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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 72

दाऊद के लिये।

हे परमेश्वर, राजा की सहायता कर ताकि वह भी तेरी तरह से विवेकपूर्ण न्याय करे।
    राजपुत्र की सहायता कर ताकि वह तेरी धार्मिकता जान सके।
राजा की सहायता कर कि तेरे भक्तों का वह निष्पक्ष न्याय करें।
    सहायता कर उसकी कि वह दीन जनों के साथ उचित व्यवहार करे।
धरती पर हर कहीं शांती
    और न्याय रहे।
राजा, निर्धन लोगों के प्रति न्यायपूर्ण रहे।
    वह असहाय लोगों की सहायता करे। वे लोग दण्डित हो जो उनको सताते हो।
मेरी यह कामना है कि जब तक सूर्य आकाश में चमकता है, और चन्द्रमा आकाश में है।
    लोग राजा का भय मानें। मेरी आशा है कि लोग उसका भय सदा मानेंगे।
राजा की सहायता, धरती पर पड़ने वाली बरसात बनने में कर।
    उसकी सहायता कर कि वह खेतों में पड़ने वाली बौछार बने।
जब तक वह राजा है, भलाई फूले—फले।
    जब तक चन्द्रमा है, शांति बनी रहे।
उसका राज्य सागर से सागर तक
    तथा परात नदी से लेकर सुदूर धरती तक फैल जाये।
मरूभूमि के लोग उसके आगे झुके।
    और उसके सब शत्रु उसके आगे औधे मुँह गिरे हुए धरती पर झुकें।
10 तर्शीश का राजा और दूर देशों के राजा उसके लिए उपहार लायें।
    शेबा के राजा और सबा के राजा उसको उपहार दे।
11 सभी राजा हमारे राजा के आगे झुके।
    सभी राष्ट्र उसकी सेवा करते रहें।
12 हमारा राजा असहायों का सहायक है।
    हमारा राजा दीनों और असहाय लोगों को सहारा देता है।
13 दीन, असहाय जन उसके सहारे हैं।
    यह राजा उनको जीवित रखता है।
14 यह राजा उनको उन लोगों से बचाता है, जो क्रूर हैं और जो उनको दु:ख देना चाहते हैं।
    राजा के लिये उन दीनों का जीवन बहुत महत्वपूर्ण है।
15 राजा दीर्घायु हो!
    और शेबा से सोना प्राप्त करें।
राजा के लिए सदा प्रार्थना करते रहो,
    और तुम हर दिन उसको आशीष दो।
16 खेत भरपूर फसल दे।
    पहाड़ियाँ फसलों से ढक जायें।
ये खेत लबानोन के खेतों से उपजाऊँ हो जायें।
    नगर लोगों की भीड़ से भर जाये, जैसे खेत घनि घास से भर जाते हैं।
17 राजा का यश सदा बना रहे।
    लोग उसके नाम का स्मरण तब तक करते रहें, जब तक सूर्य चमकता है।
उसके कारण सारी प्रजा धन्य हो जाये
    और वे सभी उसको आशीष दे।

18 यहोवा परमेश्वर के गुण गाओं, जो इस्राएल का परमेश्वर है!
    वही परमेश्वर ऐसे आश्चर्यकर्म कर सकता है।
19 उसके महिमामय नाम की प्रशंस सदा करों!
    उसकी महिमा समस्त संसार में भर जाये!
आमीन और आमीन!

20 (यिशै के पुत्र दाऊद की प्रार्थनाएं समाप्त हुई।)

