो मसीह येशु में उस जीवन की प्रतिज्ञा के अनुसार, परमेश्वर की इच्छा के द्वारा मसीह येशु का प्रेरित है,
2 प्रिय पुत्र तिमोथियॉस को:
हमारे पिता परमेश्वर और मसीह येशु, हमारे प्रभु की ओर से अनुग्रह, कृपा और शान्ति मिले.
3 मैं रात-दिन अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हें याद करते हुए परमेश्वर को धन्यवाद देता हूँ, जिनकी सेवा मैं शुद्ध विवेक से उसी प्रकार करता हूँ, जैसे मेरे पूर्वज करते थे. 4 तुम्हारे आँसुओं का याद करते हुए मुझे तुमसे मिलने की लालसा होती है कि मेरा आनन्द पूरा हो जाए. 5 मुझे तुम्हारा निष्कपट विश्वास याद आता है, जो सबसे पहिले तुम्हारी नानी लोइस तथा तुम्हारी माता यूनिके में मौजूद था, और जो निश्चित ही तुममें भी मौजूद है.
तिमोथियॉस को परमेश्वर द्वारा दी गई क्षमताओं की दोबारा याद दिलाना
6 यही कारण है कि मैं तुम्हें याद दिला रहा हूँ कि परमेश्वर द्वारा दी गई उस क्षमता को पुनर-ज्वलित करो, जो तुम पर मेरे हाथ रखने के द्वारा तुममें थी. 7 यह इसलिए कि परमेश्वर ने हमें भय की नहीं परन्तु सामर्थ, प्रेम तथा आत्म-अनुशासन का मन दिया है.
8 इसलिए न तो हमारे प्रभु के विषय में गवाही देने में और न मुझ से, जो उनके लिए बन्दी हूँ, लज्जित होना परन्तु परमेश्वर द्वारा दी गई सामर्थ्य के अनुसार ईश्वरीय सुसमाचार के लिए कष्ट उठाने में मेरे साथ शामिल हो जाओ. 9 परमेश्वर ने ही हमें उद्धार प्रदान किया तथा पवित्र जीवन के लिए हमें बुलाया है—हमारे कामों के आधार पर नहीं परन्तु सनातन काल से मसीह में हमारे लिए आरक्षित अपने ही उद्धेश्य तथा अनुग्रह के अन्तर्गत. 10 इस अनुग्रह की अभिव्यक्ति अब हमारे उद्धारकर्ता मसीह येशु के प्रकट होने के द्वारा हुई है, जिन्होंने एक ओर तो मृत्यु को नष्ट किया तथा दूसरी ओर ईश्वरीय सुसमाचार के द्वारा जीवन तथा अमरता को प्रकाशित किया. 11 इसी ईश्वरीय सुसमाचार के लिए मैं प्रचारक, प्रेरित तथा शिक्षक चुना गया. 12 यही कारण है कि मैं ये यातनाएँ भी सह रहा हूँ किन्तु यह मेरे लिए लज्जास्पद नहीं है क्योंकि मैं जानता हूँ कि मैंने किन में विश्वास किया है तथा मुझे यह पूरा निश्चय है कि वह उस दिन तक मेरी धरोहर की रक्षा करने में पूरी तरह सामर्थी हैं.
13 जो सच्ची शिक्षा तुमने मुझसे प्राप्त की है, उसे उस विश्वास और प्रेम में, जो मसीह येशु में बसा है, अपना आदर्श बनाए रखो. 14 पवित्रात्मा के द्वारा, जिनका हमारे भीतर वास है, उस अनुपम धरोहर की रक्षा करो.
15 तुम्हें यह मालूम ही है कि आसिया प्रदेश के सभी विश्वासी मुझ से दूर हो गए हैं. उनमें फ़िगेलस तथा हरमोगेनेस भी हैं.
16 ओनेसिफ़ोरस के परिवार पर प्रभु कृपा करें. उसने बहुधा मुझमें नई स्फूर्ति का संचार किया है. मेरी बेड़ियाँ उसके लिए लज्जा का विषय नहीं थीं. 17 जब वह रोम नगर में था, उसने यत्नपूर्वक मुझे खोजा और मुझसे भेंट की. 18 इफ़ेसॉस नगर में की गई उसकी सेवाओं से तुम भली-भांति परिचित हो. प्रभु करें कि उस दिन उसे प्रभु की कृपा प्राप्त हो!
