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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 24

दाऊद का एक पद।

यह धरती और उस पर की सब वस्तुएँ यहोवा की है।
    यह जगत और इसके सब व्यक्ति उसी के हैं।
यहोवा ने इस धरती को जल पर रचा है।
    उसने इसको जल—धारों पर बनाया।

यहोवा के पर्वत पर कौन जा सकता है?
    कौन यहोवा के पवित्र मन्दिर में खड़ा हो सकता है और आराधना कर सकता है?
ऐसा जन जिसने पाप नहीं किया है,
    ऐसा जन जिसका मन पवित्र है,
ऐसा जन जिसने मेरे नाम का प्रयोग झूठ को सत्य प्रतीत करने में न किया हो,
    और ऐसा जन जिसने न झूठ बोला और न ही झूठे वचन दिए हैं।
    बस ऐसे व्यक्ति ही वहाँ आराधना कर सकते हैं।

सज्जन तो चाहते हैं यहोवा सब का भला करे।
    वे सज्जन परमेश्वर से जो उनका उद्धारक है, नेक चाहते हैं।
वे सज्जन परमेश्वर के अनुसरण का जतन करते हैं।
    वे याकूब के परमेश्वर के पास सहायता पाने जाते हैं।

फाटकों, अपने सिर ऊँचे करो!
    सनातन द्वारों, खुल जाओ!
    प्रतापी राजा भीतर आएगा।
यह प्रतापी राजा कौन है?
    यहोवा ही वह राजा है, वही सबल सैनिक है,
    यहोवा ही वह राजा है, वही युद्धनायक है।

फाटकों, अपने सिर ऊँचे करो!
    सनातन द्वारों, खुल जाओ!
    प्रतापी राजा भीतर आएगा।
10 वह प्रतापी राजा कौन है?
    यहोवा सर्वशक्तिमान ही वह राजा है।
    वह प्रतापी राजा वही है।

भजन संहिता 29

दाऊद का एक गीत।

परमेश्वर के पुत्रों, यहोवा की स्तुति करो!
    उसकी महिमा और शक्ति के प्रशंसा गीत गाओ।
यहोवा की प्रशंसा करो और उसके नाम को आदर प्रकट करो।
    विशेष वस्त्र पहनकर उसकी आराधना करो।
समुद्र के ऊपर यहोवा की वाणी निज गरजती है।
    परमेश्वर की वाणी महासागर के ऊपर मेघ के गरजन की तरह गरजता है।
यहोवा की वाणी उसकी शक्ति को दिखाती है।
    उसकी ध्वनि उसके महिमा को प्रकट करती है।
यहोवा की वाणी देवदार वृक्षों को तोड़ कर चकनाचूर कर देता है।
    यहोवा लबानोन के विशाल देवदार वृक्षों को तोड़ देता है।
यहोवा लबानोन के पहाड़ों को कँपा देता है। वे नाचते बछड़े की तरह दिखने लगता है।
    हेर्मोन का पहाड़ काँप उठता है और उछलती जवान बकरी की तरह दिखता है।
यहोवा की वाणी बिजली की कौधो से टकराती है।
यहोवा की वाणी मरुस्थलों को कँपा देती है।
    यहोवा के स्वर से कादेश का मरुस्थल काँप उठता है।
यहोवा की वाणी से हरिण भयभीत होते हैं।
    यहोवा दुर्गम वनों को नष्ट कर देता है।
किन्तु उसके मन्दिर में लोग उसकी प्रशंसा के गीत गाते हैं।

10 जलप्रलय के समय यहोवा राजा था।
    वह सदा के लिये राजा रहेगा।
11 यहोवा अपने भक्तों की रक्षा सदा करे,
    और अपने जनों को शांति का आशीष दे।

भजन संहिता 8

गित्तीथ की संगत पर संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक पद।

हे यहोवा, मेरे स्वामी, तेरा नाम सारी धरती पर अति अद्भुत है।
    तेरा नाम स्वर्ग में हर कहीं तुझे प्रशंसा देता है।

