Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 40

संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक पद पुकारा मैंने यहोवा को।

यहोवा को मैंने पुकारा। उसने मेरी सुनी।
    उसने मेरे रुदन को सुन लिया।
यहोवा ने मुझे विनाश के गर्त से उबारा।
    उसने मुझे दलदली गर्त से उठाया,
और उसने मुझे चट्टान पर बैठाया।
    उसने ही मेरे कदमों को टिकाया।
यहोवा ने मेरे मुँह में एक नया गीत बसाया।
    परमेश्वर का एक स्तुति गीत।
बहुतेरे लोग देखेंगे जो मेरे साथ घटा है।
और फिर परमेश्वर की आराधना करेंगे।
    वे यहोवा का विश्वास करेंगे।
यदि कोई जन यहोवा के भरोसे रहता है, तो वह मनुष्य सचमुच प्रसन्न होगा।
    और यदि कोई जन मूर्तियों और मिथ्या देवों की शरण में नहीं जायेगा, तो वह मनुष्य सचमुच प्रसन्न होगा।
हमारे परमेश्वर यहोवा, तूने बहुतेरे अद्भुत कर्म किये हैं।
    हमारे लिये तेरे पास अद्भुत योजनाएँ हैं।
कोई मनुष्य नहीं जो उसे गिन सके!
    मैं तेरे किये हुए कामों को बार बार बखानूँगा।

हे यहोवा, तूने मुझको यह समझाया है:
    तू सचमुच कोई अन्नबलि और पशुबलि नहीं चाहता था।
    कोई होमबलि और पापबलि तुझे नहीं चाहिए।
सो मैंने कहा, “देख मैं आ रहा हूँ!
    पुस्तक में मेरे विषय में यही लिखा है।”
हे मेरे परमेश्वर, मैं वही करना चाहता हूँ जो तू चाहता है।
    मैंने मन में तेरी शिक्षओं को बसा लिया।
महासभा के मध्य मैं तेरी धार्मिकता का सुसन्देश सुनाऊँगा।
    यहोवा तू जानता है कि मैं अपने मुँह को बंद नहीं रखूँगा।
10 यहोवा, मैं तेरे भले कर्मो को बखानूँगा।
    उन भले कर्मो को मैं रहस्य बनाकर मन में नहीं छिपाए रखूँगा।
हे यहोवा, मैं लोगों को रक्षा के लिए तुझ पर आश्रित होने को कहूँगा।
    मैं महासभा में तेरी करुणा और तेरी सत्यता नहीं छिपाऊँगा।
11 इसलिए हे यहोवा, तूअपनी दया मुझसे मत छिपा!
    तू अपनी करुणा और सच्चाई से मेरी रक्षा कर।

12 मुझको दुष्ट लोगों ने घेर लिया,
    वे इतने अधिक हैं कि गिने नहीं जाते।
मुझे मेरे पापों ने घेर लिया है,
    और मैं उनसे बच कर भाग नहीं पाता हूँ।
मेरे पाप मेरे सिर के बालों से अधिक हैं।
    मेरा साहस मुझसे खो चुका है।
13 हे यहोवा, मेरी ओर दौड़ और मेरी रक्षा कर!
    आ, देर मत कर, मुझे बचा ले!
14 वे दुष्ट मनुष्य मुझे मारने का जतन करते हैं।
    हे यहोवा, उन्हें लज्जित कर
    और उनको निराश कर दे।
वे मनुष्य मुझे दु:ख पहुँचाना चाहते हैं।
    तू उन्हें अपमानित होकर भागने दे!
15 वे दुष्ट जन मेरी हँसी उड़ाते हैं।
    उन्हें इतना लज्जित कर कि वे बोल तक न पायें!
16 किन्तु वे मनुष्य जो तुझे खोजते हैं, आनन्दित हो।
    वे मनुष्य सदा यह कहते रहें, “यहोवा के गुण गाओ!” उन लोगों को तुझ ही से रक्षित होना भाता है।

17 हे मेरे स्वामी, मैं तो बस दीन, असहाय व्यक्ति हूँ।
    मेरी रक्षा कर,
तू मुझको बचा ले।
    हे मेरे परमेश्वर, अब अधिक देर मत कर!

