Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Read the New Testament in 24 Weeks

A reading plan that walks through the entire New Testament in 24 weeks of daily readings.
Duration: 168 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
मत्तियाह 8

कोढ़ के रोगी की शुद्धि

(मारक 1:40-45; लूकॉ 5:12-16)

जब येशु पर्वत से उतर कर आए तब बड़ी भीड़ उनके पीछे-पीछे चलने लगी. एक कोढ़ के रोगी ने उनके सामने झुक कर उनसे विनती कर के कहा, “प्रभु, यदि आप चाहें तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं.”

येशु ने हाथ बढ़ा कर उसे स्पर्श करते हुए कहा, “मैं चाहता हूँ. शुद्ध हो जाओ.” वह उसी क्षण कोढ़ रोग से शुद्ध हो गया. येशु ने उसे आज्ञा दी, “यह ध्यान रहे कि तुम इसके विषय में किसी को न बताओ. अब जा कर याजक के सामने स्वयं को परीक्षण के लिए प्रस्तुत करो, और मोशेह द्वारा निर्धारित बलि भेंट करो कि तुम्हारा स्वास्थ्य-लाभ उनके सामने गवाही हो जाए.”

रोमी अधिकारी का विश्वास

(लूकॉ 7:1-10)

जब येशु ने कफ़रनहूम नगर में प्रवेश किया, तब एक सेनापति ने आ कर उनसे नम्रतापूर्वक निवेदन किया, “प्रभु, घर पर मेरा सेवक लकवा रोग से पीड़ित है और वह घोर पीड़ा में है.”

येशु ने उसे आश्वासन दिया, “मैं आ कर उसे चंगा करूँगा.”

किन्तु सेनापति ने कहा, “नहीं प्रभु, नहीं, मैं इस योग्य नहीं कि आप मेरे घर आएँ. आप केवल मुँह से कह दीजिए और मेरा सेवक स्वस्थ हो जाएगा. मैं स्वयं किसी के अधीन व्यक्ति हूँ और मेरे अधीन एक सैनिक टुकड़ी है. मैं एक को जाने की आज्ञा देता हूँ तो वह जाता है और दूसरे को आने की, वह आता है. मैं अपने दास को आज्ञा देता हूँ ‘यह करो’ और वह ऐसा ही करता है.”

10 यह सुन कर येशु आश्चर्यचकित रह गए. उन्होंने पीछे आ रही भीड़ से कहा, “यह एक सच है कि मैंने इस्राएल राष्ट्र में भी किसी में ऐसा विश्वास नहीं देखा. 11 मैं तुम्हें सूचित करना चाहता हूँ कि स्वर्ग-राज्य में अब्राहाम, इसहाक और याक़ोब के साथ भोज में शामिल होने के लिए पूर्व और पश्चिम दिशाओं से अनेकानेक आ कर संगति करेंगे 12 किन्तु राज्य के वारिस बाहर अन्धकार में फेंक दिए जाएँगे. वह स्थान ऐसा होगा जहाँ रोना और दाँत पीसना होता रहेगा.”

13 तब येशु ने सेनापति से कहा, “जाओ, तुम्हारे लिए वैसा ही होगा जैसा तुम्हारा विश्वास है.” उसी क्षण वह सेवक चंगा हो गया.

पेतरॉस की सास की चंगाई

(मारक 1:29-34; लूकॉ 4:38-41)

14 जब येशु पेतरॉस के घर पर आए, उन्होंने उनकी सास को बुखार से पीड़ित पाया. 15 उन्होंने उनके हाथ का स्पर्श किया और वह बुखार से मुक्त हो गईं और उठ कर उन सबकी सेवा करने में जुट गईं.

16 जब सन्ध्या हुई तब लोग प्रेतात्मा से पीड़ित लोगों को उनके पास लाने लगे और येशु अपने वचन मात्र से उन्हें प्रेत मुक्त करते गए, साथ ही रोगियों को स्वस्थ. 17 यह भविष्यद्वक्ता यशायाह द्वारा की गई इस भविष्यवाणी की पूर्ति थी:

“उन्होंने स्वयं हमारी दुर्बलताओं को
    अपने ऊपर ले लिया तथा हमारे रोगों को उठा लिया.”

