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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 50

आसाप के भक्ति गीतों में से एक पद।

ईश्वरों के परमेश्वर यहोवा ने कहा है,
    पूर्व से पश्चिम तक धरती के सब मनुष्यों को उसने बुलाया।
सिय्योन से परमेश्वर की सुन्दरता प्रकाशित हो रही है।
हमारा परमेश्वर आ रहा है, और वह चुप नही रहेगा।
    उसके सामने जलती ज्वाला है,
    उसको एक बड़ा तूफान घेरे हुए है।
हमारा परमेश्वर आकाश और धरती को पुकार कर
    अपने निज लोगों को न्याय करने बुलाता है।
“मेरे अनुयायियों, मेरे पास जुटों।
    मेरे उपासकों आओ हमने आपस में एक वाचा किया है।”

परमेश्वर न्यायाधीश है,
    आकाश उसकी धार्मिकता को घोषित करता है।

परमेश्वर कहता है, “सुनों मेरे भक्तों!
    इस्राएल के लोगों, मैं तुम्हारे विरूद्ध साक्षी दूँगा।
    मैं परमेश्वर हूँ, तुम्हारा परमेश्वर।
मुझको तुम्हारी बलियों से शिकायत नहीं।
    इस्राएल के लोगों, तुम सदा होमबलियाँ मुझे चढ़ाते रहो। तुम मुझे हर दिन अर्पित करो।
मैं तेरे घर से कोई बैल नहीं लूँगा।
    मैं तेरे पशु गृहों से बकरें नहीं लूँगा।
10 मुझे तुम्हारे उन पशुओं की आवश्यकता नहीं। मैं ही तो वन के सभी पशुओं का स्वामी हूँ।
    हजारों पहाड़ों पर जो पशु विचरते हैं, उन सब का मैं स्वामी हूँ।
11 जिन पक्षियों का बसेरा उच्चतम पहाड़ पर है, उन सब को मैं जानता हूँ।
    अचलों पर जो भी सचल है वे सब मेरे ही हैं।
12 मैं भूखा नहीं हूँ! यदि मैं भूखा होता, तो भी तुमसे मुझे भोजन नहीं माँगना पड़ता।
    मैं जगत का स्वामी हूँ और उसका भी हर वस्तु जो इस जगत में है।
13 मैं बैलों का माँस खाया नहीं करता हूँ।
बकरों का रक्त नहीं पीता।”

14 सचमुच जिस बलि की परमेश्वर को अपेक्षा है, वह तुम्हारी स्तुति है। तुम्हारी मनौतियाँ उसकी सेवा की हैं।
    सो परमेश्वर को निज धन्यवाद की भेटें चढ़ाओ। उस सर्वोच्च से जो मनौतियाँ की हैं उसे पूरा करो।
15 “इस्राएल के लोगों, जब तुम पर विपदा पड़े, मेरी प्रार्थना करो,
    मैं तुम्हें सहारा दूँगा। तब तुम मेरा मान कर सकोगे।”

16 दुष्ट लोगों से परमेश्वर कहता है,
    “तुम मेरी व्यवस्था की बातें करते हो,
    तुम मेरे वाचा की भी बातें करते हो।
17 फिर जब मैं तुमको सुधारता हूँ, तब भला तुम मुझसे बैर क्यों रखते हो।
    तुम उन बातों की उपेक्षा क्यों करते हो जिन्हें मैं तुम्हें बताता हूँ?
18 तुम चोर को देखकर उससे मिलने के लिए दौड़ जाते हो,
    तुम उनके साथ बिस्तर में कूद पड़ते हो जो व्यभिचार कर रहे हैं।
19 तुम बुरे वचन और झूठ बोलते हो।
20 तुम दूसरे लोगों की यहाँ तक की
    अपने भाईयों की निन्दा करते हो।
21 तुम बुरे कर्म करते हो, और तुम सोचते हो मुझे चुप रहना चाहिए।
    तुम कुछ नहीं कहते हो और सोचते हो कि मुझे चुप रहना चहिए।
देखो, मैं चुप नहीं रहूँगा, तुझे स्पष्ट कर दूँगा।
    तेरे ही मुख पर तेरे दोष बताऊँगा।
22 तुम लोग परमेश्वर को भूल गये हो।
    इसके पहले कि मैं तुम्हे चीर दूँ, अच्छी तरह समझ लो।
जब वैसा होगा कोई भी व्यक्ति तुम्हें बचा नहीं पाएगा!
23 यदि कोई व्यक्ति मेरी स्तुति और धन्यवादों की बलि चढ़ाये, तो वह सचमुच मेरा मान करेगा।
    यदि कोई व्यक्ति अपना जीवन बदल डाले तो उसे मैं परमेश्वर की शक्ति दिखाऊँगा जो बचाती है।”

