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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 16-17

दाऊद का एक गीत।

हे परमेश्वर, मेरी रक्षा कर, क्योंकि मैं तुझ पर निर्भर हूँ।
मेरा यहोवा से निवेदन है, “यहोवा,
    तू मेरा स्वामी है।
    मेरे पास जो कुछ उत्तम है वह सब तुझसे ही है।”
यहोवा अपने लोगों की धरती
    पर अद्भुत काम करता है।
    यहोवा यह दिखाता है कि वह सचमुच उनसे प्रेम करता है।

किन्तु जो अन्य देवताओं के पीछे उन की पूजा के लिये भागते हैं, वे दु:ख उठायेंगे।
    उन मूर्तियों को जो रक्त अर्पित किया गया, उनकी उन बलियों में मैं भाग नहीं लूँगा।
    मैं उन मूर्तियों का नाम तक न लूँगा।
नहीं, बस मेरा भाग यहोवा में है।
    बस यहोवा से ही मेरा अंश और मेरा पात्र आता है।
    हे यहोवा, मुझे सहारा दे और मेरा भाग दे।
मेरा भाग अति अद्भुत है।
    मेरा क्षय अति सुन्दर है।
मैं यहोवा के गुण गात हूँ क्योंकि उसने मुझे ज्ञान दिया।
    मेरे अन्तर्मन से रात में शिक्षाएं निकल कर आती हैं।

मैं यहोवा को सदैव अपने सम्मुख रखता हूँ,
    और मैं उसका दक्षिण पक्ष कभी नहीं छोडूँगा।
इसी से मेरा मन और मेरी आत्मा अति आनन्दित होगी
    और मेरी देह तक सुरक्षित रहेगी।
10 क्योंकि, यहोवा, तू मेरा प्राण कभी भी मृत्यु के लोक में न तजेगा।
    तू कभी भी अपने भक्त लोगों का क्षय होता नहीं देखेगा।
11 तू मुझे जीवन की नेक राह दिखायेगा।
    हे यहोवा, तेरा साथ भर मुझे पूर्ण प्रसन्नता देगा।
    तेरे दाहिने ओर होना सदा सर्वदा को आन्नद देगा।

दाऊद का प्रार्थना गीत।

हे यहोवा, मेरी प्रार्थना न्याय के निमित्त सुन।
    मैं तुझे ऊँचे स्वर से पुकार रहा हूँ।
मैं अपनी बात ईमानदारी से कह रहा हूँ।
    सो कृपा करके मेरी प्रार्थना सुन।
यहोवा तू ही मेरा उचित न्याय करेगा।
    तू ही सत्य को देख सकता है।
मेरा मन परखने को तूने उसके बीच
    गहरा झाँक लिया है।
तू मेरे संग रात भर रहा, तूने मुझे जाँचा, और तुझे मुझ में कोई खोट न मिला।
    मैंने कोई बुरी योजना नहीं रची थी।
तेरे आदेशों को पालने में मैंने कठिन यत्न किया
    जितना कि कोई मनुष्य कर सकता है।
मैं तेरी राहों पर चलता रहा हूँ।
    मेरे पाँव तेरे जीवन की रीति से नहीं डिगे।
हे परमेश्वर, मैंने हर किसी अवसर पर तुझको पुकारा है और तूने मुझे उत्तर दिया है।
    सो अब भी तू मेरी सुन।
हे परमेश्वर, तू अपने भक्तों की सहायता करता है।
    उनकी जो तेरे दाहिने रहते हैं।
तू अपने एक भक्त की यह प्रार्थना सुन।
मेरी रक्षा तू निज आँख की पुतली समान कर।
    मुझको अपने पंखों की छाया तले तू छुपा ले।
हे यहोवा, मेरी रक्षा उन दुष्ट जनों से कर जो मुझे नष्ट करने का यत्न कर रहे हैं।
वे मुझे घेरे हैं और मुझे हानि पहुँचाने को प्रयत्नशील हैं।
10 दुष्ट जन अभिमान के कारण परमेश्वर की बात पर कान नहीं लगाते हैं।
    ये अपनी ही ढींग हाँकते रहते हैं।
11 वे लोग मेरे पीछे पड़े हुए हैं, और मैं अब उनके बीच में घिर गया हूँ।
    वे मुझ पर वार करने को तैयार खड़े हैं।
12 वे दुष्ट जन ऐसे हैं जैसे कोई सिंह घात में अन्य पशु को मारने को बैठा हो।
    वे सिंह की तरह झपटने को छिपे रहते हैं।

