Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 50

आसाप के भक्ति गीतों में से एक पद।

ईश्वरों के परमेश्वर यहोवा ने कहा है,
    पूर्व से पश्चिम तक धरती के सब मनुष्यों को उसने बुलाया।
सिय्योन से परमेश्वर की सुन्दरता प्रकाशित हो रही है।
हमारा परमेश्वर आ रहा है, और वह चुप नही रहेगा।
    उसके सामने जलती ज्वाला है,
    उसको एक बड़ा तूफान घेरे हुए है।
हमारा परमेश्वर आकाश और धरती को पुकार कर
    अपने निज लोगों को न्याय करने बुलाता है।
“मेरे अनुयायियों, मेरे पास जुटों।
    मेरे उपासकों आओ हमने आपस में एक वाचा किया है।”

परमेश्वर न्यायाधीश है,
    आकाश उसकी धार्मिकता को घोषित करता है।

परमेश्वर कहता है, “सुनों मेरे भक्तों!
    इस्राएल के लोगों, मैं तुम्हारे विरूद्ध साक्षी दूँगा।
    मैं परमेश्वर हूँ, तुम्हारा परमेश्वर।
मुझको तुम्हारी बलियों से शिकायत नहीं।
    इस्राएल के लोगों, तुम सदा होमबलियाँ मुझे चढ़ाते रहो। तुम मुझे हर दिन अर्पित करो।
मैं तेरे घर से कोई बैल नहीं लूँगा।
    मैं तेरे पशु गृहों से बकरें नहीं लूँगा।
10 मुझे तुम्हारे उन पशुओं की आवश्यकता नहीं। मैं ही तो वन के सभी पशुओं का स्वामी हूँ।
    हजारों पहाड़ों पर जो पशु विचरते हैं, उन सब का मैं स्वामी हूँ।
11 जिन पक्षियों का बसेरा उच्चतम पहाड़ पर है, उन सब को मैं जानता हूँ।
    अचलों पर जो भी सचल है वे सब मेरे ही हैं।
12 मैं भूखा नहीं हूँ! यदि मैं भूखा होता, तो भी तुमसे मुझे भोजन नहीं माँगना पड़ता।
    मैं जगत का स्वामी हूँ और उसका भी हर वस्तु जो इस जगत में है।
13 मैं बैलों का माँस खाया नहीं करता हूँ।
बकरों का रक्त नहीं पीता।”

14 सचमुच जिस बलि की परमेश्वर को अपेक्षा है, वह तुम्हारी स्तुति है। तुम्हारी मनौतियाँ उसकी सेवा की हैं।
    सो परमेश्वर को निज धन्यवाद की भेटें चढ़ाओ। उस सर्वोच्च से जो मनौतियाँ की हैं उसे पूरा करो।
15 “इस्राएल के लोगों, जब तुम पर विपदा पड़े, मेरी प्रार्थना करो,
    मैं तुम्हें सहारा दूँगा। तब तुम मेरा मान कर सकोगे।”

16 दुष्ट लोगों से परमेश्वर कहता है,
    “तुम मेरी व्यवस्था की बातें करते हो,
    तुम मेरे वाचा की भी बातें करते हो।
17 फिर जब मैं तुमको सुधारता हूँ, तब भला तुम मुझसे बैर क्यों रखते हो।
    तुम उन बातों की उपेक्षा क्यों करते हो जिन्हें मैं तुम्हें बताता हूँ?
18 तुम चोर को देखकर उससे मिलने के लिए दौड़ जाते हो,
    तुम उनके साथ बिस्तर में कूद पड़ते हो जो व्यभिचार कर रहे हैं।
19 तुम बुरे वचन और झूठ बोलते हो।
20 तुम दूसरे लोगों की यहाँ तक की
    अपने भाईयों की निन्दा करते हो।
21 तुम बुरे कर्म करते हो, और तुम सोचते हो मुझे चुप रहना चाहिए।
    तुम कुछ नहीं कहते हो और सोचते हो कि मुझे चुप रहना चहिए।
देखो, मैं चुप नहीं रहूँगा, तुझे स्पष्ट कर दूँगा।
    तेरे ही मुख पर तेरे दोष बताऊँगा।
22 तुम लोग परमेश्वर को भूल गये हो।
    इसके पहले कि मैं तुम्हे चीर दूँ, अच्छी तरह समझ लो।
जब वैसा होगा कोई भी व्यक्ति तुम्हें बचा नहीं पाएगा!
23 यदि कोई व्यक्ति मेरी स्तुति और धन्यवादों की बलि चढ़ाये, तो वह सचमुच मेरा मान करेगा।
    यदि कोई व्यक्ति अपना जीवन बदल डाले तो उसे मैं परमेश्वर की शक्ति दिखाऊँगा जो बचाती है।”

