Book of Common Prayer
कोरह वंशियों का एक स्तुति गीत।
1 परमेश्वर ने यरूशलेम के पवित्र पहाड़ियों पर अपना मन्दिर बनाया।
2 यहोवा को इस्राएल के किसी भी स्थान से सिय्योन के द्वार अधिक भाते हैं।
3 हे परमेश्वर के नगर, तेरे विषय में लोग अद्भुत बातें बताते है।
4 परमेश्वर अपने लोगों की सूची रखता है। परमेश्वर के कुछ भक्त मिस्र और बाबेल में रहते है।
कुछ लोग पलिश्ती, सोर और कूश तक में रहते हैं।
5 परमेश्वर हर एक जन को
जो सिय्योन में पैदा हुए जानता है।
इस नगर को परम परमेश्वर ने बनाया है।
6 परमेश्वर अपने भक्तों की सूची रखता है।
परमेश्वर जानता है कौन कहाँ पैदा हुआ।
7 परमेश्वर के भक्त उत्सवों को मनाने यरूशलेम जाते हैं। परमेश्वर के भक्त गाते, नाचते और अति प्रसन्न रहते हैं।
वे कहा करते हैं, “सभी उत्तम वस्तुएं यरूशलेम से आई?”
चौथा भाग
(भजनसंहिता 90–106)
परमेश्वर के भक्त मूसा की प्रार्थना।
1 हे स्वामी, तू अनादि काल से हमारा घर (सुरक्षास्थल) रहा है।
2 हे परमेश्वर, तू पर्वतों से पहले, धरती से पहले था,
कि इस जगत के पहले ही परमेश्वर था।
तू सर्वदा ही परमेश्वर रहेगा।
3 तू ही इस जगत में लोगों को लाता है।
फिर से तू ही उनको धूल में बदल देता है।
4 तेरे लिये हजार वर्ष बीते हुए कल जैसे है,
व पिछली रात जैसे है।
5 तू हमारा जीवन सपने जैसा बुहार देता है और सुबह होते ही हम चले जाते है।
हम ऐसे घास जैसे है,
6 जो सुबह उगती है और वह शाम को सूख कर मुरझा जाती है।
7 हे परमेश्वर, जब तू कुपित होता है हम नष्ट हो जाते हैं।
हम तेरे प्रकोप से घबरा गये हैं।
8 तू हमारे सब पापों को जानता है।
हे परमेश्वर, तू हमारे हर छिपे पाप को देखा करता है।
9 तेरा क्रोध हमारे जीवन को खत्म कर सकता है।
हमारे प्राण फुसफुसाहट की तरह विलीन हो जाते है।
10 हम सत्तर साल तक जीवित रह सकते हैं।
यदि हम शक्तिशाली हैं तो अस्सी साल।
हमारा जीवन परिश्रम और पीड़ा से भरा है।
अचानक हमारा जीवन समाप्त हो जाता है! हम उड़कर कहीं दूर चले जाते हैं।
11 हे परमेश्वर, सचमुच कोई भी व्यक्ति तेरे क्रोध की पूरी शक्ति नहीं जानता।
किन्तु हे परमेश्वर, हमारा भय और सम्मान तेरे लिये उतना ही महान है, जितना क्रोध।
12 तू हमको सिखा दे कि हम सचमुच यह जाने कि हमारा जीवन कितना छोटा है।
ताकि हम बुद्धिमान बन सकें।
13 हे यहोवा, तू सदा हमारे पास लौट आ।
अपने सेवकों पर दया कर।
14 प्रति दिन सुबह हमें अपने प्रेम से परिपूर्ण कर,
आओ हम प्रसन्न हो और अपने जीवन का रस लें।
15 तूने हमारे जीवनों में हमें बहुत पीड़ा और यातना दी है, अब हमें प्रसन्न कर दे।
16 तेरे दासों को उन अद्भुत बातों को देखने दे जिनको तू उनके लिये कर सकता है,
और अपनी सन्तानों को अपनी महिमा दिखा।
17 हमारे परमेश्वर, हमारे स्वमी, हम पर कृपालु हो।
जो कुछ हम करते हैं
तू उसमें सफलता दे।
1 यहोवा की प्रशंसा करो, क्योंकि वह उत्तम है।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
2 ईश्वरों के परमेश्वर की प्रशंसा करो!
