Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 148-150

यहोवा के गुण गाओ!
स्वर्ग के स्वर्गदूतों,
    यहोवा की प्रशंसा स्वर्ग से करो!
हे सभी स्वर्गदूतों, यहोवा का यश गाओ!
    ग्रहों और नक्षत्रों, उसका गुण गान करो!
सूर्य और चाँद, तुम यहोवा के गुण गाओ!
    अम्बर के तारों और ज्योतियों, उसकी प्रशंसा करो!
यहोवा के गुण सर्वोच्च अम्बर में गाओ।
    हे जल आकाश के ऊपर, उसका यशगान कर!
यहोवा के नाम का बखान करो।
    क्यों? क्योंकि परमेश्वर ने आदेश दिया, और हम सब उसके रचे थे।
परमेश्वर ने इन सबको बनाया कि सदा—सदा बने रहें।
    परमेश्वर ने विधान के विधि को बनाया, जिसका अंत नहीं होगा।
ओ हर वस्तु धरती की यहोवा का गुण गान करो!
    ओ विशालकाय जल जन्तुओं, सागर के यहोवा के गुण गाओ।
परमेश्वर ने अग्नि और ओले को बनाया,
    बर्फ और धुआँ तथा सभी तूफानी पवन उसने रचे।
परमेश्वर ने पर्वतों और पहाड़ों को बनाया,
    फलदार पेड़ और देवदार के वृक्ष उसी ने रचे हैं।
10 परमेश्वर ने सारे बनैले पशु और सब मवेशी रचे हैं।
    रेंगने वाले जीव और पक्षियों को उसने बनाया।
11 परमेश्वर ने राजा और राष्ट्रों की रचना धरती पर की।
    परमेश्वर ने प्रमुखों और न्यायधीशों को बनाया।
12 परमेश्वर ने युवक और युवतियों को बनाया।
    परमेश्वर ने बूढ़ों और बच्चों को रचा है।
13 यहोवा के नाम का गुण गाओ!
    सदा उसके नाम का आदर करो!
हर वस्तु ओर धरती और व्योम,
    उसका गुणगान करो!
14 परमेश्वर अपने भक्तों को दृढ़ करेगा।
    लोग परमेश्वर के भक्तों की प्रशंसा करेंगे।
लोग इस्राएल के गुण गायेंगे, वे लोग है जिनके लिये परमेश्वर युद्ध करता है,
यहोवा की प्रशंसा करो।

यहोवा के गुण गाओ।
उन नयी बातों के विषय में एक नया गीत गाओ जिनको यहोवा ने किया है।
    उसके भक्तों की मण्डली में उसका गुण गान करो।
परमेश्वर ने इस्राएल को बनाया। यहोवा के संग इस्राएल हर्ष मनाए।
    सिय्योन के लोग अपने राजा के संग में आनन्द मनाएँ।
वे लोग परमेश्वर का यशगान नाचते बजाते
    अपने तम्बुरों, वीणाओ से करें।
यहोवा निज भक्तों से प्रसन्न है।
    परमेश्वर ने एक अद्भुत कर्म अपने विनीत जन के लिये किया।
    उसने उनका उद्धार किया।
परमेश्वर के भक्तों, तुम निज विजय मनाओं!
    यहाँ तक कि बिस्तर पर जाने के बाद भी तुम आनन्दित रहो।

लोग परमेश्वर का जयजयकार करें
    और लोग निज तलवारें अपने हाथों में धारण करें।
वे अपने शत्रुओं को दण्ड देने जायें।
    और दूसरे लोगों को वे दण्ड देने को जायें,
परमेश्वर के भक्त उन शासकों
    और उन प्रमुखों को जंजीरो से बांधे।
परमेश्वर के भक्त अपने शत्रुओं को उसी तरह दण्ड देंगे,
    जैसा परमेश्वर ने उनको आदेश दिया।

परमेश्वर के भक्तो यहोवा का आदरपूर्ण गुणगान करो।

यहोवा की प्रशंसा करो!
परमेश्वर के मन्दिर में उसका गुणगान करो!
    उसकी जो शक्ति स्वर्ग में है, उसके यशगीत गाओ!
उन बड़े कामों के लिये परमेश्वर की प्रशंसा करो, जिनको वह करता है!
    उसकी गरिमा समूची के लिये उसका गुणगान करो!
तुरही फूँकते और नरसिंगे बजाते हुए उसकी स्तुति करो!
    उसका गुणगान वीणा और सारंगी बजाते हुए करो!
परमेश्वर की स्तुति तम्बूरों और नृत्य से करो!
    उसका यश उन पर जो तार से बजाते हैं और बांसुरी बजाते हुए गाओ!
तुम परमेश्वर का यश झंकारते झाँझे बजाते हुए गाओ!
    उसकी प्रशंसा करो!