भजन संहिता 59-60

संगीत निर्देशक के लिये “नाश मत कर” धुन पर दाऊद का उस समय का एक भक्ति गीत जब शाऊल ने लोगों को दाऊद के घर पर निगरानी रखते हुए उसे मार डालने की जुगत करने के लिये भेजा था।

हे परमेश्वर, तू मुझको मेरे शत्रुओं से बचा ले।
    मेरी सहायता उनसे विजयी बनने में कर जो मेरे विरूद्ध में युद्ध करने आये हैं।
ऐसे उन लोगों से, तू मुझको बचा ले।
    तू उन हत्यारों से मुझको बचा ले जो बुरे कामों को करते रहते हैं।
देख! मेरी घात में बलवान लोग हैं।
    वे मुझे मार डालने की बाट जोह रहे हैं।
    इसलिए नहीं कि मैंने कोई पाप किया अथवा मुझसे कोई अपराध बन पड़ा है।
वे मेरे पीछे पड़े हैं, किन्तु मैंने कोई भी बुरा काम नहीं किया है।
    हे यहोवा, आ! तू स्वयं अपने आप देख ले!
हे परमेश्वर! इस्राएल के परमेश्वर! तू सर्वशक्ति शाली है।
    तू उठ और उन लोगों को दण्डित कर।
उन विश्वासघातियों उन दुर्जनों पर किंचित भी दया मत दिखा।

वे दुर्जन साँझ के होते ही
    नगर में घुस आते हैं।
    वे लोग गुरर्ते कुत्तों से नगर के बीच में घूमते रहते हैं।
तू उनकी धमकियों और अपमानों को सुन।
    वे ऐसी क्रूर बातें कहा करते हैं।
    वे इस बात की चिंता तक नहीं करते कि उनकी कौन सुनता है।

हे यहोवा, तू उनका उपहास करके
    उन सभी लोगों को मजाक बना दे।
हे परमेश्वर, तू मेरी शक्ति है। मैं तेरी बाट जोह रहा हूँ।
    हे परमेश्वर, तू ऊँचे पहाड़ों पर मेरा सुरक्षा स्थान है।
10 परमेश्वर, मुझसे प्रेम करता है, और वह जीतने में मेरा सहाय होगा।
    वह मेरे शत्रुओं को पराजित करने में मेरी सहायता करेगा।
11 हे परमेश्वर, बस उनको मत मार डाल। नहीं तो सम्भव है मेरे लोग भूल जायें।
    हे मेरे स्वमी और संरक्षक, तू अपनी शक्ति से उनको बिखेर दे और हरा दे।
12 वे बुरे लोग कोसते और झूठ बोलते रहते हैं।
    उन बुरी बातों का दण्ड उनको दे, जो उन्होंने कही हैं।
    उनको अपने अभिमान में फँसने दे।
13 तू अपने क्रोध से उनको नष्ट कर।
    उन्हें पूरी तरह नष्ट कर!
लोग तभी जानेंगे कि परमेश्वर, याकूब के लोगों का और वह सारे संसर का राजा है।

14 फिर यदि वे लोग शाम को
    इधर—उधर घूमते गुरर्तें कुत्तों से नगर में आवें,
15 तो वे खाने को कोई वस्तु ढूँढते फिरेंगे,
    और खाने को कुछ भी नहीं पायेंगे और न ही सोने का कोई ठौर पायेंगे।
16 किन्तु मैं तेरी प्रशंसा के गीत गाऊँगा।
    हर सुबह मैं तेरे प्रेम में आनन्दित होऊँगा।
क्यों क्योंकि तू पर्वतों के ऊपर मेरा शरणस्थल है।
    मैं तेरे पास आ सकता हूँ, जब मुझे विपत्तियाँ घेरेंगी।
17 मैं अपने गीतों को तेरी प्रशंसा में गाऊँगा
    क्योंकि पर्वतों के ऊपर मेरा शरणस्थल है।
    तू परमेश्वर है, जो मुझको प्रेम करता है!

