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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 20-21

संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक पद।

तेरी पुकार का यहोवा उत्तर दे, और जब तू विपति में हो
    तो याकूब का परमेश्वर तेरे नाम को बढ़ायें।
परमेश्वर अपने पवित्रस्थान से तेरी सहायता करे।
    वह तुझको सिय्योन से सहारा देवे।
परमेश्वर तेरी सब भेंटों को याद रखे,
    और तेरे सब बलिदानों को स्वीकार करें।
परमेश्वर तुझे उन सभी वस्तुओं को देवे जिन्हें तू सचमुच चाहे।
    वह तेरी सभी योजनाएँ पूरी करें।
परमेश्वर जब तेरी सहायता करे हम अति प्रसन्न हों
    और हम परमेश्वर की बढ़ाई के गीत गायें।
जो कुछ भी तुम माँगों यहोवा तुम्हें उसे दे।

मैं अब जानता हूँ कि यहोवा सहायता करता है अपने उस राजा की जिसको उसने चुना।
    परमेश्वर तो अपने पवित्र स्वर्ग में विराजा है और उसने अपने चुने हुए राजा को, उत्तर दिया
    उस राजा की रक्षा करने के लिये परमेश्वर अपनी महाशक्ति को प्रयोग में लाता है।
कुछ को भरोसा अपने रथों पर है, और कुछ को निज सैनिकों पर भरोसा है
    किन्तु हम तो अपने यहोवा परमेश्वर को स्मरण करते हैं।
किन्तु वे लोग तो पराजित और युद्ध में मारे गये
    किन्तु हम जीते और हम विजयी रहे।

ऐसा कैसा हुआ? क्योंकि यहोवा ने अपने चुने हुए राजा की रक्षा की
    उसने परमेश्वर को पुकारा था और परमेश्वर ने उसकी सुनी।

संगीत निर्देशक को दाऊद का एक पद।

हे यहोवा, तेरी महिमा राजा को प्रसन्न करती है, जब तू उसे बचाता है।
    वह अति आनन्दित होता है।
तूने राजा को वे सब वस्तुएँ दी जो उसने चाहा,
    राजा ने जो भी पाने की विनती की हे यहोवा, तूने मन वांछित उसे दे दिया।

हे यहोवा, सचमुच तूने बहुत आशीष राजा को दी।
    उसके सिर पर तूने स्वर्ण मुकुट रख दिया।
उसने तुझ से जीवन की याचना की और तूने उसे यह दे दिया।
    परमेश्वर, तूने सदा सर्वदा के लिये राजा को अमर जीवन दिया।
तूने रक्षा की तो राजा को महा वैभव मिला।
    तूने उसे आदर और प्रशंसा दी।
हे परमेश्वर, सचमुच तूने राजा को सदा सर्वदा के लिये, आशिर्वाद दिये।
    जब राजा को तेरा दर्शन मिलता है, तो वह अति प्रसन्न होता है।
राजा को सचमुच यहोवा पर भरोसा है,
    सो परम परमेश्वर उसे निराश नहीं करेगा।
हे परमेश्वर! तू दिखा देगा अपने सभी शत्रुओं को कि तू सुदृढ़ शक्तिवान है।
    जो तुझ से घृणा करते हैं तेरी शक्ति उन्हें पराजित करेगी।
हे यहोवा, जब तू राजा के साथ होता है
    तो वह उस भभकते भाड़ सा बन जाता है,
जो सब कुछ भस्म करता है।
    उसकी क्रोधाग्नि अपने सभी बैरियों को भस्म कर देती है।
10 परमेश्वर के बैरियों के वंश नष्ट हो जायेंगे,
    धरती के ऊपर से वह सब मिटेंगे।
11 ऐसा क्यों हुआ? क्योंकि यहोवा, तेरे विरुद्ध उन लोगों ने षड़यन्त्र रचा था?
    उन्होंने बुरा करने को योजनाएँ रची थी, किन्तु वे उसमें सफल नहीं हुए।
12 किन्तु यहोवा तूने ऐसे लोगों को अपने अधीन किया, तूने उन्हें एक साथ रस्से से बाँध दिया, और रस्सियों का फँदा उनके गलों में डाला।
    तूने उन्हें उनके मुँह के बल दासों सा गिराया।

13 यहोवा के और उसकी शक्ति के गुण गाओ
    आओ हम गायें और उसके गीतों को बजायें जो उसकी गरिमा से जुड़े हुए हैं।

