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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 30

मन्दिर के समर्पण के लिए दाऊद का एक पद।

हे यहोवा, तूने मेरी विपत्तियों से मेरा उद्धार किया है।
    तूने मेरे शत्रुओं को मुझको हराने और मेरी हँसी उड़ाने नहीं दी।
    सो मैं तेरे प्रति आदर प्रकट करुँगा।
हे मेरे परमेश्वर यहोवा, मैंने तुझसे प्रार्थना की।
    तूने मुझको चँगा कर दिया।
कब्र से तूने मेरा उद्धार किया, और मुझे जीने दिया।
    मुझे मुर्दों के साथ मुर्दों के गर्त में पड़े हुए नहीं रहना पड़ा।

परमेश्वर के भक्तों, यहोवा की स्तुति करो!
    उसके शुभ नाम की प्रशंसा करो।
यहोवा क्रोधित हुआ, सो निर्णय हुआ “मृत्यु।”
    किन्तु उसने अपना प्रेम प्रकट किया और मुझे “जीवन” दिया।
मैं रात को रोते बिलखाते सोया।
    अगली सुबह मैं गाता हुआ प्रसन्न था।

मैं अब यह कह सकता हूँ, और मैं जानता हूँ
    यह निश्चय सत्य है, “मैं कभी नहीं हारुँगा!”
हे यहोवा, तू मुझ पर दयालु हुआ
    और मुझे फिर अपने पवित्र पर्वत पर खड़े होने दिया।
तूने थोड़े समय के लिए अपना मुख मुझसे फेरा
    और मैं बहुत घबरा गया।
हे परमेश्वर, मैं तेरी ओर लौटा और विनती की।
    मैंने मुझ पर दया दिखाने की विनती की।
मैंने कहा, “परमेश्वर क्या यह अच्छा है कि मैं मर जाऊँ
    और कब्र के भीतर नीचे चला जाऊँ
मरे हुए जन तो मिट्टी में लेटे रहते हैं,
    वे तेरे नेक की स्तुति जो सदा सदा बनी रहती है नहीं करते।
10 हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन और मुझ पर करुणा कर!
    हे यहोवा, मेरी सहायता कर!”

11 मैंने प्रार्थना की और तूने सहायता की! तूने मेरे रोने को नृत्य में बदल दिया।
मेरे शोक वस्त्र को तूने उतार फेंका,
    और मुझे आनन्द में सराबोर कर दिया।
12 हे यहोवा, मैं तेरा सदा यशगान करुँगा। मैं ऐसा करुँगा जिससे कभी नीरवता न व्यापे।
    तेरी प्रशंसा सदा कोई गाता रहेगा।

भजन संहिता 32

दाऊद का एक गीत।

धन्य है वह जन जिसके पाप क्षमा हुए।
    धन्य है वह जन जिसके पाप धुल गए।
धन्य है वह जन
    जिसे यहोवा दोषी न कहे,
    धन्य है वह जन जो अपने गुप्त पापों को छिपाने का जतन न करे।

हे परमेश्वर, मैंने तुझसे बार बार विनती की,
    किन्तु अपने छिपे पाप तुझको नहीं बताए।
    जितनी बार मैंने तेरी विनती की, मैं तो और अधिक दुर्बल होता चला गया।
हे परमेश्वर, तूने मेरा जीवन दिन रात कठिन से कठिनतर बना दिया।
    मैं उस धरती सा सूख गया हूँ जो ग्रीष्म ताप से सूख गई है।

किन्तु फिर मैंने यहोवा के समक्ष अपने सभी पापों को मानने का निश्चय कर लिया है। हे यहोवा, मैंने तुझे अपने पाप बता दिये।
    मैंने अपना कोई अपराध तुझसे नहीं छुपाया।
    और तूने मुझे मेरे पापों के लिए क्षमा कर दिया!
इसलिए, परमेश्वर, तेरे भक्तों को तेरी विनती करनी चाहिए।
    वहाँ तक कि जब विपत्ति जल प्रलय सी उमड़े तब भी तेरे भक्तों को तेरी विनती करनीचाहिए।
हे परमेश्वर, तू मेरा रक्षास्थल है।
    तू मुझको मेरी विपत्तियों से उबारता है।
तू मुझे अपनी ओट में लेकर विपत्तियों से बचाता है।
    सो इसलिए मैं, जैसे तूने रक्षा की है, उन्हीं बातों के गीत गाया करता हूँ।
यहोवा कहता है, “मैं तुझे जैसे चलना चाहिए सिखाऊँगा
    और तुझे वह राह दिखाऊँगा।
    मैं तेरी रक्षा करुँगा और मैं तेरा अगुवा बनूँगा।
सो तू घोड़े या गधे सा बुद्धिहीन मत बन। उन पशुओं को तो मुखरी और लगाम से चलाया जाता है।
    यदि तू उनको लगाम या रास नहीं लगाएगा, तो वे पशु निकट नहीं आयेंगे।”

