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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 119:49-72

जाइन्

49 हे यहोवा, अपना वचन याद कर जो तूने मुझको दिया।
    वही वचन मुझको आज्ञा दिया करता है।
50 मैं संकट में पड़ा था, और तूने मुझे चैन दिया।
    तेरे वचनो ने फिर से मुझे जीने दिया।
51 लोग जो स्वयं को मुझसे उत्तम सोचते हैं, निरन्तर मेरा अपमान कर रहे हैं,
    किन्तु हे यहोवा मैंने तेरी शिक्षाओं पर चलना नहीं छोड़ा।
52 मैं सदा तेरे विवेकपूर्ण निर्णयों का ध्यान करता हूँ।
    हे यहोवा तेरे विवेकपूर्ण निर्णय से मुझे चैन है।
53 जब मैं ऐसे दुष्ट लोगों को देखता हूँ,
    जिन्होंने तेरी शिक्षाओं पर चलना छोड़ा है, तो मुझे क्रोध आता है।
54 तेरी व्यवस्थायें मुझे ऐसी लगती है,
    जैसे मेरे घर के गीत।
55 हे यहोवा, रात में मैं तेरे नाम का ध्यान
    और तेरी शिक्षाएँ याद रखता हूँ।
56 इसलिए यह होता है कि मैं सावधानी से तेरे आदेशों को पालता हूँ।

हेथ्

57 हे यहोवा, मैंने तेरे उपदेशों पर चलना निश्चित किया यह मेरा कर्तव्य है।
58 हे यहोवा, मैं पूरी तरह से तुझ पर निर्भर हूँ,
    जैसा वचन तूने दिया मुझ पर दयालु हो।
59 मैंने ध्यान से अपनी राह पर मनन किया
    और मैं तेरी वाचा पर चलने को लौट आया।
60 मैंने बिना देर लगाये तेरे आदेशों पर चलने कि शीघ्रता की।
61 बुरे लोगों के एक दल ने मेरे विषय में बुरी बातें कहीं।
    किन्तु यहोवा मैं तेरी शिक्षाओं को भूला नहीं।
62 तेरे सत निर्णयों का तुझे धन्यवाद देने
    मैं आधी रात के बीच उठ बैठता हूँ।
63 जो कोई व्यक्ति तेरी उपासना करता मैं उसका मित्र हूँ।
    जो कोई व्यक्ति तेरे आदेशों पर चलता है, मैं उसका मित्र हूँ।
64 हे यहोवा, यह धरती तेरी सत्य करूणा से भरी हुई है।
    मुझको तू अपने विधान की शिक्षा दे।

तेथ्

65 हे यहोवा, तूने अपने दास पर भलाईयाँ की है।
    तूने ठीक वैसा ही किया जैसा तूने करने का वचन दिया था।
66 हे यहोवा, मुझे ज्ञान दे कि मैं विवेकपूर्ण निर्णय लूँ,
    तेरे आदेशों पर मुझको भरोसा है।
67 संकट में पड़ने से पहले, मैंने बहुत से बुरे काम किये थे।
    किन्तु अब, सावधानी के साथ मैं तेरे आदेशों पर चलता हूँ।
68 हे परमेश्वर, तू खरा है, और तू खरे काम करता है,
    तू अपनी विधान की शिक्षा मुझको दे।
69 कुछ लोग जो सोचते हैं कि वे मुझ से उत्तम हैं, मेरे विषय में बुरी बातें बनाते हैं।
    किन्तु यहोवा मैं अपने पूर्ण मन के साथ तेरे आदेशों को निरन्तर पालता हूँ।
70 वे लोग महा मूर्ख हैं।
    किन्तु मैं तेरी शिक्षाओं को पढ़ने में रस लेता हूँ।
71 मेरे लिये संकट अच्छ बन गया था।
    मैंने तेरी शिक्षाओं को सीख लिया।
72 हे यहोवा, तेरी शिक्षाएँ मेरे लिए भली है।
    तेरी शिक्षाएँ हजार चाँदी के टुकड़ों और सोने के टुकड़ों से उत्तम हैं।

भजन संहिता 49

कोरह की संतानो का संगीत निर्देशक के लिए एक पद।

विभिन्न देशों के निवासियों, यह सुनो।
    धरती के वासियों यह सुनो।
    सुनो अरे दीन जनो, अरे धनिकों सुनो।
मैं तुम्हें ज्ञान
    और विवेक की बातें बताता हूँ।
मैंने कथाएँ सुनी हैं,
    मैं अब वे कथाएँ तुमको निज वीणा पर सुनाऊँगा।

