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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 119:97-120

मेम्

97 आ हा, यहोवा तेरी शिक्षाओं से मुझे प्रेम है।
    हर घड़ी मैं उनका ही बखान किया करता हूँ।
98 हे यहोवा, तेरे आदेशों ने मुझे मेरे शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान बनाया।
    तेरा विधान सदा मेरे साथ रहता है।
99 मैं अपने सब शिक्षाओं से अधिक बुद्धिमान हूँ
    क्योंकि मैं तेरी वाचा का पाठ किया करता हूँ।
100 बुजुर्ग प्रमुखों से भी अधिक समझता हूँ।
    क्योंकि मैं तेरे आदेशों को पालता हूँ।
101 हे यहोवा, तू मुझे राह में हर कदम बुरे मार्ग से बचाता है,
    ताकि जो तू मुझे बताता है वह मैं कर सकूँ।
102 यहोवा, तू मेरा शिक्षक है।
    सो मैं तेरे विधान पर चलना नहीं छोड़ूँगा।
103 तेरे वचन मेरे मुख के भीतर
    शहद से भी अधिक मीठे हैं।
104 तेरी शिक्षाएँ मुझे बुद्धिमान बनाती है।
    सो मैं झूठी शिक्षाओं से घृणा करता हूँ।

नुन्

105 हे यहोवा, तेरा वचन मेरे पाँव के लिये दीपक
    और मार्ग के लिये उजियाला है।
106 तेरे नियम उत्तम हैं।
    मैं उन पर चलने का वचन देता हूँ, और मैं अपने वचन का पालन करूँगा।
107 हे यहोवा, बहुत समय तक मैंने दु:ख झेले हैं,
    कृपया मुझे अपना आदेश दे और तू मुझे फिर से जीवित रहने दे!
108 हे यहोवा, मेरी विनती को तू स्वीकार कर,
    और मुझ को अपनी विधान कि शिक्षा दे।
109 मेरा जीवन सदा जोखिम से भरा हुआ है।
    किन्तु यहोवा मैं तेरे उपदेश भूला नहीं हूँ।
110 दुष्ट जन मुझको फँसाने का यत्न करते हैं
    किन्तु तेरे आदेशों को मैंने कभी नहीं नकारा है।
111 हे यहोवा, मैं सदा तेरी वाचा का पालन करूँगा।
    यह मुझे अति प्रसन्न किया करता है।
112 मैं सदा तेरे विधान पर चलने का
    अति कठोर यत्न करूँगा।

समेख्

113 हे यहोवा, मुझको ऐसे उन लोगों से घृणा है, जो पूरी तरह से तेरे प्रति सच्चे नहीं हैं।
    मुझको तो तेरी शिक्षाएँ भाति हैं।
114 मुझको ओट दे और मेरी रक्षा कर।
    हे यहोवा, मुझको उस बात का सहारा है जिसको तू कहता है।
115 हे यहोवा, दुष्ट मनुष्यों को मेरे पास मत आने दे।
    मैं अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन करूँगा।
116 हे यहोवा, मुझको ऐसे ही सहारा दे जैसे तूने वचन दिया, और मैं जीवित रहूँगा।
    मुझको तुझमें विश्वास है, मुझको निराश मत कर।
117 हे यहोवा, मुझको सहारा दे कि मेरा उद्धार हो।
    मैं सदा तेरी आदेशों का पाठ किया करूँगा।
118 हे यहोवा, तू हर ऐसे व्यक्ति से विमुख हो जाता है, जो तेरे नियम तोड़ता है।
    क्यों क्योंकि उन लोगों ने झूठ बोले जब वे तेरे अनुसरण करने को सहमत हुए।
119 हे यहोवा, तू इस धरती पर दुष्टों के साथ ऐसा बर्ताव करता है जैसे वे कूड़ा हो।
    सो मैं तेरी वाचा से सदा प्रेम करूँगा।
120 हे यहोवा, मैं तुझ से भयभीत हूँ, मैं डरता हूँ,
    और तेरे विधान का आदर करता हूँ।

