Book of Common Prayer
1 दूसरे देशों के लोग क्यों इतनी हुल्लड़ मचाते हैं
और लोग व्यर्थ ही क्यों षड़यन्त्र रचते हैं?
2 ऐसे दशों के राजा और नेता यहोवा और उसके चुने हुए राजा
के विरुद्ध होने को आपस में एक हो जाते हैं।
3 वे नेता कहते हैं, “आओ परमेश्वर से और उस राजा से जिसको उसने चुना है, हम सब विद्रोह करें।
आओ उनके बन्धनों को हम उतार फेंके।”
4 किन्तु मेरा स्वामी, स्वर्ग का राजा, उन लोगों पर हँसता है।
5 परमेश्वर क्रोधित है और,
यही उन नेताओं को भयभीत करता है।
6 वह उन से कहता है, “मैंने इस पुरुष को राजा बनने के लिये चुना है,
वह सिय्योन पर्वत पर राज करेगा, सिय्योन मेरा विशेष पर्वत है।”
7 अब मै यहोवा की वाचा के बारे में तुझे बताता हूँ।
यहोवा ने मुझसे कहा था, “आज मैं तेरा पिता बनता हूँ
और तू आज मेरा पुत्र बन गया है।
8 यदि तू मुझसे माँगे, तो इन देशों को मैं तुझे दे दूँगा
और इस धरती के सभी जन तेरे हो जायेंगे।
9 तेरे पास उन देशों को नष्ट करने की वैसी ही शक्ति होगी
जैसे किसी मिट्टी के पात्र को कोई लौह दण्ड से चूर चूर कर दे।”
10 इसलिए, हे राजाओं, तुम बुद्धिमान बनो।
हे शासकों, तुम इस पाठ को सीखो।
11 तुम अति भय से यहोवा की आज्ञा मानों।
12 स्वयं को परमेश्वर के पुत्र का विश्वासपात्र दिखओ।
यदि तुम ऐसा नहीं करते, तो वह क्रोधित होगा और तुम्हें नष्ट कर देगा।
जो लोग यहोवा में आस्था रखते हैं वे आनन्दित रहते हैं, किन्तु अन्य लोगों को सावधान रहना चाहिए।
यहोवा अपना क्रोध बस दिखाने ही वाला है।
दाऊद का एक पद।
1 यह धरती और उस पर की सब वस्तुएँ यहोवा की है।
यह जगत और इसके सब व्यक्ति उसी के हैं।
2 यहोवा ने इस धरती को जल पर रचा है।
उसने इसको जल—धारों पर बनाया।
3 यहोवा के पर्वत पर कौन जा सकता है?
कौन यहोवा के पवित्र मन्दिर में खड़ा हो सकता है और आराधना कर सकता है?
4 ऐसा जन जिसने पाप नहीं किया है,
ऐसा जन जिसका मन पवित्र है,
ऐसा जन जिसने मेरे नाम का प्रयोग झूठ को सत्य प्रतीत करने में न किया हो,
और ऐसा जन जिसने न झूठ बोला और न ही झूठे वचन दिए हैं।
बस ऐसे व्यक्ति ही वहाँ आराधना कर सकते हैं।
5 सज्जन तो चाहते हैं यहोवा सब का भला करे।
वे सज्जन परमेश्वर से जो उनका उद्धारक है, नेक चाहते हैं।
6 वे सज्जन परमेश्वर के अनुसरण का जतन करते हैं।
वे याकूब के परमेश्वर के पास सहायता पाने जाते हैं।
7 फाटकों, अपने सिर ऊँचे करो!
सनातन द्वारों, खुल जाओ!
प्रतापी राजा भीतर आएगा।
8 यह प्रतापी राजा कौन है?
यहोवा ही वह राजा है, वही सबल सैनिक है,
यहोवा ही वह राजा है, वही युद्धनायक है।
9 फाटकों, अपने सिर ऊँचे करो!
सनातन द्वारों, खुल जाओ!
प्रतापी राजा भीतर आएगा।
10 वह प्रतापी राजा कौन है?