भजन संहिता 119:73-96

योद्

73 हे यहोवा, तूने मुझे रचा है और निज हाथों से तू मुझे सहारा देता है।
    अपने आदेशों को पढ़ने समझने में तू मेरी सहायता कर।
74 हे यहोवा, तेरे भक्त मुझे आदर देते हैं और वे प्रसन्न हैं
    क्योंकि मुझे उन सभी बातों का भरोसा है जिन्हें तू कहता है।
75 हे यहोवा, मैं यह जानता हूँ कि तेरे निर्णय खरे हुआ करते हैं।
    यह मेरे लिये उचित था कि तू मुझको दण्ड दे।
76 अब, अपने सत्य प्रेम से तू मुझ को चैन दे।
    तेरी शिक्षाएँ मुझे सचमुच भाती हैं।
77 हे यहोवा, तू मुझे सुख चैन दे और जीवन दे।
    मैं तेरी शिक्षाओं में सचमुच आनन्दित हूँ।
78 उन लोगों को जो सोचा करते है कि वे मुझसे उत्तम हैं, उनको निराश कर दे।
    क्योंकि उन्होंने मेरे विषय में झूठी बातें कही है।
    हे यहोवा, मैं तेरे आदेशों का पाठ किया करूँगा।
79 अपने भक्तों को मेरे पास लौट आने दे।
    ऐसे उन लोगों को मेरे पास लौट आने दे जिनको तेरी वाचा का ज्ञान है।
80 हे यहोवा, तू मुझको पूरी तरह अपने आदेशों को पालने दे
    ताकि मैं कभी लज्जित न होऊँ।

काफ्

81 मैं तेरी प्रतिज्ञा में मरने को तत्पर हूँ कि तू मुझको बचायेगा।
    किन्तु यहोवा, मुझको उसका भरोसा है, जो तू कहा करता था।
82 जिन बातों का तूने वचन दिया था, मैं उनकी बाँट जोहता रहता हूँ। किन्तु मेरी आँखे थकने लगी है।
    हे यहोवा, मुझे कब तू आराम देगा
83 यहाँ तक जब मैं कूड़े के ढेर पर दाखमधु की सूखी मशक सा हूँ,
    तब भी मैं तेरे विधान को नहीं भूलूँगा।
84 मैं कब तक जीऊँगा हे यहोवा, कब दण्ड देगा
    तू ऐसे उन लोगों को जो मुझ पर अत्याचार किया करते हैं
85 कुछ अहंकारी लोग ने अपनी झूठों से मुझ पर प्रहार किया था।
    यह तेरी शिक्षाओं के विरूद्ध है।
86 हे यहोवा, सब लोग तेरी शिक्षाओं के भरोसे रह सकते हैं।
    झूठे लोग मुझको सता रहे है।
    मेरी सहायता कर!
87 उन झूठे लोगों ने मुझको लगभग नष्ट कर दिया है।
    किन्तु मैंने तेरे आदेशों को नहीं छोड़ा।
88 हे यहोवा, अपनी सत्य करूणा को मुझ पर प्रकट कर।
    तू मुझको जीवन दे मैं तो वही करूँगा जो कुछ तू कहता है।

लामेद्

89 हे यहोवा, तेरे वचन सदा अचल रहते हैं। स्वर्ग में तेरे वचन सदा अटल रहते हैं।
90 सदा सर्वदा के लिये तू ही सच्चा है।
    हे यहोवा, तूने धरती रची, और यह अब तक टिकी है।
91 तेरे आदेश से ही अब तक सभी वस्तु स्थिर हैं,
    क्योंकि वे सभी वस्तुएँ तेरी दास हैं।
92 यदि तेरी शिक्षाएँ मेरी मित्र जैसी नहीं होती,
    तो मेरे संकट मुझे नष्ट कर डालते।
93 हे यहोवा, तेरे आदेशों को मैं कभी नहीं भूलूँगा।
    क्योंकि वे ही मुझे जीवित रखते हैं।
94 हे यहोवा, मैं तो तेरा हूँ, मेरी रक्षा कर।
    क्यों क्योंकि तेरे आदेशों पर चलने का मैं कठिन जतन करता हूँ।
95 दुष्ट जन मेरे विनाश का यतन किया करते हैं,
    किन्तु तेरी वाचा ने मुझे बुद्धिमान बनाया।
96 सब कुछ की सीमा है,
    तेरी व्यवस्था की सीमा नहीं।

उत्पत्ति 22:1-18

इब्राहीम, अपने पुत्र को मार डालो!

22 इन बातों के बाद परमेश्वर ने इब्राहीम के विश्वास की परीक्षा लेना तय किया। परमेश्वर ने उससे कहा, “इब्राहीम!”