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
3 प्रभुओं के प्रभु की प्रशंसा करो।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
4 परमेश्वर के गुण गाओ। बस वही एक है जो अद्भुत कर्म करता है।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
5 परमेश्वर के गुण गाओ जिसने अपनी बुद्धि से आकाश को रचा है।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
6 परमेश्वर ने सागर के बीच में सूखी धरती को स्थापित किया।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
7 परमेश्वर ने महान ज्योतियाँ रची।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
8 परमेश्वर ने सूर्य को दिन पर शासन करने के लिये बनाया।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
9 परमेश्वर ने चाँद तारों को बनाया कि वे रात पर शासन करें।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
10 परमेश्वर ने मिस्र में मनुष्यों और पशुओं के पहलौठों को मारा।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
11 परमेश्वर इस्राएल को मिस्र से बाहर ले आया।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
12 परमेश्वर ने अपना सामर्थ्य और अपनी महाशक्ति को प्रकटाया।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
13 परमेश्वर ने लाल सागर को दो भागों में फाड़ा।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
14 परमेश्वर ने इस्राएल को सागर के बीच से पार उतारा।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
15 परमेश्वर ने फ़िरौन और उसकी सेना को लाल सागर में डूबा दिया।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
16 परमेश्वर ने अपने निज भक्तों को मरुस्थल में राह दिखाई।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
17 परमेश्वर ने बलशाली राजा हराए।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
18 परमेश्वर ने सुदृढ़ राजाओं को मारा।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
19 परमेश्वर ने एमोरियों के राजा सीहोन को मारा।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
20 परमेश्वर ने बाशान के राजा ओग को मारा।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
21 परमेश्वर ने इस्राएल को उसकी धरती दे दी।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
22 परमेश्वर ने उस धरती को इस्राएल को उपहार के रूप में दिया।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
23 परमेश्वर ने हमको याद रखा, जब हम पराजित थे।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
24 परमेश्वर ने हमको हमारे शत्रुओं से बचाया था।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
25 परमेश्वर हर एक को खाने को देता है।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
26 स्वर्ग के परमेश्वर का गुण गाओ।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
यहोवा का सेवक उद्धार और उत्तमता लाता है
10 यहोवा मुझको अति प्रसन्न करता है।
मेरा सम्पूर्ण व्यक्तित्व परमेश्वर में स्थिर है और प्रसन्नता में मगन है।
यहोवा ने उद्धार के वस्त्र से मुझको ढक लिया।
वे वस्त्र ऐसे ही भव्य हैं जैसे भव्य वस्त्र कोई पुरूष अपने विवाह के अवसर पर पहनता है।
यहोवा ने मुझे नेकी के चोगे से ढक लिया है।
यह चोगा वैसा ही सुन्दर है जैसा सुन्दर किसी नारी का विवाह वस्त्र होता है।
11 धरती पौधे उगाती है।
लोग बगीचों में बीज डालते हैं और वह बगीचा उन बीजों को उगाता है।
वैसे ही यहोवा नेकी को उगायेगा।
इस तरह मेरा स्वामी सभी जातियों के बीच स्तुति को बढ़ायेगा।
नया यरूशलेम: नेकी का एक नगर
62 मुझको सिय्योन से प्रेम है
अत: मैं उसके लिये बोलता रहूँगा।