हे जीवों! यहोवा की स्तुति करो!

यहोवा की प्रशंसा करो!

भजन संहिता 114-115

इस्राएल ने मिस्र छोड़ा।
    याकूब (इस्राएल) ने उस अनजान देश को छोड़ा।
उस समय यहूदा परमेश्वर का विशेष व्यक्ति बना,
    इस्राएल उसका राज्य बन गया।
इसे लाल सागर देखा, वह भाग खड़ा हुआ।
    यरदन नदी उलट कर बह चली।
पर्वत मेंढ़े के समान नाच उठे!
    पहाड़ियाँ मेमनों जैसी नाची।

हे लाल सागर, तू क्यों भाग उठा हे यरदन नदी,
    तू क्यों उलटी बही
पर्वतों, क्यों तुम मेंढ़े के जैसे नाचे
    और पहाड़ियों, तुम क्यों मेमनों जैसी नाची

यकूब के परमेश्वर, स्वामी यहोवा के सामने धरती काँप उठी।
परमेश्वर ने ही चट्टानों को चीर के जल को बाहर बहाया।
    परमेश्वर ने पक्की चट्टान से जल का झरना बहाया था।

यहोवा! हमको कोई गौरव ग्रहण नहीं करना चाहिये।
गौरव तो तेरा है।
    तेरे प्रेम और निष्ठा के कारण गौरव तेरा है।
राष्ट्रों को क्यों अचरज हो कि
    हमारा परमेश्वर कहाँ है?
परमेश्वर स्वर्ग में है।
    जो कुछ वह चाहता है वही करता रहता है।
उन जातियों के “देवता” बस केवल पुतले हैं जो सोने चाँदी के बने है।
    वह बस केवल पुतले हैं जो किसी मानव ने बनाये।
उन पुतलों के मुख है, पर वे बोल नहीं पाते।
    उनकी आँखे हैं, पर वे देख नहीं पाते।
उनके कान हैं, पर वे सुन नहीं सकते।
    उनकी पास नाक है, किन्तु वे सूँघ नहीं पाते।
उनके हाथ हैं, पर वे किसी वस्तु को छू नहीं सकते,
    उनके पास पैर हैं, पर वे चल नहीं सकते।
    उनके कंठो से स्वर फूटते नहीं हैं।
जो व्यक्ति इस पुतले को रखते
    और उनमें विश्वास रखते हैं बिल्कुल इन पुतलों से बन जायेंगे!

ओ इस्राएल के लोगों, यहोवा में भरोसा रखो!
    यहोवा इस्राएल को सहायता देता है और उसकी रक्षा करता है
10 ओ हारुन के घराने, यहोवा में भरोसा रखो!
    हारुन के घराने को यहोवा सहारा देता है, और उसकी रक्षा करता है।
11 यहोवा की अनुयायिओं, यहोवा में भरोसा रखे!
    यहोवा सहारा देता है और अपने अनुयायिओं की रक्षा करता है।

12 यहोवा हमें याद रखता है।
    यहोवा हमें वरदान देगा,
यहोवा इस्राएल को धन्य करेगा।
    यहोवा हारून के घराने को धन्य करेगा।
13 यहोवा अपने अनुयायिओं को, बड़ोंको
    और छोटों को धन्य करेगा।

14 मुझे आशा है यहोवा तुम्हारी बढ़ोतरी करेगा
    और मुझे आशा है, वह तुम्हारी संतानों को भी अधिकाधिक देगा।
15 यहोवा तुझको वरदान दिया करता है!
    यहोवा ने ही स्वर्ग और धरती बनाये हैं!
16 स्वर्ग यहोवा का है।
    किन्तु धरती उसने मनुष्यों को दे दिया।
17 मरे हुए लोग यहोवा का गुण नहीं गाते।
    कब्र में पड़े लोग यहोवा का गुणगान नहीं करते।
18 किन्तु हम यहोवा का धन्यवाद करते हैं,
    और हम उसका धन्यवाद सदा सदा करेंगे!

यहोवा के गुण गाओ!