13 हे यहोवा, उठ! शत्रु के पास जा,
    और उन्हें अस्त्र शस्त्र डालने को विवश कर।
    निज तलवार उठा और इन दुष्ट जनों से मेरी रक्षा कर।
14     हे यहोवा, जो व्यक्ति सजीव हैं उनकी धरती से दुष्टों को अपनी शक्ति से दूर कर।
हे यहोवा, बहुतेरे तेरे पास शरण माँगने आते हैं। तू उनको बहुतायत से भोजन दे।
    उनकी संतानों को परिपूर्ण कर दे। उनके पास निज बच्चों को देने के लिये बहुतायत से धन हो।

15 मेरी विनय न्याय के लिये है। सो मैं यहोवा के मुख का दर्शन करुँगा।
    हे यहोवा, तेरा दर्शन करते ही, मैं पूरी तरह सन्तुष्ट हो जाऊँगा।

भजन संहिता 22

प्रभात की हरिणी नामक राग पर संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक भजन।

हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर!
    तूने मुझे क्यों त्याग दिया है? मुझे बचाने के लिये तू क्यों बहुत दूर है?
    मेरी सहायता की पुकार को सुनने के लिये तू बहुत दूर है।
हे मेरे परमेश्वर, मैंने तुझे दिन में पुकारा
    किन्तु तूने उत्तर नहीं दिया,
और मैं रात भर तुझे पुकाराता रहा।

हे परमेश्वर, तू पवित्र है।
    तू राजा के जैसे विराजमान है। इस्राएल की स्तुतियाँ तेरा सिंहासन हैं।
हमारे पूर्वजों ने तुझ पर विश्वस किया।
    हाँ! हे परमेश्वर, वे तेरे भरोसे थे! और तूने उनको बचाया।
हे परमेश्वर, हमारे पूर्वजों ने तुझे सहायता को पुकारा और वे अपने शत्रुओं से बच निकले।
    उन्होंने तुझ पर विश्वास किया और वे निराश नहीं हुए।
तो क्या मैं सचमुच ही कोई कीड़ा हूँ,
    जो लोग मुझसे लज्जित हुआ करते हैं और मुझसे घृणा करते हैं
जो भी मुझे देखता है मेरी हँसी उड़ाता है,
    वे अपना सिर हिलाते और अपने होठ बिचकाते हैं।
वे मुझसे कहते हैं कि, “अपनी रक्षा के लिये तू यहोवा को पुकार ही सकता है।
    वह तुझ को बचा लोगा।
    यदि तू उसको इतना भाता है तो निश्चय ही वह तुझ को बचा लोगा।”

हे परमेश्वर, सच तो यह है कि केवल तू ही है जिसके भरोसा मैं हूँ। तूने मुझे उस दिन से ही सम्भाला है, जब से मेरा जन्म हुआ।
    तूने मुझे आश्वस्त किया और चैन दिया, जब मैं अभी अपनी माता का दूध पीता था।
10 ठीक उसी दिन से जब से मैं जन्मा हूँ, तू मेरा परमेश्वर रहा है।
    जैसे ही मैं अपनी माता की कोख से बाहर आया था, मुझे तेरी देखभाल में रख दिया गया था।

11 सो हे, परमेश्वर! मुझको मत बिसरा,
    संकट निकट है, और कोई भी व्यक्ति मेरी सहायता को नहीं है।
12 मैं उन लोगों से घिरा हूँ,
    जो शक्तिशाली साँड़ों जैसे मुझे घेरे हुए हैं।
13 वे उन सिंहो जैसे हैं, जो किसी जन्तु को चीर रहे हों
    और दहाड़ते हो और उनके मुख विकराल खुले हुए हो।

