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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 131-135

आरोहण गीत।

हे यहोवा, मैं अभिमानी नहीं हूँ।
    मैं महत्वपूर्ण होने का जतन नहीं करता हूँ।
मैं वो काम करने का जतन नहीं करता हूँ जो मेरे लिये बहुत कठिन हैं।
    ऐसी उन बातों की मुझे चिंता नहीं है।
मैं निश्चल हूँ, मेरी आत्मा शांत है।
    मेरी आत्मा शांत और अचल है,
    जैसे कोई शिशु अपनी माता की गोद में तृप्त होता है।

इस्राएल, यहोवा पर भरोसा रखो।
    उसका भरोसा रखो, अब और सदा सदा ही उसका भरोसा रखो!

मन्दिर का आरोहण गीत।

हे यहोवा, जैसे दाऊद ने यातनाएँ भोगी थी, उसको याद कर।
किन्तु दाऊद ने यहोवा की एक मन्नत मानी थी।
    दाऊद ने इस्राएल के पराक्रमी परमेश्वर की एक मन्नत मानी थी।
दाऊद ने कहा था: “मैं अपने घर में तब तक न जाऊँगा,
    अपने बिस्तर पर न ही लेटूँगा,
न ही सोऊँगा।
    अपनी आँखों को मैं विश्राम तक न दूँगा।
इसमें से मैं कोई बात भी नहीं करूँगा जब तक मैं यहोवा के लिए एक भवन न प्राप्त कर लूँ।
    मैं इस्राएल के शक्तिशाली परमेश्वर के लिए एक मन्दिर पा कर रहूँगा!”

एप्राता में हमने इसके विषय में सुना,
    हमें किरीयथ योरीम के वन में वाचा की सन्दूक मिली थी।
आओ, पवित्र तम्बू में चलो।
    आओ, हम उस चौकी पर आराधना करें, जहाँ पर परमेश्वर अपने चरण रखता है।
हे यहोवा, तू अपनी विश्राम की जगह से उठ बैठ,
    तू और तेरी सामर्थ्यवान सन्दूक उठ बैठ।
हे यहोवा, तेरे याजक धार्मिकता धारण किये रहते हैं।
    तेरे जन बहुत प्रसन्न रहते हैं।
10 तू अपने चुने हुये राजा को
    अपने सेवक दाऊद के भले के लिए नकार मत।
11 यहोवा ने दाऊद को एक वचन दिया है कि दाऊद के प्रति वह सच्चा रहेगा।
    यहोवा ने वचन दिया है कि दाऊद के वंश से राजा आयेंगे।
12 यहोवा ने कहा था, “यदि तेरी संतानें मेरी वाचा पर और मैंने उन्हें जो शिक्षाएं सिखाई उन पर चलेंगे तो
    फिर तेरे परिवार का कोई न कोई सदा ही राजा रहेगा।”

13 अपने मन्दिर की जगह के लिए यहोवा ने सिय्योन को चुना था।
    यह वह जगह है जिसे वह अपने भवन के लिये चाहता था।
14 यहोवा ने कहा था, “यह मेरा स्थान सदा सदा के लिये होगा।
    मैंने इसे चुना है ऐसा स्थान बनने को जहाँ पर मैं रहूँगा।
15 भरपूर भोजन से मैं इस नगर को आशीर्वाद दूँगा,
    यहाँ तक कि दीनों के पास खाने को भर—पूर होगा।
16 याजकोंको मैं उद्धार का वस्त्र पहनाऊँगा,
    और यहाँ मेरे भक्त बहुत प्रसन्न रहेंगे।
17 इस स्थान पर मैं दाऊद को सुदृढ करुँगा।
    मैं अपने चुने राजा को एक दीपक दूँगा।
18 मैं दाऊद के शत्रुओं को लज्जा से ढक दूँगा
    और दाऊद का राज्य बढाऊँगा।”