संगीत निर्देशक के लिये “वाचा की कुमुदिनी धुन” पर उस समय का दाऊद का एक उपदेश गीत जब दाऊद ने अरमहरैन और अरमसोबा से युद्ध किया तथा जब योआब लौटा और उसने नमक की घाटी में बारह हजार स्वामी सैनिकों को मार डाला।

हे परमेश्वर, तूने हमको बिसरा दिया।
    तूने हमको विनष्ट कर दिया। तू हम पर कुपित हुआ।
    तू कृपा करके वापस आ।
तूने धरती कँपाई और उसे फाड़ दिया।
    हमारा जगत बिखर रहा,
    कृपया तू इसे जोड़।
तूने अपने लोगों को बहुत यातनाएँ दी है।
    हम दाखमधु पिये जन जैसे लड़खड़ा रहे और गिर रहे हैं।
तूने उन लोगों को ऐसे चिताया, जो तुझको पूजते हैं।
    वे अब अपने शत्रु से बच निकल सकते हैं।

तू अपने महाशक्ति का प्रयोग करके हमको बचा ले!
    मेरी प्रार्थना का उतर दे और उस जन को बचा जो तुझको प्यारा है!

परमेश्वर ने अपने मन्दिर में कहा:
    “मेरी विजय होगी और मैं विजय पर हर्षित होऊँगा।
मैं इस धरती को अपने लोगों के बीच बाँटूंगा।
    मैं शकेम और सुक्कोत
    घाटी का बँटवारा करूँगा।
गिलाद और मनश्शे मेरे बनेंगे।
    एप्रेम मेरे सिर का कवच बनेगा।
    यहूदा मेरा राजदण्ड बनेगा।
मैं मोआब को ऐसा बनाऊँगा, जैसा कोई मेरे चरण धोने का पात्र।
    एदोम एक दास सा जो मेरी जूतियाँ उठता है।
    मैं पलिश्ती लोगों को पराजित करूँगा और विजय का उद्धोष करूँगा।”

9-10 कौन मुझे उसके विरूद्ध युद्ध करने को सुरक्षित दृढ़ नगर में ले जायेगा मुझे कौन एदोम तक ले जायेगा
    हे परमेश्वर, बस तू ही यह करने में मेरी सहायता कर सकता है।
किन्तु तूने तो हमको बिसरा दिया! परमेश्वर हमारे साथ में नहीं जायेगा!
    और वह हमारी सेना के साथ नहीं जायेगा।
11 हे परमेश्वर, तू ही हमको इस संकट की भूमि से उबार सकता है!
    मनुष्य हमारी रक्षा नहीं कर सकते!
12 किन्तु हमें परमेश्वर ही मजबूत बना सकता है।
    परमेश्वर हमारे शत्रुओं को परजित कर सकता है!

भजन संहिता 66-67

हे धरती की हर वस्तु, आनन्द के साथ परमेश्वर की जय बोलो।
उसके माहिमामय नाम की स्तुति करों!
    उसका आदर उसके स्तुति गीतों से करों!
उसके अति अद्भुत कामों से परमेश्वर को बखानों!
    हे परमेश्वर, तेरी शक्ति बहुत बड़ी है। तेरे शत्रु झुक जाते और वे तुझसे डरते हैं।
जगत के सभी लोग तेरी उपासना करें
    और तेरे नाम का हर कोई गुण गायें।

