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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 119:1-24

आलेफ

जो लोग पवित्र जीवन जीते हैं, वे प्रसन्न रहते हैं।
    ऐसे लोग यहोवा की शिक्षाओं पर चलते हैं।
लोग जो यहोवा की विधान पर चलते हैं, वे प्रसन्न रहते हैं।
    अपने समग्र मन से वे यहोवा की मानते हैं।
वे लोग बुरे काम नहीं करते।
    वे यहोवा की आज्ञा मानते हैं।
हे यहोवा, तूने हमें अपने आदेश दिये,
    और तूने कहा कि हम उन आदेशों का पूरी तरह पालन करें।
हे यहोवा, यादि मैं सदा
    तेरे नियमों पर चलूँ,
जब मैं तेरे आदेशों को विचारूँगा
    तो मुझे कभी भी लज्जित नहीं होना होगा।
जब मैं तेरे खरेपन और तेरी नेकी को विचारता हूँ
    तब सचमुच तुझको मान दे सकता हूँ।
हे यहोवा, मैं तेरे आदेशों का पालन करूँगा।
    सो कृपा करके मुझको मत बिसरा!

वेथ्

एक युवा व्यक्ति कैसे अपना जीवन पवित्र रख पाये
    तेरे निर्देशों पर चलने से।
10 मैं अपने पूर्ण मन से परमेश्वर कि सेवा का जतन करता हूँ।
    परमेश्वर, तेरे आदेशों पर चलने में मेरी सहायता कर।
11 मैं बड़े ध्यान से तेरे आदेशों का मनन किया करता हूँ।
    क्यों ताकि मैं तेरे विरूद्ध पाप पर न चलूँ।
12 हे यहोवा, तेरा धन्यवाद!
    तू अपने विधानों की शिक्षा मुझको दे।
13 तेरे सभी निर्णय जो विवेकपूर्ण हैं। मैं उनका बखान करूँगा।
14 तेरे नियमों पर मनन करना,
    मुझको अन्य किसी भी वस्तु से अधिक भाता है।
15 मैं तेरे नियमों की चर्चा करता हूँ,
    और मैं तेरे समान जीवन जीता हूँ।
16 मैं तेरे नियमों में आनन्द लेता हूँ।
    मैं तेरे वचनों को नहीं भूलूँगा।

गिमेल्

17 तेरे दास को योग्यता दे
    और मैं तेरे नियमों पर चलूँगा।
18 हे यहोवा, मेरी आँख खोल दे और मैं तेरी शिक्षाओं के भीतर देखूँगा।
    मैं उन अद्भुत बातों का अध्ययन करूँगा जिन्हें तूने किया है।
19 मैं इस धरती पर एक अनजाना परदेशी हूँ।
    हे यहोवा, अपनी शिक्षाओं को मुझसे मत छिपा।
20 मैं हर समय तेरे निर्णयों का
    पाठ करना चाहता हूँ।
21 हे यहोवा, तू अहंकारी जन की आलोचना करता है।
    उन अहंकारी लोगों पर बुरी बातें घटित होंगी। वे तेरे आदेशों पर चलना नकारते हैं।
22 मुझे लज्जित मत होने दे, और मुझको असमंजस में मत डाल।
    मैंने तेरी वाचा का पालन किया है।
23 यहाँ तक कि प्रमुखों ने भी मेरे लिये बुरी बातें की हैं।
    किन्तु मैं तो तेरा दास हूँ।
    मैं तेरे विधान का पाठ किया करता हूँ।
24 तेरी वाचा मेरा सर्वोत्तम मिस्र है।
    यह मुझको अच्छी सलाह दिया करता है।

भजन संहिता 12-14

शौमिनिथ की संगत पर संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक पद।

हे यहोवा, मेरी रक्षा कर!
    खरे जन सभी चले गये हैं।
    मनुष्यों की धरती में अब कोई भी सच्चा भक्त नहीं बचा है।
लोग अपने ही साथियों से झूठ बोलते हैं।
    हर कोई अपने पड़ोसियों को झूठ बोलकर चापलूसी किया करता है।
यहोवा उन ओंठों को सी दे जो झूठ बोलते हैं।
    हे यहोवा, उन जीभों को काट जो अपने ही विषय में डींग हाँकते हैं।
ऐसे जन सोचते है, “हमारी झूठें हमें बड़ा व्यक्ति बनायेंगी।
    कोई भी व्यक्ति हमारी जीभ के कारण हमें जीत नहीं पायेगा।”

