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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 80

वाचा की कुमुदिनी धुन पर संगीत निर्देशक के लिये आसाप का एक स्तुति गीता।

हे इस्राएल के चरवाहे, तू मेरी सुन ले।
    तूने यूसुफ के भेड़ों (लोगों) की अगुवाई की।
तू राजा सा करूब पर विराजता है।
    हमको निज दर्शन दे।
हे इस्राएल के चरवाहे, एप्रैम, बिन्यामीन और मनश्शे के सामने तू अपनी महिमा दिखा,
    और हमको बचा ले।
हे परमेश्वर, हमको स्वीकार कर।
    हमको स्वीकार कर और हमारी रक्षा कर!
सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा,
    क्या तू सदा के लिये हम पर कुपित रहेगा हमरी प्रार्थनाओं को तू कब सुनेगा
अपने भक्तों को तूने बस खाने को आँसू दिये है।
    तूने अपने भक्तों को पीने के लिये आँसुओं से लबालब प्याले दिये।
तूने हमें हमारे पड़ोसियों के लिये कोई ऐसी वस्तु बनने दिया जिस पर वे झगड़ा करे।
    हमारे शत्रु हमारी हँसी उड़ाते हैं।
हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर, फिर हमको स्वीकार कर।
    हमको स्वीकार कर और हमारी रक्षा कर।

प्रचीन काल में, तूने हमें एक अति महत्वपूर्ण पौधे सा समझा।
    तू अपनी दाखलता मिस्र से बाहर लाया।
तूने दूसरे लोगों को यह धरती छोड़ने को विवश किया
    और यहाँ तूने अपनी निज दाखलता रोप दी।
तूने दाखलता रोपने को धरती को तैयार किया, उसकी जड़ों को पक्की करने के लिये तूने सहारा दिया
    और फिर शीघ्र ही दाखलता धरती पर हर कहीं फैल गई।
10 उसने पहाड़ ढक लिया।
    यहाँ तक कि उसके पतों ने विशाल देवदार वृक्ष को भी ढक लिया।
11     इसकी दाखलताएँ भूमध्य सागर तक फैल गई।
    इसकी जड़ परात नदी तक फैल गई।
12 हे परमेश्वर, तूने वे दीवारें क्यों गिरा दी, जो तेरी दाखलता की रक्षा करती थी।
    अब वह हर कोई जो वहाँ से गुजरता है, वहाँ से अंगूर को तोड़ लेते हैं।
13 बनैले सूअर आते हैं, और तेरी दाखलता को रौदते हुए गुजर जाते हैं।
    जंगली पशु आते हैं, और उसकी पत्तियाँ चर जाते हैं।
14 सर्वशक्तिमान परमेश्वर, वापस आ।
    अपनी दाखलता पर स्वर्ग से नीचे देख, और इसकी रक्षा कर।
15 हे परमेश्वर, अपनी उस दाखलता को देख जिसको तूने स्वयं निज हाथों से रोपा था।
    इस बच्चे पौधे को देख जिसे तूने बढ़ाया।
16 तेरी दाखलता को सूखे हुए उपलों सा आग में जलाया गया।
    तू इससे क्रोधित था और तूने उजाड़ दिया।

17 हे परमेश्वर, तू अपना हाथ उस पुत्र पर रख जो तेरे दाहिनी ओर खड़ा है।
    उस पुत्र पर हाथ रख जिसे तूने उठाया।
18 फिर वह कभी तुझको नहीं त्यागेगा।
    तू उसको जीवित रख, और वह तेरे नाम की आराधना करेगा।
19 सर्वशक्तिमान यहोवा परमेश्वर, हमारे पास लौट आ
    हमको अपना ले, और हमारी रक्षा कर।

