Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 38

हे यहोवा, क्रोध में मेरी आलोचना मत कर।
    मुझको अनुशासित करते समय मुझ पर क्रोधित मत हो।
हे यहोवा, तूने मुझे चोट दिया है।
    तेरे बाण मुझमें गहरे उतरे हैं।
तूने मुझे दण्डित किया और मेरी सम्पूर्ण काया दु:ख रही है,
    मैंने पाप किये और तूने मुझे दण्ड दिया। इसलिए मेरी हड्डी दु:ख रही है।
मैं बुरे काम करने का अपराधी हूँ,
    और वह अपराध एक बड़े बोझे सा मेरे कन्धे पर चढ़ा है।
मैं बना रहा मूर्ख,
    अब मेरे घाव दुर्गन्धपूर्ण रिसते हैं और वे सड़ रहे हैं।
मैं झुका और दबा हुआ हूँ।
    मैं सारे दिन उदास रहता हूँ।
मुझको ज्वर चढ़ा है,
    और समूचे शरीर में वेदना भर गई है।
मैं पूरी तरह से दुर्बल हो गया हूँ।
    मैं कष्ट में हूँ इसलिए मैं कराहता और विलाप करता हूँ।
हे यहोवा, तूने मेरा कराहना सुन लिया।
    मेरी आहें तो तुझसे छुपी नहीं।
10 मुझको ताप चढ़ा है।
    मेरी शक्ति निचुड़ गयी है। मेरी आँखों की ज्योति लगभग जाती रही।
11 क्योंकि मैं रोगी हूँ,
    इसलिए मेरे मित्र और मेरे पड़ोसी मुझसे मिलने नहीं आते।
    मेरे परिवार के लोग तो मेरे पास तक नहीं फटकते।
12 मेरे शत्रु मेरी निन्दा करते हैं।
    वे झूठी बातों और प्रतिवादों को फैलाते रहते हैं।
    मेरे ही विषय में वे हरदम बात चीत करते रहते हैं।
13 किन्तु मैं बहरा बना कुछ नहीं सुनता हूँ।
    मैं गूँगा हो गया, जो कुछ नहीं बोल सकता।
14 मैं उस व्यक्ति सा बना हूँ, जो कुछ नहीं सुन सकता कि लोग उसके विषय क्या कह रहे हैं।
    और मैं यह तर्क नहीं दे सकता और सिद्ध नहीं कर सकता की मेरे शत्रु अपराधी हैं।
15 सो, हे यहोवा, मुझे तू ही बचा सकता है।
    मेरे परमेश्वर और मेरे स्वामी मेरे शत्रुओं को तू ही सत्य बता दे।
16 यदि मैं कुछ भी न कहूँ, तो मेरे शत्रु मुझ पर हँसेंगे।
    मुझे खिन्न देखकर वे कहने लगेंगे कि मैं अपने कुकर्मो का फल भोग रहा हूँ।
17 मैं जानता हूँ कि मैं अपने कुकर्मो के लिए पापी हूँ।
    मैं अपनी पीड़ा को भूल नहीं सकता हूँ।
18 हे यहोवा, मैंने तुझको अपने कुकर्म बता दिये।
    मैं अपने पापों के लिए दु:खी हूँ।
19 मेरे शत्रु जीवित और पूर्ण स्वस्थ हैं।
    उन्होंने बहुत—बहुत झूठी बातें बोली हैं।
20 मेरे शत्रु मेरे साथ बुरा व्यवहार करते हैं,
    जबकि मैंने उनके लिये भला ही किया है।
मैं बस भला करने का जतन करता रहा,
    किन्तु वे सब लोग मेरे विरद्ध हो गये हैं।
21 हे यहोवा, मुझको मत बिसरा!
    मेरे परमेश्वर, मुझसे तू दूर मत रह!
22 देर मत कर, आ और मेरी सुधि ले!
    हे मेरे परमेश्वर, मुझको तू बचा ले!

भजन संहिता 119:25-48

दालथ्

25 मैं शीघ्र मर जाऊँगा।
    हे यहोवा, तू आदेश दे और मुझे जीने दे।
26 मैंने तुझे अपने जीवन के बारे में बताया है, तूने मुझे उत्तर दिया है।
    अब तू मुझको अपना विधान सिखा।
27 हे यहोवा, मेरी सहायता कर ताकि मैं तेरी व्यवस्था का विधान समझूँ।
    मुझे उन अद्भुत कर्मो का चिंतन करने दे जिन्हें तूने किया है।
28 मैं दु:खी और थका हूँ।
    मुझको आदेश दे और अपने वचन के अनुसार मुझको तू फिर सुदृढ़ बना दे।
29 हे यहोवा, मुझे कोई झूठ मत जीने दे।
    अपनी शिक्षाओं से मुझे राह दिखा दे।
30 हे यहोवा, मैंने चुना है कि तेरे प्रति निष्ठावान रहूँ।
    मैं तेरे विवेकपूर्ण निर्णयों का सावधानी से पाठ किया करता हूँ।
31 हे यहोवा, तेरी वाचा के संग मेरी लगन लगी है।
    तू मुझको निराश मत कर।
32 मैं तेरे आदेशों का पालन प्रसन्नता के संग किया करूँगा।
    हे यहोवा, तेरे आदेश मुझे अति प्रसन्न करते हैं।