14 मेरी शक्ति
    धरती पर बिखरे जल सी लुप्त हो गई।
मेरी हड्डियाँ अलग हो गई हैं।
    मेरा साहस खत्म हो चुका है।
15 मेरा मुख सूखे ठीकर सा है।
    मेरी जीभ मेरे अपने ही तालू से चिपक रही है।
    तूने मुझे मृत्यु की धूल में मिला दिया है।
16 मैं चारों तरफ कुतों से घिर हूँ,
    दुष्ट जनों के उस समूह ने मुझे फँसाया है।
    उन्होंने मेरे मेरे हाथों और पैरों को सिंह के समान भेदा है।
17 मुझको अपनी हड्डियाँ दिखाई देती हैं।
    ये लोग मुझे घूर रहे हैं।
    ये मुझको हानि पहुँचाने को ताकते रहते हैं।
18 वे मेरे कपड़े आपस में बाँट रहे हैं।
    मेरे वस्त्रों के लिये वे पासे फेंक रहे हैं।

19 हे यहोवा, तू मुझको मत त्याग।
    तू मेरा बल हैं, मेरी सहायता कर। अब तू देर मत लगा।
20 हे यहोवा, मेरे प्राण तलवार से बचा ले।
    उन कुत्तों से तू मेरे मूल्यवान जीवन की रक्षा कर।
21 मुझे सिंह के मुँह से बचा ले
    और साँड़ के सींगो से मेरी रक्षा कर।

22 हे यहोवा, मैं अपने भाईयों में तेरा प्रचार करुँगा।
    मैं तेरी प्रशंसा तेरे भक्तों की सभा बीच करुँगा।
23 ओ यहोवा के उपासकों, यहोवा की प्रशंसा करो।
    इस्राएल के वंशजों यहोवा का आदर करो।
    ओ इस्राएल के सभी लोगों, यहोवा का भय मानों और आदर करो।
24 क्योंकि यहोवा ऐसे मनुष्यों की सहायता करता है जो विपति में होते हैं।
    यहोवा उन से घृणा नहीं करता है।
    यदि लोग सहायता के लिये यहोवा को पुकारे
    तो वह स्वयं को उनसे न छिपायेगा।

25 हे यहोवा, मेरा स्तुति गान महासभा के बीच तुझसे ही आता है।
    उन सबके सामने जो तेरी उपासना करते हैं। मैं उन बातों को पूरा करुँगा जिनको करने की मैंने प्रतिज्ञा की है।
26 दीन जन भोजन पायेंगे और सन्तुष्ट होंगे।
    तुम लोग जो उसे खोजते हुए आते हो उसकी स्तुति करो।
    मन तुम्हारे सदा सदा को आनन्द से भर जायें।
27 काश सभी दूर देशों के लोग यहोवा को याद करें
    और उसकी ओर लौट आयें।
काश विदेशों के सब लोग यहोवा की आराधना करें।
28     क्योंकि यहोवा राजा है।
    वह प्रत्येक राष्ट्र पर शासन करता है।
29 लोग असहाय घास के तिनकों की भाँति धरती पर बिछे हुए हैं।
    हम सभी अपना भोजन खायेंगे और हम सभी कब्रों में लेट जायेंगे।
हम स्वयं को मरने से नहीं रोक सकते हैं। हम सभी भूमि में गाड़ दिये जायेंगे।
    हममें से हर किसी को यहोवा के सामने दण्डवत करना चाहिए।
30 और भविष्य में हमारे वंशज यहोवा की सेवा करेंगे।
    लोग सदा सर्वदा उस के बारे में बखानेंगे।
31 वे लोग आयेंगे और परमेश्वर की भलाई का प्रचार करेंगे
    जिनका अभी जन्म ही नहीं हुआ।

