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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 25

दाऊद को समर्पित।

हे यहोवा, मैं स्वयं को तुझे समर्पित करता हूँ।
मेरे परमेश्वर, मेरा विश्वस तुझ पर है।
    मैं तुझसे निराश नहीं होऊँगा।
    मेरे शत्रु मेरी हँसी नहीं उड़ा पायेंगे।
ऐसा व्यक्ति, जो तुझमें विश्वास रखता है, वह निराश नहीं होगा।
    किन्तु विश्वासघाती निराश होंगे और,
    वे कभी भी कुछ नहीं प्राप्त करेंगे।

हे यहोवा, मेरी सहायता कर कि मैं तेरी राहों को सीखूँ।
    तू अपने मार्गों की मुझको शिक्षा दे।
अपनी सच्ची राह तू मुझको दिखा और उसका उपदेश मुझे दे।
    तू मेरा परमेश्वर मेरा उद्धारकर्ता है।
    मुझको हर दिन तेरा भरोसा है।
हे यहोवा, मुझ पर अपनी दया रख
    और उस ममता को मुझ पर प्रकट कर, जिसे तू हरदम रखता है।
अपने युवाकाल में जो पाप और कुकर्म मैंने किए, उनको याद मत रख।
    हे यहोवा, अपने निज नाम निमित, मुझको अपनी करुणा से याद कर।

यहोवा सचमुच उत्तम है,
    वह पापियों को जीवन का नेक राह सिखाता है।
वह दीनजनों को अपनी राहों की शिक्षा देता है।
    बिना पक्षपात के वह उनको मार्ग दर्शाता है।
10 यहोवा की राहें उन लोगों के लिए क्षमापूर्ण और सत्य है,
    जो उसके वाचा और प्रतिज्ञाओं का अनुसरण करते हैं।

11 हे यहोवा, मैंने बहुतेरे पाप किये हैं,
    किन्तु तूने अपनी दया प्रकट करने को, मेरे हर पाप को क्षमा कर दिया।

12 यदि कोई व्यक्ति यहोवा का अनुसरण करना चाहे,
    तो उसे परमेश्वर जीवन का उत्तम राह दिखाएगा।
13 वह व्यक्ति उत्तम वस्तुओं का सुख भोगेगा,
    और उस व्यक्ति की सन्ताने उस धरती की जिसे परमेश्वर ने वचन दिया था स्थायी रहेंगे।
14 यहोवा अपने भक्तों पर अपने भेद खोलता है।
    वह अपने निज भक्तों को अपने वाचा की शिक्षा देता है।
15 मेरी आँखें सहायता पाने को यहोवा पर सदा टिकी रहती हैं।
    मुझे मेरी विपति से वह सदा छुड़ाता है।

16 हे यहोवा, मैं पीड़ित और अकेला हूँ।
    मेरी ओर मुड़ और मुझ पर दया दिखा।
17 मेरी विपतियों से मुझको मुक्त कर।
    मेरी समस्या सुलझाने की सहायता कर।
18 हे योहवा, मुझे परख और मेरी विपत्तियों पर दृष्टि डाल।
    मुझको जो पाप मैंने किए हैं, उन सभी के लिए क्षमा कर।
19 जो भी मेरे शत्रु हैं, सभी को देख ले।
    मेरे शत्रु मुझसे बैर रखते हैं, और मुझ को दु:ख पहुँचाना चाहते हैं।
20 हे परमेश्वर, मेरी रक्षा कर और मुझको बचा ले।
    मैं तेरा भरोसा रखता हूँ। सो मुझे निराश मत कर।
21 हे परमेश्वर, तू सचमुच उत्तम है।
    मुझको तेरा भरोसा है, सो मेरी रक्षा कर।
22 हे परमेश्वर, इस्राएल के जनों की उनके सभी शत्रुओं से रक्षा कर।

भजन संहिता 9

अलामौथ बैन राग पर आधारित दाऊद का पद: संगीत निर्देशक के लिये।

मैं अपने सम्पूर्ण मन से यहोवा की स्तुति करता हूँ।
    हे यहोवा, तूने जो अद्भुत कर्म किये हैं, मैं उन सब का वर्णन करुँगा।
तूने ही मुझे इतना आनन्दित बनाया है।
    हे परम परमेश्वर, मैं तेरे नाम के प्रशंसा गीत गाता हूँ।
जब मेरे शत्रु मुझसे पलट कर मेरे विमुख होते हैं,
    तब परमेश्वर उनका पतन करता और वे नष्ट हो जाते हैं।