हेथ्

33 हे यहोवा, तू मुझे अपनी व्यवस्था सिखा
    तब मैं उनका अनुसरण करूँगा।
34 मुझको सहारा दे कि मैं उनको समझूँ
    और मैं तेरी शिक्षाओं का पालन करुँगा।
    मैं पूरी तरह उनका पालन करूँगा।
35 हे यहोवा, तू मुझको अपने आदेशों की राह पर ले चल।
    मुझे सचमुच तेरे आदेशों से प्रेम है। मेरा भला कर और मुझे जीने दे।
36 मेरी सहायता कर कि मैं तेरे वाचा का मनन करूँ,
    बजाय उसके कि यह सोचता रहूँ कि कैसे धनवान बनूँ।
37 हे यहोवा, मुझे अद्भुत वस्तुओं पाने को
    कठिन जतन मत करने दे।
38 हे यहोवा, मैं तेरा दास हूँ। सो उन बातों को कर जिनका वचन तूने दिये है।
    तूने उन लोगों को जो पूर्वज हैं उन बातों को वचन दिया था।
39 हे यहोवा, जिस लाज से मुझको भय उसको तू दूर कर दे।
    तेरे विवेकपूर्ण निर्णय अच्छे होते हैं।
40 देख मुझको तेरे आदेशोंसे प्रेम है।
    मेरा भला कर और मुझे जीने दे।

वाव्

41 हे यहोवा, तू सच्चा निज प्रेम मुझ पर प्रकट कर।
    मेरी रक्षा वैसे ही कर जैसे तूने वचन दिया।
42 तब मेरे पास एक उत्तर होगा। उनके लिये जो लोग मेरा अपमान करते हैं।
    हे यहोवा, मैं सचमुच तेरी उन बातों के भरोसे हूँ जिनको तू कहता है।
43 तू अपनी शिक्षाएँ जो भरोसे योग्य है, मुझसे मत छीन।
    हे यहोवा, तेरे विवेकपूर्ण निर्णयों का मुझे भरोसा है।
44 हे यहोवा, मैं तेरी शिक्षाओं का पालन सदा और सदा के लिये करूँगा।
45 सो मैं सुरक्षित जीवन जीऊँगा।
    क्यों मैं तेरी व्यवस्था को पालने का कठिन जतन करता हूँ।
46 यहोवा के वाचा की चर्चा मैं राजाओं के साथ करूँगा
    और वे मुझे संकट में कभी न डालेंगे।
47 हे यहोवा, मुझे तेरी व्यवस्थाओं का मनन भाता है।
    तेरी व्यवस्थाओं से मुझको प्रेम है।
48 हे यहोवा, मैं तेरी व्यवस्थाओं के गुण गाता हूँ,
    वे मुझे प्यारी हैं और मैं उनका पाठ करूँगा।

1 राजा 9:24-10:13

24 फिरौन की पुत्री दाऊद के नगर से वहाँ गई जहाँ सुलैमान ने उसके लिये विशाल महल बनाया। तब सुलैमान ने मिल्लों बनाया।

25 हर वर्ष तीन बार सुलैमान होमबलि और मेलबलि वेदी पर चढ़ाता था। यह वही वेदी थी जिसे सुलैमान ने यहोवा के लिये बनाया था। राजा सुलैमान यहोवा के सामने सुगन्धि भी जलाता था। अत: मन्दिर के लिये आवश्यक चीज़ें दिया करता था।

26 राजा सुलैमान ने एस्योन गेबेर में जहाज भी बनाये। यह नगर एदोम प्रदेश में लाल सागर के तट पर एलोत के पास था। 27 राजा हीराम के पास कुछ ऐसे व्यक्ति थे जो समुद्र के बारे में अच्छा ज्ञान रखते थे। वे व्यक्ति प्राय: जहाज से यात्रा करते थे। राजा हीराम ने उन व्यक्तियों को सुलैमान के नाविक बेड़े में सेवा करने और सुलैमान के व्यक्तियों के साथ काम करने के लिये भेजा। 28 सुलैमान के जहाज ओपोर को गये। वे जहाज एकतीस हजार पाँच सौ पौंड सोना आपोर से सुलैमान के लिये लेकर लौटे।