दाऊद का आरोहण गीत।

परमेश्वर के भक्त मिल जुलकर शांति से रहे।
    यह सचमुच भला है, और सुखदायी है।
यह वैसा सुगंधित तेल जैसा होता है जिसे हारून के सिर पर उँडेला गया है।
    यह, हारून की दाढ़ी से नीचे जो बह रहा हो उस तेल सा होता है।
    यह, उस तेल जैसा है जो हारून के विशेष वस्त्रों पर ढुलक बह रहा।
यह वैसा है जैसे धुंध भरी ओस हेर्मोन की पहाड़ी से आती हुई सिय्योन के पहाड पर उतर रही हो।
    यहोवा ने अपने आशीर्वाद सिय्योन के पहाड़ पर ही दिये थे। यहोवा ने अमर जीवन की आशीष दी थी।

आरोहण का गीत।

ओ, उसके सब सेवकों, यहोवा का गुण गान करो।
    सेवकों सारी रात मन्दिर में तुमने सेवा की।
सेवकों, अपने हाथ उठाओ
    और यहोवा को धन्य कहो।
और सिय्योन से यहोवा तुम्हें धन्य कहे।
    यहोवा ने स्वर्ग और धरती रचे हैं।

यहोवा की प्रशंसा करो।
यहोवा के सेवकों
    यहोवा के नाम का गुणगान करो।
तुम लोग यहोवा के मन्दिर में खड़े हो।
उसके नाम की प्रशंसा करो।
    तुम लोग मन्दिर के आँगन में खडे हो।
    उसके नाम के गुण गाओ।
यहोवा की प्रशंसा करो क्योंकि वह खरा है।
    उसके नाम के गुण गाओ क्योंकि वह मधुर है।

यहोवा ने याकूब को चुना था।
    इस्राएल परमेश्वर का है।
मैं जानता हूँ, यहोवा महान है।
    अन्य भी देवों से हमारा स्वामी महान है।
यहोवा जो कुछ वह चाहता है
    स्वर्ग में, और धरती पर, समुद में अथवा गहरे महासागरों में, करता है।
परमेश्वर धरती पर सब कहीं मेघों को रचता है।
    परमेश्वर बिजली और वर्षा को रचता है।
    परमेश्वर हवा को रचता है।
परमेश्वर मिस्र में मनुष्यों और पशुओं के सभी पहलौठों को नष्ट किया था।
परमेश्वर ने मिस्र में बहुत से अद्भुत और अचरज भरे काम किये थे।
    उसने फिरौन और उसके सब कर्मचारियों के बीच चिन्ह और अद्भुत कार्य दिखाये।
10 परमेश्वर ने बहुत से देशों को हराया।
    परमेश्वर ने बलशाली राजा मारे।
11 उसने एमोरियों के राजा सीहोन को पराजित किया।
    परमेश्वर ने बाशान के राजा ओग को हराया।
    परमेश्वर ने कनान की सारी प्रजा को हराया।
12 परमेश्वर ने उनकी धरती इस्राएल को दे दी। परमेश्वर ने अपने भक्तों को धरती दी।

13 हे यहोवा, तू सदा के लिये प्रसिद्ध होगा।
    हे यहोवा, लोग तुझे सदा सर्वदा याद करते रहेंगे।
14 यहोवा ने राष्ट्रों को दण्ड दिया
    किन्तु यहोवा अपने निज सेवकों पर दयालु रहा।
15 दूसरे लोगों के देवता बस सोना और चाँदी के देवता थे।
    उनके देवता मात्र लोगों द्वारा बनाये पुतले थे।
16 पुतलों के मुँह है, पर बोल नहीं सकते।
    पुतलों की आँख है, पर देख नहीं सकते।
17 पुतलों के कान हैं, पर उन्हें सुनाई नहीं देता।
    पुतलों की नाक है, पर वे सूँघ नहीं सकते।
18 वे लोग जिन्होंने इन पुतलों को बनाया, उन पुतलों के समान हो जायेंगे।
    क्यों? क्योंकि वे लोग मानते हैं कि वे पुतले उनकी रक्षा करेंगे।