10 दुर्जनों को बहुत सी पीड़ाएँ घेरेंगी।
    किन्तु उन लोगों को जिन्हें यहोवा पर भरोसा है, यहोवा का सच्चा प्रेम ढक लेगा।
11 सज्जन तो यहोवा में सदा मगन और आनन्दित रहते हैं।
    अरे ओ लोगों, तुम सब पवित्र मन के साथ आनन्द मनाओ।

भजन संहिता 42-43

दूसरा भाग

(भजनसंहिता 42–72)

संगीत निर्देशक के लिये कोरह परिवार का एक भक्ति गीत।

जैसे एक हिरण शीतल सरिता का जल पीने को प्यासा है।
    वैसे ही, हे परमेश्वर, मेरा प्राण तेरे लिये प्यासा है।
मेरा प्राण जीवित परमेश्वर का प्यासा है।
    मै उससे मिलने के लिये कब आ सकता हुँ?
रात दिन मेरे आँसू ही मेरा खाना और पीना है!
    हर समय मेरे शत्रु कहते हैं, “तेरा परमेश्वर कहाँ है?”

सो मुझे इन सब बातों को याद करने दे। मुझे अपना हृदय बाहर ऊँडेलने दे।
    मुझे याद है मैं परमेश्वर के मन्दिर में चला और भीड़ की अगुवाई करता था।
मुझे याद है वह लोगों के साथ आनन्द भरे प्रशंसा गीत गाना
    और वह उत्सव मनाना।

5-6 मैं इतना दुखी क्यों हूँ?
    मैं इतना व्याकुल क्यों हूँ?
मुझे परमेश्वर के सहारे की बाट जोहनी चाहिए।
    मुझे अब भी उसकी स्तुति का अवसर मिलेगा।
    वह मुझे बचाएगा।
हे मेरे परमेश्वर, मैं अति दुखी हूँ। इसलिए मैंने तुझे यरदन की घाटी में,
    हेर्मोन की पहाड़ी पर और मिसगार के पर्वत पर से पुकारा।
जैसे सागर से लहरे उठ उठ कर आती हैं।
    मैं सागर तंरगों का कोलाहल करता शब्द सुनता हूँ, वैसे ही मुझको विपतियाँ बारम्बार घेरी रहीं।
हे यहोवा, तेरी लहरों ने मुझको दबोच रखा है।
    तेरी तरंगों ने मुझको ढाप लिया है।

यदि हर दिन यहोवा सच्चा प्रेम दिखएगा, फिर तो मैं रात में उसका गीत गा पाऊँगा।
    मैं अपने सजीव परमेश्वर की प्रार्थना कर सकूँगा।
मैं अपने परमेश्वर, अपनी चट्टान से बातें करता हूँ।
    मैं कहा करता हूँ, “हे यहोवा, तूने मूझको क्यों बिसरा दिया हे
    यहोवा, तूने मुझको यह क्यों नहीं दिखाया कि मैं अपने शत्रुऔं से बच कैसे निकलूँ?”
10 मेरे शत्रुओं ने मुझे मारने का जतन किया।
    वे मुझ पर निज घृणा दिखाते हैं जब वे कहते हैं, “तेरा परमेश्वर कहाँ है?”

11 मैं इतना दुखी क्यों हूँ?
    मैं क्यों इतना व्याकुल हूँ?
मुझे परमेश्वर के सहारे की बाट जोहनी चाहिए।
    मुझे अब भी उसकी स्तुति करने का अवसर मिलगा।
    वह मुझे बचाएगा।

हे परमेस्वर, एक मनुष्य है जो तेरी अनुसरण नहीं करता वह मनुष्य दुष्ट है और झूठ बोलता है।
    हे परमेश्वर, मेरा मुकदमा लड़ और यह निर्णय कर कि कोन सत्य है।
    मुझे उस मनुष्य से बच ले।
हे परमेस्वर, तू ही मेरा शरणस्थल है!
    मुझको तूने क्यों बिसरा दिय
तूने मुझको यह क्यों नहीं दिखाया
    कि मै अपने श्त्रुओं से कैसे बच निकलूँ?
हे परमेश्वर, तू अपनी ज्योति और अपने सत्य को मुझ पर प्रकाशित होने दे।
    मुझको तेरी ज्योति और सत्य राह दिखायेंगे।
    वे मुझे तेरे पवित्र पर्वत और अपने घर को ले चलेंगे।
मैं तो परमेस्वर की वेदी के पास जाऊँगा।
    परमेश्वर मैं तेरे पास आऊँगा। वह मुझे आनन्दित करता है।
हे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर,
    मैं वीणा पर तेरी स्तुति करँगा।