ऐसा कोई कारण नहीं जो मैं किसी भी विनाश से डर जाऊँ।
    यदि लोग मुझे घेरे और फँदा फैलाये, मुझे डरने का कोई कारण नहीं।
वे लोग मूर्ख हैं जिन्हें अपने निज बल
    और अपने धन पर भरोसा है।
तुझे कोई मनुष्य मित्र नहीं बचा सकता।
    जो घटा है उसे तू परमेश्वर को देकर बदलवा नहीं सकता।
किसी मनुष्य के पास इतना धन नहीं होगा कि
    जिससे वह स्वयं अपना निज जीवन मोल ले सके।
किसी मनुष्य के पास इतना धन नहीं हो सकता
    कि वह अपना शरीर कब्र में सड़ने से बचा सके।
10 देखो, बुद्धिमान जन, बुद्धिहीन जन और जड़मति जन एक जैसे मर जाते हैं,
    और उनका सारा धन दूसरों के हाथ में चला जाता है।
11 कब्र सदा सर्वदा के लिए हर किसी का घर बनेगा,
    इसका कोई अर्थ नहीं कि वे कितनी धरती के स्वामी रहे थे।
12 धनी पुरूष मूर्ख जनों से भिन्न नहीं होते।
    सभी लोग पशुओं कि तरह मर जाते हैं।
13 लोगों कि वास्तविक मुर्खता यह हाती है कि
    वे अपनी भूख को निर्णायक बनाते हैं, कि उनको क्या करना चाहिए।
14 सभी लोग भेड़ जैसे हैं।
    कब्र उनके लिये बाडा बन जायेगी।
मृत्यु उनका चरवाहा बनेगी।
    उनकी काया क्षीण हो जायेंगी
    और वे कब्र में सड़ गल जायेंगे।

15 किन्तु परमेश्वर मेरा मूल्य चुकाएगा और मेरा जीवन कब्र की शक्ति से बचाएगा।
    वह मुझको बचाएगा।

16 धनवानों से मत डरो कि वे धनी हैं।
    लोगों से उनके वैभवपूर्ण घरों को देखकर मत डरना।
17 वे लोग जब मरेंगे कुछ भी साथ न ले जाएंगे।
    उन सुन्दर वस्तुओं में से कुछ भी न ले जा पाएंगे।
18 लोगों को चाहिए कि वे जब तक जीवित रहें परमेश्वर की स्तुति करें।
    जब परमेश्वर उनके संग भलाई करे, तो लोगों को उसकी स्तुति करनी चाहिए।
19 मनुष्यों के लिए एक ऐसा समय आएगा
    जब वे अपने पूर्वजों के संग मिल जायेंगे।
फिर वे कभी दिन का प्रकाश नहीं देख पाएंगे।
20 धनी पुरूष मूर्ख जनों से भिन्न नहीं होते। सभी लोग पशु समान मरते हैं।

भजन संहिता 53

महलत राग पर संगीत निर्देशक के लिए दाऊद का एक भक्ति गीत।

बस एक मूर्ख ही ऐसे सोचता है कि परमेश्वर नहीं होता।
    ऐसे मनुष्य भ्रष्ट, दुष्ट, द्वेषपूर्ण होते हैं।
    वे कोई अच्छा काम नहीं करते।
सचमुच, आकाश में एक ऐसा परमेश्वर है जो हमें देखता और झाँकता रहता है।
    यह देखने को कि क्या यहाँ पर कोई विवेकपूर्ण व्यक्ति
    और विवेकपूर्ण जन परमेश्वर को खोजते रहते हैं?
किन्तु सभी लोग परमेश्वर से भटके हैं।
    हर व्यक्ति बुरा है।
कोई भी व्यक्ति कोई अच्छा कर्म नहीं करता,
    एक भी नहीं।

परमेश्वर कहता है, “निश्चय ही, वे दुष्ट सत्य को जानते हैं।
    किन्तु वे मेरी प्रार्थना नहीं करते।
    वे दुष्ट लोग मेरे भक्तों को ऐसे नष्ट करने को तत्पर हैं, जैसे वे निज खाना खाने को तत्पर रहते हैं।”

किन्तु वे दुष्ट लोग इतने भयभीत होंगे,
    जितने वे दुष्ट लोग पहले कभी भयभीत नहीं हुए!
इसलिए परमेश्वर ने इस्राएल के उन दुष्ट शत्रु लोगों को त्यागा है।
    परमेश्वर के भक्त उनको हरायेंगे
और परमेश्वर उन दुष्टो की हड्डियों को बिखेर देगा।

इस्राएल को, सिय्योन में कौन विजयी बनायेगा? हाँ,
    परमेश्वर उनकी विजय को पाने में सहायता करेगा।
परमेश्वर अपने लोगों को बन्धुआई से वापस लायेगा,
    याकूब आनन्द मनायेगा।
    इस्राएल अति प्रसन्न होगा।

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प्रकाशित वाक्य 12:1-6

स्त्री और विशालकाय अजगर

12 इसके पश्चात् आकाश में एक बड़ा सा संकेत प्रकट हुआ: एक महिला दिखाई दी जिसने सूरज को धारण किया हुआ था और चन्द्रमा उसके पैरों तले था। उसके माथे पर मुकुट था जिसमें बारह तारे जड़े थे। वह गर्भवती थी। और क्योंकि प्रसव होने ही वाला था इसलिए प्रजनन की पीड़ा से वह कराह रही थी।

