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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 102

एक पीड़ित व्यक्ति की उस समय की प्रार्थना। जब वह अपने को टूटा हुआ अनुभव करता है और अपनी वेदनाओं कष्ट यहोवा से कह डालना चाहता है।

यहोवा मेरी प्रार्थना सुन!
    तू मेरी सहायता के लिये मेरी पुकार सुन।
यहोवा जब मैं विपत्ति में होऊँ मुझ से मुख मत मोड़।
    जब मैं सहायता पाने को पुकारूँ तू मेरी सुन ले, मुझे शीघ्र उत्तर दे।
मेरा जीवन वैसे बीत रहा जैसा उड़ जाता धुँआ।
    मेरा जीवन ऐसे है जैसे धीरे धीरे बुझती आग।
मेरी शक्ति क्षीण हो चुकी है।
    मैं वैसा ही हूँ जैसा सूखी मुरझाती घास।
    अपनी वेदनाओं में मुझे भूख नहीं लगती।
निज दु:ख के कारण मेरा भार घट रहा है।
मैं अकेला हूँ जैसे कोई एकान्त निर्जन में उल्लू रहता हो।
    मैं अकेला हूँ जैसे कोई पुराने खण्डर भवनों में उल्लू रहता हो।
मैं सो नहीं पाता
    मैं उस अकेले पक्षी सा हो गया हूँ, जो धत पर हो।
मेरे शत्रु सदा मेरा अपमान करते है,
    और लोग मेरा नाम लेकर मेरी हँसी उड़ाते हैं।
मेरा गहरा दु:ख बस मेरा भोजन है।
    मेरे पेयों में मेरे आँसू गिर रहे हैं।
10 क्यों क्योंकि यहोवा तू मुझसे रूठ गया है।
    तूने ही मुझे ऊपर उठाया था, और तूने ही मुझको फेंक दिया।

11 मेरे जीवन का लगभग अंत हो चुका है। वैसे ही जैसे शाम को लम्बी छायाएँ खो जाती है।
    मैं वैसा ही हूँ जैसे सूखी और मुरझाती घास।
12 किन्तु हे यहोवा, तू तो सदा ही अमर रहेगा।
    तेरा नाम सदा और सर्वदा बना ही रहेगा।
13 तेरा उत्थान होगा और तू सिय्योन को चैन देगा।
    वह समय आ रहा है, जब तू सिय्योन पर कृपालु होगा।
14 तेरे भक्त, उसके (यरूशलेम के) पत्यरों से प्रेम करते हैं।
    वह नगर उनको भाता है।
15 लोग यहोवा के नाम कि आराधना करेंगे।
    हे परमेश्वर, धरती के सभी राजा तेरा आदर करेंगे।
16 क्यों? क्योंकि यहोवा फिर से सिय्योन को बनायेगा।
    लोग फिर उसके (यरूशलेम के) वैभव को देखेंगे।
17 जिन लोगों को उसने जीवित छोड़ा है, परमेश्वर उनकी प्रार्थनाएँ सुनेगा।
    परमेश्वर उनकी विनतियों का उत्तर देगा।
18 उन बातों को लिखो ताकि भविष्य के पीढ़ी पढ़े।
    और वे लोग आने वाले समय में यहोवा के गुण गायेंगे।
19 यहोवा अपने ऊँचे पवित्र स्थान से नीचे झाँकेगा।
    यहोवा स्वर्ग से नीचे धरती पर झाँकेगा।
20 वह बंदी की प्रार्थनाएँ सुनेगा।
    वह उन व्यक्तियों को मुक्त करेगा जिनको मृत्युदण्ड दिया गया।
21 फिर सिय्योन में लोग यहोवा का बखान करेंगे।
यरूशलेम में लोग यहोवा का गुण गायेंगे।
22     ऐसा तब होगा जब यहोवा लोगों को फिर एकत्र करेगा,
    ऐसा तब होगा जब राज्य यहोवा की सेवा करेंगे।

23 मेरी शक्ति ने मुझको बिसार दिया है।
    यहोवा ने मेरा जीवन घटा दिया है।
24 इसलिए मैंने कहा, “मेरे प्राण छोटी उम्र में मत हरा।
    हे परमेश्वर, तू सदा और सर्वदा अमर रहेगा।
25 बहुत समय पहले तूने संसार रचा!
    तूने स्वयं अपने हाथों से आकाश रचा।
26 यह जगत और आकाश नष्ट हो जायेंगे,
    किन्तु तू सदा ही जीवित रहेगा!
वे वस्त्रों के समान जीर्ण हो जायेंगे।
    वस्त्रों के समान ही तू उन्हें बदलेगा। वे सभी बदल दिये जायेंगे।
27 हे परमेश्वर, किन्तु तू कभी नहीं बदलता:
    तू सदा के लिये अमर रहेगा।
28 आज हम तेरे दास है,
    हमारी संतान भविष्य में यही रहेंगी
    और उनकी संताने यहीं तेरी उपासना करेंगी।”