भजन संहिता 59-60

संगीत निर्देशक के लिये “नाश मत कर” धुन पर दाऊद का उस समय का एक भक्ति गीत जब शाऊल ने लोगों को दाऊद के घर पर निगरानी रखते हुए उसे मार डालने की जुगत करने के लिये भेजा था।

हे परमेश्वर, तू मुझको मेरे शत्रुओं से बचा ले।
    मेरी सहायता उनसे विजयी बनने में कर जो मेरे विरूद्ध में युद्ध करने आये हैं।
ऐसे उन लोगों से, तू मुझको बचा ले।
    तू उन हत्यारों से मुझको बचा ले जो बुरे कामों को करते रहते हैं।
देख! मेरी घात में बलवान लोग हैं।
    वे मुझे मार डालने की बाट जोह रहे हैं।
    इसलिए नहीं कि मैंने कोई पाप किया अथवा मुझसे कोई अपराध बन पड़ा है।
वे मेरे पीछे पड़े हैं, किन्तु मैंने कोई भी बुरा काम नहीं किया है।
    हे यहोवा, आ! तू स्वयं अपने आप देख ले!
हे परमेश्वर! इस्राएल के परमेश्वर! तू सर्वशक्ति शाली है।
    तू उठ और उन लोगों को दण्डित कर।
उन विश्वासघातियों उन दुर्जनों पर किंचित भी दया मत दिखा।

वे दुर्जन साँझ के होते ही
    नगर में घुस आते हैं।
    वे लोग गुरर्ते कुत्तों से नगर के बीच में घूमते रहते हैं।
तू उनकी धमकियों और अपमानों को सुन।
    वे ऐसी क्रूर बातें कहा करते हैं।
    वे इस बात की चिंता तक नहीं करते कि उनकी कौन सुनता है।

हे यहोवा, तू उनका उपहास करके
    उन सभी लोगों को मजाक बना दे।
हे परमेश्वर, तू मेरी शक्ति है। मैं तेरी बाट जोह रहा हूँ।
    हे परमेश्वर, तू ऊँचे पहाड़ों पर मेरा सुरक्षा स्थान है।
10 परमेश्वर, मुझसे प्रेम करता है, और वह जीतने में मेरा सहाय होगा।
    वह मेरे शत्रुओं को पराजित करने में मेरी सहायता करेगा।
11 हे परमेश्वर, बस उनको मत मार डाल। नहीं तो सम्भव है मेरे लोग भूल जायें।
    हे मेरे स्वमी और संरक्षक, तू अपनी शक्ति से उनको बिखेर दे और हरा दे।
12 वे बुरे लोग कोसते और झूठ बोलते रहते हैं।
    उन बुरी बातों का दण्ड उनको दे, जो उन्होंने कही हैं।
    उनको अपने अभिमान में फँसने दे।
13 तू अपने क्रोध से उनको नष्ट कर।
    उन्हें पूरी तरह नष्ट कर!
लोग तभी जानेंगे कि परमेश्वर, याकूब के लोगों का और वह सारे संसर का राजा है।

14 फिर यदि वे लोग शाम को
    इधर—उधर घूमते गुरर्तें कुत्तों से नगर में आवें,
15 तो वे खाने को कोई वस्तु ढूँढते फिरेंगे,
    और खाने को कुछ भी नहीं पायेंगे और न ही सोने का कोई ठौर पायेंगे।
16 किन्तु मैं तेरी प्रशंसा के गीत गाऊँगा।
    हर सुबह मैं तेरे प्रेम में आनन्दित होऊँगा।
क्यों क्योंकि तू पर्वतों के ऊपर मेरा शरणस्थल है।
    मैं तेरे पास आ सकता हूँ, जब मुझे विपत्तियाँ घेरेंगी।
17 मैं अपने गीतों को तेरी प्रशंसा में गाऊँगा
    क्योंकि पर्वतों के ऊपर मेरा शरणस्थल है।
    तू परमेश्वर है, जो मुझको प्रेम करता है!

