Book of Common Prayer
1 यहोवा का गुण गान कर!
मेरे मन, यहोवा की प्रशंसा कर।
2 मैं अपने जीवन भर यहोवा के गुण गाऊँगा।
मैं अपने जीवन भर उसके लिये यश गीत गाऊँगा।
3 अपने प्रमुखों के भरोसे मत रहो।
सहायता पाने को व्यक्ति के भरोसे मत रहो, क्योंकि तुमको व्यक्ति बचा नहीं सकता है।
4 लोग मर जाते हैं और गाड़ दिये जाते है।
फिर उनकी सहायता देने की सभी योजनाएँ यूँ ही चली जाती है।
5 जो लोग, याकूब के परमेश्वर से अति सहायता माँगते, वे अति प्रसन्न रहते हैं।
वे लोग अपने परमेश्वर यहोवा के भरोसे रहा करते हैं।
6 यहोवा ने स्वर्ग और धरती को बनाया है।
यहोवा ने सागर और उसमें की हर वस्तु बनाई है।
यहोवा उनको सदा रक्षा करेगा।
7 जिन्हें दु:ख दिया गया, यहोवा ऐसे लोगों के संग उचित बात करता है।
यहोवा भूखे लोगों को भोजन देता है।
यहोवा बन्दी लोगों को छुड़ा दिया करता है।
8 यहोवा के प्रताप से अंधे फिर देखने लग जाते हैं।
यहोवा उन लोगों को सहारा देता जो विपदा में पड़े हैं।
यहोवा सज्जन लोगों से प्रेम करता है।
9 यहोवा उन परदेशियों की रक्षा किया करता है जो हमारे देश में बसे हैं।
यहोवा अनाथों और विधवाओं का ध्यान रखता है
किन्तु यहोवा दुर्जनों के कुचक्र को नष्ट करता हैं।
10 यहोवा सदा राज करता रहे!
सिय्योन तुम्हारा परमेश्वर पर सदा राज करता रहे!
यहोवा का गुणगान करो!
1 यहोवा की प्रशंसा करो क्योंकि वह उत्तम है।
हमारे परमेश्वर के प्रशंसा गीत गाओ।
उसका गुणगान भला और सुखदायी है।
2 यहोवा ने यरूशलेम को बनाया है।
परमेश्वर इस्राएली लोगों को वापस छुड़ाकर ले आया जिन्हें बंदी बनाया गया था।
3 परमेश्वर उनके टूटे मनों को चँगा किया करता
और उनके घावों पर पट्टी बांधता है।
4 परमेश्वर सितारों को गिनता है
और हर एक तारे का नाम जानता है।
5 हमारा स्वामी अति महान है। वह बहुत ही शक्तिशाली है।
वे सीमाहीन बातें है जिनको वह जानता है।
6 यहोवा दीन जन को सहारा देता है।
किन्तु वह दुष्ट को लज्जित किया करता है।
7 यहोवा को धन्यवाद करो।
हमारे परमेश्वर का गुणगान वीणा के संग करो।
8 परमेश्वर मेघों से अम्बर को भरता है।
परमेश्वर धरती के लिये वर्षा करता है।
परमेश्वर पहाड़ों पर घास उगाता है।
9 परमेश्वर पशुओं को चारा देता है,
छोटी चिड़ियों को चुग्गा देता है।
10 उनको युद्ध के घोड़े और शक्तिशाली सैनिक नहीं भाते हैं।
11 यहोवा उन लोगों से प्रसन्न रहता है। जो उसकी आराधना करते हैं।
यहोवा प्रसन्न हैं, ऐसे उन लोगों से जिनकी आस्था उसके सच्चे प्रेम में है।
12 हे यरूशलेम, यहोवा के गुण गाओ!
सिय्योन, अपने परमेश्वर की प्रशंसा करो!
