Book of Common Prayer
संगीत निर्देशक के लिये कोरह वंशियों का एक स्तुति गीत।
1 हे यहोवा, तू अपने देश पर कृपालु हो।
विदेश में याकूब के लोग कैदी बने हैं। उन बंदियों को छुड़ाकर उनके देश में वापस ला।
2 हे यहोवा, अपने भक्तों के पापों को क्षमा कर।
तू उनके पाप मिटा दे।
3 हे यहोवा, कुपित होना त्याग।
आवेश से उन्मत मत हो।
4 हमारे परमेश्वर, हमारे संरक्षक, हम पर तू कुपित होना छोड़ दे
और फिर हमको स्वीकार कर ले।
5 क्या तू सदा के लिये हमसे कुपित रहेगा?
6 कृपा करके हमको फिर जिला दे!
अपने भक्तों को तू प्रसन्न कर दे।
7 हे यहोवा, तू हमें दिखा दे कि तू हमसे प्रेम करता है।
हमारी रक्षा कर।
8 जो परमेश्वर ने कहा, मैंने उस पर कान दिया।
यहोवा ने कहा कि उसके भक्तों के लिये वहाँ शांति होगी।
यदि वे अपने जीवन की मूर्खता की राह पर नहीं लौटेंगे तो वे शांति को पायेंगे।
9 परमेश्वर शीघ्र अपने अनुयायियों को बचाएगा।
अपने स्वदेश में हम शीघ्र ही आदर के साथ वास करेंगे।
10 परमेश्वर का सच्चा प्रेम उनके अनुयायियों को मिलेगा।
नेकी और शांति चुम्बन के साथ उनका स्वागत करेगी।
11 धरती पर बसे लोग परमेश्वर पर विश्वास करेंगे,
और स्वर्ग का परमेश्वर उनके लिये भला होगा।
12 यहोवा हमें बहुत सी उत्तम वस्तुएँ देगा।
धरती अनेक उत्तम फल उपजायेगी।
13 परमेश्वर के आगे आगे नेकी चलेगी,
और वह उसके लिये राह बनायेगी।
कोरह वंशियों का एक स्तुति गीत।
1 परमेश्वर ने यरूशलेम के पवित्र पहाड़ियों पर अपना मन्दिर बनाया।
2 यहोवा को इस्राएल के किसी भी स्थान से सिय्योन के द्वार अधिक भाते हैं।
3 हे परमेश्वर के नगर, तेरे विषय में लोग अद्भुत बातें बताते है।
4 परमेश्वर अपने लोगों की सूची रखता है। परमेश्वर के कुछ भक्त मिस्र और बाबेल में रहते है।
कुछ लोग पलिश्ती, सोर और कूश तक में रहते हैं।
5 परमेश्वर हर एक जन को
जो सिय्योन में पैदा हुए जानता है।
इस नगर को परम परमेश्वर ने बनाया है।
6 परमेश्वर अपने भक्तों की सूची रखता है।
परमेश्वर जानता है कौन कहाँ पैदा हुआ।
7 परमेश्वर के भक्त उत्सवों को मनाने यरूशलेम जाते हैं। परमेश्वर के भक्त गाते, नाचते और अति प्रसन्न रहते हैं।
वे कहा करते हैं, “सभी उत्तम वस्तुएं यरूशलेम से आई?”