और इब्राहीम ने कहा, “हाँ।”

परमेश्वर ने कहा, “अपना पुत्र लो, अपना एकलौता पुत्र, इसहाक जिससे तुम प्रेम करते हो मोरिय्याह पर जाओ, तुम उस पहाड़ पर जाना जिसे मैं तुम्हें दिखाऊँगा। वहाँ तुम अपने पुत्र को मारोगे और उसको होमबलि स्वरूप मुझे अर्पण करोगे।”

सवेरे इब्राहीम उठा और उसने गधे को तैयार किया। इब्राहीम ने इसहाक और दो नौकरों को साथ लिया। इब्राहीम ने बलि के लिए लकड़ियाँ काटकर तैयार कीं। तब वे उस जगह गए जहाँ जाने के लिए परमेश्वर ने कहा। उनकी तीन दिन की यात्रा के बाद इब्राहीम ने ऊपर देखा और दूर उस जगह को देखा जहाँ वे जा रहे थे। तब इब्राहीम ने अपने नौकरों से कहा, “यहाँ गधे के साथ ठहरो। मैं अपने पुत्र को उस जगह ले जाऊँगा और उपासना करूँगा। तब हम बाद में लौट आएंगे।”

इब्राहीम ने बलि के लिए लकड़ियाँ लीं और इन्हें पुत्र के कन्धों पर रखा। इब्राहीम ने एक विशेष छुरी और आग ली। तब इब्राहीम और उसका पुत्र दोनों उपासना के लिए उस जगह एक साथ गए।

इसहाक ने अपने पिता इब्राहीम से कहा, “पिताजी!”

इब्राहीम ने उत्तर दिया, “हाँ, पुत्र।”

इसहाक ने कहा, “मैं लकड़ी और आग तो देखता हूँ, किन्तु वह मेमना कहाँ है जिसे हम बलि के रूप में जलाएंगे?”

इब्राहीम ने उत्तर दिया, “पुत्र परमेश्वर बलि के लिए मेमना स्वयं जुटा रहा है।”

इस तरह इब्राहीम और उसका पुत्र उस जगह साथ—साथ गए। वे उस जगह पर पहुँचे जहाँ परमेश्वर ने पहुँचने को कहा था। वहाँ इब्राहीम ने एक बलि की वेदी बनाई। इब्राहीम ने वेदी पर लकड़ियाँ रखीं। तब इब्राहीम ने अपने पुत्र को बाँधा। इब्राहीम ने इसहाक को वेदी की लकड़ियों पर रखा। 10 तब इब्राहीम ने अपनी छुरी निकाली और अपने पुत्र को मारने की तैयारी की।

11 तब यहोवा के दूत ने इब्राहीम को रोक दिया। दूत ने स्वर्ग से पुकारा और कहा, “इब्राहीम, इब्राहीम।”

इब्राहीम ने उत्तर दिया, “हाँ।”

12 दूत ने कहा, “तुम अपने पुत्र को मत मारो अथवा उसे किसी प्रकार की चोट न पहुँचाओ। मैंने अब देख लिया कि तुम परमेश्वर का आदर करते हो और उसकी आज्ञा मानते हो। मैं देखता हूँ कि तुम अपने एक लौते पुत्र को मेरे लिए मारने के लिए तैयार हो।”

13 इब्राहीम ने ऊपर दृष्टि की और एक मेढ़े को देखा। मेढ़े के सींग एक झाड़ी में फँस गए थे। इसलिए इब्राहीम वहाँ गया, उसे पकड़ा और उसे मार डाला। इब्राहीम ने मेढ़े को अपने पुत्र के स्थान पर बलि चढ़ाया। इब्राहीम का पुत्र बच गया। 14 इसलिए इब्राहीम ने उस जगह का नाम “यहोवा यिरे”[a] रखा। आज भी लोग कहते हैं, “इस पहाड़ पर यहोवा को देखा जा सकता है।”