भजन संहिता 54

तार वाले वाद्यों पर संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का समय का एक भक्ति गीत जब जीपियों में जाकर शाऊल से कहा था, हम सोचते हैं दाऊद हमारे लोगों के बीच छिपा है।

हे परमेश्वर, तू अपनी निज शक्ति को प्रयोग कर के काम में ले
    और मुझे मुक्त करने को बचा ले।
हे परमेश्वर, मेरी प्रार्थना सुन।
    मैं जो कहता हूँ सुन।
अजनबी लोग मेरे विरूद्ध उठ खड़े हुए और बलशाली लोग मुझे मारने का जतन कर रहे हैं।
    हे परमेश्वर, ऐसे ये लोग तेरे विषय में सोचते भी नहीं।

देखो, मेरा परमेश्वर मेरी सहायता करेगा।
    मेरा स्वामी मुझको सहारा देगा।
मेरा परमेश्वर उन लोगों को दण्ड देगा, जो मेरे विरूद्ध उठ खड़े हुए हैं।
    परमेश्वर मेरे प्रति सच्चा सिद्ध होगा, और वह उन लोगों को नष्ट कर देगा।

हे परमेश्वर मैं स्वेच्छा से तुझे बलियाँ अर्पित करुँगा।
    हे परमेश्वर, मैं तेरे नेक भजन की प्रशंसा करुँगा।
किन्तु, मैं तुझसे विनय करता हूँ, कि मुझको तू मेरे दू:खों से बचा ले।
तू मुझको मेरे शत्रुओं को हारा हुआ दिखा दे।

भजन संहिता 51

संगीत निर्देशक के लिए दाऊद का एक पद: यह पद उस समय का है जब बतशेबा के साथ दाऊद द्वारा पाप करने के बाद नातान नबी दाऊद के पास गया था।

हे परमेश्वर, अपनी विशाल प्रेमपूर्ण
    अपनी करूण से
मुझ पर दया कर।
    मेरे सभी पापों को तू मिटा दे।
हे परमेश्वर, मेरे अपराध मुझसे दूर कर।
    मेरे पाप धो डाल, और फिर से तू मुझको स्वच्छ बना दे।
मैं जानता हूँ, जो पाप मैंने किया है।
    मैं अपने पापों को सदा अपने सामने देखता हूँ।
है परमेश्वर, मैंने वही काम किये जिनको तूने बुरा कहा।
    तू वही है, जिसके विरूद्ध मैंने पाप किये।
मैं स्वीकार करता हूँ इन बातों को,
    ताकि लोग जान जाये कि मैं पापी हूँ और तू न्यायपूर्ण है,
    तथा तेरे निर्णय निष्पक्ष होते हैं।
मैं पाप से जन्मा,
    मेरी माता ने मुझको पाप से गर्भ में धारण किया।
हे परमेश्वर, तू चाहता है, हम विश्वासी बनें। और मैं निर्भय हो जाऊँ।
    इसलिए तू मुझको सच्चे विवेक से रहस्यों की शिक्षा दे।
तू मुझे विधि विधान के साथ, जूफा के पौधे का प्रयोग कर के पवित्र कर।
    तब तक मुझे तू धो, जब तक मैं हिम से अधिक उज्जवल न हो जाऊँ।
मुझे प्रसन्न बना दे। बता दे मुझे कि कैसे प्रसन्न बनूँ? मेरी वे हडिडयाँ जो तूने तोड़ी,
    फिर आनन्द से भर जायें।
मेरे पापों को मत देख।
    उन सबको धो डाल।
10 परमेश्वर, तू मेरा मन पवित्र कर दे।
    मेरी आत्मा को फिर सुदृढ कर दे।
11 अपनी पवित्र आत्मा को मुझसे मत दूर हटा,
    और मुझसे मत छीन।
12 वह उल्लास जो तुझसे आता है, मुझमें भर जायें।
    मेरा चित अडिग और तत्पर कर सुरक्षित होने को
    और तेरा आदेश मानने को।
13 मैं पापियों को तेरी जीवन विधि सिखाऊँगा,
    जिससे वे लौट कर तेरे पास आयेंगे।
14 हे परमेश्वर, तू मुझे हत्या का दोषी कभी मत बनने दें।
    मेरे परमेश्वर, मेरे उद्धारकर्ता,
मुझे गाने दे कि तू कितना उत्तम है
15     हे मेरे स्वामी, मुझे मेरा मुँह खोलने दे कि मैं तेरे प्रसंसा का गीत गाऊँ।
16 जो बलियाँ तुझे नहीं भाती सो मुझे चढ़ानी नहीं है।
    वे बलियाँ तुझे वाँछित तक नहीं हैं।
17 हे परमेश्वर, मेरी टूटी आत्मा ही तेरे लिए मेरी बलि हैं।
    हे परमेश्वर, तू एक कुचले और टूटे हृदय से कभी मुख नहीं मोड़ेगा।