तुम उनको देखो जो आश्चर्यपूर्ण काम परमेश्वर ने किये!
    वे वस्तुएँ हमको अचरज से भर देती है।
परमेश्वर ने धरती सूखी होने को सागर को विवश किया
    और उसके आनन्दित जन पैदल महानद को पार कर गये।
परमेश्वर अपनी महाशक्ति से इस संसार का शासन करता है।
    परमेश्वर हर कहीं लोगों पर दृष्टि रखता है।
    कोई भी व्यक्ति उसके विरूद्ध नहीं हो सकता।

लोगों, हमारे परमेश्वर का गुणगान
    तुम ऊँचे स्वर में करो।
परमेश्वर ने हमको यह जीवन दिया है।
    वह हमारी रक्षा करता है।
10 परमेश्वर ने हमारी परीक्षा ली है। परमेश्वर ने हमें वैसे ही परखा, जैसे लोग आग में डालकर चाँदी परखते हैं।
11 है परमेश्वर, तूने हमें फँदों में फँसने दिया।
    तूने हम पर भारी बोझ लाद दिया।
12 तूने हमें शत्रुओं से पैरों तले रौदंवाया।
    तूने हमको आग और पानी में से घसीटा।
    किन्तु तू फिर भी हमें सुरक्षित स्थान पर ले आया।
13-14 इसलिए में तेरे मन्दिर में बलियाँ चढ़ाने लाऊँगा।
जब मैं विपति में था, मैंने तेरी शरण माँगी
    और मैंने तेरी बहुतेरी मन्नत मानी।
अब उन सब वस्तुओं को जिनकी मैंने मन्नत मानी, अर्पित करता हूँ।
15     तुझको पापबलि अर्पित कर रहा हूँ,
    और मेढ़ों के साथ सुगन्ध अर्पित करता हूँ।
    तुझको बैलों और बकरों की बलि अर्पित करता हूँ।

16 ओ सभी लोगों, परमेश्वर के आराधकों।
    आओ, मैं तुम्हें बताऊँगा कि परमेश्वर ने मेरे लिए क्या किया है।
17-18 मैंने उसकी विनती की।
    मैंने उसका गुणगान किया।
मेरा मन पवित्र था,
    मेरे स्वामी ने मेरी बात सुनी।
19 परमेश्वर ने मेरी सुनी।
    परमेश्वर ने मेरी विनती सुन ली।
20 परमेश्वर के गुण गाओ।
    परमेश्वर ने मुझसे मुँह नहीं मोड़ा। उसने मेरी प्रार्थना को सुन लिया।
    परमेश्वर ने निज करूणा मुझपर दर्शायी।

तार वाद्यों के संगीत निर्देशक के लिए एक स्तुति गीत।

हे परमेश्वर, मुझ पर करूणा कर, और मुझे आशीष दे।
    कृपा कर के, हमको स्वीकार कर।

हे परमेश्वर, धरती पर हर व्यक्ति तेरे विषय में जाने।
    हर राष्ट्र यह जान जाये कि लोगों की तू कैसे रक्षा करता है।
हे परमेश्वर, लोग तेरे गुण गायें!
    सभी लोग तेरी प्रशंसा करें।
सभी राष्ट्र आनन्द मनावें और आनन्दिन हो!
    क्योंकि तू लोगों का न्याय निष्पक्ष करता।
    और हर राष्ट्र पर तेरा शासन है।
हे परमेश्वर, लोग तेरे गुण गायें!
    सभी लोग तेरी प्रशंसा करें।
हे परमेश्वर, हे हमारे परमेश्वर, हमको आशीष दे।
    हमारी धरती हमको भरपूर फसल दें।
हे परमेश्वर, हमको आशीष दे।
    पृथ्वी के सभी लोग परमेश्वर से डरे, उसका आदर करे।

1 शमूएल 28:3-20

शाऊल और स्त्री एन्दोर में

शमूएल मर गया था। सभी इस्राएलियों ने शमूएल की मृत्यु पर शोक मनाया था। उन्होंने शमूएल के निवास स्थान रामा में उसे दफनाया था।

इसके पहले शाऊल ने ओझाओं और भाग्यफल बताने वालों को इस्राएल छोड़ने को विवश किया था।