13 हे यरूशलेम, तेरे फाटको को परमेश्वर सुदृढ़ करता है।
तेरे नगर के लोगों को परमेश्वर आशीष देता है।
14 परमेश्वर तेरे देश में शांति को लाया है।
सो युद्ध में शत्रुओं ने तेरा अन्न नहीं लूटा। तेरे पास खाने को बहुत अन्न है।
15 परमेश्वर धरती को आदेश देता है,
और वह तत्काल पालन करती है।
16 परमेश्वर पाला गिराता जब तक धरातल वैसा श्वेत नहीं होता जाता जैसा उजला ऊन होता है।
परमेश्वर तुषार की वर्षा करता है, जो हवा के साथ धूल सी उड़ती है।
17 परमेश्वर हिम शिलाएँ गगन से गिराता है।
कोई व्यक्ति उस शीत को सह नहीं पाता है।
18 फिर परमेश्वर दूसरी आज्ञा देता है, और गर्म हवाएँ फिर बहने लग जाती हैं।
बर्फ पिघलने लगती, और जल बहने लग जाता है।
19 परमेश्वर ने निज आदेश याकूब को (इस्राएल को) दिये थे।
परमेश्वर ने इस्राएल को निज विधी का विधान और नियमों को दिया।
20 यहोवा ने किसी अन्य राष्ट्र के हेतु ऐसा नहीं किया।
परमेश्वर ने अपने नियमों को, किसी अन्य जाति को नहीं सिखाया।
यहोवा का यश गाओ।
1 यहोवा के गुण गाओ!
यहोवा का अपने सम्पूर्ण मन से ऐसी उस सभा में धन्यवाद करता हूँ
जहाँ सज्जन मिला करते हैं।
2 यहोवा ऐसे कर्म करता है, जो आश्चर्यपूर्ण होते हैं।
लोग हर उत्तम वस्तु चाहते हैं, वही जो परमेश्वर से आती है।
3 परमेश्वर ऐसे कर्म करता है जो सचमुच महिमावान और आश्चर्यपूर्ण होते हैं।
उसका खरापन सदा—सदा बना रहता है।
4 परमेश्वर अद्भुत कर्म करता है ताकि हम याद रखें
कि यहोवा करूणापूर्ण और दया से भरा है।
5 परमेश्वर निज भक्तों को भोजन देता है।
परमेश्वर अपनी वाचा को याद रखता है।
6 परमेश्वर के महान कार्य उसके प्रजा को यह दिखाया
कि वह उनकी भूमि उन्हें दे रहा है।
7 परमेश्वर जो कुछ करता है वह उत्तम और पक्षपात रहित है।
उसके सभी आदेश पूरे विश्वास योग्य हैं।
8 परमेश्वर के आदेश सदा ही बने रहेंगे।
परमेश्वर के उन आदेशों को देने के प्रयोजन सच्चे थे और वे पवित्र थे।
9 परमेश्वर निज भक्तों को बचाता है।
परमेश्वर ने अपनी वाचा को सदा अटल रहने को रचा है, परमेश्वर का नाम आश्चर्यपूर्ण है और वह पवित्र है।
10 विवेक भय और यहोवा के आदर से उपजता है।
वे लोग बुद्धिमान होतेहैं जो यहोवा का आदर करते हैं।
यहोवा की स्तुति सदा गायी जायेगी।
1 यहोवा की प्रशंसा करो!