18 हे परमेश्वर, सिय्योन के प्रति दयालु होकर, उत्तम बन।
    तू यरूशलेम के नगर के परकोटे का निर्माण कर।
19 तू उत्तम बलियों का
    और सम्पूर्ण होमबलियों का आनन्द लेगा।
    लोग फिर से तेरी वेदी पर बैलों की बलियाँ चढ़ायेंगे।

सभोपदेशक 5:1-7

मनौती मनाने में सावधानी

जब परमेश्वर की उपासना के लिये जाओ तो बहुत अधिक सावधान रहो। अज्ञानियों के समान बलियाँ चढ़ाने की अपेसा परमेश्वर की आज्ञा मानना अधिक उत्तम है। अज्ञानी लोग प्राय: बुरे काम किया करते हैं और उसे जानते तक नहीं हैं। परमेश्वर से मनन्त मानते समय सावधान रहो। परमेश्वर से जो कुछ कहो उन बातों के लिये सावधान रहो। भावना के आवेश में, जल्दी में कुछ मत कहो। परमेश्वर स्वर्ग में है और तुम धरती पर हो। इसलिये तुम्हें परमेश्वर से बहुत थोड़ा बोलने की आवश्यकता है। यह कहावत सच्ची है:

अति चिंता से बुरे स्वपन आया करते हैं।
    और अधिक बोलने से मूर्खता उपजती है।

यदि तुम परमेश्वर से कोई मनौती माँगते हो तो उसे पूरा करो। जिस बात की तुमने मनौती मानी है उसे पूरा करने में देरी मत करो। परमेश्वर मूर्ख व्यक्तियों से प्रसन्न नहीं रहता। तूमने परमेश्वर को जो कुछ अर्पित करने का वचन दिया है उसे अर्पित करो। यह अच्छा है कि तुम कोई मनौती मानो ही नहीं बजाय इसके कि कोई मनौती मानो और उसे पूरा न कर पाओ। इसलिये अपने शब्दों को तुम स्वयं को पाप में मत ढकेलने दो। याजक से ऐसा मत बोलो कि, “जो कुछ मैंने कहा था उसका यह अर्थ नहीं है!” यदि तुम ऐसा करोगे तो परमेश्वर तुम्हारे शब्दों से रूष्ट होकर जिन वस्तुओं के लिये तुमने कर्म किया है, उन सबको नष्ट कर देगा। अपने बेकार के सपनों और डींग मारने से विपत्तियों में मत पड़ों। तुम्हें परमेश्वर का सम्मान करना चाहिये।

गलातियों 3:15-22

व्यवस्था का विधान और वचन

15 हे भाईयों, अब मैं तुम्हें दैनिक जीवन से एक उदाहरण देने जा रहा हूँ। देखो, जैसे किसी मनुष्य द्वारा कोई करार कर लिया जाने पर, न तो उसे रद्द किया जा सकता है और न ही उस में से कुछ घटाया जा सकता है। और न बढ़ाया, 16 वैसे ही इब्राहीम और उसके भावी वंशज के साथ की गयी प्रतिज्ञा के संदर्भ में भी है। (देखो, शास्त्र यह नहीं कहता, “और उसके वंशजों को” यदि ऐसा होता तो बहुतों की ओर संकेत होता किन्तु शास्त्र में एक वचन का प्रयोग है। शास्त्र कहता है, “और तेरे वंशज को” जो मसीह है।) 17 मेरा अभिप्राय यह है कि जिस करार को परमेश्वर ने पहले ही सुनिश्चित कर दिया उसे चार सौ तीस साल बाद आने वाला व्यवस्था का विधान नहीं बदल सकता और न ही उसके वचन को नाकारा ठहरा सकता है।