मैं इतना दु:खी क्यों हुँ?
    मैं क्यों इतना व्यकुल हूँ?
मुझे परमेश्वर के सहारे की बाट जोहनी चाहिए।
    मुझे अब भी उसकी स्तुती का अवसर मिलेगा।
    वह मुझे बचाएगा।

यशायाह 8:1-15

अश्शूर शीघ्र ही आयेगा

यहोवा ने मुझसे कहा, “लिखने के लिये मिट्टी की बड़ी सी तख्ती ले और उस पर सुए से यह लिख: ‘महेर्शालाल्हाशबज’ अर्थात् ‘यहाँ जल्दी ही लूटमार और चोरियाँ होंगी।’”

मैंने कुछ ऐसे लोग एकत्र किये जिन पर साक्षी होने के लिये विश्वास किया जा सकता था। ये लोग थे नबी ऊरिय्याह और जकर्याह जो जेबेरेक्याह का पुत्र था। उन लोगों ने मुझे इन बातों को लिखते हुए देखा था। फिर मैं उस नबिया के पास गया। मेरे उसके साथ साथ रहने के बाद, वह गर्भवती हो गयी और उसका एक पुत्र हुआ। तब यहोवा ने मुझसे कहा, “तू लड़के का नाम महेर्शालाल्हशबज रख। क्योंकि इससे पहले कि बच्चा ‘माँ’ और ‘पिता’ कहना सीखेगा, उससे पहले ही परमेश्वर दमिश्क और शोमरोन की समूची धनसम्पत्ति को छीन लेगा और उन वस्तुओं को अश्शूर के राजा को दे देगा।”

यहोवा ने मुझ से फिर कहा। मेरे स्वामी ने कहा, “ये लोग शीलोह की नहर के धीरे—धीरे बहते पानी को लेने से मना करते हैं। ये लोग रसीन और रमल्याह के पुत्र (पिकाह) के साथ प्रसन्न रहते हैं।” किन्तु इसलिये मैं, यहोवा, अश्शूर के राजा और उसकी समूची शक्ति को तुम्हारे विरोध में लेकर आऊँगा। वे परात नदी की भयंकर बाढ़ की तरह आयेंगे। यह ऐसा होगा जैसे किनारों को तोड़ती डुबोती नदी उफ़न पड़ती है। जो पानी उस नदी से उफन कर निकलेगा, वह यहूदा में भर जायेगा और यहूदा को प्राय: डुबो डालेगा।

इम्मानूएल, यह बाढ़ तब तक फैलती चली जायेगी जब तक वह तुम्हारे समूचे देश को ही न डुबो डाले।

हे जातियों, तुम सभी युद्ध के लिये तैयार रहो!
    तुम को पराजित किया जायेगा।
अरे, सुदूर के देशों, सुनो!
    तुम सभी युद्ध के लिये तैयार रहो!
    तुमको पराजित किया जायेगा।
10 अपने युद्ध की योजनाएँ रचो!
    तुम्हारी योजनाएँ पराजित हो जायेंगी।
तुम अपनी सेना को आदेश दो!
    तुम्हारे वे आदेश व्यर्थ हो जायेंगे,
    क्यों क्योंकि परमेश्वर हमारे साथ है।

यशायाह को चेतावनी

11 यहोवा ने अपनी महान शक्ति के साथ मुझ से कहा। यहोवा ने मुझे चेतावनी दी कि मैं इन अन्य लोगों के समान न बनूँ। यहोवा ने कहा, 12 “हर कोई कह रहा है कि वे दूसरे लोग उसके विरुद्ध षड़यन्त्र रच रहे हैं। तुम्हें उन बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए। जिन बातों से वे डरते हैं, तुम्हें उन बातों से नहीं डरना चाहिये। तुम्हें उनके प्रति निर्भय रहना चाहिए!”

13 तुम्हें बस सर्वशक्तिमान यहोवा से ही डरना चाहिये। तुम्हें बस उसी का आदर करना चाहिये। तुम्हें उसी से डरना चाहिये। 14 यदि तुम यहोवा के प्रति आदर रखोगे और उसे पवित्र मानोगे तो वह तुम्हारे लिये एक सुरक्षित स्थान होगा। किन्तु तुम उसका आदर नहीं करते। इसलिए परमेश्वर एक ऐसी चट्टान हो गया है जिसके उपर तुम लोग गिरोगे। वह एक ऐसी चट्टान हो गया है जिस पर इस्राएल के दो परिवार ठोकर खायेंगे। यरूशलेम के सभी लोगों को फँसाने के लिये वह एक फँदा बन गया है। 15 (इस चट्टान पर बहुत से लोग गिरेंगे। वे गिरेंगे और चकनाचूर हो जायेंगे। वे जाल में पड़ेंगे और पकड़े जायेंगे।)

