Read the New Testament in 24 Weeks
सारदेइस की कलीसिया को
3 “सारदेइस नगर की कलीसिया के लिए चुने हुए दूत को लिखो:
जो परमेश्वर की सात आत्माओं का, जो उनकी सेवा में है, हाकिम है तथा जो सात तारे लिए हुए है, उसका कहना यह है: मैं तुम्हारे कामों से परिचित हूँ. तुम कहलाते तो हो जीवित, किन्तु वास्तव में हो मरे हुए! 2 इसलिए सावधान हो जाओ! तुम में जो कुछ बाकी है, वह भी मृतक समान है, उसमें नए जीवन का संचार करो क्योंकि मैंने अपने परमेश्वर की दृष्टि में तुम्हारे अन्य कामों को अधूरा पाया है. 3 इसलिए याद करो कि तुमने क्या शिक्षा प्राप्त की तथा तुमने क्या सुना था. उसका पालन करते हुए पश्चाताप करो; किन्तु यदि तुम न जागे तो मैं चोर के समान आऊँगा—तुम जान भी न पाओगे कि मैं कब तुम्हारे पास आ पहुंचूंगा.
4 सारदेइस नगर की कलीसिया में अभी भी कुछ ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपने वस्त्र अधर्म से अशुद्ध नहीं किए. वे सफ़ेद वस्त्रों में मेरे साथ चलने योग्य हैं. 5 जो जयवन्त होगा, उसे मैं सफ़ेद वस्त्रों में सुसज्जित करूँगा. मैं उसका नाम जीवन-पुस्तक में से न मिटाऊँगा. मैं उसका नाम अपने पिता के सामने तथा उनके स्वर्गदूतों के सामने संबोधित करूँगा. 6 जिसके कान हों, वह सुन ले कि कलीसियाओं से पवित्रात्मा का कहना क्या है.”
फ़िलादेलफ़ेइया की कलीसिया को
7 “फ़िलादेलफ़ेइया नगर की कलीसिया के लिए चुने हुए दूत को लिखो:
वह, जो पवित्र है, जो सच है, जिसके पास दाविद की कुंजी है, जो वह खोलता है, उसे कोई बन्द नहीं कर सकता, जो वह बन्द करता है, उसे कोई खोल नहीं सकता, उसका कहना यह है 8 मैं तुम्हारे कामों से परिचित हूँ. ध्यान दो कि मैंने तुम्हारे सामने एक द्वार खोल रखा है, जिसे कोई बन्द नहीं कर सकता. मैं जानता हूँ कि तुम्हारी शक्ति सीमित है फिर भी तुमने मेरी आज्ञा का पालन किया है और मेरे नाम को अस्वीकार नहीं किया. 9 सुनो! जो शैतान की सभा के हैं और स्वयं को यहूदी कहते हैं, किन्तु हैं नहीं, वे झूठे हैं. मैं उन्हें मजबूर करूँगा कि वे आएँ तथा तुम्हारे पावों में अपने सिर झुकाएं और यह जान लें कि मैंने तुम से प्रेम किया है. 10 इसलिए कि तुमने मेरी धीरज रूपी आज्ञा का पालन किया है, मैं भी उस विपत्ति के समय, जो पृथ्वी के सभी निवासियों पर उन्हें परखने के लिए आने पर है, तुम्हारी रक्षा करूँगा.
11 मैं शीघ्र आ रहा हूँ. जो कुछ तुम्हारे पास है, उस पर अटल रहो कि कोई तुम्हारा मुकुट छीनने ना पाए. 12 जो जयवन्त होगा, उसे मैं अपने परमेश्वर के मन्दिर का खम्भा बनाऊँगा. वह वहाँ से कभी बाहर ना जाएगा. मैं उस पर अपने परमेश्वर का नाम, अपने परमेश्वर के नगर, नए येरूशालेम का नाम, जो मेरे परमेश्वर की ओर से स्वर्ग से उतरने वाला है तथा अपना नया नाम अंकित करूँगा. 13 जिसके कान हों, वह सुन ले कि कलीसियाओं से पवित्रात्मा का कहना क्या है.”