एज्रा वंश के एतान का एक भक्ति गीत।
1 मैं यहोवा, की करूणा के गीत सदा गाऊँगा।
मैं उसके भक्ति के गीत सदा अनन्त काल तक गाता रहूँगा।
2 हे यहोवा, मुझे सचमुच विश्वास है, तेरा प्रेम अमर है।
तेरी भक्ति फैले हुए अम्बर से भी विस्तृत है।
3 परमेश्वर ने कहा था, “मैंने अपने चुने हुए राजा के साथ एक वाचा कीया है।
अपने सेवक दाऊद को मैंने वचन दिया है।
4 ‘दाऊद तेरे वंश को मैं सतत् अमर बनाऊँगा।
मैं तेरे राज्य को सदा सर्वदा के लिये अटल बनाऊँगा।’”
5 हे यहोवा, तेरे उन अद्भुत कर्मो की अम्बर स्तुति करते हैं।
स्वर्गदूतों की सभा तेरी निष्ठा के गीत गाते हैं।
6 स्वर्ग में कोई व्यक्ति यहोवा का विरोध नहीं कर सकता।
कोई भी देवता यहोवा के समान नहीं।
7 परमेश्वर पवित्र लोगों के साथ एकत्रित होता है। वे स्वर्गदूत उसके चारो ओर रहते हैं।
वे उसका भय और आदर करते हैं।
वे उसके सम्मान में खड़े होते हैं।
8 सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा, जितना तू समर्थ है कोई नहीं है।
तेरे भरोसे हम पूरी तरह रह सकते हैं।
9 तू गरजते समुद्र पर शासन करता है।
तू उसकी कुपित तरंगों को शांत करता है।
10 हे परमेश्वर, तूने ही राहाब को हराया था।
तूने अपने महाशक्ति से अपने शत्रु बिखरा दिये।
11 हे परमेश्वर, जो कुछ भी स्वर्ग और धरती पर जन्मी है तेरी ही है।
तूने ही जगत और जगत में की हर वस्तु रची है।
12 तूने ही सब कुछ उत्तर दक्षिण रचा है।
ताबोर और हर्मोन पर्वत तेरे गुण गाते हैं।
13 हे परमेश्वर, तू समर्थ है।
तेरी शक्ति महान है।
तेरी ही विजय है।
14 तेरा राज्य सत्य और न्याय पर आधारित है।
प्रेम और भक्ति तेरे सिंहासन के सैनिक हैं।
15 हे परमेश्वर, तेरे भक्त सचमुच प्रसन्न है।
वे तेरी करूणा के प्रकाश में जीवित रहते हैं।
16 तेरा नाम उनको सदा प्रसन्न करता है।
वे तेरे खरेपन की प्रशंसा करते हैं।
17 तू उनकी अद्भुत शक्ति है।
उनको तुमसे बल मिलता है।
18 हे यहोवा, तू हमारा रक्षक है।
इस्राएल का वह पवित्र हमारा राजा है।
19 इस्राएल तूने निज सच्चे भक्तों को दर्शन दिये और कहा,
“फिर मैंने लोगों के बीच से एक युवक को चुना,
और मैंने उस युवक को महत्वपूर्ण बना दिया, और मैंने उस युवक को बलशाली बना दिया।
20 मैंने निज सेवक दाऊद को पा लिया,
और मैंने उसका अभिषेक अपने निज विशेष तेल से किया।
21 मैंने निज दाहिने हाथ से दाऊद को सहारा दिया,
और मैंने उसे अपने शक्ति से बलवान बनाया।
22 शत्रु चुने हुए राजा को नहीं हरा सका।
दुष्ट जन उसको पराजित नहीं कर सके।
23 मैंने उसके शत्रुओं को समाप्त कर दिया।
जो लोग चुने हुए राजा से बैर रखते थे, मैंने उन्हें हरा दिया।
24 मैं अपने चुने हुए राजा को सदा प्रेम करूँगा और उसे समर्थन दूँगा।
मैं उसे सदा ही शक्तिशाली बनाऊँगा।
25 मैं अपने चुने हुए राजा को सागर का अधिकारी नियुक्त करूँगा।
नदियों पर उसका ही नियन्त्रण होगा।
26 वह मुझसे कहेगा, ‘तू मेरा पिता है।
तू मेरा परमेश्वर, मेरी चट्टान मेरा उद्धारकर्ता है।’
27 मैं उसको अपना पहलौठा पुत्र बनाऊँगा।
वह धरती पर महानतम राजा बनेगा।
28 मेरा प्रेम चुने हुए राजा की सदा सर्वदा रक्षा करेगा।
मेरी वाचा उसके साथ कभी नहीं मिटेगी।
29 उसका वंश सदा अमर बना रहेगा।
उसका राज्य जब तक स्वर्ग टिका है, तब तक टिका रहेगा।