भजन संहिता 107:1-32

पाँचवाँ भाग

(भजनसंहिता 107–150)

यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह उत्तम है।
    उसका प्रेम अमर है।
हर कोई ऐसा व्यक्ति जिसे यहोवा ने बचाया है, इन राष्ट्रों को कहे।
    हर कोई ऐसा व्यक्ति जिसे यहोवा ने अपने शत्रुओं से छुड़ाया उसके गुण गाओ।
यहोवा ने निज भक्तों को बहुत से अलग अलग देशों से इकट्ठा किया है।
    उसने उन्हें पूर्व और पश्चिम से, उत्तर और दक्षिण से जुटाया है।

कुछ लोग निर्जन मरूभूमि में भटकते रहे।
    वे लोग ऐसे एक नगर की खोज में थे जहाँ वे रह सकें।
    किन्तु उन्हें कोई ऐसा नगर नहीं मिला।
वे लोग भूखे थे और प्यासे थे
    और वे दुर्बल होते जा रहे थे।
ऐसे उस संकट में सहारा पाने को उन्होंने यहोवा को पुकारा।
    यहोवा ने उन सभी लोगों को उनके संकट से बचा लिया।
परमेश्वर उन्हें सीधा उन नगरों में ले गया जहाँ वे बसेंगे।
परमेश्वर का धन्यवाद करो उसके प्रेम के लिये
    और उन अद्भुत कर्मों के लिये जिन्हें वह अपने लोगों के लिये करता है।
प्यासी आत्मा को परमेश्वर सन्तुष्ट करता है।
    परमेश्वर उत्तम वस्तुओं से भूखी आत्मा का पेट भरता है।

10 परमेश्वर के कुछ भक्त बन्दी बने ऐसे बन्दीगृह में, वे तालों में बंद थे, जिसमें घना अंधकार था।
11 क्यों? क्योंकि उन लोगों ने उन बातों के विरूद्ध लड़ाईयाँ की थी जो परमेश्वर ने कहीं थी,
    परम परमेश्वर की सम्मति को उन्होंने सुनने से नकारा था।
12 परमेश्वर ने उनके कर्मो के लिये जो उन्होंने किये थे उन लोगों के जीवन को कठिन बनाया।
    उन्होंने ठोकर खाई और वे गिर पड़े, और उन्हें सहारा देने कोई भी नहीं मिला।
13 वे व्यक्ति संकट में थे, इसलिए सहारा पाने को यहोवा को पुकारा।
    यहोवा ने उनके संकटों से उनकी रक्षा की।
14 परमेश्वर ने उनको उनके अंधेरे कारागारों से उबार लिया।
    परमेश्वर ने वे रस्से काटे जिनसे उनको बाँधा गया था।
15 यहोवा का धन्यवाद करो।
    उसके प्रेम के लिये और उन अद्भुत कामों के लिये जिन्हें वह लोगों के लिये करता है उसका धन्यवाद करो।
16 परमेश्वर हमारे शत्रुओं को हराने में हमें सहायता देता है। उनके काँसें के द्वारों को परमेश्वर तोड़ गिरा सकता है।
    परमेश्वर उनके द्वारों पर लगी लोहे कि आगलें छिन्न—भिन्न कर सकता है।

17 कुछ लोग अपने अपराधों
    और अपने पापों से जड़मति बने।
18 उन लोगों ने खाना छोड़ दिया
    और वे मरे हुए से हो गये।
19 वे संकट में थे सो उन्होंने सहायता पाने को यहोवा को पुकारा।
    यहोवा ने उन्हें उनके संकटों से बचा लिया।
20 परमेश्वर ने आदेश दिया और लोगों को चँगा किया।
    इस प्रकार वे व्यक्ति कब्रों से बचाये गये।
21 उसके प्रेम के लिये यहोवा का धन्यवाद करो उसके वे अद्भुत कामों के लिये उसका धन्यवाद करो
    जिन्हें वह लोगों के लिये करता है।
22 यहोवा को धन्यवाद देने बलि अर्पित करो, सभी कार्मो को जो उसने किये हैं।
    यहोवा ने जिनको किया है, उन बातों को आनन्द के साथ बखानो।