तू सच्चा न्यायकर्ता है। तू अपने सिंहासन पर न्यायकर्ता के रुप में विराजा।
    तूने मेरे अभियोग की सुनवाई की और मेरा न्याय किया।
हे यहोवा, तूने उन शत्रुओं को कठोर झिड़की दी
    और हे यहोवा, तूने उन दुष्टों को नष्ट किया।
    उनके नाम तूने जीवितों की सूची से सदा सर्वदा के लिये मिटा दिये।
शत्रु नष्ट हो गया है!
    हे यहोवा, तूने उनके नगर मिटा दिये हैं! उनके भवन अब खण्डहर मात्र रह गये हैं।
    उन बुरे व्यक्तियों की हमें याद तक दिलाने को कुछ भी नहीं बचा है।

किन्तु यहोवा, तेरा शासन अविनाशी है।
    यहोवा ने अपने राज्य को शक्तिशाली बनाया। उसने जग में न्याय लाने के लिये यह किया।
यहोवा धरती के सब मनुष्यों का निष्पक्ष होकर न्याय करता है।
    यहोवा सभी जातियों का पक्षपात रहित न्याय करता है।
यहोवा दलितों और शोषितों का शरणस्थल है।
    विपदा के समय वह एक सुदृढ़ गढ़ है।

10 जो तुझ पर भरोसा रखते,
    तेरा नाम जानते हैं।
हे यहोवा, यदि कोई जन तेरे द्वार पर आ जाये
    तो बिना सहायता पाये कोई नहीं लौटता।

11 अरे ओ सिय्योन के निवासियों, यहोवा के गीत गाओ जो सिय्योन में विराजता है।
    सभी जातियों को उन बातों के विषय में बताओ जो बड़ी बातें यहोवा ने की हैं।
12 जो लोग यहोवा से न्याय माँगने गये,
    उसने उनकी सुधि ली।
जिन दीनों ने उसे सहायता के लिये पुकारा,
    उनको यहोवा ने कभी भी नहीं बिसारा।

13 यहोवा की स्तुति मैंने गायी है: “हे यहोवा, मुझ पर दया कर।
    देख, किस प्रकार मेरे शत्रु मुझे दु:ख देते हैं।
    ‘मृत्यु के द्वार’ से तू मुझको बचा ले।
14 जिससे यहोवा यरूशलेम के फाटक पर मैं तेरी स्तुति गीत गा सकूँ।
    मैं अति प्रसन्न होऊँगा क्योंकि तूने मुझको बचा लिया।”

15 अन्य जातियों ने गड्ढे खोदे ताकि लोग उनमें गिर जायें,
किन्तु वे अपने ही खोदे गड्ढे में स्वयं समा जायेंगे।
    दुष्ट जन ने जाल छिपा छिपा कर बिछाया, ताकि वे उसमें दूसरे लोगों को फँसा ले।
    किन्तु उनमें उनके ही पाँव फँस गये।
16 यहोवा ने जो न्याय किया वह उससे जाना गया कि जो बुरे कर्म करते हैं,
    वे अपने ही हाथों के किये हुए कामों से जाल में फँस गये।

17 वे दुर्जन होते हैं, जो परमेश्वर को भूलते हैं।
    ऐसे मनुष्य मृत्यु के देश को जायेंगे।
18 कभी—कभी लगता है जैसे परमेश्वर दुखियों को पीड़ा में भूल जाता है।
    यह ऐसा लगता जैसे दीन जन आशाहीन हैं।
    किन्तु परमेश्वर दीनों को सदा—सर्वदा के लिये कभी नहीं भूलता।

19 हे यहोवा, उठ और राष्ट्रों का न्याय कर।
    कहीं वे न सोच बैठें वे प्रबल शक्तिशाली हैं।
20 लोगों को पाठ सिखा दे,
    ताकि वे जान जायें कि वे बस मानव मात्र है।