यहोशू 1

परमेश्वर यहोशू को इस्राएल का नेतृत्व करने के लिये चुनता है

मूसा यहोवा का सेवक था। नून का पुत्र यहोशू मूसा का सहायक था। मूसा के मरने के बाद, यहोवा ने यहोशू से बातें कीं। यहोवा ने यहोशू से कहा, “मेरा सेवक मूसा मर गया। अब ये लोग और तुम यरदन नदी के पार जाओ। तुम्हें उस देश में जाना चाहिए जिसे मैं इस्राएल के लोगों को अर्थात् तुम्हें दे रहा हूँ। मैंने मूसा को यह वचन दिया था कि यह देश मैं तुम्हें दूँगा। इसलिए मैं तुम्हें वह हर एक प्रदेश दूँगा, जिस किसी स्थान पर भी तुम जाओगे। हित्तियों का पूरा देश, मरुभूमि और लबानोन से लेकर बड़ी नदी तक (परात नदी तक) तुम्हारा होगा और यहाँ से पश्चिम में भूमध्यसागर तक (सूर्य के डूबने के स्थान तक) का प्रदेश तुम्हारी सीमा के भीतर होगा। मैं मूसा के साथ था और मैं उसी तरह तुम्हारे साथ रहूँगा। तुम्हारे पूरे जीवन में, तुम्हें कोई भी व्यक्ति रोकने में समर्थ नहीं होगा। मैं तुम्हें छोड़ूँगा नहीं। मैं कभी तुमसे दूर नहीं होऊँगा।

“यहोशू, तुम्हें दृढ़ और साहसी होना चाहिये! तुम्हें इन लोगों का अगुवा होना चाहिये जिससे वे अपना देश ले सकें। यह वही देश है जिसे मैंने उन्हें देने के लिये उनके पूर्वजों को वचन दिया था। किन्तु तुम्हें एक दूसरी बात के विषय में भी दृढ़ और साहसी रहना होगा। तुम्हें उन आदेशों का पालन निश्चय के साथ करना चाहिए, जिन्हें मेरे सेवक मूसा ने तुम्हें दिया। यदि तुम उसकी शिक्षाओं का ठीक—ठीक पालन करोगे, तो तुम जो कुछ करोगे उसमें सफल होगे। उस व्यवस्था की किताब में लिखी गई बातों को सदा यादा रखो। तुम उस किताब का अध्ययन दिन रात करो, तभी तुम उसमें लिखे गए आदेशों के पालन के विषय में विश्वस्त रह सकते हो। यदि तुम यह करोगे, तो तुम बुद्धिमान बनोगे और जो कुछ करोगे उसमें सफल होगे। याद रखो, कि मैंने तुम्हें दृढ़ और साहसी बने रहने का आदेश दिया था। इसलिए कभी भयभीत न होओ, क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे साथ सभी जगह रहेगा, जहाँ तुम जाओगे।”

10 इसलिए यहोशू ने लोगों के प्रमुखों को आदेश दिया। उसने कहा, 11 “डेरे से होकर जाओ और लोगों को तैयार होने को कहो। लोगों से कहो, ‘कुछ भोजन तैयार कर लें। अब से तीन दिन बाद, हम लोग यरदन नदी पार करेंगे। हम लोग जाएंगे और उस देश को लेंगे जिसे तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुमको दे रहा है।’”

12 तब यहोशू ने रूबेन के परिवार समूह गाद और मनश्शे के परिवार समूह के आधे लोगों से बातें कीं। यहोशू ने कहा, 13 “उसे याद रखो, जो परमेश्वर के सेवक मूसा ने तुमसे कहा था। उसने कहा था कि परमेश्वर, तुम्हारा याहोवा तुम्हें आराम के लिये स्थान देगा। परमेश्वर यह देश तुम्हें देगा। 14 अब परमेश्वर ने यरदन नदी के पूर्व में यह देश तुम्हें दिया है। तुम्हारी पत्नियाँ, तुम्हारे बच्चे और तुम्हारे जानवर इस प्रदेश में रह सकते हैं। किन्तु तुम्हारे योद्धा तुम्हारे भाईयों के साथ यरदन नदी को अवश्य पार करेंगे। तुम्हें युद्ध के लिये तैयार रहना चाहिए और अपना देश लेने में अपने भाइयों की सहायता करनी चाहिये। 15 याहोवा ने तुम्हें आराम करने की जगह दी है, और वह तुम्हारे भाइयों के लिये भी वैसा ही करेगा। किन्तु तुम्हें अपने भाइयों की सहायता तब तक करनी चाहिये जब तक वे उस देश को नहीं ले लेते जिसे परमेश्वर, उनका यहोवा उन्हें दे रहा है। तब तुम यरदन नदी के पूर्व अपने देश में लौट सकते हो। वही वह प्रदेश है जिसे यहोवा के सेवक मूसा ने तुम्हें दिया था।”

16 तब लोगों ने यहोशू को उत्तर दिया, “जो भी करने के लिये तुम आदेश दोगे, हम लोग करेंगे! जिस स्थान पर भेजोगे, हम लोग जाएंगे! 17 हम लोगों ने पूरी तरह मूसा की आज्ञा मानी। उसी तरह हम लोग वह सब मानेंगे जो तुम कहोगे। हम लोग यहोवा से केवल एक बात चाहते हैं। हम लोग परमेश्वर यहोवा से यही माँग करते हैं कि वह तुम्हारे साथ वैसा ही रहे जैसे वह मूसा के साथ रहा। 18 तब, यदि कोई व्यक्ति तुमहारी आज्ञा मानने से इन्कार करता है या कोई व्यक्ति तुम्हारे विरुद्ध खड़ा होता है, वह मार डाला जाएगा। केवल दृढ़ और साहसी रहो!”

