Read the New Testament in 24 Weeks
1 प्राचीन की ओर से चुनी हुई महिला और उसकी सन्तान को, जिनसे मुझे वास्तव में प्रेम है—न केवल मुझे परन्तु उन सबको भी जिन्होंने सच को जान लिया है. 2 यह उस सच के लिए है, जिसका हमारे भीतर वास है तथा जो हमेशा-हमेशा हमारे साथ रहेगा.
3 परमेश्वर पिता और मसीह येशु की ओर से, जो पिता के पुत्र हैं, अनुग्रह, कृपा और शान्ति हमारे साथ सच तथा प्रेम में बनी रहेगी.
4 तुम्हारी सन्तान में अनेक का सच्चाई में स्वभाव देखना मेरे लिए बहुत ही खुशी का विषय है. यह ठीक वैसा ही है जैसा हमारे लिए पिता की आज्ञा है.
5 हे स्त्री, मेरी तुमसे विनती है: हम में आपस में प्रेम हो. यह मैं तुम्हें किसी नई आज्ञा के रूप में नहीं लिख रहा हूँ परन्तु यह वही आज्ञा है, जो हमें प्रारम्भ ही से दी गई है. 6 प्रेम यही है कि हम उनकी आज्ञा के अनुसार स्वभाव करें. यह वही आज्ञा है, जो तुमने प्रारम्भ से सुनी है, ज़रूरी है कि तुम उसका पालन करो.
7 संसार में अनेक धूर्त निकल पड़े हैं, जो मसीह येशु के शरीर धारण करने को नकारते हैं. ऐसा व्यक्ति धूर्त है और मसीह विरोधी भी. 8 अपने प्रति सावधान रहो, कहीं तुम हमारी उपलब्धियों को खो न बैठो, परन्तु तुम्हें सारे पुरस्कार प्राप्त हो. 9 हर एक, जो भटक कर दूर निकल जाता है और मसीह की शिक्षा में स्थिर नहीं रहता, उसमें परमेश्वर नहीं; तथा जो शिक्षा में स्थिर रहता है, उसने पिता तथा पुत्र दोनों ही को प्राप्त कर लिया है. 10 यदि कोई तुम्हारे पास आकर यह शिक्षा नहीं देता, तुम न तो उसका अतिथि-सत्कार करो, न ही उसको नमस्कार करो; 11 क्योंकि जो उसको नमस्कार करता है, वह उसकी बुराई में भागीदार हो जाता है.
12 हालांकि लिखने योग्य अनेक विषय हैं किन्तु मैं स्याही व लेखन-पत्रक इस्तेमाल नहीं करना चाहता; परन्तु मेरी आशा है कि मैं तुम्हारे पास आऊँगा तथा आमने-सामने तुमसे बातचीत करूँगा कि हमारा आनन्द पूरा हो जाए.
13 तुम्हारी चुनी हुई बहन की सन्तान तुम्हें नमस्कार करती है.
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