संगीत निर्देशक के लिये “वाचा की कुमुदिनी धुन” पर उस समय का दाऊद का एक उपदेश गीत जब दाऊद ने अरमहरैन और अरमसोबा से युद्ध किया तथा जब योआब लौटा और उसने नमक की घाटी में बारह हजार स्वामी सैनिकों को मार डाला।

हे परमेश्वर, तूने हमको बिसरा दिया।
    तूने हमको विनष्ट कर दिया। तू हम पर कुपित हुआ।
    तू कृपा करके वापस आ।
तूने धरती कँपाई और उसे फाड़ दिया।
    हमारा जगत बिखर रहा,
    कृपया तू इसे जोड़।
तूने अपने लोगों को बहुत यातनाएँ दी है।
    हम दाखमधु पिये जन जैसे लड़खड़ा रहे और गिर रहे हैं।
तूने उन लोगों को ऐसे चिताया, जो तुझको पूजते हैं।
    वे अब अपने शत्रु से बच निकल सकते हैं।

तू अपने महाशक्ति का प्रयोग करके हमको बचा ले!
    मेरी प्रार्थना का उतर दे और उस जन को बचा जो तुझको प्यारा है!

परमेश्वर ने अपने मन्दिर में कहा:
    “मेरी विजय होगी और मैं विजय पर हर्षित होऊँगा।
मैं इस धरती को अपने लोगों के बीच बाँटूंगा।
    मैं शकेम और सुक्कोत
    घाटी का बँटवारा करूँगा।
गिलाद और मनश्शे मेरे बनेंगे।
    एप्रेम मेरे सिर का कवच बनेगा।
    यहूदा मेरा राजदण्ड बनेगा।
मैं मोआब को ऐसा बनाऊँगा, जैसा कोई मेरे चरण धोने का पात्र।
    एदोम एक दास सा जो मेरी जूतियाँ उठता है।
    मैं पलिश्ती लोगों को पराजित करूँगा और विजय का उद्धोष करूँगा।”

9-10 कौन मुझे उसके विरूद्ध युद्ध करने को सुरक्षित दृढ़ नगर में ले जायेगा मुझे कौन एदोम तक ले जायेगा
    हे परमेश्वर, बस तू ही यह करने में मेरी सहायता कर सकता है।
किन्तु तूने तो हमको बिसरा दिया! परमेश्वर हमारे साथ में नहीं जायेगा!
    और वह हमारी सेना के साथ नहीं जायेगा।
11 हे परमेश्वर, तू ही हमको इस संकट की भूमि से उबार सकता है!
    मनुष्य हमारी रक्षा नहीं कर सकते!
12 किन्तु हमें परमेश्वर ही मजबूत बना सकता है।
    परमेश्वर हमारे शत्रुओं को परजित कर सकता है!

भजन संहिता 114-115

इस्राएल ने मिस्र छोड़ा।
    याकूब (इस्राएल) ने उस अनजान देश को छोड़ा।
उस समय यहूदा परमेश्वर का विशेष व्यक्ति बना,
    इस्राएल उसका राज्य बन गया।
इसे लाल सागर देखा, वह भाग खड़ा हुआ।
    यरदन नदी उलट कर बह चली।
पर्वत मेंढ़े के समान नाच उठे!
    पहाड़ियाँ मेमनों जैसी नाची।

हे लाल सागर, तू क्यों भाग उठा हे यरदन नदी,
    तू क्यों उलटी बही
पर्वतों, क्यों तुम मेंढ़े के जैसे नाचे
    और पहाड़ियों, तुम क्यों मेमनों जैसी नाची

यकूब के परमेश्वर, स्वामी यहोवा के सामने धरती काँप उठी।
परमेश्वर ने ही चट्टानों को चीर के जल को बाहर बहाया।
    परमेश्वर ने पक्की चट्टान से जल का झरना बहाया था।

यहोवा! हमको कोई गौरव ग्रहण नहीं करना चाहिये।
गौरव तो तेरा है।
    तेरे प्रेम और निष्ठा के कारण गौरव तेरा है।
राष्ट्रों को क्यों अचरज हो कि
    हमारा परमेश्वर कहाँ है?
परमेश्वर स्वर्ग में है।
    जो कुछ वह चाहता है वही करता रहता है।
उन जातियों के “देवता” बस केवल पुतले हैं जो सोने चाँदी के बने है।
    वह बस केवल पुतले हैं जो किसी मानव ने बनाये।
उन पुतलों के मुख है, पर वे बोल नहीं पाते।
    उनकी आँखे हैं, पर वे देख नहीं पाते।
उनके कान हैं, पर वे सुन नहीं सकते।
    उनकी पास नाक है, किन्तु वे सूँघ नहीं पाते।
उनके हाथ हैं, पर वे किसी वस्तु को छू नहीं सकते,
    उनके पास पैर हैं, पर वे चल नहीं सकते।
    उनके कंठो से स्वर फूटते नहीं हैं।
जो व्यक्ति इस पुतले को रखते
    और उनमें विश्वास रखते हैं बिल्कुल इन पुतलों से बन जायेंगे!