भजन संहिता 15

दाऊद का एक पद।

हे यहोवा, तेरे पवित्र तम्बू में कौन रह सकता है?
    तेरे पवित्र पर्वत पर कौन रह सकता है?
केवल वह व्यक्ति जो खरा जीवन जीता है, और जो उत्तम कर्मों को करता है,
    और जो ह्रदय से सत्य बोलता है। वही तेरे पर्वत पर रह सकता है।
ऐसा व्यक्ति औरों के विषय में कभी बुरा नहीं बोलता है।
    ऐसा व्यक्ति अपने पड़ोसियों का बुरा नहीं करता।
    वह अपने घराने की निन्दा नहीं करता है।
वह उन लोगों का आदर नहीं करता जो परमेश्वर से घृणा रखते हैं।
    और वह उन सभी का सम्मान करता है, जो यहोवा के सेवक हैं।
ऐसा मनुष्य यदि कोई वचन देता है
    तो वह उस वचन को पूरा भी करता है, जो उसने दिया था।
वह मनुष्य यदि किसी को धन उधार देता है
    तो वह उस पर ब्याज नहीं लेता,
और वह मनुष्य किसी निरपराध जन को हानि पहुँचाने के लिये
    घूस नहीं लेता।

यदि कोई मनुष्य उस खरे जन सा जीवन जीता है तो वह मनुष्य परमेश्वर के निकट सदा सर्वदा रहेगा।

व्यवस्था विवरण 4:9-14

किन्तु तुम्हें सावधान रहना है। निश्चय कर लो कि जब तक तुम जीवित रहोगे, तब तक तुम देखी गई चीजों को नहीं भूलोगे। तुम्हें इन उपदेशों को अपने पुत्रों और पौत्रों को देना चाहिए। 10 उस दिन को याद रखो जब तुम होरेव (सीनै) पर्वत पर अपने यहोवा परमेश्वर के सामने खड़े थे। यहोवा ने मुझसे कहा, मैं जो कुछ कहता हूँ, उसे सुनने के लिए लोगों को इकट्ठा करो। तब वे मेरा सम्मान सदा करना सीखेंगे जब तक वे घरती पर रहेंगे। और वे ये उपदेश अपने बच्चों को भी देंगे। 11 तुम समीप आए और पर्वत के तले खड़े हुए। पर्वत में आग लग गई और वह आकाश छूने लगी। घने काले बादल और अंधकार उठे। 12 तब यहोवा ने आग में से तुम लोगों से बातें कीं। तुमने किसी बोलने वाले की आवाज सुनी। किन्तु तुमने कोई रुप नहीं देखा। केवल आवाज सुनाई पड़ रही थी। 13 यहोवा ने तुम्हें यह साक्षी पत्र दिया। उसने दस आदेश दिए और उन्हें पालन करने का आदेश दिया। यहोवा ने साक्षीपत्र के नियमों को दो पत्थर की शिलाओं पर लिखा। 14 उस समय यहोवा ने मुझे भी आदेश दिया कि मैं तुम्हें इन विधियों और नियमों का उपदेश दूँ। ये वे नियम व विधि हैं जिनका पालन तुम्हें उस देश में करना चाहिए जिसे तुम लेने और जिसमें रहने तुम जा रहे हो।

2 कुरिन्थियों 1:1-11

परमेश्वर की इच्छा से मसीह यीशु के प्रेरित पौलुस तथा हमारे भाई तिमुथियुस की ओर से कुरिन्थुस परमेश्वर की कलीसिया तथा अखाया के समूचे क्षेत्र के पवित्र जनों के नाम:

हमारे परमपिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शांति मिले।

पौलुस का परमेश्वर को धन्यवाद

हमारे प्रभु यीशु मसीह का परमपिता परमेश्वर धन्य है। वह करुणा का स्वामी है और आनन्द का स्रोत है। हमारी हर विपत्ति में वह हमें शांति देता है ताकि हम भी हर प्रकार की विपत्ति में पड़े लोगों को वैसे ही शांति दे सकें, जैसे परमेश्वर ने हमें दी है। क्योंकि जैसे मसीह की यातनाओं में हम सहभागी हैं, वैसे ही मसीह के द्वारा हमारा आनन्द भी तुम्हारे लिये उमड़ रहा है। यदि हम कष्ट उठाते हैं तो वह तुम्हारे आनन्द और उद्धार के लिए है। यदि हम आनन्दित हैं तो वह तुम्हारे आनन्द के लिये है। यह आनन्द उन्हीं यातनाओं को जिन्हें हम भी सह रहे हैं तुम्हें धीरज के साथ सहने को प्रेरित करता है। तुम्हारे बिषय में हमें पूरी आशा है क्योंकि हम जानते हैं कि जैसे हमारे कष्टों को तुम बाँटते हो, वैसे ही हमारे आनन्द में भी तुम्हारा भाग है।