भजन संहिता 110

दाऊद का एक स्तुति गीत।

यहोवा ने मेरे स्वामी से कहा,
    “तू मेरे दाहिने बैठ जा, जब तक कि मैं तेरे शत्रुओं को तेरे पाँव की चौकी नहीं कर दूँ।”

तेरे राज्य के विकास में यहोवा सहारा देगा। तेरे राज्य का आरम्भ सिय्योन पर होगा,
    और उसका विकास तब तक होता रहेगा, जब तक तू अपने शत्रुओं पर उनके अपने ही देश में राज करेगा।
तेरे पराक्रम के दिन तेरी प्रजा के लोग स्वेच्छा वलि बनेंगे।
    तेरे जवान पवित्रता से सुशोभित
भोर के गर्भ से जन्मी
    ओस के समान तेरे पास है।

यहोवा ने एक वचन दिया, और यहोवा अपना मन नहीं बदलेगा: “तू नित्य याजक है।
    किन्तु हारून के परिवार समूह से नहीं।
तेरी याजकी भिन्न है।
    तू मेल्कीसेदेक के समूह की रीति का याजक है।”

मेरे स्वामी, तूने उस दिन अपना क्रोध प्रकट किया था।
    अपने महाशक्ति को काम में लिया था और दूसरे राजाओं को तूने हरा दिया था।
परमेश्वर राष्ट्रों का न्याय करेगा।
    परमेश्वर ने उस महान धरती पर शत्रुओं को हरा दिया।
    उनकी मृत देहों से धरती फट गयी थी।

राह के झरने से जल पी के ही राजा अपना सिर उठायेगा
    और सचमुच बलशाली होगा!

भजन संहिता 116-117

जब यहोवा मेरी प्रार्थनाएँ सुनता है
    यह मुझे भाता है।
जब मै सहायता पाने उसको पुकारता हूँ वह मेरी सुनता है:
    यह मुझे भाता है।
मैं लगभग मर चुका था।
    मेरे चारों तरफ मौत के रस्से बंध चुके थे। कब्र मुझको निगल रही थी।
    मैं भयभीत था और मैं चिंतित था।
तब मैंने यहोवा के नाम को पुकारा,
    मैंने कहा, “यहोवा, मुझको बचा ले।”
यहोवा खरा है और दयापूर्ण है।
    परमेश्वर करूणापूर्ण है।
यहोवा असहाय लोगों की सुध लेता है।
    मैं असहाय था और यहोवा ने मुझे बचाया।
हे मेरे प्राण, शांत रह।
    यहोवा तेरी सुधि रखता है।
हे परमेश्वर, तूने मेरे प्राण मृत्यु से बचाये।
    मेरे आँसुओं को तूने रोका और गिरने से मुझको तूने थाम लिया।
जीवितों की धरती में मैं यहोवा की सेवा करता रहूँगा।

10 यहाँ तक मैंने विश्वास बनाये रखा जब मैंने कह दिया था,
    “मैं बर्बाद हो गया!”
11 मैंने यहाँ तक विश्वास सम्भाले रखा जब कि मैं भयभीत था
    और मैंने कहा, “सभी लोग झूठे हैं!”

12 मैं भला यहोवा को क्या अर्पित कर सकता हूँ
    मेरे पास जो कुछ है वह सब यहोवा का दिया है!
13 मैं उसे पेय भेंट दूँगा
    क्योंकि उसने मुझे बचाया है।
    मैं यहोवा के नाम को पुकारूँगा।
14 जो कुछ मन्नतें मैंने मागी हैं वे सभी मैं यहोवा को अर्पित करूँगा,
    और उसके सभी भक्तों के सामने अब जाऊँगा।

15 किसी एक की भी मृत्यु जो यहोवा का अनुयायी है, यहोवा के लिये अति महत्वपूर्ण है।
    हे यहोवा, मैं तो तेरा एक सेवक हूँ!
16 मैं तेरा सेवक हूँ।
    मैं तेरी किसी एक दासी का सन्तान हूँ।
    यहोवा, तूने ही मुझको मेरे बंधनों से मुक्त किया!
17 मैं तुझको धन्यवाद बलि अर्पित करूँगा।
    मैं यहोवा के नाम को पुकारूँगा।
18 मैं यहोवा को जो कुछ भी मन्नतें मानी है वे सभी अर्पित करूँगा,
    और उसके सभी भक्तों के सामने अब जाऊँगा।
19 मैं मन्दिर में जाऊँगा
    जो यरूशलेम में है।

यहोवा के गुण गाओ!