ऐसा व्यक्ति जो यहोवा से डरता है। और उसका आदर करता है।
वह अति प्रसन्न रहेगा। परमेश्वर के आदेश ऐसे व्यक्ति को भाते हैं।
2 धरती पर ऐसे व्यक्ति की संतानें महान होंगी।
अच्छे व्यक्तियों कि संताने सचमुच धन्य होंगी।
3 ऐसे व्यक्ति का घराना बहुत धनवान होगा
और उसकी धार्मिकता सदा सदा बनी रहेगी।
4 सज्जनों के लिये परमेश्वर ऐसा होता है जैसे अंधेरे में चमकता प्रकाश हो।
परमेश्वर खरा है, और करूणापूर्ण है और दया से भरा है।
5 मनुष्य को अच्छा है कि वह दयालु और उदार हो।
मनुष्य को यह उत्तम है कि वह अपने व्यापार में खरा रहे।
6 ऐसा व्यक्ति का पतन कभी नहीं होगा।
एक अच्छे व्यक्ति को सदा याद किया जायेगा।
7 सज्जन को विपद से डरने की जरूरत नहीं।
ऐसा व्यक्ति यहोवा के भरोसे है आश्वस्त रहता है।
8 ऐसा व्यक्ति आश्वस्त रहता है।
वह भयभीत नहीं होगा। वह अपने शत्रुओं को हरा देगा।
9 ऐसा व्यक्ति दीन जनों को मुक्त दान देता है।
उसके पुण्य कर्म जिन्हें वह करता रहता है
वह सदा सदा बने रहेंगे।
10 कुटिल जन उसको देखेंगे और कुपित होंगे।
वे क्रोध में अपने दाँतों को पीसेंगे और फिर लुप्त हो जायेंगे।
दुष्ट लोग उसको कभी नहीं पायेंगे जिसे वह सब से अधिक पाना चाहते हैं।
1 यहोवा की प्रशंसा करो!
हे यहोवा के सेवकों यहोवा की स्तुति करो, उसका गुणगान करो!
यहोवा के नाम की प्रशंसा करो!
2 यहोवा का नाम आज और सदा सदा के लिये और अधिक धन्य हो।
यह मेरी कामना है।
3 मेरी यह कामना है, यहोवा के नाम का गुण पूरब से जहाँ सूरज उगता है,
पश्चिम तक उस स्थान में जहाँ सूरज डूबता है गाया जाये।
4 यहोवा सभी राष्ट्रों से महान है।
उसकी महिमा आकाशों तक उठती है।
5 हमारे परमेश्वर के समान कोई भी व्यक्ति नहीं है।
परमेश्वर ऊँचे अम्बर में विराजता है।
6 ताकि परमेश्वर अम्बर
और नीचे धरती को देख पाये।
7 परमेश्वर दीनों को धूल से उठाता है।
परमेश्वर भिखारियों को कूड़े के घूरे से उठाता है।
8 परमेश्वर उन्हें महत्वपूर्ण बनाता है।
परमेश्वर उन लोगों को महत्वपूर्ण मुखिया बनाता है।
9 चाहै कोई निपूती बाँझ स्त्री हो, परमेश्वर उसे बच्चे दे देगा
और उसको प्रसन्न करेगा।
यहोवा का गुणगान करो!
इस्राएल के दण्ड का अंत
40 तुम्हारा परमेश्वर कहता है,
“चैन दे, चैन दे मेरे लोगों को!
2 तू दया से बातें कर यरूशलेम से!
यरूशलेम को बता दे,
‘तेरी दासता का समय अब पूरा हो चुका है।
तूने अपने अपराधों की कीमत दे दी है।’
यहोवा ने यरूशलेम के किये हुए पापों का दुगना दण्ड उसे दिया है!”
3 सुनो! एक व्यक्ति का जोर से पुकारता हुआ स्वर:
“यहोवा के लिये बियाबान में एक राह बनाओ!
हमारे परमेश्वर के लिये बियाबान में एक रास्ता चौरस करो!
4 हर घाटी को भर दो।
हर एक पर्वत और पहाड़ी को समतल करो।
टेढ़ी—मेढ़ी राहों को सीधा करो।
उबड़—खाबड़ को चौरस बना दो।
5 तब यहोवा की महिमा प्रगट होगी।
सब लोग इकट्ठे यहोवा के तेज को देखेंगे।
हाँ, यहोवा ने स्वयं ये सब कहा है।”
6 एक वाणी मुखरित हुई, उसने कहा, “बोलो!”
