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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 41

संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक पद।

दीन का सहायक बहुत पायेगा।
    ऐसे मनुष्य पर जब विपत्ति आती है, तब यहोवा उस को बचा लेगा।
यहोवा उस जन की रक्षा करेगा और उसका जीवन बचायेगा।
    वह मनुष्य धरती पर बहुत वरदान पायेगा।
    परमेश्वर उसके शत्रुओं द्वारा उसका नाश नहीं होने देगा।
जब मनुष्य रोगी होगा और बिस्तर में पड़ा होगा,
    उसे यहोवा शक्ति देगा। वह मनुष्य बिस्तर में चाहे रोगी पड़ा हो किन्तु यहोवा उसको चँगा कर देगा!

मैंने कहा, “यहोवा, मुझ पर दया कर।
    मैंने तेरे विरद्ध पाप किये हैं, किन्तु मुझे और अच्छा कर।”
मेरे शत्रु मेरे लिये अपशब्द कह रहे हैं,
    वे कहा रहे हैं, “यह कब मरेगा और कब भुला दिया जायेगा?”
कुछ लोग मेरे पास मिलने आते हैं।
    पर वे नहीं कहते जो सचमुच सोच रहे हैं।
वे लोग मेरे विषय में कुछ पता लगाने आते
    और जब वे लौटते अफवाह फैलाते।
मेरे शत्रु छिपे छिपे मेरी निन्दायें कर रहे हैं।
    वे मेरे विरद्ध कुचक्र रच रहे हैं।
वे कहा करते हैं, “उसने कोई बुरा कर्म किया है,
    इसी से उसको कोई बुरा रोग लगा है।
    मुझको आशा है वह कभी स्वस्थ नहीं होगा।”
मेरा परम मित्र मेरे संग खाता था।
    उस पर मुझको भरोसा था। किन्तु अब मेरा परम मित्र भी मेरे विरुद्ध हो गया है।
10 सो हे यहोवा, मुझ पर कृपा कर और मुझ पर कृपालु हो।
    मुझको खड़ा कर कि मैं प्रतिशोध ले लूँ।
11 हे यहोवा, यदि तू मेरे शत्रुओं को बुरा नहीं करने देगा,
    तो मैं समझूँगा कि तूने मुझे अपना लिया है।
12 मैं निर्दोष था और तूने मेरी सहायता की।
    तूने मुझे खड़ा किया और मुझे तेरी सेवा करने दिया।

13 इस्राएल का परमेश्वर, यहोवा धन्य है!
    वह सदा था, और वह सदा रहेगा।

आमीन, आमीन!

भजन संहिता 52

संगीत निर्देशक के लिये उस समय का एक भक्ति गीत जब एदोमी दोएग ने शाऊल के पास आकर कहा था, दाऊद अबीमेलेक के घर में है।

अरे ओ, बड़े व्यक्ति।
तू क्यों शेखी बघारता है जिन बुरे कामों को तू करता है? तू परमेश्वर का अपमान करता है।
    तू बुरे काम करने को दिन भर षड़यन्त्र रचता है।
तू मूढ़ता भरी कुचक्र रचता रहता है। तेरी जीभ वैसी ही भयानक है, जैसा तेज उस्तरा होता है।
    क्यों? क्योंकि तेरी जीभ झूठ बोलती रहती है!
तुझको नेकी से अधिक बदी भाती है।
    तुझको झूठ का बोलना, सत्य के बोलने से अधिक भाता है।

तुझको और तेरी झूठी जीभ को, लोगों को हानि पहुँचाना अच्छा लगता है।
तुझे परमेश्वर सदा के लिए नष्ट कर देगा।
    वह तुझ पर झपटेगा और तुझे पकड़कर घर से बाहर करेगा। वह तुझे मारेगा और तेरा कोई भी वंशज नहीं रहेगा।

सज्जन इसे देखेंगे
    और परमेश्वर से डरना और उसका आदर करना सीखेंगे।
वे तुझ पर, जो घटा उस पर हँसेंगे और कहेंगे,
    “देखो उस व्यक्ति के साथ क्या हुआ जो यहोवा पर निर्भर नहीं था।
    उस व्यक्ति ने सोचा कि उसका धन और झूठ इसकी रक्षा करेंगे।”

किन्तु मैं परमेश्वर के मन्दिर में एक हरे जैतून के वूक्ष सा हूँ।
    परमेश्वर की करूणा का मुझको सदा—सदा के लिए भरोसा है।
हे परमेश्वर, मैं उन कामों के लिए जिनको तूने किया, स्तुति करता हूँ।
    मैं तेरे अन्य भक्तों के साथ, तेरे भले नाम पर भरोसा करूँगा!