भजन संहिता 77

यदूतून राग पर संगीत निर्देशक के लिये आसाप का एक पद।

मैं सहायता पाने के लिये परमेश्वर को पुकारूँगा।
    हे परमेश्वर, मैं तेरी विनती करता हूँ, तू मेरी सुन ले!
हे मेरे स्वामी, मुझ पर जब दु:ख पड़ता है, मैं तेरी शरण में आता हूँ।
    मैं सारी रात तुझ तक पहुँचने में जुझा हूँ।
    मेरा मन चैन पाने को नहीं माना।
मैं परमेश्वर का मनन करता हूँ, और मैं जतन करता रहता हूँ कि मैं उससे बात करूँ और बता दूँ कि मुझे कैसा लग रहा है।
    किन्तु हाय मैं ऐसा नहीं कर पाता।
तू मुझे सोने नहीं देगा।
    मैंने जतन किया है कि मैं कुछ कह डालूँ, किन्तु मैं बहुत घबराया था।
मैं अतीत की बातें सोचते रहा।
    बहुत दिनों पहले जो बातें घटित हुई थी उनके विषय में मैं सोचता ही रहा।
रात में, मैं निज गीतों के विषय़ में सोचता हूँ।
    मैं अपने आप से बातें करता हूँ, और मैं समझने का यत्न करता हूँ।
मुझको यह हैरानी है, “क्या हमारे स्वमी ने हमे सदा के लिये त्यागा है
    क्या वह हमको फिर नहीं चाहेगा
क्या परमेश्वर का प्रेम सदा को जाता रहा
    क्या वह हमसे फिर कभी बात करेगा
क्या परमेश्वर भूल गया है कि दया क्या होती है
    क्या उसकी करूणा क्रोध में बदल गयी है”

10 फिर यह सोचा करता हूँ, “वह बात जो मुझे खाये डाल रही है:
    ‘क्या परम परमेश्वर आपना निज शाक्ति खो बैठा है’?”

11 याद करो वे शाक्ति भरे काम जिनको यहोवा ने किये।
    हे परमेश्वर, जो काम तूने बहुत समय पहले किये मुझको याद है।
12 मैंने उन सभी कामों को जिनको तूने किये है मनन किया।
    जिन कामों को तूने किया मैंने सोचा है।
13 हे परमेश्वर, तेरी राहें पवित्र हैं।
    हे परमेश्वर, कोई भी महान नहीं है, जैसा तू महान है।
14 तू ही वह परमेश्वर है जिसने अद्भुत कार्य किये।
    तू ने लोगों को अपनी निज महाशक्ति दर्शायी।
15 तूने निज शक्ति का प्रयोग किया और भक्तों को बचा लिया।
    तूने याकूब और यूसुफ की संताने बचा ली।

16 हे परमेश्वर, तुझे सागर ने देखा और वह डर गया।
    गहरा समुद्र भय से थर थर काँप उठा।
17 सघन मेघों से उनका जल छूट पड़ा था।
    ऊँचे मेघों से तीव्र गर्जन लोगों ने सुना।
    फिर उन बादलों से बिजली के तेरे बाण सारे बादलों में कौंध गये।
18 कौंधती बिजली में झँझावान ने तालियाँ बजायी जगत चमक—चमक उठा।
    धरती हिल उठी और थर थर काँप उठी।
19 हे परमेश्वर, तू गहरे समुद्र में ही पैदल चला। तूने चलकर ही सागर पार किया।
    किन्तु तूने कोई पद चिन्ह नहीं छोड़ा।
20 तूने मुसा और हारून का उपयोग निज भक्तों की अगुवाई
    भेड़ों के झुण्ड की तरह करने में किया।