23 कुछ लोग अपने काम करने को अपनी नावों से समुद्र पार कर गये।
24 उन लोगों ने ऐसी बातों को देखा है जिनको यहोवा कर सकता है।
    उन्होंने उन अद्भुत बातों को देखा है जिन्हें यहोवा ने सागर पर किया है।
25 परमेश्वर ने आदेश दिया, फिर एक तीव्र पवन तभी चलने लगी।
    बड़ी से बड़ी लहरे आकार लेने लगी।
26 लहरे इतनी ऊपर उठीं जितना आकाश हो
    तूफान इतना भयानक था कि लोग भयभीत हो गये।
27     लोग लड़खड़ा रहे थे, गिरे जा रहे थे जैसे नशे में धुत हो।
    खिवैया उनकी बुद्धि जैसे व्यर्थ हो गयी हो।
28 वे संकट में थे सो उन्होंने सहायता पाने को यहोवा को पुकारा।
    तब यहोवा ने उनको संकटों से बचा लिया।
29 परमेश्वर ने तूफान को रोका
    और लहरें शांत हो गयी।
30 खिवैया प्रसन्न थे कि सागर शांत हुआ था।
    परमेश्वर उनको उसी सुरक्षित स्थान पर ले गया जहाँ वे जाना चाहते थे।
31 यहोवा का धन्यवाद करो उसके प्रेम के लिये धन्यवाद करो
    उन अद्भुत कामों के लिये जिन्हें वह लोगों के लिये करता है।
32 महासभा के बीच उसका गुणगान करो।
    जब बुजुर्ग नेता आपस में मिलते हों उसकी प्रशंसा करों।

मलाकी 3:1-12

सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “देखो मैं अपना दूत भेज रहा हूँ। वह मेरे लिए मार्ग तैयार करेगा। यहोवा जिसकी खोज में तुम हो, वह अचानक अपने मंदिर में आयेगा। वाचा का संदेशवाहक सचमुच आ रहा है।”

“कोई व्यक्ति उस समय के लिये तैयारी नहीं कर सकता। कोई व्यक्ति उसके विरूद्ध खड़ा नहीं हो सकता, जब वह आयेगा। वह जलती आग के समान होगा। वह उस अच्छी रेह की तरह होगा जिसे लोग चीज़ों को स्वच्छ करने के लिये उपयोग में लाते हैं। वह लेवीवंशियों को पवित्र करेगा। वह उन्हें ऐसे ही शुद्ध करेगा जैसे आग चांदी को शुद्ध करती है! वह उन्हें शुद्ध सोना और चाँदी के समान बनाएगा। तब वे यहोवा को भेंट लाएंगे और वे उन कामों को ठीक ढंग से करेंगे। तब यहोवा यहूदा और यरूशलेम में भेंटे स्वीकार करेगा। यह बीते काल के समान होगा। यह पुराने लम्बे समय की तरह होगा। तब मैं तुम्हारे पास आऊँगा और तब मैं ठीक काम करूगा। मैं उस गवाह की तरह होऊँगा जो लोगों द्वारा किये गये बुरे कामों के बारे में न्यायाधीश से कहता है। कुछ लोग बुरे जादू करते हैं। कुछ लोग बुरे जादू करते हैं। कुछ लोग व्यभिचार का पाप करते हैं। कुछ लोग झूठी प्रतिज्ञायें करते हैं। कुछ लोग अपने मजदूरों को ठगते हैं—वे अपनी वाचा की गई रकम नहीं देते। लोग विधवाओं और अनाथों की सहायता नहीं करते। लोग अजनबियों की सहायता नहीं करते। लोग मेरा सम्मान नहीं करते!” सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा।

परमेश्वर के यहाँ से चोरी

“मैं यहोवा हूँ, और मैं बदलता नहीं। तुम याकूब की सन्तान हो, और तुम पूरी तरह नष्ट नहीं किये गए। किन्तु तुमने मेरे नियमों का कभी पालन नहीं किया। यहाँ तक कि तुम्हारे पूर्वजों ने भी मेरा अनुसरण करना बन्द कर दिया। मेरे पास वापस लौटो और मैं तम्हारे पास वापस लौटूँगा।” सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा।

“तुम कहते हो, ‘हम वापस कैसे लौट सकते हैं?’

“परमेश्वर को लूटना बन्द करो! लोगों को परमेश्वर की चीज़ें नहीं चुरानी चाहियें किन्तु तुमने मेरी चीज़ेंचुराई!

“तुम कहते हो, ‘हमने तेरा क्या चुराया?’