अरे ओ सब राष्ट्रों यहोवा कि प्रशंसा करो।
    अरे ओ सब लोगों यहोवा के गुण गाओ।
परमेश्वर हमें बहुत प्रेम करता है!
    परमेश्वर हमारे प्रति सदा सच्चा रहेगा!

यहोवा के गुण गाओ!

उत्पत्ति 6:9-22

नूह और जल प्रलय

यह कहानी नूह के परिवार की है। अपने पूरे जीवन में नूह ने सदैव परमेश्वर का अनुसरण किया। 10 नूह के तीन पुत्र थे, शेम, हाम और येपेत।

11-12 परमेश्वर ने पृथ्वी पर दृष्टि की और उसने देखा कि पृथ्वी को लोगों ने बर्बाद कर दिया हैं। हर जगह हिंसा पैली हुई है। लोग पापी और भ्रष्ट हो गए है, और उन्होंने पृथ्वी पर अपना जीवन बर्बाद कर दिया है।

13 इसलिए परमेश्वर ने नूह से कहा, “सारे लोगों ने पृथ्वी को क्रोध और हिंसा से भर दिया है। इसलिए मैं सभी जीवित प्राणियों को नष्ट करूँगा। मैं उनको पृथ्वी से हटाऊँगा। 14 गोपेर की लकड़ी[a] का उपयोग करो और अपने लिए एक जहाज बनाओ। जहाज में कमरे बनाओ[b] और उसे राल से भीतर और बाहर पोत दो।

15 “जो जहाज मैं बनवाना चाहता हूँ उसका नाप तीन सौ हाथ[c] लम्बाई, पचास हाथ[d] चौड़ाई, तीस हाथ[e] ऊँचाई है। 16 जहाज के लिए छत से करीब एक हाथ नीचे एक खिड़की बनाओ[f] जहाज की बगल में एक दरवाजा बनाओ। जहाज में तीन मंजिलें बनाओ। ऊपरी मंजिल, बीच की मंजिल और नीचे की मंजिल।”

17 “तुम्हें जो बता रहा हूँ उसे समझो। मैं पृथ्वी पर बड़ा भारी जल का बाढ़ लाऊँगा। आकाश के नीचे सभी जीवों को मैं नष्ट कर दूँगा। पृथ्वी के सभी जीव मर जायेंगे। 18 किन्तु मैं तुमको बचाऊँगा। तब मैं तुम से एक विशेष वाचा करूँगा। तुम, तुम्हारे पुत्र, तुम्हारी पत्नी, तुम्हारे पुत्रों की पत्नियाँ सभी जहाज़ में सवार होगें। 19 साथ ही साथ पृथ्वी पर जीवित प्राणियों के जोड़े भी तुम्हें लाने होंगे। हर एक के नर और मादा को जहाज़ में लाओ। अपने साथ उनको जीवित रखो। 20 पृथ्वी की हर तरह की चिड़ियों के जोड़ों को भी खोजो। पृथ्वी के हर तरह के जनावरों के जोड़ों को भी खोजो। पृथ्वी पर रेंगने वाले हर एक जीव के जोड़ों को भी खोजो। पृथ्वी के हर प्रकार के जानवरों के नर और मादा तुम्हारे साथ होंगे। जहाज़ पर उन्हें जीवित रखो। 21 पृथ्वी के सभी प्रकार के भोजन भी जहाज़ पर लाओ। यह भोजन तुम्हारे लिए तथा जानवरों के लिए होगा।”

22 नूह ने यह सब कुछ किया। नूह ने परमेश्वर की सारी आज्ञाओं का पालन किया।

इब्रानियों 4:1-13

अतः जब उसकी विश्राम में प्रवेश की प्रतिज्ञा अब तक बनी हुई है तो हमें सावधान रहना चाहिए कि तुममें से कोई अनुपयुक्त सिद्ध न हो। क्योंकि हमें भी उन्हीं के समान सुसमाचार का उपदेश दिया गया है। किन्तु जो सुसंदेश उन्होंने सुना, वह उनके लिए व्यर्थ था। क्योंकि उन्होंने जब उसे सुना तो इसे विश्वास के साथ धारण नहीं किया। अब देखो, हमने, जो विश्वासी हैं, उस विश्राम में प्रवेश पाया है। जैसा कि परमेश्वर ने कहा भी है:

“मैंने क्रोध में इसी से तब शपथ लेकर कहा था,
    ‘वे कभी मेरे विश्राम में सम्मिलित नहीं होंगे।’”(A)