भजन संहिता 79

आसाप का एक स्तुति गीत।

हे परमेश्वर, कुछ लोग तेरे भक्तों के साथ लड़ने आये हैं।
    उन लोगों ने तेरे पवित्र मन्दिर को ध्वस्त किया,
    और यरूशलेम को उन्होंने खण्डहर बना दिया।
तेरे भक्तों के शवों को उन्होंने गिद्धों को खाने के लिये डाल दिया।
    तेरे अनुयायिओं के शव उन्होंने पशुओं के खाने के लिये डाल दिया।
हे परमेश्वर, शत्रुओं ने तेरे भक्तों को तब तक मारा जब तक उनका रक्त पानी सा नहीं फैल गया।
    उनके शव दफनाने को कोई भी नहीं बचा।
हमारे पड़ोसी देशों ने हमें अपमानित किया है।
    हमारे आस पास के लोग सभी हँसते हैं, और हमारी हँसी उड़ाते हैं।
हे परमेश्वर, क्या तू सदा के लिये हम पर कुपित रहेगा?
    क्या तेरे तीव्र भाव अग्नि के समान धधकते रहेंगे?
हे परमेश्वर, अपने क्रोध को उन राष्ट्रों के विरोध में जो तुझको नहीं पहचानते मोड़,
    अपने क्रोध को उन राष्ट्रों के विरोध में मोड़ जो तेरे नाम की आराधना नहीं करते।
क्योंकि उन राष्ट्रों ने याकूब को नाश किया।
    उन्होंने याकूब के देश को नाश किया।
हे परमेश्वर, तू हमारे पूर्वजों के पापों के लिये कृपा करके हमको दण्ड मत दे।
    जल्दी कर, तू हम पर निज करूणा दर्शा!
    हम को तेरी बहुत उपेक्षा है!
हमारे परमेश्वर, हमारे उद्धारकर्ता, हमको सहारा दे!
    अपने ही नाम की महिमा के लिये हमारी सहायता कर!
हमको बचा ले! निज नाम के गौरव निमित्त
    हमारे पाप मिटा।
10 दूसरी जाति के लोगों को तू यह मत कहने दे,
    “तुम्हारा परमेश्वर कहाँ है? क्या वह तुझको सहारा नहीं दे सकता है?”
हे परमेश्वर, उन लोगों को दण्ड दे ताकि उस दण्ड को हम भी देख सकें।
    उन लोगों को तेरे भक्तों को मारने का दण्ड दे।
11 बंदी गृह में पड़े हुओं कि कृपया तू कराह सुन ले!
    हे परमेश्वर, तू निज महाशक्ति प्रयोग में ला और उन लोगों को बचा ले जिनको मरने के लिये ही चुना गया है।
12 हे परमेश्वर, हम जिन लोगों से घिरे हैं,
    उनको उन अत्यचारों का दण्ड सात गुणा दे।
    हे परमेश्वर, उन लोगों को इतनी बार दण्ड दे जितनी बार वे तेरा अपमान किये है।
13 हम तो तेरे भक्त हैं। हम तेरे रेवड़ की भेड़ हैं।
    हम तेरा गुणगान सदा करेंगे।
    हे परमेश्वर अंत काल तक तेरा गुण गायेंगे।

न्यायियों 6:25-40

गिदोन बाल की वेदी को गिरा डालता है

25 उसी रात यहोवा ने गिदोन से बाते कीं। यहोवा ने गिदोन से कहा, “अपने पिता के उस प्रौढ़ बैल को लो जो सात वर्ष का है। तुम्हारे पिता की असत्य देवता बाल की एक वेदी है। उस वेदी की बगल में एक लकड़ी का खम्भा भी है। खम्भा असत्य देवी अशेरा के सम्मान के लिए बनाया गया था। बैल का उपयोग बाल की वेदी को गिराने के लिए करो तथा अशेरा के खम्भे को काट दो। 26 तब यहोवा, अपने परमेश्वर के लिए उचित प्रकार की वेदी बनाओ। इस ऊँचे स्थान पर वह वेदी बनाओ। तब प्रौढ़ बैल को मारो और इस वेदी पर उसे जलाओ। अशेरा के खम्भे की लकड़ी का उपयोग अपनी भेंट को जलाने के लिए करो।”

27 इसलिए गिदोन ने अपने दस नौकरों को लिया और वही किया जो यहोवा ने करने को कहा था। किन्तु गिदोन डर रहा था कि उसका परिवार और उस नगर के लोग देख सकते हैं कि वह क्या कर रहा है। गिदोन ने वही किया जो यहोवा ने उसे करने को कहा किन्तु उसने यह रात में किया, दिन में नहीं।

28 अगली सुबह नगर के लोग सोकर उठे और उन्होंने देखा कि बाल की वेदी नष्ट कर दी गई है। उन्होंने यह भी देखा कि अशेरा का खम्भा काट डाला गया है। अशेरा का खम्भा बाल की वेदी के ठीक पीछे गिरा पड़ा था। उन लोगों ने उस वेदी को भी देखा जिसे गिदोन ने बनाया था और उन्होंने उस वेदी पर बलि दिये गए बैल को भी देखा।

29 नगर के लोगों ने एक दूसरे को देखा और कहा, “हमारी वेदी को किसने गिराया? हमारे अशेरा के खम्भे किसने काटे? इस नयी वेदी पर किसने इस बैल की बलि दी?” उन्होंने कई प्रश्न किये और यह पता लगाना चाहा कि वे काम किसने किये।

किसी ने कहा, “योआश के पुत्र गिदोन ने यह काम किया।”