यहोवा सर्वशक्तिमान ही वह राजा है।
वह प्रतापी राजा वही है।
मूसा को पत्थर की पट्टियाँ मिली
12 यहोवा ने मूसा से कहा, “मेरे पास पर्वत पर आओ। मैंने अपने उपदेशों और आदेशों को दो समतल पत्थरों पर लिखा है। ये उपदेश लोगों के लिए हैं। मैं इन समतल पत्थरों को तुम्हें दूँगा।”
13 इसलिए मूसा और उसका सहायक यहोशू परमेश्वर के पर्वत तक गए। 14 मूसा ने चुने हुए बुजुर्गो से कहा, “हम लोगों की यहीं प्रतीक्षा करो, हम तुम्हारे पास लौटेंगे। जब तक मैं अनुपस्थित रहूँ, हारून और हूर आप लोगों के अधिकारी होंगे। यदि किसी को कोई समस्या हो तो वह उनके पास जाए।”
मूसा का परमेश्वर से मिलना
15 तब मूसा पर्वत पर चढ़ा और बादल ने पर्वत को ढक लिया। 16 यहोवा की दिव्यज्योति सीनै पर्वत पर उतरी। बादल ने छः दिन तक पर्वत को ढके रखा। सातवें दिन यहोवा, बादल में से मूसा से बोला। 17 इस्राएल के लोग यहोवा की दिव्यज्योति को देख सकते थे। वह पर्वत की चोटी पर दीप्त प्रकाश की तरह थी।
18 तब मूसा बादलों में और ऊपर पर्वत पर चढ़ा। मूसा पर्वत पर चालीस दिन और चालीस रात रहा।
मिट्टी के पात्रों में अध्यात्म का धन
4 क्योंकि परमेश्वर के अनुग्रह से यह सेवा हमें प्राप्त हुई है, इसलिए हम निराश नहीं होते। 2 हमने तो लज्जापूर्ण गुप्त कार्यों को छोड़ दिया है। हम कपट नहीं करते और न ही हम परमेश्वर के वचन में मिलावट करते हैं, बल्कि सत्य को सरल रूप में प्रकट करके लोगों की चेतना में परमेश्वर के सामने अपने आप को प्रशंसा के योग्य ठहराते हैं। 3 जिस सुसमाचार का हम प्रचार करते हैं, उस पर यदि कोई पर्दा पड़ा है तो यह केवल उनके लिये पड़ा है, जो विनाश की राह पर चल रहे हैं। 4 इस युग के स्वामी (शैतान) ने इन अविश्वासियों की बुद्धि को अंधा कर दिया है ताकि वे परमेश्वर के साक्षात प्रतिरूप मसीह की महिमा के सुसमाचार से फूट रहे प्रकाश को न देख पायें। 5 हम स्वयं अपना प्रचार नहीं करते बल्कि प्रभु के रूप में मसीह यीशु का उपदेश देते हैं। और अपने बारे में तो यही कहते हैं कि हम यीशु के नाते तुम्हारे सेवक है। 6 क्योंकि उसी परमेश्वर ने, जिसने कहा था, “अंधकार से ही प्रकाश चमकेगा” वही हमारे हृदयों में प्रकाशित हुआ है, ताकि हमें यीशु मसीह के व्यक्तित्व में परमेश्वर की महिमा के ज्ञान की ज्योति मिल सके।
दाऊद के लिये।
1 हे परमेश्वर, राजा की सहायता कर ताकि वह भी तेरी तरह से विवेकपूर्ण न्याय करे।
राजपुत्र की सहायता कर ताकि वह तेरी धार्मिकता जान सके।
2 राजा की सहायता कर कि तेरे भक्तों का वह निष्पक्ष न्याय करें।
सहायता कर उसकी कि वह दीन जनों के साथ उचित व्यवहार करे।
3 धरती पर हर कहीं शांती
और न्याय रहे।
4 राजा, निर्धन लोगों के प्रति न्यायपूर्ण रहे।
वह असहाय लोगों की सहायता करे। वे लोग दण्डित हो जो उनको सताते हो।
5 मेरी यह कामना है कि जब तक सूर्य आकाश में चमकता है, और चन्द्रमा आकाश में है।
लोग राजा का भय मानें। मेरी आशा है कि लोग उसका भय सदा मानेंगे।
6 राजा की सहायता, धरती पर पड़ने वाली बरसात बनने में कर।
उसकी सहायता कर कि वह खेतों में पड़ने वाली बौछार बने।
7 जब तक वह राजा है, भलाई फूले—फले।
जब तक चन्द्रमा है, शांति बनी रहे।
8 उसका राज्य सागर से सागर तक
तथा परात नदी से लेकर सुदूर धरती तक फैल जाये।
9 मरूभूमि के लोग उसके आगे झुके।
और उसके सब शत्रु उसके आगे औधे मुँह गिरे हुए धरती पर झुकें।
10 तर्शीश का राजा और दूर देशों के राजा उसके लिए उपहार लायें।
शेबा के राजा और सबा के राजा उसको उपहार दे।
11 सभी राजा हमारे राजा के आगे झुके।
सभी राष्ट्र उसकी सेवा करते रहें।
12 हमारा राजा असहायों का सहायक है।
हमारा राजा दीनों और असहाय लोगों को सहारा देता है।
13 दीन, असहाय जन उसके सहारे हैं।
यह राजा उनको जीवित रखता है।
14 यह राजा उनको उन लोगों से बचाता है, जो क्रूर हैं और जो उनको दु:ख देना चाहते हैं।
राजा के लिये उन दीनों का जीवन बहुत महत्वपूर्ण है।
15 राजा दीर्घायु हो!
