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Read the New Testament in 24 Weeks

A reading plan that walks through the entire New Testament in 24 weeks of daily readings.
Duration: 168 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
2 कुरिन्थियों 3-4

नयी वाचा के सेवक

इससे क्या ऐसा लगता है कि हम फिर से अपनी प्रशंसा अपने आप करने लगे हैं? अथवा क्या हमें तुम्हारे लिये या तुमसे परिचयपत्र लेने की आवश्यकता है? जैसा कि कुछ लोग करते हैं। निश्चय ही नहीं, हमारा पत्र तो तुम स्वयं हो जो हमारे मन में लिखा है, जिसे सभी लोग जानते हैं और पढ़ते हैं और तुम भी तो ऐसा ही दिखाते हो मानो तुम मसीह का पत्र हो। जो हमारी सेवा का परिणाम है। जिसे स्याही से नहीं बल्कि सजीव परमेश्वर की आत्मा से लिखा गया है। जिसे पथरीली शिलाओं[a] पर नहीं बल्कि मनुष्य के हृदय पटल पर लिखा गया है।

हमें मसीह के कारण परमेश्वर के सामने ऐसा दावा करने का भरोसा है। ऐसा नहीं है कि हम अपने आप में इतने समर्थ हैं जो सोचने लगे हैं कि हम अपने आप से कुछ कर सकते हैं बल्कि हमें सामर्थ्य तो परमेश्वर से मिलता है। उसी ने हमें एक नये करार का सेवक बनने योग्य ठहराया है। यह कोई लिखित संहिता नहीं है बल्कि आत्मा की वाचा है क्योंकि लिखित संहिता तो मारती है जबकि आत्मा जीवन देती है।

नया नियम महान महिम लाता है

किन्तु वह सेवा जो मृत्यु से युक्त थी यानी व्यवस्था का विधान जो पत्थरों पर अंकित किया गया था उसमें इतना तेज था कि इस्राएल के लोग मूसा के उस तेजस्वी मुख को एकटक न देख सके। (और यद्यपि उसका वह तेज बाद में क्षीण हो गया।) फिर भला आत्मा से युक्त सेवा और अधिक तेजस्वी क्यों नहीं होगी। और फिर जब दोषी ठहराने वाली सेवा में इतना तेज है तो उस सेवा में कितना अधिक तेज होगा जो धर्मी ठहराने वाली सेवा है। 10 क्योंकि जो पहले तेज से परिपूर्ण था वह अब उस तेज के सामने जो उससे कहीं अधिक तेजस्वी है, तेज रहित हो गया है। 11 क्योंकि वह सेवा जिसका तेजहीन हो जाना निश्चित था, वह तेजस्वी थी, तो जो नित्य है, वह कितनी तेजस्वी होगी।

12 अपनी इसी आशा के कारण हम इतने निर्भय हैं। 13 हम उस मूसा के जैसे नहीं हैं जो अपने मुख पर पर्दा डाले रहता था कहीं इस्राएल के लोग (यहूदी) अपनी आँखें गड़ा कर जिसका विनाश सुनिश्चित था, उस सेवा के अंत को न देख लें। 14 किन्तु उनकी बुद्धि बन्द हो गयी थी, क्योंकि आज तक जब वे उस पुरानी वाचा को पढ़ते हैं, तो वही पर्दा उन पर बिना हटाये पड़ा रहता है। क्योंकि वह पर्दा बस मसीह के द्वारा ही हटाया जाता है। 15 आज तक जब जब मूसा का ग्रंथ पढ़ा जाता है तो पढ़ने वालों के मन पर वह पर्दा पड़ा ही रहता है। 16 किन्तु जब किसी का हृदय प्रभु की ओर मुड़ता है तो वह पर्दा हटा दिया जाता है। 17 देखो! जिस प्रभु की ओर मैं इंगित कर रहा हूँ, वही आत्मा है। और जहाँ प्रभु की आत्मा है, वहाँ छुटकारा है। 18 सो हम सभी अपने खुले मुख के साथ दर्पण में प्रभु के तेज का जब ध्यान करते हैं तो हम भी वैसे ही होने लगते हैं और हमारा तेज अधिकाधिक बढ़ने लगता है। यह तेज उस प्रभु से ही प्राप्त होता है। यानी आत्मा से।