पलिश्तियों ने युद्ध की तैयारी की। वे शूनेम आए और उस स्थान पर उन्होंने अपना डेरा डाला। शाऊल ने सभी इस्राएलियों को इकट्ठा किया और अपना डेरा गिलबो में डाला। शाऊल ने पलिश्ती सेना को देखा और वह भयभीत हो गया। उसका हृदय भय से धड़कने लगा। शाऊल ने यहोवा से प्रार्थना की, किन्तु यहोवा ने उसे उत्तर नहीं दिया। परमेश्वर ने शाऊल से स्वप्न में बातें नहीं की। परमेश्वर ने उसे उत्तर देने के लिये ऊरीम का उपयोग भी नहीं किया और परमेश्वर ने शाऊल से बात करने के लिये भविष्यवक्ताओं का उपयोग नहीं किया। अन्त में शाऊल ने अपने अधिकारियों से कहा, “मेरे लिये ऐसी स्त्री का पता लगाओ जो ओझा हो। तब मैं उससे पूछने जा सकता हूँ कि इस युद्ध में क्या होगा।”

उसके अधिकारियों ने उत्तर दिया, “एन्दोर में एक ओझा है।”

शाऊल ने भिन्न प्रकार के वस्त्र पहने। शाऊल ने यह इसलिये किया कि कोई व्यक्ति यह न जान सके कि वह कौन है। रात को वह अपने दो व्यक्तियों के साथ उस स्त्री से मिलने गया। शाऊल ने उस स्त्री से कहा, “प्रेत के द्वारा मुझे मेरा भविष्य बताओ। उस व्यक्ति को बुलाओ जिसका मैं नाम लूँ।”

किन्तु उस स्त्री ने शाऊल से कहा, “तुम जानते ही हो कि शाउल ने क्या किया है! उसने ओझाओं और भाग्यफल बताने वालों को इस्राएल देश छोड्ने को विवश किया है। तुम मुझे जाल में फँसाना और मार डालना चाहते हो।”

10 शाऊल ने यहोवा का नाम लिया और उस स्त्री से प्रतिज्ञा की, “निश्चय ही यहोवा शाश्वत है, अत: तुमको यह करने के लिये दण्ड नहीं मिलेगा।”

11 स्त्री ने पूछा, “तुम किसे चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये यहाँ बुलाऊँ?”

शाऊल ने उत्तर दिया, “शमूएल को बुलाओ।”

12 और यह हुआ! स्त्री ने शमूएल को देखा और जोर से चीख उठी। उसने शाऊल से कहा “तुमने मुझे धोखा दिया! तुम शाऊल हो!”

13 राजा ने स्त्री से कहा, “तुम डरो नहीं! तुम क्या देख रही हो?”

उस स्त्री ने कहा, “मैं एक आत्मा को जमीन[a] से निकल कर आती देख रही हूँ।”

14 शाऊल ने पूछा, “वह कैसा दिखाई पड़ता है?”

स्त्री ने उत्तर दिया, “वह लबादा पहने एक बूढ़े की तरह दिखाई पड़ता है।”

शाऊल ने समझ लिया कि वह शमूएल था। शाऊल ने प्रणाम किया। उसका माथा जमीन से जा लगा। 15 शमूएल ने शाऊल से कहा, “तुमने मुझे क्यों परेशान किया? तुमने मुझे ऊपर क्यों बुलाया?”

शाऊल ने उत्तर दिया, “मैं मुसीबत में हूँ! पलिश्ती मेरे विरुद्ध लड़ने आए हैं और परमेश्वर ने मुझे छोड़ दिया है। परमेश्वर अब मुझको उत्तर नहीं देगा। वह मुझे उत्तर देने के लिये नबी या स्वप्न का उपयोग नहीं करेगा। यही कारण है कि मैंने तुमको बुलाया। मैं चाहता हूँ कि तुम बताओ कि मैं क्या करूँ!”

