Book of Common Prayer
1 यहोवा की प्रशंसा करो, क्योंकि वह उत्तम है।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
2 ईश्वरों के परमेश्वर की प्रशंसा करो!
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
3 प्रभुओं के प्रभु की प्रशंसा करो।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
4 परमेश्वर के गुण गाओ। बस वही एक है जो अद्भुत कर्म करता है।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
5 परमेश्वर के गुण गाओ जिसने अपनी बुद्धि से आकाश को रचा है।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
6 परमेश्वर ने सागर के बीच में सूखी धरती को स्थापित किया।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
7 परमेश्वर ने महान ज्योतियाँ रची।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
8 परमेश्वर ने सूर्य को दिन पर शासन करने के लिये बनाया।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
9 परमेश्वर ने चाँद तारों को बनाया कि वे रात पर शासन करें।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
10 परमेश्वर ने मिस्र में मनुष्यों और पशुओं के पहलौठों को मारा।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
11 परमेश्वर इस्राएल को मिस्र से बाहर ले आया।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
12 परमेश्वर ने अपना सामर्थ्य और अपनी महाशक्ति को प्रकटाया।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
13 परमेश्वर ने लाल सागर को दो भागों में फाड़ा।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
14 परमेश्वर ने इस्राएल को सागर के बीच से पार उतारा।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
15 परमेश्वर ने फ़िरौन और उसकी सेना को लाल सागर में डूबा दिया।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
16 परमेश्वर ने अपने निज भक्तों को मरुस्थल में राह दिखाई।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
17 परमेश्वर ने बलशाली राजा हराए।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
18 परमेश्वर ने सुदृढ़ राजाओं को मारा।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
19 परमेश्वर ने एमोरियों के राजा सीहोन को मारा।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
20 परमेश्वर ने बाशान के राजा ओग को मारा।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
21 परमेश्वर ने इस्राएल को उसकी धरती दे दी।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
22 परमेश्वर ने उस धरती को इस्राएल को उपहार के रूप में दिया।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
23 परमेश्वर ने हमको याद रखा, जब हम पराजित थे।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
24 परमेश्वर ने हमको हमारे शत्रुओं से बचाया था।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
25 परमेश्वर हर एक को खाने को देता है।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
26 स्वर्ग के परमेश्वर का गुण गाओ।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
1 यहोवा का मान करो क्योंकि वह परमेश्वर है।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही अटल रहता है!
2 इस्राएल यह कहता है,
“उसका सच्चा प्रेम सदा ही अटल रहता है!”
3 याजक ऐसा कहते हैं,
“उसका सच्चा प्रेम सदा ही अटल रहता है!”
4 तुम लोग जो यहोवा की उपासना करते हो, कहा करते हो,
“उसका सच्चा प्रेम सदा ही अटल रहता है!”
5 मैं संकट में था सो सहारा पाने को मैंने यहोवा को पुकारा।
यहोवा ने मुझको उत्तर दिया और यहोवा ने मुझको मुक्त किया।
6 यहोवा मेरे साथ है सो मैं कभी नहीं डरूँगा।
लोग मुझको हानि पहुँचाने कुछ नहीं कर सकते।
7 यहोवा मेरा सहायक है।
मैं अपने शत्रुओं को पराजित देखूँगा।
8 मनुष्यों पर भरोसा रखने से
यहोवा पर भरोसा रखना उत्तम है।
9 अपने मुखियाओं पर भरोसा रखने से
यहोवा पर भरोसा रखना उत्तम है।
10 मुझको अनेक शत्रुओं ने घेर लिया है।
यहोवा की शक्ति से मैंने अपने बैरियों को हरा दिया।
11 शत्रुओं ने मुझको फिर घेर लिया।
यहोवा की शक्ति से मैंने उनको हराया।
12 शत्रुओं ने मुझे मधु मक्खियों के झुण्ड सा घेरा।
किन्तु, वे एक शीघ्र जलती हुई झाड़ी के समान नष्ट हुआ।
यहोवा की शक्ति से मैंने उनको हराया।
13 मेरे शत्रुओं ने मुझ पर प्रहार किया और मुझे लगभग बर्बाद कर दिया
किन्तु यहोवा ने मुझको सहारा दिया।
14 यहोवा मेरी शक्ति और मेरा विजय गीत है।
यहोवा मेरी रक्षा करता है।
15 सज्जनों के घर में जो विजय पर्व मन रहा तुम उसको सुन सकते हो।
देखो, यहोवा ने अपनी महाशक्ति फिर दिखाई है।
16 यहोवा की भुजाये विजय में उठी हुई हैं।
देखो यहोवा ने अपनी महाशक्ति फिर से दिखाई।
17 मैं जीवित रहूँगा, मैं मरूँगा नहीं,
और जो कर्म यहोवा ने किये हैं, मैं उनका बखान करूँगा।
18 यहोवा ने मुझे दण्ड दिया
किन्तु मरने नहीं दिया।
19 हे पुण्य के द्वारों तुम मेरे लिये खुल जाओ
ताकि मैं भीतर आ पाऊँ और यहोवा की आराधना करूँ।
20 वे यहोवा के द्वार है।
बस केवल सज्जन ही उन द्वारों से होकर जा सकते हैं।
21 हे यहोवा, मेरी विनती का उत्तर देने के लिये तेरा धन्यवाद।
मेरी रक्षा के लिये मैं तुझे धन्यवाद देता हूँ।
22 जिसको राज मिस्त्रियों ने नकार दिया था
वही पत्थर कोने का पत्थर बन गया।
23 यहोवा ने इसे घटित किया
और हम तो सोचते हैं यह अद्भुत है!