शीबा की रानी सुलैमान से मिलने आती है

10 शीबा की रानी ने सुलैमान के बारे में सुना। अतः वह कठिन प्रशानों से उसकी परीक्षा लेने को आई। उसने सेवकों की विशाल संख्या के साथ यरूशलेम की यात्रा की। अनेक ऊँट मसाले, रत्न, और बहुत सा सोना ढो रहे थे। वह सुलैमान से मिली और उसने उन सब प्रश्नों को पूछा जिन्हें वह सोच सकती थी। सुलैमान ने सभी प्रश्नों के उत्तर दिये। उसका कोई भी प्रश्न उसके उत्तर देने के लिये अत्याधिक कठिन नहीं था। शीबा की रानी ने समझ लिया कि सुलैमान बहुत बुद्धिमान है। उसने उस सुन्दर महल को भी देखा जिसे उसने बनाया था। रानी ने राजा की मेज पर भोजन भी देखा। उसने उसके अधिकारियों को एक साथ मिलते देखा। उसने महल के सेवकों और जिन अच्छे वस्त्रों को उन्होंने पहन रखा था, उन्हें भी देखा। उसने उसकी दावतों और मन्दिर में चढ़ाई गई भेंटों को देखा। उन सभी चीजों ने वास्तव में उसे चकित कर दिया। उसकी साँस ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे रह गई!

इसलिये रानी ने राजा से कहा, “मैंने अपने देश में आपकी बुद्धिमानी और बहुत सी बातों के बारे में सुना जो आपने कीं। वे सभी बातें सत्य हैं! मैं इन बातों में तब तक विश्वास नहीं करती थी जब तक मैं यहाँ नहीं आई और इन चीज़ों को अपनी आँखों से नहीं देखा। अब मैं देखती हूँ कि जितना मैंने सुन रखा था उससे भी अधिक यहाँ है। आपकी बुद्धिमत्ता और सम्पत्ति उससे बहुत अधिक है जितनी लोगों ने मुझको बतायी। आपकी पत्नियाँ[a] और आपके अधिकारी बहुत भाग्यशाली हैं। वे प्रतिदिन आपकी सेवा कर सकते हैं और आपकी बुद्धिमत्तापूर्ण बातें सुन सकते हैं। आपका यहोवा परमेश्वर स्तुति योग्य है! आपको इस्राएल का राजा बनाने में उसे प्रसन्नता हुई। यहोवा परमेश्वर इस्राएल से प्रेम करता है। इसलिये उसने आपको राजा बनाया। आप नियमों का अनुसरण करते हैं और लोगों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार करते हैं।”

10 तब शीबा की रानी ने राजा को लगभग नौ हजार पौंड सोना दिया। उसने उसे अनेक मसाले और रत्न भी दिये। जितनी मात्रा में शीबा की रानी ने राजा सुलैमान को मसाले उपहार में दिये, उतनी मात्रा में मसाले फिर कभी इस्राएल देश में नहीं आए। शीबा की रानी ने उससे अधिक मसाले सुलैमान को दिये जितने पहले कभी किसी ने इस्राएल को लाकर दिये थे।

11 हीराम के जहाज ओपोर से सोना ले आए। वे जहाज बहुत अधिक लकड़ी[b] और रत्न भी लाए। 12 सुलैमान ने लकड़ी का उपयोग मन्दिर और महल को सम्भालने के लिये किया। उसने लकड़ी का उपयोग गायकों के लिये वीणा और बीन बनाने में भी किया। अन्य कोई भी व्यक्ति उस प्रकार की लकड़ी इस्राएल में कभी नहीं लाया, और किसी भी व्यक्ति ने तब से उस प्रकार की लकड़ी नहीं देखी।

13 तब राजा सुलैमान ने शीबा की रानी को वे भेंटें दीं जो कोई राजा किसी अन्य देश के शासक को सदैव देता है। तब उसने उसे वह सब दिया जो कुछ भी उसने माँगा। उसके बाद रानी सेवकों सहित अपने देश को वापस लौट गई।

याकूब 3:1-12

वाणी का संयम

हे मेरे भाईयों, तुममें से बहुत से को उपदेशक बनने की इच्छा नहीं करनी चाहिए। तुम जानते ही हो कि हम उपदेशकों का और अधिक कड़ाई के साथ न्याय किया जाएगा।