भजन संहिता 44

संगीत निर्देशक के लिए कोरह परिवर का एक भक्ति गीत।

हे परमेश्वर, हमने तेरे विषय में सुना है।
    हमारे पूर्वजों ने उनके दिनों में जो काम तूने किये थे उनके बारे में हमें बताया।
    उन्होंने पुरातन काल में जो तूने किये हैं, उन्हें हमें बाताया।
हे परमेस्वर, तूने यह धरती अपनी महाशक्ति से पराए लोगों से ली
    और हमको दिया।
उन विदेशी लोगों को तूने कुचल दिय,
    और उनको यह धरती छोड़ देने का दबाव डाला।
हमारे पूर्वजों ने यह धरती अपने तलवारों के बल नहीं ली थी।
    अपने भुजदण्डों के बल पर विजयी नहीं हुए।
यह इसलिए हुआ था क्योंकि तू हमारे पूर्वजों के साथ था।
    हे परमेश्वर, तेरी महान शक्ति ने हमारे पूर्वजों की रक्षा की। क्योंकि तू उनसे प्रेम किया करता था!
हे मेरे परमेश्वर, तू मेरा राजा है।
    तेरे आदेशों से याकूब के लोगों को विजय मिली।
हे मेरे परमेश्वर, तेरी सहायता से, हमने तेरा नाम लेकर अपने शत्रुओं को धकेल दिया
    और हमने अपने शत्रु को कुचल दिया।
मुझे अपने धनुष और बाणों पर भरोसा नहीं।
    मेरी तलवार मुझे बचा नहीं सकती।
हे परमेश्वर, तूने ही हमें मिस्र से बचाया।
    तूने हमारे शत्रुओं को लज्जित किया।
हर दिन हम परमेश्वर के गुण गाएंगे।
    हम तेरे नाम की स्तुति सदा करेंगे।

किन्तु, हे यहोवा, तूने हमें क्यों बिसरा दिया? तूने हमको गहन लज्जा में डाला।
    हमारे साथ तू युद्ध में नहीं आया।
10 तूने हमें हमारे शत्रुओं को पीछे धकेलने दिया।
    हमारे शत्रु हमारे धन वैभव छीन ले गये।
11 तूने हमें उस भेड़ की तरह छोड़ा जो भोजन के समान खाने को होती है।
    तूने हमें राष्ट्रो के बीच बिखराया।
12 हे परमेश्वर, तूने अपने जनों को यूँ ही बेच दिया,
    और उनके मूल्य पर भाव ताव भी नहीं किया।
13 तूने हमें हमारे पड़ोसियों में हँसी का पात्र बनाया।
    हमारे पड़ोसी हमारा उपहास करते हैं, और हमारी मजाक बनाते हैं।
14 लोग हमारी भी काथा उपहास कथाओं में कहते हैं।
    यहाँ तक कि वे लोग जिनका आपना कोई राष्ट्र नहीं है, अपना सिर हिला कर हमारा उपहास करते हैं।
15 मैं लज्जा में डूबा हूँ।
    मैं सारे दिन भर निज लज्जा देखता रहता हूँ।
16 मेरे शत्रु ने मुझे लज्जित किया है।
    मेरी हँसी उड़ाते हुए मेरा शत्रु, अपना प्रतिशोध चाहता हैं।
17 हे परमेश्वर, हमने तुझको बिसराया नहीं।
    फिर भी तू हमारे साथ ऐसा करता है।
हमने जब अपने वाचा पर तेरे साथ हस्तक्षर की थी, झूठ नहीं बोला था!
18 हे परमेश्वर, हमने तो तुझसे मुख नहीं मोड़ा।
    और न ही तेरा अनुसरण करना छोड़ा है।
19 किन्तु, हे यहोवा, तूने हमें इस स्थान पर ऐसे ठूँस दिया है जहाँ गीदड़ रहते हैं।
    तूने हमें इस स्थान में जो मृत्थु की तरह अंधेरा है मूँद दिया है।
20 क्या हम अपने परमेश्वर का नाम भूले?
    क्या हम विदेशी देवों के आगे झुके? नहीं!
21 निश्चय ही, परमेश्वर इन बातों को जानता है।
    वह तो हमारे गहरे रहस्य तक जानता है।
22 हे परमेश्वर, हम तेरे लिये प्रतिदिन मारे जा रहे हैं।
    हम उन भेड़ों जैसे बने हैं जो वध के लिये ले जायी जा रहीं हैं।
23 मेरे स्वामी, उठ!
    नींद में क्यों पड़े हो? उठो!
    हमें सदा के लिए मत त्याग!
24 हे परमेश्वर, तू हमसे क्यों छिपता है?
    क्या तू हमारे दु:ख और वेदनाओं को भूल गया है?
25 हमको धूल में पटक दिया गया है।
    हम औंधे मुँह धरती पर पड़े हुए हैं।
26 हे परमेस्वर, उठ और हमको बचा ले!
    अपने नित्य प्रेम के कारण हमारी रक्षा कर!

