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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 34

जब दाऊद ने अबीमेलेक के सामने पागलपन का आचरण किया। जिससे अबीमेलेक उसे भगा दे, इस प्रकार दाऊद उसे छोड़कर चला गया। उसी अवसर का दाऊद का एक पद।

मैं यहोवा को सदा धन्य कहूँगा।
    मेरे होठों पर सदा उसकी स्तुति रहती है।
हे नम्र लोगों, सुनो और प्रसन्न होओ।
    मेरी आत्मा यहोवा पर गर्व करती है।
मेरे साथ यहोवा की गरिमा का गुणगान करो।
    आओ, हम उसके नाम का अभिनन्दन करें।
मैं परमेश्वर के पास सहायता माँगने गया।
उसने मेरी सुनी।
    उसने मुझे उन सभी बातों से बचाया जिनसे मैं डरता हूँ।
परमेश्वर की शरण में जाओ।
    तुम स्वीकारे जाओगे।
    तुम लज्जा मत करो।
इस दीन जन ने यहोवा को सहायता के लिए पुकारा,
    और यहोवा ने मेरी सुन ली।
    और उसने सब विपत्तियों से मेरी रक्षा की।
यहोवा का दूत उसके भक्त जनों के चारों ओर डेरा डाले रहता है।
    और यहोवा का दूत उन लोगों की रक्षा करता है।
चखो और समझो कि यहोवा कितना भला है।
    वह व्यक्ति जो यहोवा के भरोसे है सचमुच प्रसन्न रहेगा।
यहोवा के पवित्र जन को उसकी आराधना करनी चाहिए।
    यहोवा केभक्तों के लिए कोई अन्य सुरक्षित स्थान नहीं है।
10 आज जो बलवान हैं दुर्बल और भूखे हो जाएंगे।
    किन्तु जो परमेश्वर के शरण आते हैं वे लोग हर उत्तम वस्तु पाएंगे।
11 हे बालकों, मेरी सुनो,
    और मैं तुम्हें सिखाऊँगा कि यहोवा की सेवा कैसे करें।
12 यदि कोई व्यक्ति जीवन से प्रेम करता है,
    और अच्छा और दीर्घायु जीवन चाहता है,
13 तो उस व्यक्ति को बुरा नहीं बोलना चाहिए,
    उस व्यक्ति को झूठ नहीं बोलना चाहिए।
14 बुरे काम मत करो। नेक काम करते रहो।
    शांति के कार्य करो।
    शांति के प्रयासों में जुटे रहो जब तक उसे पा न लो।
15 यहोवा सज्जनों की रक्षा करता है।
    उनकी प्रार्थनाओं पर वह कान देता है।
16 किन्तु यहोवा, जो बुरे काम करते हैं, ऐसे व्यक्तियों के विरुद्ध होता है।
    वह उनको पूरी तरह नष्ट करता है।

17 यहोवा से विनती करो, वह तुम्हारी सुनेगा।
    वह तुम्हें तुम्हारी सब विपत्तियों से बचा लेगा।
18 लोगों को विपत्तियाँ आ सकती है और वे अभिमानी होना छोड़ते हैं। यहोवा उन लोगों के निकट रहता है।
    जिनके टूटे मन हैं उनको वह बचा लेगा।
19 सम्भव है सज्जन भी विपत्तियों में घिर जाए।
    किन्तु यहोवा उन सज्जनों की उनकी हर समस्या से रक्षा करेगा।
20 यहोवा उनकी सब हड्डियों की रक्षा करेगा।
    उनकी एक भी हड्डी नहीं टूटेगी।
21 किन्तु दुष्ट की दुष्टता उनको ले डूबेगी।
    सज्जन के विरोधी नष्ट हो जायेंगे।
22 यहोवा अपने हर दास की आत्मा बचाता है।
    जो लोग उस पर निर्भर रहते हैं, वह उन लोगों को नष्ट नहीं होने देगा।