मैं तुम्हें ऐसे इसलिए चेता रहा हूँ कि हम सबसे बहुत सी भूल होती ही रहती हैं। यदि कोई बोलने में कोई भी चूक न करे तो वह एक सिद्ध व्यक्ति है तो फिर ऐसा कौन है जो उस पर पूरी तरह काबू पा सकता है? हम घोड़ों के मुँह में इसलिए लगाम लगाते हैं कि वे हमारे बस में रहें और इस प्रकार उनके समूचे देह को हम वश में कर सकते हैं। अथवा जलयानो का उदाहरण भी लिया जा सकता है। देखो, चाहे वे कितने ही बड़े होते हैं और शक्तिशाली हवाओं द्वारा चलाए जाते हैं, किन्तु एक छोटी सी पतवार से उनका नाविक उन्हें जहाँ कहीं ले जाना चाहता है, उन पर काबू पाकर उन्हें ले जाता है। इसी प्रकार जीभ, जो देह का एक छोटा सा अंग है, बड़ी-बड़ी बातें कर डालने की डींगे मारती है।

अब तनिक सोचो एक जरा सी लपट समूचे जंगल को जला सकती है। हाँ, जीभ एक लपट है। यह बुराई का एक पूरा संसार है। यह जीभ हमारे देह के अंगों में एक ऐसा अंग है, जो समूचे देह को भ्रष्ट कर डालता है और हमारे समूचे जीवन चक्र में ही आग लगा देता है। यह जीभ नरक की आग से धधकती रहती है।

देखो, हर प्रकार के हिंसक पशु, पक्षी, रेंगने वाले जीव जंतु, पानी में रहने वाले प्राणी मनुष्य द्वारा वश में किए जा सकते हैं और किए भी गए हैं। किन्तु जीभ को कोई मनुष्य वश में नहीं कर सकता। यह घातक विष से भरी एक ऐसी बुराई है जो कभी चैन से नहीं रहती। हम इसी से अपने प्रभु और परमेश्वर की स्तुति करते हैं और इसी से लोगों को जो परमेश्वर की समरूपता में उत्पन्न किए गए हैं, कोसते भी हैं। 10 एक ही मुँह से आशीर्वाद और अभिशाप दोनों निकलते हैं। मेरे भाईयों, ऐसा तो नहीं होना चाहिए। 11 सोते के एक ही मुहाने से भला क्या मीठा और खारा दोनों तरह का जल निकल सकता है? 12 मेरे भाईयों क्या अंजीर के पेड़ पर जैतून या अंगूर की लता पर कभी अंजीर लगते हैं? निश्चय ही नहीं। और न ही खारे स्रोत से कभी मीठा जल निकल पाता है।

मरकुस 15:1-11

यीशु पिलातुस के सामने पेश

(मत्ती 27:1-2; 11-14; लूका 23:1-5; यूहन्ना 18:28-38)

15 जैसे ही सुबह हुई महायाजकों, धर्मशास्त्रियों, बुजुर्ग यहूदी नेताओं और समूची यहूदी महासभा ने एक योजना बनायी। वे यीशु को बँधवा कर ले गये और उसे राज्यपाल पिलातुस को सौंप दिया।

पिलातुस ने उससे पूछा, “क्या तू यहूदियों का राजा है?”

यीशु ने उत्तर दिया, “ऐसा ही है। तू स्वयं कह रहा है।”

फिर प्रमुख याजकों ने उस पर बहुत से दोष लगाये। पिलातुस ने उससे फिर पूछा, “क्या तुझे उत्तर नहीं देना है? देख वे कितनी बातों का दोष तुझ पर लगा रहे हैं।”

किन्तु यीशु ने अब भी कोई उत्तर नहीं दिया। इस पर पिलातुस को बहुत अचरज हुआ।

पिलातुस यीशु को छोड़ने में विफल

(मत्ती 27:15-31; लूका 23:13-25; यूहन्ना 18:39-19:16)

फ़सह पर्व के अवसर पर पिलातुस किसी भी एक बंदी को, जिसे लोग चाहते थे उनके लिये छोड़ दिया करता था। बरअब्बा नाम का एक बंदी उन बलवाइयों के साथ जेल में था जिन्होंने दंगे में हत्या की थी।

लोग आये और पिलातुस से कहने लगे कि वह जैसा सदा से उनके लिए करता आया है, वैसा ही करे। पिलातुस ने उनसे पूछा, “क्या तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये यहूदियों के राजा को छोड़ दूँ?” 10 पिलातुस ने यह इसलिए कहा कि वह जानता था कि प्रमुख याजकों ने ईर्षा-द्वेष के कारण ही उसे पकड़वाया है। 11 किन्तु प्रमुख याजकों ने भीड़ को उकसाया कि वह उसके बजाय उनके लिये बरअब्बा को ही छोड़े।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International