लाओदीकेइया की कलीसिया को
14 “लाओदीकेइया नगर की कलीसिया के लिए चुने हुए दूत को लिखो:
जो आमेन, विश्वासयोग्य, सच्चा गवाह और परमेश्वर की सृष्टि का आधार है, उसका कहना यह है: 15 मैं तुम्हारे कामों से परिचित हूँ—तुम न तो ठण्ड़े हो और न गर्म—उत्तम तो यह होता कि तुम ठण्ड़े ही होते या गर्म ही. 16 इसलिए कि तुम कुनकुने हो; न गर्म, न ठण्ड़े, मैं तुम्हें अपने मुख से उगलने पर हूँ. 17 तुम्हारा तो यह दावा है, ‘मैं धनी हूँ, मैं समृद्ध हो गया हूँ तथा मुझे कोई कमी नहीं है,’ किन्तु तुम नहीं जानते कि वास्तव में तुम तुच्छ, अभागे, अंधे तथा नंगे हो. 18 तुम्हारे लिए मेरी सलाह है कि तुम मुझसे आग में शुद्ध किया हुआ सोना मोल लो कि तुम धनवान हो जाओ; मुझसे सफ़ेद वस्त्र लेकर पहन लो कि तुम अपने नंगेपन की लज्जा को ढ़ाँप सको. मुझसे सुर्मा लेकर अपनी आँखों में लगाओ कि तुम्हें दिखाई देने लगे.
19 अपने सभी प्रेम करनेवालों को मैं ताड़ना देता तथा अनुशासित करता हूँ. इसलिए बहुत उत्साहित होकर पश्चाताप करो. 20 सुनो! मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता रहा हूँ. यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, मैं उसके घर में प्रवेश करूँगा तथा मैं उसके साथ और वह मेरे साथ भोजन करेगा.
21 जो जयवन्त होगा, उसे मैं अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठने का अधिकार दूँगा—ठीक जैसे स्वयं मैंने विजय प्राप्त की तथा अपने पिता के साथ उनके सिंहासन पर आसीन हुआ. 22 जिसके कान हों, वह सुन ले कि कलीसियाओं से पवित्रात्मा का क्या कहना है.”
स्वर्गीय सिंहासन
4 इसके बाद मैंने देखा कि स्वर्ग में एक द्वार खुला हुआ है. तब तुरही की आवाज़ के समान वह शब्द, जो मैंने पहले सुना था, मुझे संबोधित कर रहा था, “मेरे पास यहाँ ऊपर आओ कि मैं तुम्हें वह सब दिखाऊँ, जिसका इन सबके बाद घटित होना तय है.” 2 उसी क्षण ही मैं आत्मा में ध्यानमग्न की अवस्था में आ गया. मैंने स्वर्ग में एक सिंहासन पर किसी को बैठे देखा. 3 वह, जो सिंहासन पर बैठा था, उसकी चमक सूर्यकान्त मणि तथा माणिक्य के समान थी तथा सिंहासन के चारों ओर मेघ-धनुष के समान पन्ना की चमक थी. 4 उस सिंहासन के चारों ओर गोलाई में चौबीस सिंहासन थे. उन सिंहासनों पर सफ़ेद वस्त्रों में, सोने का मुकुट धारण किए हुए चौबीस प्राचीन बैठे थे. 5 उस सिंहासन से बिजली की कौन्ध, गड़गड़ाहट तथा बादलों के गर्जन की आवाज़ निकल रही थी. सिंहासन के सामने सात दीपक जल रहे थे, जो परमेश्वर की सात आत्मा हैं. 6 सिंहासन के सामने बिल्लौर के समान पारदर्शी काँच का समुद्र था.
बीच के सिंहासन के चारों ओर चार प्राणी थे, जिनके आगे की ओर तथा पीछे की ओर में आँखें ही आँखें थीं. 7 पहिला प्राणी सिंह के समान, दूसरा प्राणी बैल के समान, तीसरे प्राणी का मुँह मनुष्य के समान तथा चौथा प्राणी उड़ते हुए गरुड़ के समान था. 8 इन चारों प्राणियों में हरेक के छः, छः पंख थे. उनके अन्दर की ओर तथा बाहर की ओर आँखें ही आँखें थीं. दिन-रात उनकी बिना रुके स्तुति-प्रशंसा यह थी:
“पवित्र, पवित्र, पवित्र,
याहवेह सर्वशक्तिमान परमेश्वर!
जो हैं, जो थे और जो आनेवाले हैं.”
9 जब-जब ये प्राणी उनका, जो सिंहासन पर आसीन हैं, जो सदा-सर्वदा जीवित हैं, स्तुति करते, सम्मान करते तथा उनके प्रति धन्यवाद प्रकट करते हैं, 10 वे चौबीस प्राचीन भूमि पर गिर कर उनका, जो सिंहासन पर बैठे हैं, साष्टांग प्रणाम करते तथा उनकी आराधना करते हैं, जो सदा-सर्वदा जीवित हैं. वे यह कहते हुए अपने मुकुट उन्हें समर्पित कर देते हैं:
11 “हमारे प्रभु और हमारे परमेश्वर,
आप ही स्तुति, सम्मान तथा सामर्थ के योग्य हैं,
क्योंकि आपने ही सबकुछ बनाया तथा आपकी ही इच्छा में इन्हें बनाया गया
तथा इन्हें अस्तित्व प्राप्त हुआ.”
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