यशायाह 49:1-6

अपने विशेष सेवक को परमेश्वर का बुलावा

49 हे दूर देशों के लोगों,

मेरी बात सुनों हे धरती के निवासियों,
तुम सभी मेरी बात सुनों!
मेरे जन्म से पहले ही यहोवा ने मुझे अपनी सेवा के लिये बुलाया।
    जब मैं अपनी माता के गर्भ में ही था, यहोवा ने मेरा नाम रख दिया था।
यहोवा अपने बोलने के लिये मेरा उपयोग करता है।
जैसे कोई सैनिक तेज तलवार को काम में लाता है वैसे ही वह मेरा उपयोग करता है किन्तु वह अपने हाथ में छुपा कर मेरी रक्षा करता है।
यहोवा मुझको किसी तेज तीर के समान काम में लेता है किन्तु वह अपने तीरों के तरकश में मुझको छिपाता भी है।
यहोवा ने मुझे बताया है, “इस्राएल, तू मेरा सेवक है।
    मैं तेरे साथ में अद्भुत कार्य करूँगा।”
मैंने कहा, “मैं तो बस व्यर्थ ही कड़ी मेहनत करता रहा।
    मैं थक कर चूर हुआ।
मैं काम का कोई काम नहीं कर सका।
मैंने अपनी सब शक्ति लगा दी।
सचमुच, किन्तु मैं कोई काम पूरा नहीं कर सका।
    इसलिए यहोवा निश्चय करे कि मेरे साथ क्या करना है।
परमेश्वर को मेरे प्रतिफल का निर्णय करना चाहिए।
यहोवा ने मुझे मेरी माता के गर्भ में रचा था।
    उसने मुझे बनाया कि मैं उसकी सेवा करूँ।
उसने मुझको बनाया ताकि मैं याकूब और इस्राएल को उसके पास लौटाकर ले आऊँ।
    यहोवा मुझको मान देगा।
मैं परमेश्वर से अपनी शक्ति को पाऊँगा।”
यह यहोवा ने कहा था।
“तू मेरे लिये मेरा अति महत्त्वपूर्ण दास है।
    इस्राएल के लोग बन्दी बने हुए हैं।
उन्हें मेरे पास वापस लौटा लाया जायेगा
    और तब याकूब के परिवार समूह मेरे पास लौट कर आयेंगे।
किन्तु तेरे पास एक दूसरा काम है।
    वह काम इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण है!
मैं तुझको सब राष्ट्रों के लिये एक प्रकाश बनाऊँगा।
    तू धरती के सभी लोगों की रक्षा के लिये मेरी राह बनेगा।”

1 कुरिन्थियों 4:1-16

मसीह के संदेशवाहक

हमारे बारे में किसी व्यक्ति को इस प्रकार सोचना चाहिये कि हम लोग मसीह के सेवक हैं। परमेश्वर ने हमें और रहस्यपूर्ण सत्य सौंपे हैं। और फिर जिन्हें ये रहस्य सौंपे हैं, उन पर यह दायित्व भी है कि वे विश्वास योग्य हों। मुझे इसकी तनिक भी चिंता नहीं है कि तुम लोग मेरा न्याय करो या मनुष्यों की कोई और अदालत। मैं स्वयं भी अपना न्याय नहीं करता। क्योंकि मेरा मन स्वच्छ है। किन्तु इसी कारण मैं छूट नहीं जाता। प्रभु तो एक ही है जो न्याय करता है। इसलिए ठीक समय आने से पहले अर्थात् जब तक प्रभु न आ जाये, तब तक किसी भी बात का न्याय मत करो। वही अन्धेरे में छिपी बातों को उजागर करेगा और मन की प्रेरणा को प्रकट करेगा। उस समय परमेश्वर की ओर से हर किसी की उपयुक्त प्रशंसा होगी।