24 यहोवा ने आज के दिन को बनाया है।
आओ हम हर्ष का अनुभव करें और आज आनन्दित हो जाये!
25 लोग बोले, “यहोवा के गुण गाओ!
यहोवा ने हमारी रक्षा की है!
26 उस सब का स्वागत करो जो यहोवा के नाम में आ रहे हैं।”
याजकों ने उत्तर दिया, “यहोवा के घर में हम तुम्हारा स्वागत करते हैं!
27 यहोवा परमेश्वर है, और वह हमें अपनाता है।
बलि के लिये मेमने को बाँधों और वेदी के कंगूरों पर मेमने को ले जाओ।”
28 हे यहोवा, तू हमारा परमेश्वर है, और मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ।
मैं तेरे गुण गाता हूँ!
29 यहोवा की प्रशंसा करो क्योंकि वह उत्तम है।
उसकी सत्य करूणा सदा बनी रहती है।
13 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 2 “प्रत्येक पहलौठा इस्राएली लड़का मुझे समर्पित होगा। हर एक स्त्री का पहलौठा नर बच्चा मेरा ही होगा। तुम लोग हर एक नर पहलौठा जानवर को भी मुझे समर्पित करना।”
11 “यहोवा तुम लोगों को उस देश में ले चलेगा जिसे तुम लोगों को देने के लिए उसने प्रतिज्ञा की है। इस समय वहाँ कनानी लोग रहते हैं। किन्तु यहोवा ने तुम से पहले तुम्हारे पूर्वजों से यह प्रतिज्ञा की थी कि वह यह प्रदेश तुम लोगों को देगा। परमेश्वर जब यह प्रदेश तुम को देगा उसके बाद 12 तुम लोग अपने हर एक पहलौठे पुत्र को उसे समर्पित करना याद रखना और हर एक पहलौठा नर जानवर यहोवा को अवश्य समर्पित होना चाहिए। 13 हर एक पहलौठा गधा यहोवा से वापस खरीदा जा सकता है। तुम लोग उसके बदले मेमने को अर्पित कर सकते हो और गधे को वापस ले सकते हो। यदि तुम यहोवा से गधे को खरीदना नहीं चाहते तो इसे मार डालो। यह एक बलि होगी तुम उसकी गर्दन अवश्य तोड़ दो। हर एक पहलौठा लड़का यहोवा से पुनः अवश्य खरीद लिया जाना चाहिए।
14 “भविष्य में तुम्हारे बच्चे पूछेंगे कि तुम यह क्यों करते हो? वे कहेंगे, ‘इस सबका क्या मतलब है?’ और तुम उत्तर दोगे, ‘यहोवा ने हम लोगों को मिस्र से बचाने के लिए महान शक्ति का उपयोग किया। हम लोग वहाँ दास थे। किन्तु यहोवा ने हम लोगों को बाहर निकाला और वह यहाँ लाया। 15 मिस्र में फ़िरौन हठी था। उसने हम लोगों को प्रस्थान नहीं करने दिया। किन्तु यहोवा ने उस देश के सभी पहलौठे नर सन्तानों को मार डाला। (यहोवा ने पहलौठे नर जानवरों और पहलौठे पुत्रों को मार डाला।) इसलिए हम लोग हर एक पहलौठे नर जानवर को यहोवा को समर्पित करते हैं। और यही कारण है कि हम प्रत्येक पहलौठे पुत्रों को फिर यहोवा से खरीदते हैं।’ 16 यह तुम्हारे हाथ पर बँधे धागे की तरह है और यह तुम्हारे आँखों के सामने बँधे चिन्ह की तरह है। यह इसे याद करने में सहायक है कि यहोवा अपनी महान शक्ति से हम लोगों को मिस्र से बाहर लाया।”