14 याजक लोगों के सामने साक्षीपत्र का सन्दूक लेकर चले और लोगों ने यरदन नदी को पार करने के लिए डेरे को छोड़ दिया। 15 (फसल पकने के समय यरदन नदी अपने तटों को डुबा देती है। अत: नदी पूरी तरह भरी हुई थी।) सन्दूक ले चलने वाले याजक नदी के किनारे पहुँचे। उन्होंने पानी में पाँव रखा। 16 और उस समय पानी का बहना बन्द हो गया। पानी उस स्थान के पीछे बांध की तरह खड़ा हो गया। नदी के चढ़ाव की ओर लम्बी दूरी तक पानी लगातार आदाम तक (सारतान के समीप एक नगर) ऊँचा खड़ा होता चला गया। लोगों ने यरीहो के पास नदी को पार किया। 17 उस जगह की धरती सूख गई याजक यहोवा के साक्षीपत्र के सन्दूक को नदी के बीच ले जाकर रूक गये। जब इस्राएल के लोग यरदन नदी को सूखी धरती से होते हुए चल कर पार कर रहे थे, तब याजक वहाँ उनकी प्रतीक्षा में थे।
लोगों को स्मरण दिलाने के लिये शिलायें
4 जब सभी लोगों ने यरदन नदी को पार कर लिया तब यहोवा ने यहोशू से कहा, 2 “लोगों में से बारह व्यक्ति चुनों। हर एक परिवार समूह से एक व्यक्ति चुनों। 3 लोगों से कहो कि वे वहाँ नदी में देखें जहाँ याजक खड़े थे। उनसे वहाँ बारह शिलायें ढूँढ निकालने के लिए कहो। उन बारह शिलाओं को अपने साथ ले जाओ। उन बारह शिलाओं को उस स्थान पर रखो जहाँ तुम आज रात ठहरो।”
4 इसलिए यहोशू ने हर एक परिवार समूह से एक व्यक्ति चुना। तब उसने बारह व्यक्तियों को एक साथ बुलाया। 5 यहोशू ने उनसे कहा, “नदी में वहाँ तक जाओ जहाँ तुम्हारे परमेश्वर यहोवा के पवित्र वाचा का सन्दूक है। तुममें से हर एक को एक शिला की खोज करनी चाहिये। इस्राएल के बारह परिवार समूहों में से हर एक के लिए एक शिला होगी। उस शिला को अपने कंधे पर लाओ। 6 ये शिलायें तुम्हारे बीच चिन्ह होंगी। भविष्य में तुम्हारे बच्चे यह पूछेंगे, ‘इन शिलाओं का क्या महत्व है?’ 7 बच्चों से कहो कि याहोवा ने यरदन नदी में पानी का बहना बन्द कर दिया था। जब यहोवा के साथ साक्षीपत्र के पवित्र सन्दूक ने नदी को पार किया तब पानी का बहना बन्द हो गया। ये शिलायें इस्राएल के लोगों को इस घटना की सदैव याद बनाये रखने में सहायता करेंगी।”
5 प्यारे बच्चों के समान परमेश्वर का अनुकरण करो। 2 प्रेम के साथ जीओ। ठीक वैसे ही जैसे मसीह ने हमसे प्रेम किया है और अपने आप को मधुर-गंध-भेंट के रूप में, हमारे लिए परमेश्वर को अर्पित कर दिया है।
3 तुम्हारे बीच व्यभिचार और हर किसी तरह की अपवित्रता अथवा लालच की चर्चा तक नहीं चलनी चाहिए। जैसा कि संत जनों के लिए उचित ही है। 4 तुममें न तो अश्लील भाषा का प्रयोग होना चाहिए, न मूर्खतापूर्ण बातें या भद्दा हँसी ठट्टा। ये तुम्हारी अनुकूल नहीं हैं। बल्कि तुम्हारे बीच धन्यवाद ही दिये जायें। 5 क्योंकि तुम निश्चय के साथ यह जानते हो कि ऐसा कोई भी व्यक्ति जो दुराचारी है, अपवित्र है अथवा लालची है, जो एक मूर्ति पूजक होने जैसा है। मसीह के और परमेश्वर के राज्य का उत्तराधिकार नहीं पा सकता।
6 देखो, तुम्हें कोरे शब्दों से कोई छल न ले। क्योंकि इन बातों के कारण ही आज्ञा का उल्लंघन करने वालों पर परमेश्वर का कोप होने को है। 7 इसलिए उनके साथी मत बनो। 8 यह मैं इसलिए कह रहा हूँ कि एक समय था जब तुम अंधकार से भरे थे किन्तु अब तुम प्रभु के अनुयायी के रूप में ज्योति से परिपूर्ण हो। इसलिए प्रकाश पुत्रों का सा आचरण करो। 9 हर प्रकार के धार्मिकता, नेकी और सत्य में ज्योति का प्रतिफलन दिखायी देता है। 10 हर समय यह जानने का जतन करते रहो कि परमेश्वर को क्या भाता है। 11 ऐसे काम जो अधंकारपूर्ण है, उन बेकार के कामों में हिस्सा मत बटाओ बल्कि उनका भाँडा-फोड़ करो। 12 क्योंकि ऐसे काम जिन्हें वे गुपचुप करते हैं, उनके बारे में की गयी चर्चा तक लज्जा की बात है। 13 ज्योति जब प्रकाशित होती है तो सब कुछ दृश्यमान हो जाता है 14 और जो कुछ दृश्यमान हो जाता है, वह स्वयं ज्योति ही बन जाता है। इसीलिए हमारा भजन कहता है:
“अरे जाग, हे सोने वाले!