जब संसार की सृष्टि करने के बाद उसका काम पूरा हो गया था। उसने सातवें दिन के सम्बन्ध में इन शब्दों में कहीं शास्त्रों में कहा है, “और फिर सातवें दिन अपने सभी कामों से परमेश्वर ने विश्राम लिया।”(B) और फिर उपरोक्त सन्दर्भ में भी वह कहता है: “वे कभी मेरे विश्राम में सम्मिलित नहीं होंगे।”

जिन्हें पहले सुसन्देश सुनाया गया था अपनी अनाज्ञाकारिता के कारण वे तो विश्राम में प्रवेश नहीं पा सके किन्तु औरों के लिए विश्राम का द्वार अभी भी खुला है। इसलिए परमेश्वर ने फिर एक विशेष दिन निश्चित किया और उसे नाम दिया “आज” कुछ वर्षों के बाद दाऊद के द्वारा परमेश्वर ने उस दिन के बारे में शास्त्र में बताया था। जिसका उल्लेख हमने अभी किया है:

“यदि आज उसकी आवाज़ सुनो,
    अपने हृदय जड़ मत करो।”(C)

अतः यदि यहोशू उन्हें विश्राम में ले गया होता तो परमेश्वर बाद में किसी और दिन के विषय में नहीं बताता। तो खैर जो भी हो। परमेश्वर के भक्तों के लिए एक वैसी विश्राम रहती ही है जैसी विश्राम सातवें दिन परमेश्वर की थी। 10 क्योंकि जो कोई भी परमेश्वर की विश्राम में प्रवेश करता है, अपने कर्मों से विश्राम पा जाता है। वैसे ही जैसे परमेश्वर ने अपने कर्मों से विश्राम पा लिया। 11 सो आओ हम भी उस विश्राम में प्रवेश पाने के लिए प्रत्येक प्रयत्न करें ताकि उनकी अनाज्ञाकारिता के उदाहरण का अनुसरण करते हुए किसी का भी पतन न हो।

12 परमेश्वर का वचन तो सजीव और क्रियाशील है, वह किसी दोधारी तलवार से भी अधिक पैना है। वह आत्मा और प्राण, सन्धियों और मज्जा तक में गहरा बेध जाता है। वह मन की वृत्तियों और विचारों को परख लेता है। 13 परमेश्वर की दृष्टि से इस समूची सृष्टि में कुछ भी ओझल नहीं है। उसकी आँखों के सामने, जिसे हमें लेखा-जोखा देना है, हर वस्तु बिना किसी आवरण के खुली हुई है।

यूहन्ना 2:13-22

यीशु मन्दिर में

(मत्ती 21:12-13; मरकुस 11:15-17; लूका 19:45-46)

13 यहूदियों का फ़सह का पर्व नज़दीक था। इसलिये यीशु यरूशलेम चला गया। 14 वहाँ मन्दिर में यीशु ने देखा कि लोग मवेशियों, भेड़ों और कबूतरों की बिक्री कर रहे हैं और सिक्के बदलने वाले सौदागर अपनी गद्दियों पर बैठे हैं। 15 इसलिये उसने रस्सियों का एक कोड़ा बनाया और सबको मवेशियों और भेड़ों समेत बाहर खदेड़ दिया। मुद्रा बदलने वालों के सिक्के उड़ेल दिये और उनकी चौकियाँ पलट दीं। 16 कबूतर बेचने वालों से उसने कहा, “इन्हें यहाँ से बाहर ले जाओ। मेरे परम पिता के घर को बाजार मत बनाओ!”

17 इस पर उसके शिष्यों को याद आया कि शास्त्रों में लिखा है:

“तेरे घर के लिये मेरी धुन मुझे खा डालेगी।”(A)

18 जवाब में यहूदियों ने यीशु से कहा, “तू हमें कौन सा अद्भुत चिन्ह दिखा सकता है, जिससे तू जो कुछ कर रहा है, उसका तू अधिकारी है यह साबित हो सके?”

19 यीशु ने उन्हें जवाब में कहा, “इस मन्दिर को गिरा दो और मैं तीन दिन के भीतर इसे फिर बना दूँगा।”

20 इस पर यहूदी बोले, “इस मन्दिर को बनाने में छियालीस साल लगे थे, और तू इसे तीन दिन में बनाने जा रहा है?”

21 किन्तु अपनी बात में जिस मन्दिर की चर्चा यीशु ने की थी वह उसका अपना ही शरीर था। 22 आगे चलकर जब वह मौत के बाद फिर जी उठा तो उसके अनुयायियों को याद आया कि यीशु ने यह कहा था, और शास्त्रों पर और यीशु के शब्दों पर विश्वास किया।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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