यशायाह 3:8-15

ऐसा इसलिये होगा क्योंकि यरूशलेम ने ठोकर खायी और उसने बुरा किया। यहूदा का पतन हो गया और उसने परमेश्वर का अनुसरण करना त्याग दिया। वे जो कहते हैं और जो करते हैं वह यहोवा के विरुद्ध है। उन्होंने यहोवा की महिमा के प्रति विद्रोह किया।

लोगों के चेहरों पर जो भाव हैं उनसे साफ़ दिखाई देता है कि वे बुरे कर्म करने के अपराधी हैं। किन्तु वे इन अपराधों को छुपाते नहीं है, बल्कि उन पर गर्व करते हुए अपने पापों की डोंडी पीटते हैं। वे ढीठ हैं। वे सदोम नगरी के लोगों के जैसे हैं। उन्हें इस बात की परवाह नही। है कि उनके पापों को कौन देख रहा है। यह उनके लिये बहुत बुरा होगा। अपने ऊपर इतनी बड़ी विपत्ति उन्होनें स्वयं बुलाई है।

10 अच्छे लोगों को बता दो कि उनके साथ अच्छी बातें घटेंगी। जो अच्छे कर्म वे करते हैं, उनका सुफल वे पायेंगे। 11 किन्तु बुरे लोगों के लिए यह बहुत बुरा होगा। उन पर बड़ी विपत्ति टूट पड़ेगी। जो बुरे काम उन्होंने किये हैं, उन सब के लिये उन्हें दण्ड दिया जायेगा। 12 मेरे लोगों को बच्चे निर्दयतापूर्वक सताएँगे। उन पर स्त्रियाँ राज करेंगी।

हे मेरे लोगों, तुम्हारे अगुआ तुम्हें बुरे रास्ते पर ले जायेंगे। सही मार्ग से वे तुम्हें भटका देंगे।

अपने लोगों के बारे में परमेश्वर का निर्णय

13 यहोवा अपने लोगों के विरोध में मुकदमा लड़ने के लिए खड़ा होगा। वह अपने लोगों का न्याय करने के लिए खड़ा होगा। 14 बुजुर्गों और अगुवाओं ने जो काम किये हैं यहोवा उनके विरुद्ध अभियोग चलाएगा।

यहोवा कहता है, “तुम लोगों ने अँगूर के बागों को (यहूदा को) जला डाला है। तुमने गरीब लोगों की वस्तुएँ ले लीं और वे वस्तुएँ अभी भी तुम्हारे घरों में हैं। 15 मेरे लोगों को सताने का अधिकार तुम्हें किसने दिया गरीब लोगों को मुँह के बल धूल में धकेलने का अधिकार तुम्हें किसने दिया” मेरे स्वामी, सर्वशक्तिशाली यहोवा ने यें बातें कहीं थीं।

1 थिस्सलुनीकियों 4:1-12

परमेश्वर को प्रसन्न करने वाला जीवन

हे भाईयों, अब मुझे तुम्हें कुछ और बातें बतानी हैं। यीशु मसीह के नाम पर हम तुमसे प्रार्थना एवं निवेदन करते हैं कि तुमने हमसे जिस प्रकार उपदेश ग्रहण किया है, तुम्हें परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए उसी के अनुसार चलना चाहिए। निश्चय ही तुम उसी प्रकार चल भी रहे हो। किन्तु तुम वैसे ही और अधिक से अधिक करते चलो। क्योंकि तुम यह जानते हो कि प्रभु यीशु के अधिकार से हमने तुम्हें क्या निर्देश दिए हैं। और परमेश्वर की यही इच्छा है कि तुम उससे पवित्र हो जाओ, व्यभिचारों से दूर रहो, अपने शरीर की वासनाओं[a] पर नियन्त्रण रखना सीखो-ऐसे ढंग से जो पवित्र है और आदरणीय भी। न कि उस वासना पूर्ण भावना से जो परमेश्वर को नहीं जानने वाले अधर्मियों की जैसी है। यह भी परमेश्वर की इच्छा है कि इस विषय में कोई अपने भाई के प्रति कोई अपराध न करे या कोई अनुचित लाभ न उठाये, क्योंकि ऐसे सभी पापों के लिए प्रभु दण्ड देगा जैसा कि हम तुम्हें बता ही चुके हैं और तुम्हें सावधान भी कर चुके हैं। परमेश्वर ने हमें अपवित्र बनने के लिए नहीं बुलाया है बल्कि पवित्र बनने के लिए बुलाया है। इसलिए जो इस शिक्षा को नकारता है वह किसी मनुष्य को नहीं नकार रहा है बल्कि परमेश्वर को ही नकार रहा है। उस परमेश्वर को जो तुम्हें अपनी पवित्र आत्मा भी प्रदान करता है।