किन्तु यहोवा कहता है:
    “बुरे मनुष्यों ने दीन दुर्बलों से वस्तुएँ चुरा ली हैं।
उन्होंने असहाय दीन जन से उनकी वस्तुएँ ले लीं।
    किन्तु अब मैं उन हारे थके लोगों की रक्षा खड़ा होकर करुँगा।”

यहोवा के वचन सत्य हैं और इतने शुद्ध
    जैसे आग में पिघलाई हुई श्वेत चाँदी।
    वे वचन उस चाँदी की तरह शुद्ध हैं, जिसे पिघला पिघला कर सात बार शुद्ध बनाया गया है।
हे यहोवा, असहाय जन की सुधि ले।
    उनकी रक्षा अब और सदा सर्वदा कर!
ये दुर्जन अकड़े और बने ठने घूमते हैं।
किन्तु वे ऐसे होते हैं जैसे कोई नकली आभूषण धारण करता है
    जो देखने में मूल्यवान लगते हैं, किन्तु वास्तव में बहुत ही सस्ते होते हैं।

संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक पद।

हे यहोवा, तू कब तक मुझ को भूला रहेगा?
    क्या तू मुझे सदा सदा के लिये बिसरा देगा कब तक तू मुझको नहीं स्वीकारेगा?
तू मुझे भूल गया यह कब तक मैं सोचूँ?
    अपने ह्रदय में कब तक यह दु:ख भोगूँ?
कब तक मेरे शत्रु मुझे जीतते रहेंगे?

हे यहोवा, मेरे परमेश्वर, मेरी सुधि ले! और तू मेरे प्रश्न का उत्तर दे!
    मुझको उत्तर दे नहीं तो मैं मर जाऊँगा!
कदाचित् तब मेरे शत्रु यों कहने लगें, “मैंने उसे पीट दिया!”
    मेरे शत्रु प्रसन्न होंगे कि मेरा अंत हो गया है।

हे यहोवा, मैंने तेरी करुणा पर सहायता पाने के लिये भरोसा रखा।
    तूने मुझे बचा लिया और मुझको सुखी किया!
मैं यहोवा के लिये प्रसन्नता के गीत गाता हूँ,
    क्योंकि उसने मेरे लिये बहुत सी अच्छी बातें की हैं।

संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का पद।

मूर्ख अपने मनमें कहता है, “परमेश्वर नहीं है।”
    मूर्ख जन तो ऐसे कार्य करते हैं जो भ्रष्ट और घृणित होते हैं।
    उनमें से कोई भी भले काम नहीं करता है।

यहोवा आकाश से नीचे लोगों को देखता है,
    कि कोई विवेकी जन उसे मिल जाये।
    विवेकी मनुष्य परमेश्वर की ओर सहायता पाने के लिये मुड़ता है।
किन्तु परमेश्वर से मुड़ कर सभी दूर हो गये हैं।
    आपस में मिल कर सभी लोग पापी हो गये हैं।
कोई भी जन अच्छे कर्म नहीं कर रहा है!

मेरे लोगों को दुष्टों ने नष्ट कर दिया है। वे दुर्जन परमेश्वर को नहीं जानते हैं।
    दुष्टों के पास खाने के लिये भरपूर भोजन है।
    ये जन यहोवा की उपासना नहीं करते।
ये दुष्ट मनुष्य निर्धन की सम्मति सुनना नहीं चाहते।
    ऐसा क्यों है? क्योंकि दीन जन तो परमेश्वर पर निर्भर है।
किन्तु दुष्ट लोगों पर भय छा गया है।
    क्यों? क्योंकि परमेश्वर खरे लोगों के साथ है।

सिय्योन पर कौन जो इस्राएल को बचाता है? वह तो यहोवा है,
    जो इस्राएल की रक्षा करता है!
यहोवा के लोगों को दूर ले जाया गया और उन्हें बलपूर्वक बन्दी बनाया गया।
    किन्तु यहोवा अपने भक्तों को वापस छुड़ा लायेगा।
    तब याकूब (इस्राएल) अति प्रसन्न होगा।