30 इसलिए नगर के लोग योआश के पास आए। उन्होंने योआश से कहा, “तुम्हें अपने पुत्र को बाहर लाना चाहिए। उसने बाल की वेदी को गिराया है और उसने उस अशेरा के खम्भे को काटा है जो उस वेदी की बगल में था। इसलिए तुम्हारे पुत्र को मारा जाना चाहिए।”

31 तब योआश ने उस भीड़ से कहा जो उसके चारों ओर खड़ी थी। योआश ने कहा, “क्या तुम बाल का पक्ष लेने जा रहे हो? क्या तुम बाल की रक्षा करने जा रहे हो? यदि कोई बाल का पक्ष लेता है तो उसे सवेरे मार दिए जाने दो। यदि बाल सचमुच देवता है तो उसे अपनी रक्षा स्वयं करने दो, यदि कोई उस वेदी को गिराता है।” 32 योआश ने कहा, “यदि गिदोन ने बाल की वेदी को गिराया तो बाल को उससे संघर्ष करने दो।” अत: उस दिन योआश ने गिदोन को एक नया नाम दिया। उसने उसे यरूब्बाल कहा।

गिदोन मिद्यान के लोगों को हराता है

33 मिद्यानी, अमालेकी एवं पूर्व के अन्य सभी लोग इस्राएल के लोगों के विरुद्ध युद्ध करने के लिए एक साथ मिले। वे लोग यरदन नदी के पार गए और उन्होंने यिज्रेल की घाटी[a] में डेरा डाला। 34 किन्तु गिदोन पर यहोवा की आत्मा उतरी और उसे बड़ी शक्ति प्रदान की। गिदोन ने अबीएजेरी लोगों को अपने साथ चलने के लिए तुरही बजाई। 35 गिदोन ने मनश्शे परिवार समूह के सभी लोगों के पास दूत भेजे। उन दूतों ने मनश्शे के लोगों से अपने हथियार निकालने और युद्ध के लिए तैयार होने को कहा गिदोन ने आशेर, जबूलून और नप्ताली के परिवार समूहों को भी दूत भेजे। इसलिए वे परिवार समूह भी गिदोन से और उसके आदमियों से मिलने गए।

36 तब गिदोन ने यहोवा से कहा, “तूने मुझसे कहा कि तू इस्राएल के लोगों की रक्षा करने में मेरी सहायता करेगा। मुझे प्रमाण दे। 37 मैं खलिहान[b] के फर्श पर एक भेड़ का ऊन रखता हूँ। यदि भेड़ के ऊन पर ओस की बूँदें होंगी, जबकी सारी भूमि सूखी है, तब मैं समझूँगा कि तू अपने कहने के अनुसार मेरा उपयोग इस्राएल की रक्षा करने में करेगा।”

38 और यह ठीक वैसा ही हुआ। गिदोन अगली सुबह उठा और भेड़ के ऊन को निचोड़ा। वह भेड़ के ऊन से प्याला भर पानी निचोड़ सका।

39 तब गीदोन ने परमेश्वर से कहा, “मुझ पर क्रोधित न हो। मुझे केवल एक और प्रश्न करने दे। मुझे भेड़ के ऊन से एक बार और परीक्षण करने दे। इस समय भेड़ के ऊन को उस दशा में सूखा रहने दे जब इसके चारों ओर की भूमि ओस से भीगी हो।”

40 उस रात परमेश्वर ने वही किया। केवल भेड़ की ऊन ही सूखी थी, किन्तु चारों ओर की भूमि ओस से भीगी थी।

प्रेरितों के काम 2:37-47

37 लोगों ने जब यह सुना तो वे व्याकुल हो उठे और पतरस तथा अन्य प्रेरितों से कहा, “तो बंधुओ, हमें क्या करना चाहिये?”

38 पतरस ने उनसे कहा, “मन फिराओ और अपने पापों की क्षमा पाने के लिये तुममें से हर एक को यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा लेना चाहिये। फिर तुम पवित्र आत्मा का उपहार पा जाओगे। 39 क्योंकि यह प्रतिज्ञा तुम्हारे लिये, तुम्हारी संतानों के लिए और उन सबके लिये है जो बहुत दूर स्थित हैं। यह प्रतिज्ञा उन सबके लिए है जिन्हें हमारा प्रभु परमेश्वर को अपने पास बुलाता है।”