16 शमूएल ने कहा, “यहोवा ने तुमको छोड़ दिया। अब वह तुम्हारे पड़ोसी (दाऊद) के साथ है। इसलिये तुम मुझको तंग क्यों करते हो? 17 यहोवा ने वही किया जो उसने करने को कहा था। उसने मेरा उपयोग तुम्हें इन चीजों को बताने के लिये किया। यहोवा तुम से राज्य छीन रहा है और उसने वह तुम्हारा राज्य तुम्हारे पड़ोसियों को दे रहा है। वह पड़ोसी दाऊद है। 18 तुमने यहोवा की आज्ञा का पालन नहीं किया। तुमने अमालेकियों को नष्ट नहीं किया और उन्हें नहीं दिखाया कि यहोवा उन पर कितना क्रोधित है। यही कारण है कि यहोवा ने तुम्हारे साथ आज यह किया है। 19 यहोवा तुम्हें और इस्राएल को पलिश्तियों को देगा। यहोवा इस्राएल की सेना को पलिश्तियों से पराजित करायेगा और कल तुम और तुम्हारे पुत्र यहाँ मेरे साथ होंगे!”

20 शाऊल तेजी से भूमि पर गिर पड़ा और वहाँ पड़ा रहा। शाऊल शमूएल द्वारा कही गई बातों से डरा हुआ था। शाऊल बहुत कमजोर भी था क्योंकि उसने उस पूरे दिन रात भोजन नहीं किया था।

प्रेरितों के काम 15:1-11

यरूशलेम में एक सभा

15 फिर कुछ लोग यहूदिया से आये और भाइयों को शिक्षा देने लगे: “यदि मूसा की विधि के अनुसार तुम्हारा ख़तना नहीं हुआ है तो तुम्हारा उद्धार नहीं हो सकता।” पौलुस और बरनाबास उनसे सहमत नहीं थे, सो उनमें एक बड़ा विवाद उठ खड़ा हुआ। सो पौलुस बरनाबास तथा उनके कुछ और साथियों को इस समस्या के समाधान के लिये प्रेरितों और मुखियाओं के पास यरूशलेम भेजने का निश्चय किया गया।

वे कलीसिया के द्वारा भेजे जाकर फीनीके और सामरिया होते हुए सभी भाइयों को अधर्मियों के हृदय परिवर्तन का विस्तार के साथ समाचार सुनाकर उन्हें हर्षित कर रहे थे। फिर जब वे यरूशलेम पहुँचे तो कलीसिया ने, प्रेरितों ने और बुजुर्गों ने उनका स्वागत सत्कार किया। और उन्होंने उनके साथ परमेश्वर ने जो कुछ किया था, वह सब कुछ उन्हें कह सुनाया। इस पर फरीसियों के दल के कुछ विश्वासी खड़े हुए और बोले, “उनका ख़तना अवश्य किया जाना चाहिये और उन्हें आदेश दिया जाना चाहिए कि वे मूसा की व्यवस्था के विधान का पालन करें।”

सो इस प्रश्न पर विचार करने के लिये प्रेरित तथा बुजुर्ग लोग परस्पर एकत्र हुए। एक लम्बे चौड़े वाद-विवाद के बाद पतरस खड़ा हुआ और उनसे बोला, “भाइयो! तुम जानते हो कि बहुत दिनों पहले तुममें से प्रभु ने एक चुनाव किया था कि मेरे द्वारा अधर्मी लोग सुसमाचार का संदेश सुनेंगे और विश्वास करेंगे। और अन्तर्यामी परमेश्वर ने हमारे ही समान उन्हें भी पवित्र आत्मा का वरदान देकर, उनके सम्बन्ध में अपना समर्थन दर्शाया था। विश्वास के द्वारा उनके हृदयों को पवित्र करके हमारे और उनके बीच उसने कोई भेद भाव नहीं किया। 10 सो अब शिष्यों की गर्दन पर एक ऐसा जुआ लाद कर जिसे न हम उठा सकते हैं और न हमारे पूर्वज, तुम परमेश्वर को झमेले में क्यों डालते हो? 11 किन्तु हमारा तो यह विश्वास है कि प्रभु यीशु के अनुग्रह से जैसे हमारा उद्धार हुआ है, वैसे ही हमें भरोसा है कि उनका भी उद्धार होगा।”

मरकुस 5:1-20

दुष्टात्माओं से छुटकारे

(मत्ती 8:28-34; लूका 8:26-39)