19 इस्राएल की संतानों, यहोवा को धन्य कहो!
    हारून की संतानों, यहोवा को धन्य कहो!
20 लेवी की संतानों, यहोवा को धन्य कहो!
    यहोवा के अनुयायियों, यहोवा को धन्य कहो!
21 सिय्योन का यहोवा धन्य है।
    यरूशलेम में जिसका घर है।

यहोवा का गुणगान करो।

मीका 3:1-8

इस्राएल के मुखिया बुराई के अपराथी हैं

फिर मैंने कहा, “हे याकूब के मुखियाओं, अब सुनो।
हे इस्राएल के प्रजा के शासकों, अब सुनो।
    तुमको जानना चाहिये कि न्याय क्या होता है!
किन्तु तुमको नेकी से घृणा है
    और तुम लोगों की खाल तक उतार लेते हो।
    तुम लोगों की हड्डियों से माँस नोंच लेते हो!
तुम मेरे लोगों को नष्ट कर रहे हो!
    तुम उनकी खाल तक उनसे उतार रहे हो और उनकी हड्डियाँ तोड़ रहे हो।
    तुम उनकी हड्डियाँ ऐसे तोड़ रहे हो जैसे हांडी में माँस चढ़ाने के लिये।
तुम यहोवा से विनती करोगे
    किन्तु वह तुम्हें उत्तर नहीं देगा।
नहीं, यहोवा अपना मुख तुमसे छुपायेगा।
    क्यों क्योंकि तुमने बुरे कर्म किये हैं।”

झूठे नबी

झूठे नबी यहोवा के लोगों को जीवन की उलटी रीति सीखाते हैं। यहोवा उन झूठे नबियों के विषय में यह कहता है:

“यदि लोग इन नबियों को खाने को देते हैं,
तो वे चिल्लाकर कहते हैं, तुम्हारे संग शान्ति हो,
    किन्तु यदि लोग उन्हें खाने को नहीं देते तो वे सेना को उनके विरूद्ध युद्ध करने को प्रेरित करते हैं।

“इसलिये यह तुम्हारे लिये रात सा होगा।
    तुम कोई दर्शन नहीं देख पाओगो।
भविष्य के गर्त में जो छिपा है, तुम बता नहीं पाओगे।
    इसलिये यह तुमको अन्धेरे जैसा लगेगा।
नबियों पर सूर्य छिप जायेगा
    और उनके ऊपर दिन काला पड़ जायेगा।
भविष्य के दृष्टा लज्जित हो जायेंगे।
    वे लोग, जो भविष्य देखते हैं, उनके मुँह काले हो जायेंगे।
हाँ, वे सभी अपना मुँह बन्द कर लेंगे।
    क्यों क्योंकि वहाँ परमेश्वर की ओर से कोई उत्तर नहीं होगा!”

मीका परमेश्वर का सच्चा नबी है

किन्तु यहोवा की आत्मा ने मुझको शक्ति, नेकी,
    और सामर्थ्य से भर दिया था।
मैं याकूब को उसके पाप बतलाऊँगा।
    हाँ, मैं इस्राएल को उसके पापों के विषय में कहूँगा!