15 यहोवा के दूत ने स्वर्ग से इब्राहीम को दूसरी बार पुकारा। 16 दूत ने कहा, “तुम मेरे लिए अपने पुत्र को मारने के लिए तैयार थे। यह तुम्हारा एकलौता पुत्र था। तुमने मेरे लिए ऐसा किया है इसलिए मैं, यहोवा तुमको वचन देता हूँ कि, 17 मैं तुम्हें निश्चय ही आशीर्वाद दूँगा। मैं तुम्हें उतने वंशज दूँगा जितने आकाश में तारे हैं। ये इतने अधिक लोग होंगे जितने समुद्र के तट पर बालू के कण और तुम्हारे लोग अपने सभी शत्रुओं को हराएंगे। 18 संसार के सभी राष्ट्र तुम्हारे परिवार के द्वारा आशीर्वाद पाएंगे।[b] मैं यह इसलिए करूँगा क्योंकि तुमने मेरी आज्ञा का पालन किया।”

इब्रानियों 11:23-31

23 विश्वास के आधार पर ही, मूसा के माता-पिता ने, मूसा के जन्म के बाद उसे तीन महीने तक छुपाए रखा क्योंकि उन्होंने देख लिया था कि वह कोई सामान्य बालक नहीं था और वे राजा की आज्ञा से नहीं डरे।

24 विश्वास से ही, मूसा जब बड़ा हुआ तो उसने फिरौन की पुत्री का बेटा कहलाने से इन्कार कर दिया। 25 उसने पाप के क्षणिक सुख भोगों की अपेक्षा परमेश्वर के संत जनों के साथ दुर्व्यवहार झेलना ही चुना। 26 उसने मसीह के लिए अपमान झेलने को मिस्र के धन भंडारों की अपेक्षा अधिक मूल्यवान माना क्योंकि वह अपना प्रतिफल पाने की बाट जोह रहा था।

27 विश्वास के कारण ही, राजा के कोप से न डरते हुए उसने मिस्र का परित्याग कर दिया; वह डटा रहा, मानो उसे अदृश्य परमेश्वर दिख रहा हो। 28 विश्वास से ही, उसने फसह पर्व और लहू छिड़कने का पालन किया, ताकि पहली संतानों का विनाश करने वाला, इस्राएल की पहली संतान को छू तक न पाए।

29 विश्वास के कारण ही, लोग लाल सागर से ऐसे पार हो गए जैसे वह कोई सूखी धरती हो। किन्तु जब मिस्र के लोगों ने ऐसा करना चाहा तो वे डूब गए।

30 विश्वास के कारण ही, यरिहो का नगर-परकोटा लोगों के सात दिन तक उसके चारों ओर परिक्रमा कर लेने के बाद ढह गया।

31 विश्वास के कारण ही, राहब नाम की वेश्या आज्ञा का उल्लंघन करने वालों के साथ नहीं मारी गयी थी क्योंकि उसने गुप्तचरों का स्वागत सत्कार किया था।

यूहन्ना 6:52-59

52 फिर यहूदी लोग आपस में यह कहते हुए बहस करने लगे, “यह अपना शरीर हमें खाने को कैसे दे सकता है?”

53 इस पर यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम्हें सत्य बताता हूँ जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का शरीर नहीं खाओगे और उसका लहू नहीं पिओगे तब तक तुममें जीवन नहीं होगा। 54 जो मेरा शरीर खाता रहेगा और मेरा लहू पीता रहेगा, अनन्त जीवन उसी का है। अन्तिम दिन मैं उसे फिर जीवित करूँगा। 55 मेरा शरीर सच्चा भोजन है और मेरा लहू ही सच्चा पेय है। 56 जो मेरे शरीर को खाता रहता है, और लहू को पीता रहता है वह मुझमें ही रहता है, और मैं उसमें।

57 “बिल्कुल वैसे ही जैसे जीवित पिता ने मुझे भेजा है और मैं परम पिता के कारण ही जीवित हूँ, उसी तरह वह जो मुझे खाता रहता है मेरे ही कारण जीवित रहेगा। 58 यही वह रोटी है जो स्वर्ग से उतरी है। यह वैसी नहीं है जैसी हमारे पूर्वजों ने खायी थी। और बाद में वे मर गये थे। जो इस रोटी को खाता रहेगा, सदा के लिये जीवित रहेगा।”

59 यीशु ने ये बातें कफरनहूम के आराधनालय में उपदेश देते हुए कहीं।

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