भजन संहिता 81-82

गित्तीथ के संगत पर संगीत निर्देशक के लिये आसाप का एक पद।

परमेश्वर जो हमारी शक्ति है आनन्द के साथ तुम उसके गीत गाओ,
    तुम उसका जो इस्राएल का परमेश्वर है, जय जयकार जोर से बोलो।
संगीत आरम्भ करो।
    तम्बूरे बजाओ।
    वीणा सारंगी से मधुर धुन निकालो।
नये चाँद के समय में तुम नरसिंगा फूँको। पूर्णमासी के अवसर पर तुम नरसिंगा फूँको।
    यह वह काल है जब हमारे विश्र्राम के दिन शुरू होते हैं।
इस्राएल के लोगों के लिये ऐसा ही नियम है।
    यह आदेश परमेश्वर ने याकुब को दिये है।
परमेश्वर ने यह वाचा यूसुफ़ के साथ तब किया था,
    जब परमेश्वर उसे मिस्र से दूर ले गया।
मिस्र में हमने वह भाषा सुनी थी जिसे हम लोग समझ नहीं पाये थे।
परमेश्वर कहता है, “तुम्हारे कन्धों का बोझ मैंने ले लिया है।
    मजदूर की टोकरी मैं उतार फेंकने देता हूँ।
जब तुम विपति में थे तुमने सहायता को पुकारा और मैंने तुम्हें छुड़ाया।
    मैं तुफानी बादलों में छिपा हुआ था और मैंने तुमको उत्तर दिया।
    मैंने तुम्हें मरिबा के जल के पास परखा।”

“मेरे लोगों, तुम मेरी बात सुनों। और मैं तुमको अपना वाचा दूँगा।
    इस्राएल, तू मुझ पर अवश्य कान दे।
तू किसी मिथ्या देव जिनको विदेशी लोग पूजते हैं,
    पूजा मत कर।
10 मैं, यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर हूँ।
    मैं वही परमेश्वर जो तुम्हें मिस्र से बाहर लाया था।
हे इस्राएल, तू अपना मुख खोल,
    मैं तुझको निवाला दूँगा।

11 “किन्तु मेरे लोगों ने मेरी नहीं सुनी।
    इस्राएल ने मेरी आज्ञा नहीं मानी।
12 इसलिए मैंने उन्हें वैसा ही करने दिया, जैसा वे करना चाहते थे।
    इस्राएल ने वो सब किया जो उन्हें भाता था।
13 भला होता मेरे लोग मेरी बात सुनते, और काश! इस्राएल वैसा ही जीवन जीता जैसा मैं उससे चाहता था।
14     तब मैं फिर इस्राएल के शत्रुओं को हरा देता।
    मैं उन लोगों को दण्ड देता जो इस्राएल को दु:ख देते।
15 यहोवा के शत्रु डर से थर थर काँपते हैं।
    वे सदा सर्वदा को दण्डित होंगे।
16 परमेश्वर निज भक्तों को उत्तम गेहूँ देगा।
    चट्टान उन्हें शहद तब तक देगी जब तक तृप्त नहीं होंगे।”

आसाप का एक स्तुति गीत।

परमेश्वर देवों की सभा के बीच विराजता है।
    उन देवों की सभा का परमेश्वर न्यायाधीश है।
परमेश्वर कहता है, “कब तक तुम लोग अन्यायपूर्ण न्याय करोगे?
    कब तक तुम लोग दुराचारी लोगों को यूँ ही बिना दण्ड दिए छोड़ते रहोगे?”