कठिनाइयों का सामना करने के विषय में निर्देश
2 इसलिए, हे पुत्र, मसीह येशु में मिले अनुग्रह में बलवान हो जाओ. 2 उन शिक्षाओं को, जो तुमने अनेकों गवाहों की उपस्थिति में मुझसे प्राप्त की हैं, ऐसे विश्वासयोग्य व्यक्तियों को सौंप दो, जिनमें बाकियों को भी शिक्षा देने की क्षमता है. 3 मसीह येशु के अच्छे योद्धा की तरह मेरे साथ दुःखों का सामना करो. 4 कोई भी योद्धा रणभूमि में दैनिक जीवन के झंझटों में नहीं पड़ता कि वह योद्धा के रूप में अपने भर्ती करनेवाले को संतुष्ट कर सके. 5 इसी प्रकार यदि कोई अखाड़े की प्रतियोगिता में भाग लेता है किन्तु नियम के अनुसार प्रदर्शन नहीं करता, विजय-पदक प्राप्त नहीं करता. 6 यह सही ही है कि परिश्रमी किसान उपज से अपना हिस्सा सबसे पहिले प्राप्त करे. 7 मेरी शिक्षाओं पर विचार करो. प्रभु तुम्हें सब विषयों में समझ प्रदान करेंगे.
8 उस ईश्वरीय सुसमाचार के अनुसार, जिसका मैं प्रचारक हूँ, मरे हुओं में से जीवित, दाविद के वंशज मसीह येशु को याद रखो. 9 उसी ईश्वरीय सुसमाचार के लिए मैं कष्ट सह रहा हूँ, यहाँ तक कि मैं अपराधी जैसा बेड़ियों में जकड़ा गया हूँ—परन्तु परमेश्वर का वचन कैद नहीं किया जा सका. 10 यही कारण है कि मैं उनके लिए, जो चुने हुए हैं, सभी कष्ट सह रहा हूँ कि उन्हें भी वह उद्धार प्राप्त हो, जो मसीह येशु में मिलता है तथा उसके साथ अनन्त महिमा भी.
11 यह बात सत्य है:
यदि उनके साथ हमारी मृत्यु हुई है तो
हम उनके साथ जीवित भी होंगे;
12 यदि हम धीरज धारण किए रहें तो हम उनके साथ शासन भी करेंगे,
यदि हम उनका इनकार करेंगे तो वह भी हमारा इनकार करेंगे.
13 हम चाहे सच्चाई पर चलना त्याग दें किन्तु वह विश्वासयोग्य रहते हैं क्योंकि वह अपने सच्चाई पर चलने के स्वभाव के विरुद्ध नहीं जा सकते.
14 उन्हें इन विषयों की याद दिलाते रहो. परमेश्वर की उपस्थिति में उन्हें चेतावनी दो कि वे शब्दों पर वाद-विवाद न किया करें. इससे किसी का कोई लाभ नहीं होता परन्तु इससे सुननेवालों का विनाश ही होता है. 15 सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाते हुए परमेश्वर के ऐसे ग्रहण योग्य सेवक बनने का पूरा प्रयास करो, जिसे लज्जित न होना पड़े. 16 सांसारिक और व्यर्थ की बातचीत से दूर रहो, नहीं तो सांसारिकता बढ़ती ही जाएगी 17 और इस प्रकार की शिक्षा सड़े घाव की तरह फैल जाएगी. ह्यूमैनेऑस तथा फ़िलेतॉस इसी के समर्थकों में से हैं, 18 जो यह कहते हुए सच से भटक गए कि पुनरुत्थान तो पहले ही हो चुका. इस प्रकार उन्होंने कुछ को विश्वास से अलग कर दिया है. 19 फिर भी परमेश्वर की पक्की नींव स्थिर है, जिस पर यह मोहर लगी है: “प्रभु उन्हें जानते हैं, जो उनके हैं.” तथा “हर एक, जिसने प्रभु को अपनाया है, अधर्म से दूर रहे.”
20 एक सम्पन्न घर में केवल सोने-चांदी के ही नहीं परन्तु लकड़ी तथा मिट्टी के भी बर्तन होते हैं—कुछ अच्छे उपयोग के लिए तथा कुछ अनादर के लिए. 21 इसलिए जो व्यक्ति स्वयं को इस प्रकार की गंदगी से साफ़ कर लेता है, उसे अच्छा, अलग किया हुआ, स्वामी के लिए उपयोगी तथा हर एक भले काम के लिए तैयार किया हुआ बर्तन माना जाएगा.
22 जवानी की अभिलाषाओं से दूर भागो तथा उनकी संगति में धार्मिकता, विश्वास, प्रेम और शान्ति का स्वभाव करो, जो निर्मल हृदय से परमेश्वर को पुकारते हैं 23 मूर्खता तथा अज्ञानतापूर्ण विवादों से दूर रहो; यह जानते हुए कि इनसे झगड़ा उत्पन्न होता है. 24 परमेश्वर के दास का झगड़ालू होना सही नहीं है. वह सब के साथ कृपालु, निपुण शिक्षक, अन्याय की स्थिति में धीरजवन्त हो, 25 जो विरोधियों को नम्रतापूर्वक इस सम्भावना की आशा में समझाए कि क्या जाने परमेश्वर उन्हें सत्य के ज्ञान की प्राप्ति के लिए पश्चाताप की ओर भेजें. 26 वे सचेत हो जाएँ तथा शैतान के उस फन्दे से छूट जाएँ जिसमें उसने उन्हें अपनी इच्छा पूरी करने के लिए जकड़ रखा है.
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