यशायाह 48:1-11

परमेश्वर अपने जगत पर राज करता है

48 यहोवा कहता है,

“याकूब के परिवार, तू मेरी बात सुन।
    तुम लोग अपने आप को ‘इस्राएल’ कहा करते हो।
    तुम यहूदा के घराने से वचन देने के लिये यहोवा का नाम लेते हो।
तुम इस्राएल के परमेश्वर की प्रशंसा करते हो।
    किन्तु जब तुम ये बातें करते हो तो सच्चे नहीं होते हो
    और निष्ठावान नहीं रहते।

“तुम लोग अपने को पवित्र नगरी के नागरिक कहते हो।
तुम इस्राएल के परमेश्वर के भरोसे रहते हो।
    उसका नाम सर्वशक्तिमान यहोवा है।

“मैंने तुम्हें बहुत पहले उन वस्तुओं के बारे में तुम्हें बताया था जो आगे घटेंगी।
    मैंने तुम्हें उस वस्तुओं के बारे में बताया था,
    और फिर अचानक मैंने बातें घटा दीं।
मैंने इसलिए वह किया था क्योंकि मुझको ज्ञात था कि तुम बहुत जिद्दी हो।
मैंने जो कुछ भी बताया था उस पर विश्वास करने से तुमने मना किया।
    तुम बहुत जिद्दी थे, जैसे लोहे की छड़ नहीं झुकती है।
    यह बात ऐसी थी जैसे तुम्हारा सिर काँसे का बना हुआ है।
इसलिए मैंने तुमको पहले ही बता दिया था, उन सभी ऐसी बातों को जो घटने वाली हैं।
    जब वे बातें घटी थी उससे बहुत पहले मैंने तुम्हें वह बता दी थीं।
मैंने ऐसा इसलिए किया था ताकि तू कह न सके कि,
    ‘ये काम हमारे देवताओं ने किये,
    ये बातें हमारे देवताओं ने, हमारी मूर्तियों ने घटायी हैं।’”

इस्राएल को पवित्र करने के लिए परमेश्वर का ताड़ना

“तूने उन सभी बातों को जो हो चुकी हैं,
    देखा और सुना है।
    ए तुझको ये समाचार दूसरों को बताना चाहिए।
अब मैं तुझे नयी बातें बताना आरम्भ करता हूँ
    जिनको तू अभी नहीं जानता है।
ये वे बातें नहीं हैं जो पहले घट चुकी है।
ये बातें ऐसी हैं जो अब शुरू हो रही हैं।
    आज से पहले तूने ये बातें नहीं सुनी।
    सो तू नहीं कह सकता, ‘हम तो इसे पहले से ही जानते हैं।’
किन्तु तूने कभी उस पर कान नहीं दिया जो मैंने कहा।
    तूने कुछ नहीं सीखा।
    तूने मेरी कभी नहीं सुनी, किन्तु मैंने तुझे उन बातों के बारे में बताया
क्योंकि मैं जानता न था कि तू मेरे विरोध में होगा।
    अरे! तू तो विद्रोही रहा जब से तू पैदा हुआ।

“किन्तु मैं धीरज धरूँगा। ऐसा मैं अपने लिये करूँगा।
    मुझको क्रोध नहीं आया इसके लिये लोग मेरा यश गायेंगे।
मैं अपने क्रोध पर काबू करूँगा कि तुम्हारा नाश न करूँ।
    तुम मेरी बाट जोहते हुए मेरा गुण गाओगे।

10 “देख, मैं तुझे पवित्र करूँगा।
    चाँदी को शुद्ध करने के लिये लोग उसे आँच में डालते हैं!
    किन्तु मैं तुझे विपत्ति की भट्टी में डालकर शुद्ध करूँगा।
11 यह मैं स्वयं अपने लिये करूँगा!
    तू मेरे साथ ऐसे नहीं बरतेगा, जैसे मेरा महत्त्व न हो।
    किसी मिथ्या देवता को मैं अपनी प्रशंसा नहीं लेने दूँगा।