51 सुनो, मैं तुम्हें एक रहस्यपूर्ण सत्य बताता हूँ: हम सभी मरेंगे नहीं, बल्कि हम सब बदल दिये जायेंगे। 52 जब अंतिम तुरही बजेगी तब पलक झपकते एक क्षण में ही ऐसा हो जायेगा क्योंकि तुरही बजेगी और मरे हुए अमर हो कर जी उठेंगे और हम जो अभी जीवित हैं, बदल दिये जायेंगे। 53 क्योंकि इस नाशवान देह का अविनाशी चोले को धारण करना आवश्यक है और इस मरणशील काया का अमर चोला धारण कर लेना अनिवार्य है। 54 सो जब यह नाशमान देह अविनाशी चोले को धारण कर लेगी और वह मरणशील काया अमर चोले को ग्रहण कर लेगी तो शास्त्र का लिखा यह पूरा हो जायेगा:
“विजय ने मृत्यु को निगल लिया है।”(A)
55 “हे मृत्यु तेरी विजय कहाँ है?
ओ मृत्यु, तेरा दंश कहाँ है?”(B)
56 पाप मृत्यु का दंश है और पाप को शक्ति मिलती है व्यवस्था से। 57 किन्तु परमेश्वर का धन्यवाद है जो प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें विजय दिलाता है।
58 सो मेरे प्यारे भाइयो, अटल बने डटे रहो। प्रभु के कार्य के प्रति अपने आपको सदा पूरी तरह समर्पित कर दो। क्योंकि तुम तो जानते ही हो कि प्रभु में किया गया तुम्हारा कार्य व्यर्थ नहीं है।
यीशु का फिर से जी उठना
(मत्ती 28:1-10; मरकुस 16:1-8; यूहन्ना 20:1-10)
24 सप्ताह के पहले दिन बहुत सवेरे ही वे स्त्रियाँ कब्र पर उस सुगंधित सामग्री को, जिसे उन्होंने तैयार किया था, लेकर आयीं। 2 उन्हें कब्र पर से पत्थर लुढ़का हुआ मिला। 3 सो वे भीतर चली गयीं किन्तु उन्हें वहाँ प्रभु यीशु का शव नहीं मिला। 4 जब वे इस पर अभी उलझन में ही पड़ी थीं कि, उनके पास चमचमाते वस्त्र पहने दो व्यक्ति आ खड़े हुए। 5 डर के मारे वे धरती की तरफ अपने मुँह लटकाये हुए थीं। उन दो व्यक्तियों ने उनसे कहा, “जो जीवित है, उसे तुम मुर्दों के बीच क्यों ढूँढ रही हो? 6 वह यहाँ नहीं है। वह जी उठा है। याद करो जब वह अभी गलील में ही था, उसने तुमसे क्या कहा था। 7 उसने कहा था कि मनुष्य के पुत्र का पापियों के हाथों सौंपा जाना निश्चित है। फिर वह क्रूस पर चढ़ा दिया जायेगा और तीसरे दिन उसको फिर से जीवित कर देना निश्चित है।” 8 तब उन स्त्रियों को उसके शब्द याद हो आये।
9 वे कब्र से लौट आयीं और उन्होंने ये सब बातें उन ग्यारहों और अन्य सभी को बतायीं। 10 ये स्त्रियाँ थीं मरियम-मग्दलीनी, योअन्ना और याकूब की माता, मरियम। वे तथा उनके साथ की दूसरी स्त्रियाँ इन बातों को प्रेरितों से कहीं। 11 पर उनके शब्द प्रेरितों को व्यर्थ से जान पड़े। सो उन्होंने उनका विश्वास नहीं किया। 12 किन्तु पतरस खड़ा हुआ और कब्र की तरफ़ दौड़ आया। उसने नीचे झुक कर देखा पर उसे सन के उत्तम रेषम से बने कफन के अतिरिक्त कुछ नहीं दिखाई दिया था। फिर अपने मन ही मन जो कुछ हुआ था, उस पर अचरज करता हुआ वह चला गया।[a]
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