अय्यूब 6:1

अय्यूब ने एलीपज को उत्तर देता है

फिर अय्यूब ने उत्तर देते हुए कहा,

अय्यूब 7

अय्यूब ने कहा,

“मनुष्य को धरती पर कठिन संघर्ष करना पड़ता है।
    उसका जीवन भाड़े के श्रमिक के जीवन जैसा होता है।
मनुष्य उस भाड़े के श्रमिक जैसा है जो तपते हुए दिन में मेहनत करने के बाद शीतल छाया चाहता है
    और मजदूरी मिलने के दिन की बाट जोहता रहता है।
महीने दर महीने बेचैनी के गुजर गये हैं
    और पीड़ा भरी रात दर रात मुझे दे दी गई है।
जब मैं लेटता हूँ, मैं सोचा करता हूँ कि
    अभी और कितनी देर है मेरे उठने का?
यह रात घसीटती चली जा रही है।
    मैं छटपटाता और करवट बदलता हूँ, जब तक सूरज नहीं निकल आता।
मेरा शरीर कीड़ों और धूल से ढका हुआ है।
    मेरी त्वचा चिटक गई है और इसमें रिसते हुए फोड़े भर गये हैं।

“मेरे दिन जुलाहे की फिरकी से भी अधिक तीव्र गति से बीत रहें हैं।
    मेरे जीवन का अन्त बिना किसी आशा के हो रहा है।
हे परमेश्वर, याद रख, मेरा जीवन एक फूँक मात्र है।
    अब मेरी आँखें कुछ भी अच्छा नहीं देखेंगी।
अभी तू मुझको देख रहा है किन्तु फिर तू मुझको नहीं देख पायेगा।
    तू मुझको ढूँढेगा किन्तु तब तक मैं जा चुका होऊँगा।
एक बादल छुप जाता है और लुप्त हो जाता है।
    इसी प्रकार एक व्यक्ति जो मर जाता है और कब्र में गाड़ दिया जाता है, वह फिर वापस नहीं आता है।
10 वह अपने पुराने घर को वापस कभी भी नहीं लौटेगा।
    उसका घर उसको फिर कभी भी नहीं जानेगा।

11 “अत: मैं चुप नहीं रहूँगा। मैं सब कह डालूँगा।
    मेरी आत्मा दु:खित है और मेरा मन कटुता से भरा है,
    अत: मैं अपना दुखड़ा रोऊँगा।
12 हे परमेश्वर, तू मेरी रखवाली क्यों करता है?
    क्या मैं समुद्र हूँ, अथवा समुद्र का कोई दैत्य?
13 जब मुझ को लगता है कि मेरी खाट मुझे शान्ति देगी
    और मेरा पलंग मुझे विश्राम व चैन देगा।
14 हे परमेश्वर, तभी तू मुझे स्वप्न में डराता है,
    और तू दर्शन से मुझे घबरा देता है।
15 इसलिए जीवित रहने से अच्छा
    मुझे मर जाना ज्यादा पसन्द है।
16 मैं अपने जीवन से घृणा करता हूँ।
    मेरी आशा टूट चुकी है।
मैं सदैव जीवित रहना नहीं चाहता।
    मुझे अकेला छोड़ दे। मेरा जीवन व्यर्थ है।
17 हे परमेश्वर, मनुष्य तेरे लिये क्यों इतना महत्वपूर्ण है?
    क्यों तुझे उसका आदर करना चाहिये? क्यों मनुष्य पर तुझे इतना ध्यान देना चाहिये?
18 हर प्रात: क्यों तू मनुष्य के पास आता है
    और हर क्षण तू क्यों उसे परखा करता है?
19 हे परमेश्वर, तू मुझसे कभी भी दृष्टि नहीं फेरता है
    और मुझे एक क्षण के लिये भी अकेला नहीं छोड़ता है।
20 हे परमेश्वर, तू लोगों पर दृष्टि रखता है।
    यदि मैंने पाप किया, तब मैं क्या कर सकता हूँ
तूने मुझको क्यों निशाना बनाया है?
    क्या मैं तेरे लिये कोई समस्या बना हूँ?
21 क्यों तू मेरी गलतियों को क्षमा नहीं करता और मेरे पापों को
    क्यों तू माफ नहीं करता है?
मैं शीघ्र ही मर जाऊँगा और कब्र में चला जाऊँगा।
    जब तू मुझे ढूँढेगा किन्तु तब तक मैं जा चुका होऊँगा।”

प्रेरितों के काम 10:1-16

पतरस और कुरनेलियुस

10 कैसरिया में कुरनेलियुस नाम का एक व्यक्ति था। वह सेना के उस दल का नायक था जिसे इतालवी कहा जाता था। वह परमेश्वर से डरने वाला भक्त था और उसका परिवार भी वैसा ही था। वह गरीब लोगों की सहायता के लिये उदारतापूर्वक दान दिया करता था और सदा ही परमेश्वर की प्रार्थना करता रहता था। दिन के नवें पहर के आसपास उसने एक दर्शन में स्पष्ट रूप से देखा कि परमेश्वर का एक स्वर्गदूत उसके पास आया है और उससे कह रहा है, “कुरनेलियुस।”

सो कुरनेलियुस डरते हुए स्वर्गदूत की ओर देखते हुए बोला, “हे प्रभु, यह क्या है?”