अनाथों और दीन लोगों की रक्षा कर,
    जिन्हें उचित व्यवहार नहीं मिलता तू उनके अधिकारों कि रक्षा कर।
दीन और असहाय जन की रक्षा कर।
    दुष्टों के चंगुल से उनको बचा ले।

“इस्राएल के लोग नहीं जानते क्या कुछ घट रहा है।
    वे समझते नहीं!
वे जानते नहीं वे क्या कर रहे हैं।
    उनका जगत उनके चारों ओर गिर रहा है।”
मैंने (परमेश्वर) कहा, “तुम लोग ईश्वर हो,
    तुम परम परमेश्वर के पुत्र हो।
किन्तु तुम भी वैसे ही मर जाओगे जैसे निश्चय ही सब लोग मर जाते हैं।
    तुम वैसे मरोगे जैसे अन्य नेता मर जाते हैं।”

हे परमेश्वर, खड़ा हो! तू न्यायाधीश बन जा!
    हे परमेश्वर, तू सारे ही राष्ट्रों का नेता बन जा!

1 शमूएल 2:12-26

एली के बुरे पुत्र

12 एली के पुत्र बुरे व्यक्ति थे। वे यहोवा की परवाह नहीं करते थे। 13 वे इसकी परवाह नहीं करते थे कि याजकों से लोगों के प्रति कैसे व्यवहार की आशा की जाती है। याजकों को लोगों के लिये यह करना चाहिए: जब कभी कोई व्यक्ति बलि—भेंट लाये, तो याजक को एक बर्तन में माँस को उबालना चाहिये। याजक के सेवक को अपने हाथ में विशेष काँटा जिसके तीन नोंक हैं, लेकर आना चाहिए। 14 याजक के सेवक को काँटे को बर्तन या पतीले में डालना चाहिए। काँटें से जो कुछ बर्तन के बाहर लाये वह माँस याजक का होगा। यह याजकों द्वारा उन इस्राएलियों के लिये किया जाना चाहिये जो शीलो में बलि भेंट करने आयें। 15 किन्तु एली के पुत्रों ने यह नहीं किया। चर्बी को वेदी पर जलाये जाने के पहले ही उनके सेवक लोगों के पास बलि—भेंट करते जाते थे। याजक के सेवक कहा करते थे, “याजक को कुछ माँस भूनने के लिये दो। याजक तुमसे उबला हुआ माँस नहीं लेंगे।”

16 बलि—भेंट करने वाला व्यक्ति यह कह सकता था, “पहले चर्बी जलाओ,[a] तब तुम जो चाहो ले सकते हो।” यदि ऐसा होता तो याजक का सेवक उत्तर देता: “नहीं, मुझे अभी माँस दो, यदि तुम मुझे यह नहीं देते हो तो मैं इसे तुमसे ले ही लूँगा।”

17 इस प्रकार, होप्नी और पीनहास यह दिखाते थे कि वे यहोवा को भेंट की गई बलि के प्रति श्रद्धा नहीं रखते थे। यह यहोवा के विरुद्ध बहुत बुरा पाप था!

18 किन्तु शमूएल यहोवा की सेवा करता था। शमूएल सन का बना एक विशेष एपोद पहनता था। 19 हर वर्ष शमूएल की माँ एक छोटा चोंगा शमूएल के लिये बनाती थी। वह हर वर्ष जब अपने पति के साथ बलि—भेंट करने शीलो जाती थी तो वह छोटा चोंगा शमूएल के लिये ले जाती थी।

20 एली, एल्काना और उसकी पत्नी को आशीर्वाद देता था। एली ने कहा, “यहोवा तुम्हें हन्ना द्वारा सन्तान देकर बदला दे। ये बच्चे उस लड़के का स्थान लेंगे जिसके लिये हन्ना ने प्रार्थना की थी और यहोवा को दिया था।”

तब एल्काना और हन्ना घर लौटे, और 21 यहोवा ने हन्ना पर दया की। उसके तीन पुत्र और दो पुत्रियाँ हुईं और लड़का शमूएल यहोवा के पास बड़ा हुआ।