प्रेरितों के काम 21:3-15

जब साइप्रस दिखाई पड़ने लगा तो हम उसे बायीं तरफ़ छोड़ कर सीरिया की ओर मुड़ गये क्योंकि जहाज़ को सूर में माल उतारना था सो हम भी वहीं उतर पड़े। वहाँ हमें अनुयायी मिले जिनके साथ हम सात दिन तक ठहरे। उन्होंने आत्मा से प्रेरित होकर पौलुस को यरूशलेम जाने से रोकना चाहा। फिर वहाँ ठहरने का अपना समय पूरा करके हमने विदा ली और अपनी यात्रा पर निकल पड़े। अपनी पत्नियों और बच्चों समेत वे सभी नगर के बाहर तक हमारे साथ आये। फिर वहाँ सागर तट पर हमने घुटनों के बल झुक कर प्रार्थना की। और एक दूसरे से विदा लेकर हम जहाज़ पर चढ़ गये। और वे अपने-अपने घरों को लौट गये।

सूर से जल मार्ग द्वारा यात्रा करते हुए हम पतुलिमयिस में उतरे। वहाँ भाईयों का स्वागत सत्कार करते हम उनके साथ एक दिन ठहरे। अगले दिन उन्हें छोड़ कर हम कैसरिया आ गये। और इंजील के प्रचारक फिलिप्पुस के, जो चुने हुए विशेष सात सेवकों में से एक था, घर जा कर उसके साथ ठहरे। उसके चार कुवाँरी बेटियाँ थीं जो भविष्यवाणी किया करती थीं।

10 वहाँ हमारे कुछ दिनों ठहरे रहने के बाद यहूदिया से अगबुस नामक एक नबी आया। 11 हमारे निकट आते हुए उसने पौलुस का कमर बंध उठा कर उससे अपने ही पैर और हाथ बाँध लिये और बोला, “यह है जो पवित्र आत्मा कह रहा है-यानी यरूशलेम में यहूदी लोग, जिसका यह कमर बंध है, उसे ऐसे ही बाँध कर विधर्मियों के हाथों सौंप देंगे।”

12 हमने जब यह सुना तो हमने और वहाँ के लोगों ने उससे यरूशलेम न जाने की प्रार्थना की। 13 इस पर पौलुस ने उत्तर दिया, “इस प्रकार रो-रो कर मेरा दिल तोड़ते हुए यह तुम क्या कर रहे हो? मैं तो यरूशलेम में न केवल बाँधे जाने के लिये बल्कि प्रभु यीशु मसीह के नाम पर मरने तक को तैयार हूँ।”

14 क्योंकि हम उसे मना नहीं पाये। सो बस इतना कह कर चुप हो गये, “जैसी प्रभु की इच्छा।”

15 इन दिनों के बाद फिर हम तैयारी करके यरूशलेम को चल पड़े।

मरकुस 1:21-27

दुष्टात्मा के चंगुल से छुटकारा

(लूका 4:31-37)

21 और कफरनहूम पहुँचे। फिर अगले सब्त के दिन यीशु आराधनालय में गया और लोगों को उपदेश देने लगा। 22 उसके उपदेशों पर लोग चकित हुए। क्योंकि वह उन्हें किसी शास्त्र ज्ञाता की तरह नहीं बल्कि एक अधिकारी की तरह उपदेश दे रहा था। 23 उनकी यहूदी आराधनालय में संयोग से एक ऐसा व्यक्ति भी था जिसमें कोई दुष्टात्मा समायी थी। वह चिल्ला कर बोला, 24 “नासरत के यीशु! तुझे हम से क्या चाहिये? क्या तू हमारा नाश करने आया है? मैं जानता हूँ तू कौन है, तू परमेश्वर का पवित्र जन है।”

25 इस पर यीशु ने झिड़कते हुए उससे कहा, “चुप रह! और इसमें से बाहर निकल!” 26 दुष्टात्मा ने उस व्यक्ति को झिंझोड़ा और वह ज़ोर से चिल्लाती हुई उसमें से निकल गयी।

27 हर व्यक्ति चकित हो उठा। इतना चकित, कि सब आपस में एक दूसरे से पूछने लगे, “यह क्या है? अधिकार के साथ दिया गया एक नया उपदेश! यह दुष्टात्माओं को भी आज्ञा देता है और वे उसे मानती हैं।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International