बालकों और छोटे शिशुओं के मुख से, तेरे प्रशंसा के गीत उच्चरित होते हैं।
    तू अपने शत्रुओं को चुप करवाने के लिये ऐसा करता है।

हे यहोवा, जब मेरी दृष्टि गगन पर पड़ती है, जिसको तूने अपने हाथों से रचा है
    और जब मैं चाँद तारों को देखता हूँ जो तेरी रचना है, तो मैं अचरज से भर उठता हूँ।
लोग तेरे लिये क्यों इतने महत्वपूर्ण हो गये?
    तू उनको याद भी किस लिये करता है?
मनुष्य का पुत्र तेरे लिये क्यों महत्वपूर्ण है?
    क्यों तू उन पर ध्यान तक देता है?

किन्तु तेरे लिये मनुष्य महत्वपूर्ण है!
    तूने मनुष्य को ईश्वर का प्रतिरुप बनाया है,
    और उनके सिर पर महिमा और सम्मान का मुकुट रखा है।
तूने अपनी सृष्टि का जो कुछ भी
    तूने रचा लोगों को उसका अधिकारी बनाया।
मनुष्य भेड़ों पर, पशु धन पर और जंगल के सभी हिसक जन्तुओं पर शासन करता है।
वह आकाश में पक्षियों पर
    और सागर में तैरते जलचरों पर शासन करता है।
हे यहोवा, हमारे स्वामी, सारी धरती पर तेरा नाम अति अद्भुत है।

भजन संहिता 84

मित्तिथ की संगत पर संगीत निर्देशक के लिये कोरह वंशियों का एक स्तुति गीत।

सर्वशक्तिमान यहोवा, सचमुच तेरा मन्दिर कितना मनोहर है।
हे यहोवा, मैं तेरे मन्दिर में रहना चाहता हूँ।
    मैं तेरी बाट जोहते थक गया हूँ!
मेरा अंग अंग जीवित यहोवा के संग होना चाहता है।
सर्वशक्तिमान यहोवा, मेरे राजा, मेरे परमेश्वर,
    गौरेया और शूपाबेनी तक के अपने घोंसले होते हैं।
ये पक्षी तेरी वेदी के पास घोंसले बनाते हैं
    और उन्हीं घोंसलों में उनके बच्चे होते हैं।
जो लोग तेरे मन्दिर में रहते हैं, अति प्रसन्न रहते हैं।
    वे तो सदा ही तेरा गुण गाते हैं।

वे लोग अपने हृदय में गीतों के साथ जो तेरे मन्दिर मे आते हैं,
    बहुत आनन्दित हैं।
वे प्रसन्न लोग बाका घाटी
    जिसे परमेश्वर ने झरने सा बनाया है गुजरते हैं।
    गर्मो की गिरती हुई वर्षा की बूँदे जल के सरोवर बनाती है।
लोग नगर नगर होते हुए सिय्योन पर्वत की यात्रा करते हैं
    जहाँ वे अपने परमेश्वर से मिलेंगे।

सर्वशक्तिमान यहोवा परमेश्वर, मेरी प्रार्थना सुन!
    याकूब के परमेश्वर तू मेरी सुन ले।

हे परमेश्वर, हमारे संरक्षक की रक्षा कर।
    अपने चुने हुए राजा पर दयालु हो।
10 हे परमेश्वर, कहीं और हजार दिन ठहरने से
    तेरे मन्दिर में एक दिन ठहरना उत्तम है।
दुष्ट लोगों के बीच वास करने से,
    अपने परमेश्वर के मन्दिर के द्वार के पास खड़ा रहूँ यही उत्तम है।
11 यहोवा हमारा संरक्षक और हमारा तेजस्वी राजा है।
    परमेश्वर हमें करूणा और महिमा के साथ आशीर्वद देता है।
जो लोग यहोवा का अनुसरण करते हैं
    और उसकी आज्ञा का पालन करते हैं, उनको वह हर उत्तम वस्तु देता है।
12 सर्वशक्तिमान यहोवा, जो लोग तेरे भरोसे हैं वे सचमुच प्रसन्न हैं!