2 थिस्सलुनीकियों 3:6-18

कर्म की अनिवार्यता

भाईयों! अब तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम में यह आदेश है कि तुम हर उस भाई से दूर रहो जो ऐसा जीवन जीता है जो उसके लिए उचित नहीं है। मैं यह इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि तुम तो स्वयं ही जानते हो कि तुम्हें हमारा अनुकरण कैसे करना चाहिए क्योंकि तुम्हारे बीच रहते हुए हम कभी आलसी नहीं रहे। हमने बिना मूल्य चुकाए किसी से भोजन ग्रहण नहीं किया, बल्कि जतन और परिश्रम करते हुए हम दिन रात काम में जुटे रहे ताकि तुममें से किसी पर भी बोझ न पड़े। ऐसा नहीं कि हमें तुमसे सहायता लेने का कोई अधिकार नहीं है, बल्कि हम इसलिए कड़ी मेहनत करते रहे ताकि तुम उसका अनुसरण कर सको। 10 इसलिए हम जब तुम्हारे साथ थे, हमने तुम्हें यह आदेश दिया था: “यदि कोई काम न करना चाहे तो वह खाना भी न खाए।”

11 हमें ऐसा बताया गया है कि तुम्हारे बीच कुछ ऐसे भी हैं जो ऐसा जीवन जीते हैं जो उनके अनुकूल नहीं है। वे कोई काम नहीं करते, दूसरों की बातों में टाँग अड़ाते हुए इधर-उधर घूमते फिरते हैं। 12 ऐसे लोगों को हम यीशु मसीह के नाम पर समझाते हुए आदेश देते हैं कि वे शांति के साथ अपना काम करें और अपनी कमाई का ही खाना खायें। 13 किन्तु हे भाईयों, जहाँ तक तुम्हारी बात है, भलाई करते हुए कभी थको मत।

14 इस पत्र के माध्यम से दिए गए हमारे आदेशों पर यदि कोई न चले तो उस व्यक्ति पर नजर रखो और उसकी संगत से दूर रहो ताकि उसे लज्जा आए। 15 किन्तु उसके साथ शत्रु जैसा व्यवहार मत करो बल्कि भाई के समान उसे चेताओ।

पत्र का समापन

16 अब शांति का प्रभु स्वयं तुम्हें हर समय, हर प्रकार से शांति दे। प्रभु तुम सब के साथ रहे।

17 मैं पौलुस स्वयं अपनी लिखावट में यह नमस्कार लिख रहा हूँ। मैं इसी प्रकार हर पत्र पर हस्ताक्षर करता हूँ। मेरे लिखने की शैली यही है। 18 हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम सब पर बना रहे।

लूका 22:31-38

विश्वास बनाये रखो

(मत्ती 26:31-35; मरकुस 14:27-31; यूहन्ना 13:36-38)

31 “शमौन, हे शमौन, सुन, तुम सब को गेहूँ की तरह फटकने के लिए शैतान ने चुन लिया है। 32 किन्तु मैंने तुम्हारे लिये प्रार्थना की है कि तुम्हारा विश्वास न डगमगाये और जब तू वापस आये तो तेरे बंधुओं की शक्ति बढ़े।”

33 किन्तु शमौन ने उससे कहा, “हे प्रभु, मैं तेरे साथ जेल जाने और मरने तक को तैयार हूँ।”

34 फिर यीशु ने कहा, “पतरस, मैं तुझे बताता हूँ कि आज जब तक मुर्गा बाँग नहीं देगा तब तक तू तीन बार मना नहीं कर लेगा कि तू मुझे जानता है।”

यातना झेलने को तैयार रहो

35 फिर यीशु ने अपने शिष्यो से कहा, “मैंने तुम्हें जब बिना बटुए, बिना थैले या बिना चप्पलों के भेजा था तो क्या तुम्हें किसी वस्तु की कमी रही थी?”

उन्होंने कहा, “किसी वस्तु की नहीं।”

36 उसने उनसे कहा, “किन्तु अब जिस किसी के पास भी कोई बटुआ है, वह उसे ले ले और वह थैला भी ले चले। और जिसके पास भी तलवार न हो, वह अपना चोगा तक बेच कर उसे मोल ले ले। 37 क्योंकि मैं तुम्हें बताता हूँ कि शास्त्र का यह लिखा मुझ पर निश्चय ही पूरा होगा:

‘वह एक अपराधी समझा गया था।’(A)

हाँ मेरे सम्बन्ध में लिखी गयी यह बात पूरी होने पर आ रही है।”

38 वे बोले, “हे प्रभु, देख, यहाँ दो तलवारें हैं।”

इस पर उसने उनसे कहा, “बस बहुत है।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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