प्रेरितों के काम 24:1-23

यहूदियों द्वारा पौलुस पर अभियोग

24 पाँच दिन बाद महायाजक हनन्याह कुछ बुजुर्ग यहूदी नेताओं और तिरतुल्लुस नाम के एक वकील को साथ लेकर कैसरिया आया। वे राज्यपाल के सामने पौलुस पर अभियोग सिद्ध करने आये थे। फेलिक्स के सामने पौलुस की पेशी होने पर मुकदमे की कार्यवाही आरम्भ करते हुए तिरतुल्लुस बोला, “हे महोदय, तुम्हारे कारण हम बड़ी शांति के साथ रह रहे हैं और तुम्हारी दूर-दृष्टि से देश में बहुत से अपेक्षित सुधार आये हैं। हे सर्वश्रेष्ट फेलिक्स, हम बड़ी कृतज्ञता के साथ इसे हर प्रकार से हर कहीं स्वीकार करते हैं। तुम्हारा और अधिक समय न लेते हुए, मेरी प्रार्थना है कि कृपया आप संक्षेप में हमें सुन लें। बात यह है कि इस व्यक्ति को हमने एक उत्पाती के रूप में पाया है। सारी दुनिया केयहूदियों में इसनेदंगे भड़कवाए हैं। यह नासरियों के पंथ का नेता है। 6-8 इसने मन्दिर को भी अपवित्र करने का जतन किया है। हमने इसे इसीलिए पकड़ा है। हम इस पर जो आरोप लगा रहे हैं,[a] उनसबको आप स्वयं इससे पूछताछ करके जान सकते हो।” इस अभियोग में यहूदी भी शामिल हो गये। वे दृढ़ता के साथ कह रहे थे कि ये सब बातें सच हैं।

पौलुस का अपने आपको फेलिक्स के सामने बचाव करना

10 फिर राज्यपाल ने जब पौलुस को बोलने के लिये इशारा किया तो उसने उत्तर देते हुए कहा, “तू बहुत दिनों से इस देश का न्यायाधीश है। यह जानते हुए मैं प्रसन्नता के साथ अपना बचाव प्रस्तुत कर रहा हूँ। 11 तू स्वयं यह जान सकता है कि अभी आराधना के लिए मुझे यरूशलेम गये बस बारह दिन बीते हैं। 12 वहाँ मन्दिर में मुझे न तो किसी के साथ बहस करते पाया गया है और न ही आराधनालयों या नगर में कहीं और लोगों को दंगों के लिए भड़काते हुए 13 और अब तेरे सामने जिन अभियोगों को ये मुझ पर लगा रहे हैं उन्हें प्रमाणित नहीं कर सकते हैं।

14 “किन्तु मैं तेरे सामने यह स्वीकार करता हूँ कि मैं अपने पूर्वजों के परमेश्वर की आराधना अपने पंथ के अनुसार करता हूँ, जिसे ये एक पंथ कहते हैं। मैं हर उस बात में विश्वास करता हूँ जिसे व्यवस्था बताती है और जो नबियों के ग्रन्थों में लिखी है। 15 और मैं परमेश्वर में वैसे ही भरोसा रखता हूँ जैसे स्वयं ये लोग रखते हैं कि धर्मियों और अधर्मियों दोनों का ही पुनरुत्थान होगा। 16 इसीलिये मैं भी परमेश्वर और लोगों के समक्ष सदा अपनी अन्तरात्मा को शुद्ध बनाये रखने के लिए प्रयत्न करता रहता हूँ।

17-18 “बरसों तक दूर रहने के बाद मैं अपने दीन जनों के लिये उपहार ले कर भेंट चढ़ाने आया था। और जब मैं यह कर ही रहा था उन्होंने मुझे मन्दिर में पाया, तब मैं विधि-विधान पूर्वक शुद्ध था। न वहाँ कोई भीड़ थी और न कोई अशांति। 19 एशिया से आये कुछ यहूदी वहाँ मौजूद थे। यदि मेरे विरुद्ध उनके पास कुछ है तो उन्हें तेरे सामने उपस्थित हो कर मुझ पर आरोप लगाने चाहियें। 20 या ये लोग जो यहाँ हैं वे बतायें कि जब मैं यहूदी महासभा के सामने खड़ा था, तब उन्होंने मुझ में क्या खोट पाया। 21 सिवाय इसके कि जब मैं उनके बीच में खड़ा था तब मैंने ऊँचे स्वर में कहा था, ‘मरे, हुओं में से जी उठने के विषय में आज तुम्हारे द्वारा मेरा न्याय किया जा रहा है।’”