ओ इस्राएल के लोगों, यहोवा में भरोसा रखो!
    यहोवा इस्राएल को सहायता देता है और उसकी रक्षा करता है
10 ओ हारुन के घराने, यहोवा में भरोसा रखो!
    हारुन के घराने को यहोवा सहारा देता है, और उसकी रक्षा करता है।
11 यहोवा की अनुयायिओं, यहोवा में भरोसा रखे!
    यहोवा सहारा देता है और अपने अनुयायिओं की रक्षा करता है।

12 यहोवा हमें याद रखता है।
    यहोवा हमें वरदान देगा,
यहोवा इस्राएल को धन्य करेगा।
    यहोवा हारून के घराने को धन्य करेगा।
13 यहोवा अपने अनुयायिओं को, बड़ोंको
    और छोटों को धन्य करेगा।

14 मुझे आशा है यहोवा तुम्हारी बढ़ोतरी करेगा
    और मुझे आशा है, वह तुम्हारी संतानों को भी अधिकाधिक देगा।
15 यहोवा तुझको वरदान दिया करता है!
    यहोवा ने ही स्वर्ग और धरती बनाये हैं!
16 स्वर्ग यहोवा का है।
    किन्तु धरती उसने मनुष्यों को दे दिया।
17 मरे हुए लोग यहोवा का गुण नहीं गाते।
    कब्र में पड़े लोग यहोवा का गुणगान नहीं करते।
18 किन्तु हम यहोवा का धन्यवाद करते हैं,
    और हम उसका धन्यवाद सदा सदा करेंगे!

यहोवा के गुण गाओ!

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कुलुस्सियों 2:8-23

ध्यान रखो कि तुम्हें अपने उन भौतिक विचारों और खोखले प्रपंच से कोई धोखा न दे जो मानवीय परम्परा से प्राप्त होते हैं, जो ब्रह्माण्ड को अनुशासित करने वाली आत्माओं की देन है, न कि मसीह की। क्योंकि परमेश्वर अपनी सम्पूर्णता के साथ सदैव उसी में निवास करता है। 10 और उसी में स्थित होकर तुम परिपूर्ण बने हो। वह हर शासक और अधिकारी का शिरोमणि है।

11 तुम्हारा ख़तना भी उसी में हुआ है। यह ख़तना मनुष्य के हाथों से सम्पन्न नहीं हुआ, बल्कि यह ख़तना जब तुम्हें तुम्हारी पापपूर्ण मानव प्रकृति के प्रभाव से छुटकारा दिला दिया गया था तब मसीह के द्वारा सम्पन्न हुआ। 12 यह इसलिए हुआ कि जब तुम्हें बपतिस्मा में उसके साथ गाड़ दिया गया तो जिस परमेश्वर ने उसे मरे हुओं के बीच से जिला दिया था, उस परमेश्वर के कार्य में तुम्हारे विश्वास के कारण, उसी के साथ तुम्हें भी पुनःजीवित कर दिया गया।

13 अपने पापों और अपने ख़तना रहित शरीर के कारण तुम मरे हुए थे किन्तु तुम्हें परमेश्वर ने मसीह के साथ-साथ जीवन प्रदान किया तथा हमारे सब पापों को मुक्त रूप से क्षमा कर दिया। 14 परमेश्वर ने उस अभिलेख को हमारे बीच में से हटा दिया जिसमें उन विधियों का उल्लेख किया गया था जो हमारे प्रतिकूल और हमारे विरुद्ध था। उसने उसे कीलों से क्रूस पर जड़कर मिटा दिया है। 15 परमेश्वर ने क्रूस के द्वारा आध्यात्मिक शासकों और अधिकारियों को साधन विहीन कर दिया और अपने विजय अभियान में बंदियों के रूप में अपने पीछे-पीछे चलाया।