हे भाइयो, हम यह चाहते हैं कि तुम उन यातनाओं के बारे में जानो जो हमें एशिया में झेलनी पड़ी थीं। वहाँ हम, हमारी सहनशक्ति की सीमा से कहीं अधिक बोझ के तले दब गये थे। यहाँ तक कि हमें जीने तक की कोई आशा नहीं रह गयी थी। हाँ अपने-अपने मन में हमें ऐसा लगता था जैसे हमें मृत्युदण्ड दिया जा चुका है ताकि हम अपने आप पर और अधिक भरोसा न रख कर उस परमेश्वर पर भरोसा करें जो मरे हुए को भी फिर से जिला देता है। 10 हमें उस भयानक मृत्यु से उसी ने बचाया और हमारी वर्तमान परिस्थितियों में भी वही हमें बचाता रहेगा। हमारी आशा उसी पर टिकी है। वही हमें आगे भी बचाएगा। 11 यदि तुम भी हमारी ओर से प्रार्थना करके सहयोग दोगे तो हमें बहुत से लोगों की प्रार्थनाओं द्वारा परमेश्वर का जो अनुग्रह मिला है, उसके लिये बहुत से लोगों को हमारी ओर से धन्यवाद देने का कारण मिल जायेगा।

लूका 14:25-35

नियोजित बनो

(मत्ती 10:37-38)

25 यीशु के साथ अपार जनसमूह जा रहा था। वह उनकी तरफ़ मुड़ा और बोला, 26 “यदि मेरे पास कोई भी आता है और अपने पिता, माता, पत्नी और बच्चों अपने भाइयों और बहनों और यहाँ तक कि अपने जीवन तक से मुझ से अधिक प्रेम रखता है, वह मेरा शिष्य नहीं हो सकता! 27 जो अपना क्रूस उठाये बिना मेरे पीछे चलता है, वह मेरा शिष्य नहीं हो सकता।

28 “यदि तुममें से कोई बुर्ज बनाना चाहे तो क्या वह पहले बैठ कर उसके मूल्य का, यह देखने के लिये कि उसे पूरा करने के लिये उसके पास काफ़ी कुछ है या नहीं, हिसाब-किताब नहीं लगायेगा? 29 नहीं तो वह नींव तो डाल देगा और उसे पूरा न कर पाने से, जिन्होंने उसे शुरू करते देखा, सब उसकी हँसी उड़ायेंगे और कहेंगे, 30 ‘अरे देखो इस व्यक्ति ने बनाना प्रारम्भ तो किया, पर यह उसे पूरा नहीं कर सका।’

31 “या कोई राजा ऐसा होगा जो किसी दूसरे राजा के विरोध में युद्ध छेड़ने जाये और पहले बैठ कर यह विचार न करे कि अपने दस हज़ार सैनिकों के साथ क्या वह बीस हज़ार सैनिकों वाले अपने विरोधी का सामना कर भी सकेगा या नहीं। 32 और यदि वह समर्थ नहीं होगा तो उसका विरोधी अभी मार्ग में ही होगा तभी वह अपना प्रतिनिधि मंडल भेज कर शांति-संधि का प्रस्ताव करेगा।

33 “तो फिर इसी प्रकार तुममें से कोई भी जो अपनी सभी सम्पत्तियों का त्याग नहीं कर देता, मेरा शिष्य नहीं हो सकता।

अपना प्रभाव मत खोओ

(मत्ती 5:13; मरकुस 9:50)

34 “नमक उत्तम है पर यदि वह अपना स्वाद खो दे तो उसे किसमें डाला जा सकता है। 35 न तो वह मिट्ठी के और न ही खाद की काम में आता है, लोग बस उसे यूँ ही फेंक देते हैं।

“जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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