और शेबा से सोना प्राप्त करें।
राजा के लिए सदा प्रार्थना करते रहो,
और तुम हर दिन उसको आशीष दो।
16 खेत भरपूर फसल दे।
पहाड़ियाँ फसलों से ढक जायें।
ये खेत लबानोन के खेतों से उपजाऊँ हो जायें।
नगर लोगों की भीड़ से भर जाये, जैसे खेत घनि घास से भर जाते हैं।
17 राजा का यश सदा बना रहे।
लोग उसके नाम का स्मरण तब तक करते रहें, जब तक सूर्य चमकता है।
उसके कारण सारी प्रजा धन्य हो जाये
और वे सभी उसको आशीष दे।
18 यहोवा परमेश्वर के गुण गाओं, जो इस्राएल का परमेश्वर है!
वही परमेश्वर ऐसे आश्चर्यकर्म कर सकता है।
19 उसके महिमामय नाम की प्रशंस सदा करों!
उसकी महिमा समस्त संसार में भर जाये!
आमीन और आमीन!
20 (यिशै के पुत्र दाऊद की प्रार्थनाएं समाप्त हुई।)
यीशु द्वारा अपनी मृत्यु का संकेत
27 “अब मेरा जी घबरा रहा है। क्या मैं कहूँ, ‘हे पिता, मुझे दुःख की इस घड़ी से बचा’ किन्तु इस घड़ी के लिए ही तो मैं आया हूँ। 28 हे पिता, अपने नाम को महिमा प्रदान कर!”
तब आकाशवाणी हुई, “मैंने इसकी महिमा की है और मैं इसकी महिमा फिर करूँगा।”
29 तब वहाँ मौजूद भीड़, जिसने यह सुना था, कहने लगी कि कोई बादल गरजा है।
दूसरे कहने लगे, “किसी स्वर्गदूत ने उससे बात की है।”
30 उत्तर में यीशु ने कहा, “यह आकाशवाणी मेरे लिए नहीं बल्कि तुम्हारे लिए थी। 31 अब इस जगत के न्याय का समय आ गया है। अब इस जगत के शासक को निकाल दिया जायेगा। 32 और यदि मैं धरती के ऊपर उठा लिया गया तो सब लोगों को अपनी ओर आकर्षित करूँगा।” 33 वह यह बताने के लिए ऐसा कह रहा था कि वह कैसी मृत्यु मरने जा रहा है।
34 इस पर भीड़ ने उसको जवाब दिया, “हमने व्यवस्था की यह बात सुनी है कि मसीह सदा रहेगा इसलिये तुम कैसे कहते हो कि मनुष्य के पुत्र को निश्चय ही ऊपर उठाया जायेगा। यह मनुष्य का पुत्र कौन है?”
35 तब यीशु ने उनसे कहा, “तुम्हारे बीच ज्योति अभी कुछ समय और रहेगी। जब तक ज्योति है चलते रहो। ताकि अँधेरा तुम्हें घेर न ले क्योंकि जो अँधेरे में चलता है, नहीं जानता कि वह कहाँ जा रहा है। 36 जब तक ज्योति तुम्हारे पास है उसमें विश्वास बनाये रखो ताकि तुम लोग ज्योतिर्मय हो सको।” यीशु यह कह कर कहीं चला गया और उनसे छुप गया।
© 1995, 2010 Bible League International