40 और बहुत से वचनों द्वारा उसने उन्हें चेतावनी दी और आग्रह के साथ उनसे कहा, “इस कुटिल पीढ़ी से अपने आपको बचाये रखो।” 41 सो जिन्होंने उसके संदेश को ग्रहण किया, उन्हें बपतिस्मा दिया गया। इस प्रकार उस दिन उनके समूह में कोई तीन हज़ार व्यक्ति और जुड़ गये।

विश्वासियों का साझा जीवन

42 उन्होंने प्रेरितों के उपदेश, संगत, रोटी के तोड़ने और प्रार्थनाओं के प्रति अपने को समर्पित कर दिया। 43 हर व्यक्ति पर भय मिश्रित विस्मय का भाव छाया रहा और प्रेरितों द्वारा आश्चर्य कर्म और चिन्ह प्रकट किये जाते रहे। 44 सभी विश्वासी एक साथ रहते थे और उनके पास जो कुछ था, उसे वे सब आपस में बाँट लेते थे। 45 उन्होंने अपनी सभी वस्तुएँ और सम्पत्ति बेच डाली और जिस किसी को आवश्यकता थी, उन सब में उसे बाँट दिया। 46 मन्दिर में एक समूह के रूप में वे हर दिन मिलते-जुलते रहे। वे अपने घरों में रोटी को विभाजित करते और उदार मन से आनन्द के साथ, मिल-जुलकर खाते। 47 सभी लोगों की सद्भावनाओं का आनन्द लेते हुए वे प्रभु की स्तुति करते, और प्रतिदिन परमेश्वर, जिन्हें उद्धार मिल जाता, उन्हें उनके दल में और जोड़ देता।

यूहन्ना 1:1-18

यीशु का आना

आदि में शब्द[a] था। शब्द परमेश्वर के साथ था। शब्द ही परमेश्वर था। यह शब्द ही आदि में परमेश्वर के साथ था। दुनिया की हर वस्तु उसी से उपजी। उसके बिना किसी की भी रचना नहीं हुई। उसी में जीवन था और वह जीवन ही दुनिया के लोगों के लिये प्रकाश (ज्ञान, भलाई) था। प्रकाश अँधेरे में चमकता है पर अँधेरा उसे समझ नहीं पाया।

परमेश्वर का भेजा हुआ एक मनुष्य आया जिसका नाम यूहन्ना था। वह एक साक्षी के रूप में आया था ताकि वह लोगों को प्रकाश के बारे में बता सके। जिससे सभी लोग उसके द्वारा उस प्रकाश में विश्वास कर सकें। वह खुद प्रकाश नहीं था बल्कि वह तो लोगों को प्रकाश की साक्षी देने आया था। उस प्रकाश की, जो सच्चा था, जो हर मनुष्य को ज्ञान की ज्योति देगा, जो धरती पर आने वाला था।

10 वह इस जगत में ही था और यह जगत उसी के द्वारा अस्तित्व में आया पर जगत ने उसे पहचाना नहीं। 11 वह अपने घर आया था और उसके अपने ही लोगों ने उसे अपनाया नहीं। 12 पर जिन्होंने उसे अपनाया उन सबको उसने परमेश्वर की संतान बनने का अधिकार दिया। 13 परमेश्वर की संतान के रूप में वह कुदरती तौर पर न तो लहू से पैदा हुआ था, ना किसी शारीरिक इच्छा से और न ही माता-पिता की योजना से। बल्कि वह परमेश्वर से उत्पन्न हुआ। 14 उस आदि शब्द ने देह धारण कर हमारे बीच निवास किया। हमने परम पिता के एकमात्र पुत्र के रूप में उसकी महिमा का दर्शन किया। वह करुणा और सत्य से पूर्ण था।

15 यूहन्ना ने उसकी साक्षी दी और पुकार कर कहा, “यह वही है जिसके बारे में मैंने कहा था, ‘वह जो मेरे बाद आने वाला है, मुझसे महान है, मुझसे आगे है क्योंकि वह मुझसे पहले मौजूद था।’”

16 उसकी करुणा और सत्य की पूर्णता से हम सबने अनुग्रह पर अनुग्रह प्राप्त किये। 17 हमें व्यवस्था का विधान देने वाला मूसा था पर करुणा और सत्य हमें यीशु मसीह से मिले। 18 परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा किन्तु परमेश्वर के एकमात्र पुत्र ने, जो सदा परम पिता के साथ है उसे हम पर प्रकट किया।[b]

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