गलातियों 1:1-17

पौलुस की ओर से, जो एक प्रेरित है, जिसने एक ऐसा सेवा व्रत धारण किया है, जो उसे न तो मनुष्यों से प्राप्त हुआ है और न किसी एक मनुष्य द्वारा दिया गया है, बल्कि यीशु मसीह द्वारा उस परम पिता परमेश्वर से, जिसने यीशु मसीह को मरे हुओं में से फिर से जिला दिया था, दिया गया है। और मेरे साथ जो भाई हैं,

उन सब की ओर से गलातिया[a] क्षेत्र की कलीसियाओं के नाम:

हमारे परम पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शांति मिले। जिसने हमारे पापों के लिए अपने आप को समर्पित कर दिया ताकि इस पापपूर्ण संसार से, जिसमें हम रह रहे हैं, वह हमें छुटकारा दिला सके। हमारे परम पिता परमेश्वर की यही इच्छा है। वह सदा सर्वदा महिमावान हो आमीन!

सच्चा सुसमाचार एक ही है

मुझे अचरज है। कि तुम लोग इतनी जल्दी उस परमेश्वर से मुँह मोड़ कर, जिसने मसीह के अनुग्रह द्वारा तुम्हें बुलाया था, किसी दूसरे सुसमाचार की ओर जा रहे हो। कोई दूसरा सुसमाचार तो वास्तव में है ही नहीं, किन्तु कुछ लोग ऐसे हैं जो तुम्हें भ्रम में डाल रहे हैं और मसीह के सुसमाचार में हेर-फेर का जतन कर रहे हैं। किन्तु चाहे हम हों और चाहे कोई स्वर्गदूत, यदि तुम्हें हमारे द्वारा सुनाये गये सुसमाचार से भिन्न सुसमाचार सुनाता है तो उसे धिक्कार है। जैसा कि हम पहले कह चुके हैं, वैसा ही मैं अब फिर दोहरा रहा हूँ कि यदि चाहे हम हों, और चाहे कोई स्वर्गदूत, यदि तुम्हारे द्वारा स्वीकार किए गए सुसमाचार से भिन्न सुसमाचार सुनाता है तो उसे धिक्कार है।

10 क्या इससे तुम्हें ऐसा लगता है कि मैं मनुष्यों का समर्थन चाहता हूँ? या यह कि मुझे परमेश्वर का समर्थन मिले? अथवा क्या मैं मनुष्यों को प्रसन्न करने का जतन कर रहा हूँ? यदि मैं मनुष्यों को प्रसन्न करता तो मैं मसीह के सेवक का सा नहीं होता।

पौलुस का सुसमाचार परमेश्वर से प्राप्त है

11 हे भाईयों, मैं तुम्हें जताना चाहता हूँ कि वह सुसमाचार जिसका उपदेश तुम्हें मैंने दिया है, 12 कोई मनुष्य से प्राप्त सुसमाचार नहीं है क्योंकि न तो मैंने इसे किसी मनुष्य से पाया है और न ही किसी मनुष्य ने इसकी शिक्षा मुझे दी है। बल्कि दैवी संदेश के रूप में यह यीशु मसीह द्वारा मेरे सामने प्रकट हुआ है।

13 यहूदी धर्म में मैं पहले कैसे जीया करता था, उसे तुम सुन चुके हो, और तुम यह भी जानते हो कि मैंने परमेश्वर की कलीसिया पर कितना अत्याचार किया है और उसे मिटा डालने का प्रयास तक किया है। 14 यहूदी धर्म के पालने में मैं अपने युग के समकालीन यहूदियों से आगे था क्योंकि मेरे पूर्वजों से जो परम्पराएँ मुझे मिली थीं, उनमें मेरी उत्साहपूर्ण आस्था थी।

15 किन्तु परमेश्वर ने तो मेरे जन्म से पहले ही मुझे चुन लिया था और अपने अनुग्रह में मुझे बुला लिया था। 16 ताकि वह मुझे अपने पुत्र का ज्ञान करा दे जिससे मैं ग़ैर यहूदियों के बीच उसके सुसमाचार का प्रचार करूँ। उस समय तत्काल मैंने किसी मनुष्य से कोई राय नहीं ली। 17 और न ही मैं उन लोगों के पास यरूशलेम गया जो मुझसे पहले प्रेरित बने थे। बल्कि मैं अरब को गया और फिर वहाँ से दमिश्क लौट आया।