एली अपने पापी पुत्रों पर नियन्त्रण करने में असफल

22 एली बहुत बूढ़ा था। वह बार बार उन बुरे कामों के बारे में सुनता था जो उसके पुत्र शीलो में सभी इस्राएलियों के साथ कर रहे थे। एली ने यह भी सुना कि जो स्त्रियाँ मिलापवाले तुम्बू के द्वार पर सेवा करती थीं, उनके साथ वे सोते थे।

23 एली ने अपने पुत्रों से कहा, “तुमने जो कुछ बुरा किया है उसके बारे में लोगों ने यहाँ मुझे बताया है। तुम लोग ये बुरे काम क्यों करते हो? 24 पुत्रो, इन बुरे कामों को मत करो। यहोवा के लोग तुम्हारे विषय में बुरी बातें कह रहे हैं। 25 यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के विरुद्ध पाप करता है, तो परमेश्वर उसकी मध्यस्थता कर सकता है। किन्तु यदि कोई व्यक्ति यहोवा के ही विरुद्ध पाप करता है तो उस व्यक्ति की मध्यस्थता कौन कर सकता है?”

किन्तु एली के पुत्रों ने एली की बात सुनने से इन्कार कर दिया। इसलिए यहोवा ने एली के पुत्रों को मार डालने का निश्चय किया।

26 बालक शमूएल बढ़ता रहा। उसने परमेश्वर और लोगों को प्रसन्न किया।

प्रेरितों के काम 2:1-21

पवित्र आत्मा का आगमन

जब पिन्तेकुस्त का दिन आया तो वे सब एक ही स्थान पर इकट्ठे थे। तभी अचानक वहाँ आकाश से भयंकर आँधी का शब्द आया और जिस घर में वे बैठे थे, उसमें भर गया। और आग की फैलती लपटों जैसी जीभें वहाँ सामने दिखायी देने लगीं। वे आग की विभाजित जीभें उनमें से हर एक के ऊपर आ टिकीं। वे सभी पवित्र आत्मा से भावित हो उठे। और आत्मा के द्वारा दिये गये सामर्थ्य के अनुसार वे दूसरी भाषाओं में बोलने लगे।

वहाँ यरूशलेम में आकाश के नीचे के सभी देशों से आये यहूदी भक्त रहा करते थे। जब यह शब्द गरजा तो एक भीड़ एकत्र हो गयी। वे लोग अचरज में पड़े थे क्योंकि हर किसी ने उन्हें उसकी अपनी भाषा में बोलते सुना।

वे आश्चर्य में भर कर विस्मय के साथ बोले, “ये बोलने वाले सभी लोग क्या गलीली नहीं हैं? फिर हममें से हर एक उन्हें हमारी अपनी मातृभाषा में बोलते हुए कैसे सुन रहा है? वहाँ पारथी, मेदी और एलामी, मिसुपुतामिया के निवासी, यहूदिया और कप्पूदूकिया, पुन्तुस और एशिया। 10 फ्रूगिया और पम्फूलिया, मिसर और साइरीन नगर के निकट लीबिया के कुछ प्रदेशों के लोग, रोम से आये यात्री जिनमें जन्मजात यहूदी और यहूदी धर्म ग्रहण करने वाले लोग, क्रेती तथा अरब के रहने वाले 11 हम सब परमेश्वर के आश्चर्यपूर्ण कामों को अपनी अपनी भाषाओं में सुन रहे हैं।”

12 वे सब विस्मय में पड़ कर भौंचक्के हो आपस में पूछ रहे थे, “यह सब क्या हो रहा है?” 13 किन्तु दूसरे लोगों ने प्रेरितों का उपहास करते हुए कहा, “ये सब कुछ ज्यादा ही, नयी दाखरस चढ़ा गये हैं।”

पतरस का संबोधन

14 फिर उन ग्यारहों के साथ पतरस खड़ा हुआ और ऊँचे स्वर में लोगों को सम्बोधित करने लगा, “यहूदी साथियो और यरूशलेम के सभी निवासियो! इसका अर्थ मुझे बताने दो। मेरे शब्दों को ध्यान से सुनो। 15 ये लोग पिये हुए नहीं हैं, जैसा कि तुम समझ रहे हो। क्योंकि अभी तो सुबह के नौ बजे हैं। 16 बल्कि यह वह बात है जिसके बारे में योएल नबी ने कहा था:

17 ‘परमेश्वर कहता है:
अंतिम दिनों में ऐसा होगा कि मैं सभी मनुष्यों पर अपनी आत्मा उँड़ेल दूँगा
    फिर तुम्हारे पुत्र और पुत्रियाँ भविष्यवाणी करने लगेंगे।
    तथा तुम्हारे युवा लोग दर्शन पायेंगे
    और तुम्हारे बूढ़े लोग स्वप्न देखेंगे।
18 हाँ, उन दिनों मैं अपने सेवकों और सेविकाओं पर अपनी आत्मा उँड़ेल दूँगा
    और वे भविष्यवाणी करेंगे।
19 मैं ऊपर आकाश में अद्भुत कर्म
    और नीचे धरती पर चिन्ह दिखाऊँगा
    लहू, आग और धुएँ के बादल।
20 सूर्य अन्धेरे में और
    चाँद रक्त में बदल जायेगा।
तब प्रभु का महान और महिमामय दिन आएगा।
21 और तब हर उस किसी का बचाव होगा जो प्रभु का नाम पुकारेगा।’(A)

लूका 20:27-40

यीशु को पकड़ने के लिये सदूकियों की चाल

(मत्ती 22:23-33; मरकुस 12:18-27)

27 अब देखो कुछ सदूकी उसके पास आये। (ये सदूकी वे थे जो पुनरुत्थान को नहीं मानते।) उन्होंने उससे पूछते हुए कहा, 28 “गुरु, मूसा ने हमारे लिये लिखा है कि यदि किसी का भाई मर जाये और उसके कोई बच्चा न हो और उसकी पत्नी हो तो उसका भाई उस विधवा से ब्याह करके अपने भाई के लिये, उससे संतान उत्पन्न करे। 29 अब देखो, सात भाई थे। पहले भाई ने किसी स्त्री से विवाह किया और वह बिना किसी संतान के ही मर गया। 30 फिर दूसरे भाई ने उसे ब्याहा, 31 और ऐसे ही तीसरे भाई ने। सब के साथ एक जैसा ही हुआ। वे बिना कोई संतान छोड़े मर गये। 32 बाद में वह स्त्री भी मर गयी। 33 अब बताओ, पुनरुत्थान होने पर वह किसकी पत्नी होगी क्योंकि उससे तो सातों ने ही ब्याह किया था?”

34 तब यीशु ने उनसे कहा, “इस युग के लोग ब्याह करते हैं और ब्याह करके विदा होते हैं। 35 किन्तु वे लोग जो उस युग के किसी भाग के योग्य और मरे हुओं में से जी उठने के लिए ठहराये गये हैं, वे न तो ब्याह करेंगे और न ही ब्याह करके विदा किये जायेंगे। 36 और वे फिर कभी मरेंगे भी नहीं, क्योंकि वे स्वर्गदूतों के समान हैं, वे परमेश्वर की संतान हैं क्योंकि वे पुनरुत्थान के पुत्र हैं। 37 किन्तु मूसा तक ने झाड़ी से सम्बन्धित अनुच्छेद में दिखाया है कि मरे हुए जिलाए गये हैं, जबकि उसने कहा था प्रभु, ‘इब्राहीम का परमेश्वर है, इसहाक का परमेश्वर है और याकूब का परमेश्वर है।’[a] 38 वह मरे हुओं का नहीं, बल्कि जीवितों का परमेश्वर है। वे सभी लोग जो उसके हैं जीवित हैं।”

39 कुछ यहूदी धर्मशास्त्रियों ने कहा, “गुरु, अच्छा कहा।” 40 क्योंकि फिर उससे कोई और प्रश्न पूछने का साहस नहीं कर सका।

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