हे भाईयों, मैंने इन बातों को अपुल्लोस पर और स्वयं अपने पर तुम लोगों के लिये ही चरितार्थ किया है ताकि तुम हमारा उदाहरण देखते हुए उन बातों को न उलाँघ जाओ जो शास्त्र में लिखी हैं। ताकि एक व्यक्ति का पक्ष लेते हुए और दूसरे का विरोध करते हुए अहंकार में न भर जाओ। कौन कहता है कि तू किसी दूसरे से अधिक अच्छा है। तेरे पास अपना ऐसा क्या है? जो तुझे दिया नहीं गया है? और जब तुझे सब कुछ किसी के द्वारा दिया गया है तो फिर इस रूप में अभिमान किस बात का कि जैसे तूने किसी से कुछ पाया ही न हो।

तुम लोग सोचते हो कि जिस किसी वस्तु की तुम्हें आवश्यकता थी, अब वह सब कुछ तुम्हारे पास है। तुम सोचते हो अब तुम सम्पन्न हो गए हो। तुम हमारे बिना ही राजा बन बैठे हो। कितना अच्छा होता कि तुम सचमुच राजा होते ताकि तुम्हारे साथ हम भी राज्य करते। क्योंकि मेरा विचार है कि परमेश्वर ने हम प्रेरितों को कर्म-क्षेत्र में उन लोगों के समान सबसे अंत में स्थान दिया है जिन्हें मृत्यु-दण्ड दिया जा चुका है। क्योंकि हम समूचे संसार, स्वर्गदूतों और लोगों के सामने तमाशा बने हैं। 10 हम मसीह के लिये मूर्ख बने हैं किन्तु तुम लोग मसीह में बहुत बुद्धिमान हो। हम दुर्बल हैं किन्तु तुम तो बहुत सबल हो। तुम सम्मानित हो और हम अपमानित। 11 इस घड़ी तक हम तो भूखे-प्यासे हैं। फटे-पुराने चिथड़े पहने हैं। हमारे साथ बुरा व्यवहार किया जाता है। हम बेघर हैं। 12 अपने हाथों से काम करते हुए हम मेहनत मज़दूरी करते हैं। 13 गाली खा कर भी हम आशीर्वाद देते हैं। सताये जाने पर हम उसे सहते हैं। जब हमारी बदनामी हो जाती है, हम तब भी मीठा बोलते हैं। हम अभी भी जैसे इस दुनिया का मल-फेन और कूड़ा कचरा बने हुए हैं।

14 तुम्हें लज्जित करने के लिये मैं यह नहीं लिख रहा हूँ। बल्कि अपने प्रिय बच्चों के रूप में तुम्हें चेतावनी दे रहा हूँ। 15 क्योंकि चाहे तुम्हारे पास मसीह में तुम्हारे दसियों हजार संरक्षक मौजूद हैं, किन्तु तुम्हारे पिता तो अनेक नहीं हैं। क्योंकि सुसमाचार द्वारा मसीह यीशु में मैं तुम्हारा पिता बना हूँ। 16 इसलिए तुमसे मेरा आग्रह है, मेरा अनुकरण करो।