18 क्योंकि यदि उत्तराधिकार व्यवस्था के विधान पर टिका है तो फिर वह वचन पर नहीं टिकेगा। किन्तु परमेश्वर ने उत्तराधिकार वचन के द्वारा मुक्त रूप से इब्राहीम को दिया था।

19 फिर भला व्यवस्था के विधान का प्रयोजन क्या रहा? आज्ञा उल्लंघन के अपराध के कारण व्यवस्था के विधान को वचन से जोड़ दिया गया था ताकि जिस के लिए वचन दिया गया था, उस वंशज के आने तक वह रहे। व्यवस्था का विधान एक मध्यस्थ के रूप में मूसा की सहायता से स्वर्गदूत द्वारा दिया गया था। 20 अब देखो, मध्यस्थ तो दो के बीच होता है, किन्तु परमेश्वर तो एक ही है।

मूसा की व्यवस्था के विधान का प्रयोजन

21 क्या इसका यह अर्थ है कि व्यवस्था का विधान परमेश्वर के वचन का विरोधी है? निश्चित रूप से नहीं। क्योंकि यदि ऐसी व्यवस्था का विधान दिया गया होता जो लोगों में जीवन का संचार कर सकता तो वह व्यवस्था का विधान ही परमेश्वर के सामने धार्मिकता को सिद्ध करने का साधन बन जाता। 22 किन्तु शास्त्र ने घोषणा की है कि यह समूचा संसार पाप की शक्ति के अधीन है। ताकि यीशु मसीह में विश्वास के आधार पर जो वचन दिया गया है, वह विश्वासी जनों को भी मिले।

मत्ती 14:22-36

यीशु का झील पर चलना

(मरकुस 6:45-52; यूहन्ना 6:16-21)

22 इसके तुरंत बाद यीशु ने अपने शिष्यों को नाव पर चढ़ाया और जब तक वह भीड़ को विदा करे, उनसे गलील की झील के पार अपने से पहले ही जाने को कहा। 23 भीड़ को विदा करके वह अकेले में प्रार्थना करने को पहाड़ पर चला गया। साँझ होने पर वह वहाँ अकेला था। 24 तब तक नाव किनारे से मीलों दूर जा चुकी थी और लहरों में थपेड़े खाती डगमगा रही थी। सामने की हवा चल रही थी।

25 सुबह कोई तीन और छः बजे के बीच यीशु झील पर चलता हुआ उनके पास आया। 26 उसके शिष्यों ने जब उसे झील पर चलते हुए देखा तो वह घबराये हुए आपस में कहने लगे “यह तो कोई भूत है!” वे डर के मारे चीख उठे।

27 यीशु ने तत्काल उनसे बात करते हुए कहा, “हिम्मत रखो! यह मैं हूँ! अब और मत डरो।”

28 पतरस ने उत्तर देते हुए उससे कहा, “प्रभु, यदि यह तू है, तो मुझे पानी पर चलकर अपने पास आने को कह।”

29 यीशु ने कहा, “चला आ।”

पतरस नाव से निकल कर पानी पर यीशु की तरफ चल पड़ा। 30 उसने जब तेज हवा देखी तो वह घबराया। वह डूबने लगा और चिल्लाया, “प्रभु, मेरी रक्षा कर।”

31 यीशु ने तत्काल उसके पास पहुँच कर उसे सँभाल लिया और उससे बोला, “ओ अल्पविश्वासी, तूने संदेह क्यों किया?”

32 और वे नाव पर चढ़ आये। हवा थम गयी। 33 नाव पर के लोगों ने यीशु की उपासना की और कहा, “तू सचमुच परमेश्वर का पुत्र है।”

यीशु का अनेक रोगियों को चंगा करना

(मरकुस 6:53-56)

34 सो झील पार करके वे गन्नेसरत के तट पर उतर गये। 35 जब वहाँ रहने वालों ने यीशु को पहचाना तो उन्होंने उसके आने का समाचार आसपास सब कहीं भिजवा दिया। जिससे लोग-जो रोगी थे, उन सब को वहाँ ले आये 36 और उससे प्रार्थना करने लगे कि वह उन्हें अपने वस्त्र का बस किनारा ही छू लेने दे। और जिन्होंने छू लिया, वे सब पूरी तरह चंगे हो गये।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International