स्वर्ग में एक और संकेत प्रकट हुआ। मेरे सामने ही एक लाल रंग का विशालकाय अजगर खड़ा था। उसके सातों सिरों पर सात मुकुट थे। उसकी पूँछ ने आकाश के तारों के एक तिहाई भाग को सपाटा मारकर धरती पर नीचे फेंक दिया। वह स्त्री जो बच्चे को जन्म देने ही वाली थी, वह अजगर उसके सामने खड़ा हो गया ताकि वह जैसे ही उस बच्चे को जन्म दे, वह उसके बच्चे को निगल जाए।

फिर उस स्त्री ने एक बच्चे को जन्म दिया जो एक लड़का था। उसे सभी जातियों पर लौह दण्ड के साथ शासन करना था। किन्तु उस बच्चे को उठाकर परमेश्वर और उसके सिंहासन के सामने ले जाया गया। और वह स्त्री निर्जन वन में भाग गई। एक ऐसा स्थान जो परमेश्वर ने उसी के लिए तैयार किया था ताकि वहाँ उसे एक हज़ार दो सौ साठ दिन तक जीवित रखा जा सके।

लूका 11:37-52

यीशु द्वारा फरीसियों की आलोचना

(मत्ती 23:1-36; मरकुस 12:38-40; लूका 20:45-47)

37 यीशु ने जब अपनी बात समाप्त की तो एक फ़रीसी ने उससे अपने साथ भोजन करने का आग्रह किया। सो वह भीतर जाकर भोजन करने बैठ गया। 38 किन्तु जब उस फ़रीसी ने यह देखा कि भोजन करने से पहले उसने अपने हाथ नहीं धोये तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। 39 इस पर प्रभु ने उनसे कहा, “अब देखो तुम फ़रीसी थाली और कटोरी को बस बाहर से तो माँजते हो पर भीतर से तुम लोग लालच और दुष्टता से भरे हो। 40 अरे मूर्ख लोगों! क्या जिसने बाहरी भाग को बनाया, वही भीतरी भाग को भी नहीं बनाता? 41 इसलिए जो कुछ भीतर है, उसे दीनों को दे दे। फिर तेरे लिए सब कुछ पवित्र हो जायेगा।

42 “ओ फरीसियों! तुम्हें धिक्कार है क्योंकि तुम अपने पुदीने और सुदाब बूटी और हर किसी जड़ी बूटी का दसवाँ हिस्सा तो अर्पित करते हो किन्तु परमेश्वर के लिये प्रेम और न्याय की उपेक्षा करते हो। किन्तु इन बातों को तुम्हें उन बातों की उपेक्षा किये बिना करना चाहिये था।

43 “ओ फरीसियों, तुम्हें धिक्कार है! क्योंकि तुम यहूदी आराधनालयों में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण आसन चाहते हो और बाज़ारों में सम्मानपूर्ण नमस्कार लेना तुम्हें भाता है। 44 तुम्हें धिक्कार है क्योंकि तुम बिना किसी पहचान की उन कब्रों के समान हो जिन पर लोग अनजाने ही चलते हैं।”

45 तब एक न्यायशास्त्री ने यीशु से कहा, “गुरु, जब तू ऐसी बातें कहता है तो हमारा भी अपमान करता है।”

46 इस पर यीशु ने कहा, “ओ न्यायशास्त्रियों! तुम्हें धिक्कार है। क्योंकि तुम लोगों पर ऐसे बोझ लादते हो जिन्हें उठाना कठिन है। और तुम स्वयं उन बोझों को एक उँगली तक से छूना भर नहीं चाहते। 47 तुम्हें धिक्कार है क्योंकि तुम नबियों के लिये कब्रें बनाते हो जबकि वे तुम्हारे पूर्वज ही थे जिन्होंने उनकी हत्या की। 48 इससे तुम यह दिखाते हो कि तुम अपने पूर्वजों के उन कामों का समर्थन करते हो। क्योंकि उन्होंने तो उन्हें मारा और तुमने उनकी कब्रें बनाईं। 49 इसलिए परमेश्वर के ज्ञान ने भी कहा, ‘मैं नबियों और प्रेरितों को भी उनके पास भेजूँगा। फिर कुछ को तो वे मार डालेंगे और कुछ को यातनाएँ देंगे।’

50 “इसलिए संसार के प्रारम्भ से जितने भी नबियों का खून बहाया गया है, उसका हिसाब इस पीढ़ी के लोगों से चुकता किया जायेगा। 51 यानी हाबिल की हत्या से लेकर जकरयाह की हत्या तक का हिसाब, जो परमेश्वर के मन्दिर और वेदी के बीच की गयी थीं। हाँ, मैं तुमसे कहता हूँ इस पीढ़ी के लोगों को इसके लिए लेखा जोखा देना ही होगा।

52 “हे न्यायशास्त्रियों, तुम्हें धिक्कार है, क्योंकि तुमने ज्ञान की कुंजी ले तो ली है। पर उसमें न तो तुमने खुद प्रवेश किया और जो प्रवेश करने का जतन कर रहे थे उनको भी तुमने बाधा पहुँचाई।”

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