स्वर्गदूत ने उससे कहा, “तेरी प्रार्थनाएँ और दीन दुखियों को दिया हुआ तेरा दान एक स्मारक के रूप में तुझे याद दिलानेके लिए परमेश्वर के पास पहुचें हैं। सो अब कुछ व्यक्तियोंको याफा भेज और शमौन नाम के एक व्यक्ति को, जो पतरस भी कहलाता है, यहाँ बुलवा ले। वह शमौन नाम के एक चर्मकार के साथ रह रहा है। उसका घर सागर के किनारे है।” वह स्वर्गदूत जो उससे बात कर रहा था, जब चला गया तो उसने अपने दो सेवकों और अपने निजी सहायकों में से एक भक्त सिपाही को बुलाया और जो कुछ घटित हुआ था, उन्हें सब कुछ बताकर याफा भेज दिया।

अगले दिन जब वे चलते चलते नगर के निकट पहुँचने ही वाले थे, पतरस दोपहर के समय प्रार्थना करने को छत पर चढ़ा। 10 उसे भूख लगी, सो वह कुछ खाना चाहता था। वे जब भोजन तैयार कर ही रहे थे तो उसकी समाधि लग गयी। 11 और उसने देखा कि आकाश खुल गया है और एक बड़ी चादर जैसी कोई वस्तु नीचे उतर रही है। उसे चारों कोनों से पकड़ कर धरती पर उतारा जा रहा है। 12 उस पर हर प्रकार के पशु, धरती के रेंगने वाले जीवजंतु और आकाश के पक्षी थे। 13 फिर एक स्वर ने उससे कहा, “पतरस उठ। मार और खा।”

14 पतरस ने कहा, “प्रभु, निश्चित रूप से नहीं, क्योंकि मैंने कभी भी किसी तुच्छ या समय के अनुसार अपवित्र आहार को नहीं लिया है।”

15 इस पर उन्हें दूसरी बार फिर वाणी सुनाई दी, “किसी भी वस्तु को जिसे परमेश्वर ने पवित्र बनाया है, तुच्छ मत कहना!” 16 तीन बार ऐसा ही हुआ और वह वस्तु फिर तुरंत आकाश में वापस उठा ली गयी।

यूहन्ना 7:1-13

यीशु और उसके भाई

इसके बाद यीशु ने गलील की यात्रा की। वह यहूदिया जाना चाहता था क्योंकि यहूदी उसे मार डालना चाहते थे। यहूदियों का खेमों का पर्व[a] आने वाला था। इसलिये यीशु के बंधुओं ने उससे कहा, “तुम्हें यह स्थान छोड़कर यहूदिया चले जाना चाहिये। ताकि तुम्हारे अनुयायी तुम्हारे कामों को देख सकें। कोई भी वह व्यक्ति जो लोगों में प्रसिद्ध होना चाहता है अपने कामों को छिपा कर नहीं करता। क्योंकि तुम आश्चर्य कर्म करते हो इसलिये सारे जगत के सामने अपने को प्रकट करो।” यीशु के भाई तक उसमें विश्वास नहीं करते थे।

यीशु ने उनसे कहा, “मेरे लिये अभी ठीक समय नहीं आया है। पर तुम्हारे लिये हर समय ठीक है। यह जगत तुमसे घृणा नहीं कर सकता पर मुझसे घृणा करता है। क्योंकि मैं यह कहता रहता हूँ कि इसकी करनी बुरी है। इस पर्व में तुम लोग जाओ, मैं नहीं जा रहा क्योंकि मेरे लिए अभी ठीक समय नहीं आया है।” ऐसा कहने के बाद यीशु गलील मे रुक गया।

10 जब उसके भाई पर्व में चले गये तो वह भी गया। पर वह खुले तौर पर नही; छिप कर गया था। 11 यहूदी नेता उसे पर्व में यह कहते खोज रहे थे, “वह मनुष्य कहाँ है?”

12 यीशु के बारे में छिपे-छिपे उस भीड़ में तरह-तरह की बातें हो रही थीं। कुछ कह रहे थे, “वह अच्छा व्यक्ति है।” पर दूसरों ने कहा, “नहीं, वह लोगों को भटकाता है।” 13 कोई भी उसके बारे में खुलकर बातें नहीं कर पा रहा था क्योंकि वे लोग यहूदी नेताओं से डरते थे।

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