मनुष्य की शिक्षा और उसके बनाये नियमों पर मत चलो

16 इसलिए खाने पीने की वस्तुओं अथवा पर्वो, नये चाँद के पर्वों, या सब्त के दिनों को लेकर कोई तुम्हारी आलोचना न करे। 17 ये तो, जो बातें आने वाली हैं, उनकी छाया है। किन्तु इस छाया की वास्तविक काया तो मसीह की ही है। 18 कोई व्यक्ति जो अपने आप को प्रताड़ित करने के कर्मो या स्वर्गदूतों की उपासना के कामों में लगा हुआ हो, उसे तुम्हें तुम्हारे प्रतिफल को पाने में बाधक नहीं बनने देना चाहिए। ऐसा व्यक्ति सदा ही उन दिव्य दर्शनों की डींगे मारता रहता है जिन्हें उसने देखा है और अपने दुनियावी सोच की वजह से झूठे अभिमान से भरा रहता है। 19 वह अपने आपको मसीह के अधीन नहीं रखता जो प्रमुख है जो जोड़ों और नसों से समर्थित होकर सारी देह का उपकार करता है, और जिससे आध्यात्मिक विकास का अनुभव होता है। 20 क्योंकि तुम मसीह के साथ मर चुके हो और तुम्हें संसार की बुनियादी शिक्षाओं से छुटकारा दिलाया जा चुका है। तो इस तरह का आचरण क्यों करते हो जैसे तुम इस दुनिया के हो और ऐसे नियमों का पालन करते हो जैसे: 21 “इसे हाथ मत लगाओ,” “इसे चखो मत” या “इसे छुओ मत?” 22 ये सब वस्तुएँ तो काम में आते-आते नष्ट हो जाने के लिये हैं। ऐसे आचार व्यवहारों की अधीनता स्वीकार करके तो तुम मनुष्य के बनाये आचार व्यवहारों और शिक्षाओं का ही अनुसरण कर रहे हो। 23 मनमानी उपासना, अपने शरीर को प्रताड़ित करने और अपनी काया को कष्ट देने से सम्बन्धित ये नियम बुद्धि पर आधारित प्रतीत होते हैं पर वास्तव में इन मूल्यों का कोई नियम नहीं है। ये नियम तो वास्तव में लोगों को उनकी पापपूर्ण मानव प्रकृति में लगा डालते हैं।

लूका 6:39-49

39 उसने उनसे एक दृष्टान्त कहा, “क्या कोई अन्धा किसी दूसरे अन्धे को राह दिखा सकता है? क्या वे दोनों ही किसी गढ़े में नहीं जा गिरेंगे? 40 कोई भी विद्यार्थी अपने पढ़ाने वाले से बड़ा नहीं हो सकता, किन्तु जब कोई व्यक्ति पूरी तरह कुशल हो जाता है तो वह अपने गुरु के समान बन जाता है।

41 “तू अपने भाई की आँख में कोई तिनके को क्यों देखता है और अपनी आँख का लट्ठा भी तुझे नहीं सूझता? 42 सो अपने भाई से तू कैसे कह सकता है: ‘बंधु, तू अपनी आँख का तिनका मुझे निकालने दे।’ जब तू अपनी आँख के लट्ठे तक को नहीं देखता! अरे कपटी, पहले अपनी आँख का लट्ठा दूर कर, तब तुझे अपने भाई की आँख का तिनका बाहर निकालने के लिये दिखाई दे पायेगा।

दो प्रकार के फल

(मत्ती 7:17-20; 12:34-35)

43 “कोई भी ऐसा उत्तम पेड़ नहीं है जिस पर बुरा फल लगता हो। न ही कोई ऐसा बुरा पेड़ है, जिस पर उत्तम फल लगता हो। 44 हर पेड़ अपने फल से ही जाना जाता है। लोग कँटीली झाड़ी से अंजीर नहीं बटोरते। न ही किसी झड़बेरी से लोग अंगूर उतारते हैं। 45 एक अच्छा मनुष्य उसके मन में अच्छाइयों का जो खजाना है, उसी से अच्छी बातें उपजाता है। और एक बुरा मनुष्य, जो उसके मन में बुराई है, उसी से बुराई पैदा करता है। क्योंकि एक मनुष्य मुँह से वही बोलता है, जो उसके हृदय से उफन कर बाहर आता है।

दो प्रकार के लोग

(मत्ती 7:24-27)

46 “तुम मुझे ‘प्रभु, प्रभु’ क्यों कहते हो और जो मैं कहता हूँ, उस पर नहीं चलते? 47 हर कोई जो मेरे पास आता है और मेरा उपदेश सुनता है और उस का आचरण करता है, वह किस प्रकार का होता है, मैं तुम्हें बताऊँगा। 48 वह उस व्यक्ति के समान है जो मकान बना रहा है। उसने गहरी खुदाई की और चट्टान पर नींव डाली। फिर जब बाढ़ आयी और जल की धाराएं उस मकान से टकराईं तो यह उसे हिला तक न सकीं, क्योंकि वह बहुत अच्छी तरह बना हुआ था।

49 “किन्तु जो मेरा उपदेश सुनता है और उस पर चलता नहीं, वह उस व्यक्ति के समान है जिसने बिना नींव की धरती पर मकान बनाया। जल की धाराएं उससे टकराईं और वह तुरन्त ढह गया और पूरी तरह तहस-नहस हो गया।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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