भजन संहिता 96

उन नये कामों के लिये जिन्हें यहोवा ने किया है नया गीत गाओ।
    अरे ओ समूचे जगत यहोवा के लिये गीत गा।
यहोवा के लिये गाओ! उसके नाम को धन्य कहो!
    उसके सुसमाचार को सुनाओ! उन अद्भुत बातों का बखान करो जिन्हें परमेश्वर ने किया है।
अन्य लोगों को बताओ कि परमेश्वर सचमुच ही अद्भुत है।
    सब कहीं के लोगों में उन अद्भुत बातों का जिन्हें परमेश्वर करता है बखान करो।
यहोवा महान है और प्रशंसा योग्य है।
    वह किसी भी अधिक “देवताओं” से डरने योग्य है।
अन्य जातियों के सभी “देवता” केवल मूर्तियाँ हैं,
    किन्तु यहोवा ने आकाशों को बनाया।
उसके सम्मुख सुन्दर महिमा दीप्त है।
    परमेश्वर के पवित्र मन्दिर सामर्थ्य और सौन्दर्य हैं।
अरे! ओ वंशों, और हे जातियों यहोवा के लिये महिमा
    और प्रशंसा के गीत गाओ।
यहोवा के नाम के गुणगान करो।
    अपनी भेटे उठाओ और मन्दिर में जाओ।
    यहोवा का उसके भव्य, मन्दिर में उपासना करो।
अरे ओ पृथ्वी के मनुष्यों, यहोवा की उपासना करो।
10     राष्ट्रों को बता दो कि यहोवा राजा है!
सो इससे जगत का नाश नहीं होगा।
    यहोवा मनुष्यों पर न्याय से शासन करेगा।
11 अरे आकाश, प्रसन्न हो!
    हे धरती, आनन्द मना! हे सागर, और उसमें कि सब वस्तुओं आनन्द से ललकारो।
12 अरे ओ खेतों और उसमें उगने वाली हर वस्तु आनन्दित हो जाओ!
    हे वन के वृक्षो गाओ और आनन्द मनाओ!
13 आनन्दित हो जाओ क्योंकि यहोवा आ रहा है,
    यहोवा जगत का शासन (न्याय) करने आ रहा है,
वह खरेपन से न्याय करेगा।

भजन संहिता 100

धन्यवाद का एक गीत।

हे धरती, तुम यहोवा के लिये गाओ।
आनन्दित रहो जब तुम यहोवा की सेवा करो।
    प्रसन्न गीतों के साथ यहोवा के सामने आओ।
तुम जान लो कि वह यहोवा ही परमेश्वर है।
    उसने हमें रचा है और हम उसके भक्त हैं।
    हम उसकी भेड़ हैं।
धन्यवाद के गीत संग लिये यहोवा के नगर में आओ,
    गुणगान के गीत संग लिये यहोवा के मन्दिर में आओ।
    उसका आदर करो और नाम धन्य करो।
यहोवा उत्तम है।
    उसका प्रेम सदा सर्वदा है।
    हम उस पर सदा सर्वदा के लिये भरोसा कर सकते हैं!

यूहन्ना 1:35-42

यीशु के प्रथम अनुयायी

35 अगले दिन यूहन्ना अपने दो चेलों के साथ वहाँ फिर उपस्थित था। 36 जब उसने यीशु को पास से गुजरते देखा, उसने कहा, “देखो परमेश्वर का मेमना।”

37 जब उन दोनों चेलों ने उसे यह कहते सुना तो वे यीशु के पीछे चल पड़े। 38 जब यीशु ने मुड़कर देखा कि वे पीछे आ रहे हैं तो उनसे पूछा, “तुम्हें क्या चाहिये?”

उन्होंने जवाब दिया, “रब्बी, तेरा निवास कहाँ है?” (“रब्बी” अर्थात् “गुरु।”)

39 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “आओ और देखो” और वे उसके साथ हो लिये। उन्होंने देखा कि वह कहाँ रहता है। उस दिन वे उसके साथ ठहरे क्योंकि लगभग शाम के चार बज चुके थे।

40 जिन दोनों ने यूहन्ना की बात सुनी थी और यीशु के पीछे गये थे उनमें से एक शमौन पतरस का भाई अन्द्रियास था। 41 उसने पहले अपने भाई शमौन को पाकर उससे कहा, “हमें मसीह मिल गया है।” (“मसीह” अर्थात् “ख्रीष्ट।”[a])

42 फिर अन्द्रियास शमौन को यीशु के पास ले आया। यीशु ने उसे देखा और कहा, “तू यूहन्ना का पुत्र शमौन है। तू कैफ़ा (“कैफ़ा” यानी “पतरस”) कहलायेगा।”

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