मिट्टी के पात्रों में अध्यात्म का धन

क्योंकि परमेश्वर के अनुग्रह से यह सेवा हमें प्राप्त हुई है, इसलिए हम निराश नहीं होते। हमने तो लज्जापूर्ण गुप्त कार्यों को छोड़ दिया है। हम कपट नहीं करते और न ही हम परमेश्वर के वचन में मिलावट करते हैं, बल्कि सत्य को सरल रूप में प्रकट करके लोगों की चेतना में परमेश्वर के सामने अपने आप को प्रशंसा के योग्य ठहराते हैं। जिस सुसमाचार का हम प्रचार करते हैं, उस पर यदि कोई पर्दा पड़ा है तो यह केवल उनके लिये पड़ा है, जो विनाश की राह पर चल रहे हैं। इस युग के स्वामी (शैतान) ने इन अविश्वासियों की बुद्धि को अंधा कर दिया है ताकि वे परमेश्वर के साक्षात प्रतिरूप मसीह की महिमा के सुसमाचार से फूट रहे प्रकाश को न देख पायें। हम स्वयं अपना प्रचार नहीं करते बल्कि प्रभु के रूप में मसीह यीशु का उपदेश देते हैं। और अपने बारे में तो यही कहते हैं कि हम यीशु के नाते तुम्हारे सेवक है। क्योंकि उसी परमेश्वर ने, जिसने कहा था, “अंधकार से ही प्रकाश चमकेगा” वही हमारे हृदयों में प्रकाशित हुआ है, ताकि हमें यीशु मसीह के व्यक्तित्व में परमेश्वर की महिमा के ज्ञान की ज्योति मिल सके।

किन्तु हम जैसे मिट्टी के पात्रो में यह सम्पत्ति इस लिये रखी गयी है कि यह अलौकिक शक्ति हमारी नहीं; बल्कि परमेश्वर की सिद्ध हो। हम हर समय हर किसी प्रकार से कठिन दबावों में जीते हैं, किन्तु हम कुचले नहीं गये हैं। हम घबराये हुए हैं किन्तु निराश नहीं हैं। हमें यातनाएँ दी जाती हैं किन्तु हम छोड़े नहीं गये हैं। हम झुका दिये गये हैं, पर नष्ट नहीं हुए हैं। 10 हम सदा अपनी देह में यीशु की मृत्यु को हर कहीं लिये रहते हैं। ताकि यीशु का जीवन भी हमारी देहों में स्पष्ट रूप से प्रकट हो। 11 यीशु के कारण हम जीवितों को निरन्तर मौत के हाथों सौंपा जाता है ताकि यीशु का जीवन भी नाशवान शरीरों में स्पष्ट रूप से उजागर हो। 12 इसी से मृत्यु हममें और जीवन तुममें सक्रिय है।

13 शास्त्र में लिखा है, “मैंने विश्वास किया था इसलिए मैं बोला।” हममें भी विश्वास की वही आत्मा है और हम भी विश्वास करते हैं इसीलिए हम भी बोलते हैं। 14 क्योंकि हम जानते हैं कि जिसने प्रभु यीशु को मरे हुओं में से जिला कर उठाया, वह हमें भी उसी तरह जीवित करेगा जैसे उसने यीशु को जिलाया था। और हमें भी तुम्हारे साथ अपने सामने खड़ा करेगा। 15 ये सब बातें तुम्हारे लिये ही की जा रही हैं, ताकि अधिक से अधिक लोगों में फैलती जा रही परमेश्वर का अनुग्रह, परमेश्वर को महिमा मण्डित करने वाले आधिकाधिक धन्यवाद देने में प्रतिफलित हो सके।

विश्वास से जीवन

16 इसलिए हम निराश नहीं होते। यद्यपि हमारे भौतिक शरीर क्षीण होते जा रहे हैं, तो भी हमारी अंतरात्मा प्रतिदिन नयी से नयी होती जा रही है। 17 हमारा पल भर का यह छोटा-मोटा दुःख एक अनन्त अतुलनीय महिमा पैदा कर रहा है। 18 जो कुछ देखा जा सकता है, हमारी आँखें उस पर नहीं टिकी हैं, बल्कि अदृश्य पर टिकी हैं। क्योंकि जो देखा जा सकता है, वह विनाशी है, जबकि जिसे नहीं देखा जा सकता, वह अविनाशी है।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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