सो व्यक्ति ने पूछा, “मैं क्या कहूँ” वाणी ने कहा, “लोग सर्वदा जीवित नहीं रहेंगे।
वे सभी रेगिस्तान के घास के समान है।
उनकी धार्मिकता जंगली फूल के समान है।
7 एक शक्तिशाली आँधी यहोवा की ओर से उस घास पर चलती है,
और घास सूख जाती है, जंगली फूल नष्ट हो जाता है। हाँ सभी लोग घास के समान हैं।
8 घास मर जाती है और जंगली फूल नष्ट हो जाता है।
किन्तु हमारे परमेश्वर के वचन सदा बने रहते हैं।”
मुक्ति: परमेश्वर का सुसन्देश
9 हे, सिय्योन, तेरे पास सुसन्देश कहने को है,
तू पहाड़ पर चढ़ जा और ऊँचे स्वर से उसे चिल्ला!
यरूशलेम, तेरे पास एक सुसन्देश कहने को है।
भयभीत मत हो, तू ऊँचे स्वर में बोल!
यहूदा के सारे नगरों को तू ये बातें बता दे: “देखो, ये रहा तुम्हारा परमेश्वर!”
10 मेरा स्वामी यहोवा शक्ति के साथ आ रहा है।
वह अपनी शक्ति का उपयोग लोगों पर शासन करने में लगायेगा।
यहोवा अपने लोगों को प्रतिफल देगा।
उसके पास देने को उनकी मजदूरी होगी।
11 यहोवा अपने लोगों की वैसे ही अगुवाई करेगा जैसे कोई गड़ेरिया अपने भेड़ों की अगुवाई करता है।
यहोवा अपने बाहु को काम में लायेगा और अपनी भेड़ों को इकट्ठा करेगा।
यहोवा छोटी भेड़ों को उठाकर गोद में थामेगा, और उनकी माताऐं उसके साथ—साथ चलेंगी।
संसार परमेश्वर ने रचा: वह इसका शासक है।
परमेश्वर अपने पुत्र के माध्यम से बोलता है
1 परमेश्वर ने अतीत में नबियों के द्वारा अनेक अवसरों पर अनेक प्रकार से हमारे पूर्वजों से बातचीत की। 2 किन्तु इन अंतिम दिनों में उसने हमसे अपने पुत्र के माध्यम से बातचीत की, जिसे उसने सब कुछ का उत्तराधिकारी नियुक्त किया है और जिसके द्वारा उसने समूचे ब्रह्माण्ड की रचना की है। 3 वह पुत्र परमेश्वर की महिमा का तेज-मंडल है तथा उसके स्वरूप का यथावत प्रतिनिधि। वह अपने समर्थ वचन के द्वारा सब वस्तुओं की स्थिति बनाये रखता है। सबको पापों से मुक्त करने का विधान करके वह स्वर्ग में उस महामहिम के दाहिने हाथ बैठ गया। 4 इस प्रकार वह स्वर्गदूतों से उतना ही उत्तम बन गया जितना कि उनके नामों से वह नाम उत्तम है जो उसने उत्तराधिकार में पाया है।
5 क्योंकि परमेश्वर ने किसी भी स्वर्गदूत से कभी ऐसा नहीं कहा:
“तू मेरा पुत्र;
आज मैं तेरा पिता बना हूँ।”(A)
और न ही किसी स्वर्गदूत से उसने यह कहा है,
“मैं उसका पिता बनूँगा,
और वह मेरा पुत्र होगा।”(B)
6 और फिर वह जब अपनी प्रथम एवं महत्त्वपूर्ण संतान को संसार में भेजता है तो कहता है,
“परमेश्वर के सब स्वर्गदूत उसकी उपासना करें।”(C)
7 स्वर्गदूतों के विषय में बताते हुए वह कहता है:
“उसने अपने सब स्वर्गदूत को पवन बनाया
और अपने सेवकों को आग की लपट बनाया।”(D)