यिर्मयाह 1:1-10

यिर्मयाह के ये सन्देश हैं। यिर्मयाह हिल्किय्याह नामक व्यक्ति का पुत्र था। यिर्मयाह उन याजकों के परिवार से था जो अनातोत नगर में रहते थे। वह नगर उस प्रदेश में है जो बिन्यामीन परिवार का था। यहोवा ने यिर्मयाह से उन दिनों बातें करनी आरम्भ की। जब योशिय्याह यहूदा राष्ट्र का राजा था। योशिय्याह आमोन नामक राजा का पुत्र था। यहोवा ने यिर्मयाह से योशिय्याह के राज्यकाल के तेरहवें वर्ष में बातें करनी आरम्भ की। यहोवा यिर्मयाह से उस समय बातें करता रहा जब यहोयाकीम यहूदा का राजा था। यहोयाकीम योशिय्याह का पुत्र था। यिर्मयाह को सिदकिय्याह के राज्यकाल के ग्यारह वर्ष पाँच महीने तक, यहोवा की वाणी सुनाई पड़ती रही। सिदकिय्याह भी योशिय्याह का एक पुत्र था। सिदकिय्याह के राज्यकाल के ग्यारहवें वर्ष के पाँचवें महीने में यरूशलेम के निवासियों को देश—निकाला दिया गया था।

परमेश्वर यिर्मयाह को अपने पास बुलाता है

यहोवा का सन्देश यिर्मयाह को मिला। यहोवा का सन्देश यह था:

“तुम्हारी माँ के गर्भ में रखने के पहले
    मैंने तुमको जान लिया।
तुम्हारे जन्म लेने के पहले,
    मैंने तुम्हें विशेष कार्य के लिये चुना था।
    मैंने तुम्हें राष्ट्रों का नबी होने को चुना था।”

तब मैंने अर्थात् यिर्मयाह ने कहा, “किन्तु सर्वशक्तिमान यहोवा, मैं तो बोलना भी नहीं जानता। मैं तो अभी बालक ही हूँ।”

किन्तु यहोवा ने मुझसे कहा,

“मत कहो, ‘मै बालक ही हूँ।’
    तुम्हें हर उन स्थानों पर जाना है जहाँ मैं भेंजूँ।
    तुम्हें वह सब कहना है जिसे मैं कहने को कहूँ।
किसी से मत डरो।
    मैं तुम्हारे साथ हूँ, और मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा।”
यह सन्देश यहोवा का है।

तब यहोवा ने अपना हाथ बढ़ाया और मेरे मुँह को छू लिया। यहोवा ने मुझसे कहा,

“यिर्मयाह, मैं अपने शब्द तेरे मुँह में दे रहा हूँ।
10 आज मैंने तुम्हें राज्यों और राष्ट्रों का अधिकारी बनाया है।
    तुम इन्हें उखाड़ और उजाड़ सकते हो। तुम इन्हें नष्ट और उठा फेंक सकते हो।
तुम इन्हें और उठा फेंक सकते हो।
    तुम निर्माण और रोपण कर सकते हो।”

1 कुरिन्थियों 3:11-23

11 क्योंकि जो नींव डाली गई है वह स्वयं यीशु मसीह ही है और उससे भिन्न दूसरी नींव कोई डाल ही नहीं सकता। 12 यदि लोग उस नींव पर निर्माण करते हैं, फिर चाहे वे उसमें सोना लगायें, चाँदी लगायें, बहुमूल्य रत्न लगायें, लकड़ी लगायें, फूस लगायें या तिनकों का प्रयोग करें। 13 हर व्यक्ति का कर्म स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। क्योंकि वह दिन[a] उसे उजागर कर देगा। क्योंकि वह दिन ज्वाला के साथ प्रकट होगा और वही ज्वाला हर व्यक्ति के कर्मो को परखेगी कि वे कर्म कैसे हैं। 14 यदि उस नींव पर किसी व्यक्ति के कर्मों की रचना टिकाऊ होगी 15 तो वह उसका प्रतिफल पायेगा और यदि किसी का कर्म उस ज्वाला में भस्म हो जायेगा तो उसे हानि उठानी होगी। किन्तु फिर भी वह स्वयं वैसे ही बच निकलेगा जैसे कोई आग लगे भवन में से भाग कर बच निकले।