फिर वे झील के उस पार गिरासेनियों के देश पहुँचे। यीशु जब नाव से बाहर आया तो कब्रों में से निकल कर तत्काल एक ऐसा व्यक्ति जिस में दुष्टात्मा का प्रवेश था, उससे मिलने आया। वह कब्रों के बीच रहा करता था। उसे कोई नहीं बाँध सकता था, यहाँ तक कि जंजीरों से भी नहीं। क्योंकि उसे जब जब हथकड़ी और बेड़ियाँ डाली जातीं, वह उन्हें तोड़ देता। ज़ंजीरों के टुकड़े-टुकड़े कर देता और बेड़ियों को चकनाचूर। कोई भी उसे काबू नहीं कर पाता था। कब्रों और पहाड़ियों में रात-दिन लगातार, वह चीखता-पुकारता अपने को पत्थरों से घायल करता रहता था।

उसने जब दूर से यीशु को देखा, वह उसके पास दौड़ा आया और उसके सामने प्रणाम करता हुआ गिर पड़ा। और ऊँचे स्वर में पुकारते हुए बोला, “सबसे महान परमेश्वर के पुत्र, हे यीशु! तू मुझसे क्या चाहता है? तुझे परमेश्वर की शपथ, मेरी विनती है तू मुझे यातना मत दे।” क्योंकि यीशु उससे कह रहा था, “ओ दुष्टात्मा, इस मनुष्य में से निकल आ।”

तब यीशु ने उससे पूछा, “तेरा नाम क्या है?”

और उसने उसे बताया, “मेरा नाम लीजन अर्थात् सेना है क्योंकि हम बहुत से हैं।” 10 उसने यीशु से बार बार विनती की कि वह उन्हें उस क्षेत्र से न निकाले।

11 वहीं पहाड़ी पर उस समय सुअरों का एक बड़ा सा रेवड़ चर रहा था। 12 दुष्टात्माओं ने उससे विनती की, “हमें उन सुअरों में भेज दो ताकि हम उन में समा जायें।” 13 और उसने उन्हें अनुमति दे दी। फिर दुष्टात्माएँ उस व्यक्ति में से निकल कर सुअरों में समा गयीं, और वह रेवड़, जिसमें कोई दो हजार सुअर थे, ढलवाँ किनारे से नीचे की तरफ लुढ़कते-पुढ़कते दौड़ता हुआ झील में जा गिरा। और फिर वहीं डूब मरा।

14 फिर रेवड़ के रखवालों ने जो भाग खड़े हुए थे, शहर और गाँव में जा कर यह समाचार सुनाया। तब जो कुछ हुआ था, उसे देखने लोग वहाँ आये। 15 वे यीशु के पास पहुँचे और देखा कि वह व्यक्ति जिस पर दुष्टात्माएँ सवार थीं, कपड़े पहने पूरी तरह सचेत वहाँ बैठा है, और यह वही था जिस में दुष्टात्माओं की पूरी सेना समाई थी, वे डर गये। 16 जिन्होंने वह घटना देखी थी, लोगों को उसका ब्योरा देते हुए बताया कि जिसमें दुष्टात्माएँ समाई थीं, उसके साथ और सुअरों के साथ क्या बीती। 17 तब लोग उससे विनती करने लगे कि वह उनके यहाँ से चला जाये।

18 और फिर जब यीशु नाव पर चढ़ रहा था तभी जिस व्यक्ति में दुष्टात्माएँ थीं, यीशु से विनती करने लगा कि वह उसे भी अपने साथ ले ले। 19 किन्तु यीशु ने उसे अपने साथ चलने की अनुमति नहीं दी। और उससे कहा, “अपने ही लोगों के बीच घर चला जा और उन्हें वह सब बता जो प्रभु ने तेरे लिये किया है। और उन्हें यह भी बता कि प्रभु ने दया कैसे की।”

20 फिर वह चला गया और दिकपुलिस के लोगों को बताने लगा कि यीशु ने उसके लिये कितना बड़ा काम किया है। इससे सभी लोग चकित हुए।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International