8 किन्तु अपने पुत्र के विषय में वह कहता है:
“हे परमेश्वर! तेरा सिंहासन शाश्वत है,
तेरा राजदण्ड धार्मिकता है;
9 तुझको धार्मिकता ही प्रिय है, तुझको घृणा पापों से रही,
सो परमेश्वर, तेरे परमेश्वर ने तुझको चुना है, और उस आदर का आनन्द दिया। तुझको तेरे साथियों से कहीं अधिक दिया।”(E)
10 परमेश्वर यह भी कहता है,
“हे प्रभु, जब सृष्टि का जन्म हो रहा था, तूने धरती की नींव धरी।
और ये सारे स्वर्ग तेरे हाथ का कतृत्व हैं।
11 ये नष्ट हो जायेंगे पर तू चिरन्तन रहेगा,
ये सब वस्त्र से फट जायेंगे।
12 और तू परिधान सा उनको लपेटेगा।
वे फिर वस्त्र जैसे बदल जायेंगे।
किन्तु तू यूँ ही, यथावत रहेगा ही,
तेरे काल का अंत युग युग न होगा।”(F)
यीशु का आना
1 आदि में शब्द[a] था। शब्द परमेश्वर के साथ था। शब्द ही परमेश्वर था। 2 यह शब्द ही आदि में परमेश्वर के साथ था। 3 दुनिया की हर वस्तु उसी से उपजी। उसके बिना किसी की भी रचना नहीं हुई। 4 उसी में जीवन था और वह जीवन ही दुनिया के लोगों के लिये प्रकाश (ज्ञान, भलाई) था। 5 प्रकाश अँधेरे में चमकता है पर अँधेरा उसे समझ नहीं पाया।
6 परमेश्वर का भेजा हुआ एक मनुष्य आया जिसका नाम यूहन्ना था। 7 वह एक साक्षी के रूप में आया था ताकि वह लोगों को प्रकाश के बारे में बता सके। जिससे सभी लोग उसके द्वारा उस प्रकाश में विश्वास कर सकें।
यूहन्ना की यीशु के विषय में साक्षी
(मत्ती 3:1-12; मरकुस 1:1-8; लूका 3:1-9, 15-17)
19 जब यरूशलेम के यहूदियों ने उसके पास लेवियों और याजकों को यह पूछने के लिये भेजा, “तुम कौन हो?” 20 तो उसने साक्षी दी और बिना झिझक स्वीकार किया, “मैं मसीह नहीं हूँ।”
यीशु परमेश्वर का मेमना
29 अगले दिन यूहन्ना ने यीशु को अपनी तरफ आते देखा और कहा, “परमेश्वर के मेमने को देखो जो जगत के पाप को हर ले जाता है। 30 यह वही है जिसके बारे में मैंने कहा था, ‘एक पुरुष मेरे पीछे आने वाला है जो मुझसे महान है, मुझसे आगे है क्योंकि वह मुझसे पहले विद्यमान था।’ 31 मैं खुद उसे नहीं जानता था किन्तु मैं इसलिये बपतिस्मा देता आ रहा हूँ ताकि इस्राएल के लोग उसे जान लें।”
32-34 फिर यूहन्ना ने अपनी यह साक्षी दी: “मैनें देखा कि कबूतर के रूप में स्वर्ग से नीचे उतरती हुई आत्मा उस पर आ टिकी। मैं खुद उसे नहीं जान पाया, पर जिसने मुझे जल से बपतिस्मा देने के लिये भेजा था मुझसे कहा, ‘तुम आत्मा को उतरते और किसी पर टिकते देखोगे, यह वही पुरुष है जो पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देता है।’ मैनें उसे देखा है और मैं प्रमाणित करता हूँ, ‘वह परमेश्वर का पुत्र है।’”
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