“तुम्हें मुझको अपनी चीज़ों का दसवां भाग देना चाहिये था। तम्हें मुझे विशेष भेंट देनी चाहिये थी। किन्तु तुमने वे चीज़ें मुझे नहीं दीं। इस प्रकार तुम्हारे पूरे राष्ट्र ने मेरी चींज़ें चुराई हैं। इस से बुरी घटनायें तुम्हारे साथ घट रही हैं।” सर्वशक्तिमान यहोवा यह सब कहता है।

10 सर्वशक्तिमान यहोवा यह सब कहता है, “इस परीक्षा की जांच करो। अपनी चीजों का दसवा भाग मुझको लाओ। उन चीज़ों को खजाने में रखो। मेरे घर भोजन लाओ। मुझे परख कर तो देखो। तुम यदि उन कामों को करोगे तो मैं, सच ही, तुम्हें आशीर्वाद दूँगा। तुम्हारे पास अच्छी चीज़ें वैसे ही हो जाएंगी जैसे गगन से वर्षा होती हैं। तुम हर चीज़ आवश्यकता से अधिक पाओगे। 11 मैं कीड़ों को तुम्हारी फसलों को नष्ट नहीं होने दूँगा। तुम्हारी अंगूर की सभी बेलें अंगूर उपजाएंगी।” सर्वशक्तिमान यहोवा यह सब कहता है।

12 “अन्य राष्ट्रों के लोग तुम्हारे प्रति भले रहेंगे। तम्हारा देश सचमुच आश्चर्यजनक देश होगा।” सर्वशक्तिमान यहोवा यह सब कहता है।

याकूब 5:7-12

धैर्य रखो

सो भाईयों, प्रभु के फिर से आने तक धीरज धरो। उस किसान का ध्यान धरो जो अपनी धरती की मूल्यवान उपज के लिए बाट जोहता रहता है। इसके लिए वह आरम्भिक वर्षा से लेकर बाद की वर्षा तक निरन्तर धैर्य के साथ बाट जोहता रहता है। तुम्हें भी धैर्य के साथ बाट जोहनी होगी। अपने हृदयों को दृढ़ बनाए रखो क्योंकि प्रभु का दुबारा आना निकट ही है। हे भाईयों, आपस में एक दूसरे की शिकायतें मत करो ताकि तुम्हें अपराधी न ठहराया जाए। देखो, न्यायकर्त्ता तो भीतर आने के लिए द्वार पर ही खड़ा है।

10 हे भाईयों, उन भविष्यवक्ताओं को याद रखो जिन्होंने प्रभु के लिए बोला। वे हमारे लिए यातनाएँ झेलने और धैर्यपूर्ण सहनशीलता के उदाहरण हैं। 11 ध्यान रखना, हम उनकी सहनशीलता के कारण उनको धन्य मानते हैं। तुमने अय्यूब के धीरज के बारे में सुना ही है और प्रभु ने उसे उसका जो परिणाम प्रदान किया, उसे भी तुम जानते ही हो कि प्रभु कितना दयालु और करुणापूर्ण है।

सोच समझ कर बोलो

12 हे मेरे भाईयों, सबसे बड़ी बात यह है कि स्वर्ग की अथवा धरती की या किसी भी प्रकार की कसमें खाना छोड़ो। तुम्हारी “हाँ”, हाँ होनी चाहिए, और “ना” ना होनी चाहिए। ताकि तुम पर परमेश्वर का दण्ड न पड़े।

लूका 18:1-8

परमेश्वर अपने भक्त जनों की अवश्य सुनेगा

18 फिर उसने उन्हें यह बताने के लिए कि वे निरन्तर प्रार्थना करते रहें और निराश न हों, यह दृष्टान्त कथा सुनाई: वह बोला: “किसी नगर में एक न्यायाधीश हुआ करता था। वह न तो परमेश्वर से डरता था और न ही मनुष्यों की परवाह करता था। उसी नगर में एक विधवा भी रहा करती थी। और वह उसके पास बार बार आती और कहती, ‘देख, मुझे मेरे प्रति किए गए अन्याय के विरुद्ध न्याय मिलना ही चाहिये।’ सो एक लम्बे समय तक तो वह न्यायाधीश आनाकानी करता रहा पर आखिरकार उसने अपने मन में सोचा, ‘न तो मैं परमेश्वर से डरता हूँ और न लोगों की परवाह करता हूँ। तो भी क्योंकि इस विधवा ने मेरे कान खा डाले हैं, सो मैं देखूँगा कि उसे न्याय मिल जाये ताकि यह मेरे पास बार-बार आकर कहीं मुझे ही न थका डाले।’”

फिर प्रभु ने कहा, “देखो उस दुष्ट न्यायाधीश ने क्या कहा था। सो क्या परमेश्वर अपने चुने हुए लोगों पर ध्यान नहीं देगा कि उन्हें, जो उसे रात दिन पुकारते रहते हैं, न्याय मिले? क्या वह उनकी सहायता करने में देर लगायेगा? मैं तुमसे कहता हूँ कि वह देखेगा कि उन्हें न्याय मिल चुका है और शीघ्र ही मिल चुका है। फिर भी जब मनुष्य का पुत्र आयेगा तो क्या वह इस धरती पर विश्वास को पायेगा?”

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