16 क्या तुम नहीं जानते कि तुम लोग स्वयं परमेश्वर का मन्दिर हो और परमेश्वर की आत्मा तुममें निवास करती है? 17 यदि कोई परमेश्वर के मन्दिर को हानि पहुँचाता है तो परमेश्वर उसे नष्ट कर देगा। क्योंकि परमेश्वर का मन्दिर तो पवित्र है। हाँ, तुम ही तो वह मन्दिर हो।

18 अपने आपको मत छलो। यदि तुममें से कोई यह सोचता है कि इस युग के अनुसार वह बुद्धिमान है तो उसे बस तथाकथित मूर्ख ही बने रहना चाहिये ताकि वह सचमुच बुद्धिमान बन जाये; 19 क्योंकि परमेश्वर की दृष्टि में सांसारिक चतुरता मूर्खता है। शास्त्र कहता है, “परमेश्वर बुद्धिमानों को उनकी ही चतुरता में फँसा देता।” 20 और फिर, “प्रभु जानता है बुद्धिमानों के विचार सब व्यर्थ हैं।” 21 इसलिए मनुष्यों पर किसी को भी गर्व नहीं करना चाहिये क्योंकि यह सब कुछ तुम्हारा ही तो है। 22 फिर चाहे वह पौलुस हो, अपुल्लोस हो या पतरस चाहे संसार हो, जीवन हो या मृत्यु हो, चाहे ये आज की बातें हों या आने वाले कल की। सभी कुछ तुम्हारा ही तो है। 23 और तुम मसीह के हो और मसीह परमेश्वर का।

मरकुस 3:31-4:9

यीशु के अनुयायी ही उसका सच्चा परिवार

(मत्ती 12:46-50; लूका 8:19-21)

31 तभी उसकी माँ और भाई वहाँ आये और बाहर खड़े हो कर उसे भीतर से बुलवाया। 32 यीशु के चारों ओर भीड़ बैठी थी। उन्होंने उससे कहा, “देख तेरी माता, तेरे भाई और तेरी बहनें तुझे बाहर बुला रहे हैं।”

33 यीशु नें उन्हें उत्तर दिया, “मेरी माँ और मेरे भाई कौन हैं?” 34 उसे घेर कर चारों ओर बैठे लोगों पर उसने दृष्टि डाली और कहा, “ये है मेरी माँ और मेरे भाई! 35 जो कोई परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वही मेरा भाई, बहन और माँ है।”

बीज बोने का दृष्टान्त

(मत्ती 13:1-9; लूका 8:4-8)

उसने झील के किनारे उपदेश देना फिर शुरू कर दिया। वहाँ उसके चारों ओर बड़ी भीड़ इकट्ठी हो गयी। इसलिये वह झील में खड़ी एक नाव पर जा बैठा। और सभी लोग झील के किनारे धरती पर खड़े थे। उसने दृष्टान्त देकर उन्हें बहुत सी बातें सिखाईं। अपने उपदेश में उसने कहा,

“सुनो! एक बार एक किसान बीज वो ने के लिए निकला। तब ऐसा हुआ कि जब उसने बीज बोये तो कुछ मार्ग के किनारे गिरे। पक्षी आये और उन्हें चुग गये। दूसरे कुछ बीज पथरीली धरती पर गिरे जहाँ बहुत मिट्टी नहीं थी। वे गहरी मिट्टी न होने के कारण जल्दी ही उग आये। और जब सूरज उगा तो वे झुलस गये और जड़ न पकड़ पाने के कारण मुरझा गये। कुछ और बीज काँटों में जा गिरे। काँटे बड़े हुए और उन्होंने उन्हें दबा लिया जिससे उनमें दाने नहीं पड़े। कुछ बीज अच्छी धरती पर गिरे। वे उगे, उनकी बढ़वार हुई और उन्होंने अनाज पैदा किया। तीस गुणी, साठ गुणी और यहाँ तक कि सौ गुणी अधिक फसल उतरी।”

फिर उसने कहा, “जिसके पास सुनने को कान है, वह सुने!”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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