मुझको यरूशलेम से प्रेम है
अत: मैं चुप न होऊँगा।
मैं उस समय तक बोलता रहूँगा जब तक नेकी चमकती हुई ज्योति सी नहीं चमकेगी।
मैं उस समय तक बोलता रहूँगा जब तक उद्धार आग की लपट सा भव्य बन कर नहीं धधकेगा।
2 फिर सभी देश तेरी नेकी को देखेंगे।
तेरे सम्मान को सब राजा देखेंगे।
तभी तू एक नया नाम पायेगा।
स्वयं यहोवा तुम लोगों के लिये वह नया नाम पायेगा।
3 यहोवा को तुम लोगों पर बहुत गर्व होगा।
तुम यहोवा के हाथों में सुन्दर मुकुट के समान होगे।
4 फिर तुम कभी ऐसे जन नहीं कहलाओगे, “परमेश्वर के त्यागे हुए लोग।”
तुम्हारी धरती कभी ऐसी धरती नहीं कहलायेगी जिसे “परमेश्वर ने उजाड़ा।”
तुम लोग “परमेश्वर के प्रिय जन” कहलाओगे।
तुम्हारी धरती “परमेश्वर की दुल्हिन” कहलायेगी।
क्यों क्योंकि यहोवा तुमसे प्रेम करता है
और तुम्हारी धरती उसकी हो जायेगी।
5 जैसे एक युवक कुँवारी को ब्याहता है।
वैसे ही तेरे पुत्र तुझे ब्याह लेंगे।
और जैसे दुल्हा अपनी दल्हिन के संग आनन्दित होता है
वैसे ही तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे संग प्रसन्न होगा।
4 परमेश्वर को साक्षी करके और मसीह यीशु को अपनी साक्षी बना कर जो सभी जीवितों और जो मर चुके हैं, उनका न्याय करने वाला है, और क्योंकि उसका पुनःआगमन तथा उसका राज्य निकट है, मैं तुझे शपथ पूर्वक आदेश देता हूँ: 2 सुसमाचार का प्रचार कर। चाहे तुझे सुविधा हो चाहे असुविधा, अपना कर्तव्य करने को तैयार रह। लोगों को क्या करना चाहिए, उन्हें समझा। जब वे कोई बुरा काम करें, उन्हें चेतावनी दे। लोगों को धैर्य के साथ समझाते हुए प्रोत्साहित कर।
3 मैं यह इसलिए बता रहा हूँ कि एक समय ऐसा आयेगा जब लोग उत्तम उपदेश को सुनना तक नहीं चाहेंगे। वे अपनी इच्छाओं के अनुकूल अपने लिए बहुत से गुरु इकट्ठे कर लेंगे, जो वही सुनाएँगे जो वे सुनना चाहते हैं। 4 वे अपने कानों को सत्य से फेर लेंगे और कल्पित कथाओं पर ध्यान देने लगेंगे। 5 किन्तु तू निश्चयपूर्वक हर परिस्थिति में अपने पर नियन्त्रण रख, यातनाएँ झेल और सुसमाचार के प्रचार का काम कर। जो सेवा तुझे सौंपी गयी है, उसे पूरा कर।
6 जहाँ तक मेरी बात है, मैं तो अब अर्घ के समान उँडेला जाने पर हूँ। और मेरा तो इस जीवन से विदा लेने का समय भी आ पहुँचा है। 7 मैं उत्तम प्रतिस्पर्द्धा में लगा रहा हूँ। मैं अपनी दौड़, दौड़ चुका हूँ। मैंने विश्वास के पन्थ की रक्षा की है। 8 अब विजय मुकुट मेरी प्रतीक्षा में है। जो धार्मिक जीवन के लिये मिलना है। उस दिन न्यायकर्ता प्रभु मुझे विजय मुकुट पहनायेगा। न केवल मुझे, बल्कि उन सब को जो प्रेम के साथ उसके प्रकट होने की बाट जोहते रहे हैं।
अंधे को आँखें
(मत्ती 20:29-34; लूका 18:35-43)
46 फिर वे यरीहो आये और जब यीशु अपने शिष्यों और एक बड़ी भीड़ के साथ यरीहो को छोड़ कर जा रहा था, तो बरतिमाई (अर्थ “तिमाई का पुत्र”) नाम का एक अंधा भिखारी सड़क के किनारे बैठा था। 47 जब उसने सुना कि वह नासरी यीशु है, तो उसने ऊँचे स्वर में पुकार पुकार कर कहना शुरु किया, “दाऊद के पुत्र यीशु, मुझ पर दया कर।”
48 बहुत से लोगों ने डाँट कर उसे चुप रहने को कहा। पर वह और भी ऊँचे स्वर में पुकारने लगा, “दाऊद के पुत्र, मुझ पर दया कर!”
49 तब यीशु रुका और बोला, “उसे मेरे पास लाओ।”
सो उन्होंने उस अंधे व्यक्ति को बुलाया और उससे कहा, “हिम्मत रख! खड़ा हो! वह तुझे बुला रहा है।” 50 वह अपना कोट फेंक कर उछल पड़ा और यीशु के पास आया।
51 फिर यीशु ने उससे कहा, “तू मुझ से अपने लिए क्या करवाना चाहता है?”
अंधे ने उससे कहा, “हे रब्बी, मैं फिर से देखना चाहता हूँ।”
52 तब यीशु बोला, “जा, तेरे विश्वास से तेरा उद्धार हुआ।” फिर वह तुरंत देखने लगा और मार्ग में यीशु के पीछे हो लिया।
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