मृतकों में से जी उठ बैठ,
तेरे ही सिर स्वयं मसीह प्रकाशित होगा।”
15 इसलिए सावधानी के साथ देखते रहो कि तुम कैसा जीवन जी रहे हो। विवेकहीन का सा आचरण मत करो, बल्कि बुद्धिमान का सा आचरण करो। 16 जो हर अवसर का अच्छे कर्म करने के लिये पूरा-पूरा उपयोग करते हैं, क्योंकि ये दिन बुरे हैं 17 इसलिए मूर्ख मत बनो बल्कि यह जानो कि प्रभु की इच्छा क्या है। 18 मदिरा पान करके मतवाले मत बने रहो क्योंकि इससे कामुकता पैदा होती है। इसके विपरीत आत्मा से परिपूर्ण हो जाओ। 19 आपस में भजनों, स्तुतियों और आध्यात्मिक गीतों का, परस्पर आदानप्रदान करते रहो। अपने मन में प्रभु के लिए गीत गाते उसकी स्तुति करते रहो। 20 हर किसी बात के लिये हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम पर हमारे परमपिता परमेश्वर का सदा धन्यवाद करो।
जन्म से अन्धे को दृष्टि-दान
9 जाते हुए उसने जन्म से अंधे एक व्यक्ति को देखा। 2 इस पर यीशु के अनुयायियों ने उससे पूछा, “हे रब्बी, यह व्यक्ति अपने पापों से अंधा जन्मा है या अपने माता-पिता के?”
3 यीशु ने उत्तर दिया, “न तो इसने पाप किए हैं और न इसके माता-पिता ने बल्कि यह इसलिये अंधा जन्मा है ताकि इसे अच्छा करके परमेश्वर की शक्ति दिखायी जा सके। 4 उसके कामों को जिसने मुझे भेजा है, हमें निश्चित रूप से दिन रहते ही कर लेना चाहिये क्योंकि जब रात हो जायेगी कोई काम नहीं कर सकेगा। 5 जब मैं जगत में हूँ मैं जगत की ज्योति हूँ।”
6 इतना कहकर यीशु ने धरती पर थूका और उससे थोड़ी मिट्टी सानी उसे अंधे की आंखों पर मल दिया। 7 और उससे कहा, “जा और शीलोह के तालाब में धो आ।” (शीलोह अर्थात् “भेजा हुआ।”) और फिर उस अंधे ने जाकर आँखें धो डालीं। जब वह लौटा तो उसे दिखाई दे रहा था।
8 फिर उसके पड़ोसी और वे लोग जो उसे भीख माँगता देखने के आदी थे बोले, “क्या यह वही व्यक्ति नहीं है जो बैठा हुआ भीख माँगा करता था?”
9 कुछ ने कहा, “यह वही है,” दूसरों ने कहा, “नहीं, यह वह नहीं है, उसके जैसा दिखाई देता है।”
इस पर अंधा कहने लगा, “मैं वही हूँ।”
10 इस पर लोगों ने उससे पूछा, “तुझे आँखों की ज्योति कैसे मिली?”
11 उसने जवाब दिया, “यीशु नाम के एक व्यक्ति ने मिट्टी सान कर मेरी आँखों पर मला और मुझसे कहा, जा और शीलोह में धो आ और मैं जाकर धो आया। बस मुझे आँखों की ज्योति मिल गयी।”
12 फिर लोगों ने उससे पूछा, “वह कहाँ है?”
उसने जवाब दिया, “मुझे पता नहीं।”
आत्मिक अंधापन
35 यीशु ने सुना कि यहूदी नेताओं ने उसे धकेल कर बाहर निकाल दिया है तो उससे मिलकर उसने कहा, “क्या तू मनुष्य के पुत्र में विश्वास करता है?”
36 उत्तर में वह व्यक्ति बोला, “हे प्रभु, बताइये वह कौन है? ताकि मैं उसमें विश्वास करूँ।”
37 यीशु ने उससे कहा, “तू उसे देख चुका है और वह वही है जिससे तू इस समय बात कर रहा है।”
38 फिर वह बोला, “प्रभु, मैं विश्वास करता हूँ।” और वह नतमस्तक हो गया।
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