22 फिर फेलिक्स, जो इस-पंथ की पूरी जानकारी रखता था, मुकदमे की सुनवाई को स्थगित करते हुए बोला, “जब सेनानायक लुसिआस आयेगा, मैं तभी तुम्हारे इस मुकदमे पर अपना निर्णय दूँगा।” 23 फिर उसने सूबेदार को आज्ञा दी कि थोड़ी छूट देकर पौलुस को पहरे के भीतर रखा जाये और उसके मित्रों को उसकी आवश्यकताएँ पूरी करने से न रोका जाये।

लूका 7:36-50

शमौन फ़रीसी

36 एक फ़रीसी ने अपने साथ खाने पर उसे निमंत्रित किया। सो वह फ़रीसी के घर गया और उसके यहाँ भोजन करने बैठा।

37 वहीं नगर में उन दिनों एक पापी स्त्री थी, उसे जब यह पता लगा कि वह एक फ़रीसी के घर भोजन कर रहा है तो वह संगमरमर के एक पात्र में इत्र लेकर आयी। 38 वह उसके पीछे उसके चरणों में खड़ी थी। वह रो रही थी। अपने आँसुओं से वह उसके पैर भिगोने लगी। फिर उसने पैरों को अपने बालों से पोंछा और चरणों को चूम कर उस पर इत्र उँड़ेल दिया।

39 उस फ़रीसी ने जिसने यीशु को अपने घर बुलाया था, यह देखकर मन ही मन सोचा, “यदि यह मनुष्य नबी होता तो जान जाता कि उसे छूने वाली यह स्त्री कौन है और कैसी है? वह जान जाता कि यह तो पापिन है।”

40 उत्तर में यीशु ने उससे कहा, “शमौन, मुझे तुझ से कुछ कहना है।”

वह बोला, “गुरु, कह।”

41 यीशु ने कहा, “किसी साहूकार के दो कर्ज़दार थे। एक पर उसके पाँच सौ चाँदी के सिक्के[a] निकलते थे और दूसरे पर पचास। 42 क्योंकि वे कर्ज़ नहीं लौटा पाये थे इसलिये उसने दया पूर्वक दोनों के कर्ज़ माफ़ कर दिये। अब बता दोनों में से उसे अधिक प्रेम कौन करेगा?”

43 शमौन ने उत्तर दिया, “मेरा विचार है, वही जिसका उसने अधिक कर्ज़ छोड़ दिया।”

यीशु ने कहा, “तूने उचित न्याय किया।” 44 फिर उस स्त्री की तरफ़ मुड़ कर वह शमौन से बोला, “तू इस स्त्री को देख रहा है? मैं तेरे घर में आया, तूने मेरे पैर धोने को मुझे जल नहीं दिया किन्तु इसने मेरे पैर आँसुओं से तर कर दिये। और फिर उन्हें अपने बालों से पोंछा। 45 तूने स्वागत में मुझे नहीं चूमा किन्तु यह जब से मैं भीतर आया हूँ, मेरे पैरों को निरन्तर चूमती रही है। 46 तूने मेरे सिर पर तेल का अभिषेक नहीं किया, किन्तु इसने मेरे पैरों पर इत्र छिड़का। 47 इसीलिये मैं तुझे बताता हूँ कि इसका अगाध प्रेम दर्शाता है कि इसके बहुत से पाप क्षमा कर दिये गये हैं। किन्तु वह जिसे थोड़े पापों की क्षमा मिली, वह थोड़ा प्रेम करता है।”

48 तब यीशु ने उस स्त्री से कहा, “तेरे पाप क्षमा कर दिये गये हैं।”

49 फिर जो उसके साथ भोजन कर रहे थे, वे मन ही मन सोचने लगे, “यह कौन है जो पापों को भी क्षमा कर देता है?”

50 तब यीशु ने उस स्त्री से कहा, “तेरे विश्वास ने तेरी रक्षा की है। शान्ति के साथ जा।”

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