मरकुस 5:21-43

एक मृत लड़की और रोगी स्त्री

(मत्ती 9:18-26; लूका 8:40-56)

21 यीशु जब फिर उस पार गया तो उसके चारों तरफ एक बड़ी भीड़ जमा हो गयी। वह झील के किनारे था। तभी 22 यहूदी आराधनालय का एक अधिकारी जिसका नाम याईर था वहाँ आया और जब उसने यीशु को देखा तो वह उसके पैरों पर गिर कर 23 आग्रह के साथ विनती करता हुआ बोला, “मेरी नन्हीं सी बच्ची मरने को पड़ी है, मेरी विनती है कि तू मेरे साथ चल और अपना हाथ उसके सिर पर रख जिससे वह अच्छी हो कर जीवित रहे।”

24 तब यीशु उसके साथ चल पड़ा और एक बड़ी भीड़ भी उसके साथ हो ली। जिससे वह दबा जा रहा था।

25 वहीं एक स्त्री थी जिसे बारह बरस से लगातार खून जा रहा था। 26 वह अनेक चिकित्सकों से इलाज कराते कराते बहुत दुखी हो चुकी थी। उसके पास जो कुछ था, सब खर्च कर चुकी थी, पर उसकी हालत में कोई भी सुधार नहीं आ रहा था, बल्कि और बिगड़ती जा रही थी।

27 जब उसने यीशु के बारे में सुना तो वह भीड़ में उसके पीछे आयी और उसका वस्त्र छू लिया। 28 वह मन ही मन कह रही थी, “यदि मैं तनिक भी इसका वस्त्र छू पाऊँ तो ठीक हो जाऊँगी।” 29 और फिर जहाँ से खून जा रहा था, वह स्रोत तुरंत ही सूख गया। उसे अपने शरीर में ऐसी अनुभूति हुई जैसे उसका रोग अच्छा हो गया हो। 30 यीशु ने भी तत्काल अनुभव किया जैसे उसकी शक्ति उसमें से बाहर निकली हो। वह भीड़ में पीछे मुड़ा और पूछा, “मेरे वस्त्र किसने छुए?”

31 तब उसके शिष्यों ने उससे कहा, “तू देख रहा है भीड़ तुझे चारों तरफ़ से दबाये जा रही है और तू पूछता है ‘मुझे किसने छुआ?’”

32 किन्तु वह चारों तरफ देखता ही रहा कि ऐसा किसने किया। 33 फिर वह स्त्री, यह जानते हुए कि उसको क्या हुआ है, भय से काँपती हुई सामने आई और उसके चरणों पर गिर कर सब सच सच कह डाला। 34 फिर यीशु ने उससे कहा, “बेटी, तेरे विश्वास ने तुझे बचाया है। चैन से जा और अपनी बीमारी से बची रह।”

35 वह अभी बोल ही रहा था कि यहूदी आराधनालय के अधिकारी के घर से कुछ लोग आये और उससे बोले, “तेरी बेटी मर गयी। अब तू गुरु को नाहक कष्ट क्यों देता है?”

36 किन्तु यीशु ने, उन्होंने जो कहा था सुना और यहूदी आराधनालय के अधिकारी से वह बोला, “डर मत, बस विश्वास कर।”

37 फिर वह सब को छोड़, केवल पतरस, याकूब और याकूब के भाई यूहन्ना को साथ लेकर 38 यहूदी आराधनालय के अधिकारी के घर गया। उसने देखा कि वहाँ खलबली मची है; और लोग ऊँचे स्वर में रोते हुए विलाप कर रहे हैं। 39 वह भीतर गया और उनसे बोला, “यह रोना बिलखना क्यों है? बच्ची मरी नहीं है; वह सो रही है।” 40 इस पर उन्होंने उसकी हँसी उड़ाई।

फिर उसने सब लोगों को बाहर भेज दिया और बच्ची के पिता, माता और जो उसके साथ थे, केवल उन्हें साथ रखा। 41 उसने बच्ची का हाथ पकड़ा और कहा, “तलीता, कूमी।” (अर्थात् “छोटी बच्ची, मैं तुझसे कहता हूँ, खड़ी हो जा।”) 42 फिर छोटी बच्ची तत्काल खड़ी हो गयी और इधर उधर चलने फिरने लगी। (वह लड़की बारह साल की थी।) लोग तुरन्त आश्चर्य से भर उठे। 43 यीशु ने उन्हें बड़े आदेश दिये कि किसी को भी इसके बारे में पता न चले। फिर उसने उन लोगों से कहा कि वे उस बच्ची को खाने को कुछ दें।

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