अब तुम्हें तुम्हारे भाई बहनों के प्रेम के विषय में भी लिखा जाये, इसकी तुम्हें आवश्यकता नहीं है क्योंकि परमेश्वर ने स्वयं तुमको एक दूसरे के प्रति प्रेम करने की शिक्षा दी है। 10 और वास्तव में तुम अपने सभी भाईयों के साथ समूचे मकिदुनिया में ऐसा ही कर भी रहे हो। किन्तु भाइयों! हम तुमसे ऐसा ही अधिक से अधिक करने को कहते हैं।

11 शांतिपूर्वक जीने को आदर की वस्तु समझो। अपने काम से काम रखो। स्वयं अपने हाथों से काम करो। जैसा कि हम तुम्हें बता ही चुके हैं। 12 इससे कलीसिया से बाहर के लोग तुम्हारे जीने के ढंग का आदर करेंगे। इससे तुम्हें किसी भी दूसरे पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

लूका 20:41-21:4

क्या मसीह दाऊद का पुत्र या दाऊद का प्रभु है?

(मत्ती 22:41-46; मरकुस 12:35-37)

41 यीशु ने उनसे कहा, “वे कहते हैं कि मसीह दाऊद का पुत्र है। यह कैसे हो सकता है? 42 क्योंकि भजन संहिता की पुस्तक में दाऊद स्वयं कहता है,

‘प्रभु परमेश्वर ने मेरे प्रभु से कहा:
मेरे दाहिने हाथ बैठ,
43     जब तक कि मैं तेरे विरोधियों को तेरे पैर रखने की चौकी न बना दूँ।’(A)

44 इस प्रकार जब दाऊद मसीह को ‘प्रभु’ कहता है तो मसीह दाऊद का पुत्र कैसे हो सकता है?”

यहूदी धर्मशास्त्रियों के विरोध में यीशु की चेतावनी

(मत्ती 23:1-36; मरकुस 12:38-40; लूका 11:37-54)

45 सभी लोगों के सुनते उसने अपने अनुयायिओं से कहा, 46 “यहूदी धर्मशास्त्रियों से सावधान रहो। वे लम्बे चोगे पहन कर यहाँ-वहाँ घूमना चाहते हैं, हाट-बाजारों में वे आदर के साथ स्वागत-सत्कार पाना चाहते हैं। और यहूदी आराधनालयों में उन्हें सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण आसन की लालसा रहती है। दावतों में वे आदर-पूर्ण स्थान चाहते हैं। 47 वे विधवाओं के घर-बार लूट लेते हैं। दिखावे के लिये वे लम्बी-लम्बी प्रार्थनाएँ करते हैं। इन लोगों को कठिन से कठिन दण्ड भुगतना होगा।”

सच्चा दान

(मरकुस 12:41-44)

21 यीशु ने आँखें उठा कर देखा कि धनी लोग दान पात्र में अपनी अपनी भेंट डाल रहे हैं। तभी उसने एक गरीब विधवा को उसमें ताँबे के दो छोटे सिक्के डालते हुए देखा। उसने कहा, “मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि दूसरे सभी लोगों से इस गरीब विधवा ने अधिक दान दिया है। यह मैं इसलिये कहता हूँ क्योंकि इन सब ही लोगों ने अपने उस धन में से जिसकी उन्हें आवश्यकता नहीं थी, दान दिया था किन्तु उसने गरीब होते हुए भी जीवित रहने के लिए जो कुछ उसके पास था, सब कुछ दे डाला।”

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