प्रेरिताई की बुलाहट पर अनुसरण की कठिनाई

(लूकॉ 9:51-62)

18 अपने आसपास भीड़ को देख येशु ने शिष्यों को झील की दूसरी ओर जाने की आज्ञा दी. 19 उसी समय एक शास्त्री ने आ कर येशु से विनती की, “गुरुवर, आप जहाँ भी जाएँ, मैं आपके साथ चलूँगा.”

20 येशु ने उसके उत्तर में कहा, “लोमड़ियों के पास उनकी गुफाएं तथा पक्षियों के पास उनके बसेरे होते हैं किन्तु मनुष्य के पुत्र के पास तो सिर रखने तक का स्थान नहीं है!”

21 एक अन्य शिष्य ने उनसे विनती की, “प्रभु, मुझे अपने पिता का अन्तिम संस्कार तक परिचर्या करने की अनुमति दे दीजिए.”[a]

22 किन्तु येशु ने उससे कहा, “मृत अपने मरे हुओं का प्रबन्ध कर लेंगे,[b] तुम मेरे पीछे हो लो.”

बवण्डर का शमन

(मारक 4:35-41; लूकॉ 8:22-25)

23 जब उन्होंने नाव में प्रवेश किया उनके शिष्य भी उनके साथ हो लिए. 24 अचानक झील में ऐसा प्रचण्ड बवण्डर उठा कि लहरों ने नाव को ढ़ांक लिया किन्तु येशु इस समय सो रहे थे. 25 इस पर शिष्यों ने येशु के पास जा कर उन्हें जगाते हुए कहा, “प्रभु, हमारी रक्षा कीजिए, हम नाश हुए जा रहे हैं!”

26 येशु ने उनसे कहा, “क्यों डर रहे हो, अल्पविश्वासियो!” वह उठे और उन्होंने बवण्डर और झील को डाँटा और उसी क्षण ही पूरी शान्ति छा गई.

27 शिष्य हैरान रह गए और विचार करने लगे, “ये किस प्रकार के व्यक्ति हैं कि बवण्डर और झील तक इनकी आज्ञा का पालन करते हैं!”

प्रेतों को सूअरों के झुण्ड में भेजना

(मारक 5:1-20; लूकॉ 8:26-39)

28 झील पार कर वे गदारा नामक अंचल (प्रदेश) में आए. वहाँ क़ब्रों की गुफाओं से निकल कर दो प्रेतात्मा से पीड़ित व्यक्ति उनके सामने आ गए. वे दोनों इतने अधिक हिंसक थे कि कोई भी उस ओर से निकल नहीं पाता था. 29 येशु को देख वे दोनों चिल्ला-चिल्ला कर कहने लगे, “परमेश्वर-पुत्र, आपका हमसे क्या लेना-देना? क्या आप समय से पहले ही हमें दुःख देने आ पहुँचे हैं?”

30 वहाँ कुछ दूर सूअरों का एक झुण्ड चर रहा था. 31 प्रेत येशु से विनती करने लगे, “यदि आप हमें बाहर निकाल ही रहे हैं तो हमें इन सूअरों के झुण्ड में भेज दीजिए.”

32 येशु ने उन्हें आज्ञा दी, “जाओ!” वे निकल कर सूअरों में प्रवेश कर गए और पूरा झुण्ड ढलान पर सरपट भागता हुआ झील में जा गिरा और डूब गया. 33 रखवाले भागे और नगर में जा कर घटना का सारा हाल कह सुनाया; साथ ही यह भी कि उन प्रेतात्मा से पीड़ित व्यक्तियों के साथ क्या-क्या हुआ. 34 सभी नागरिक नगर से निकल कर येशु के पास आने लगे. जब उन्होंने येशु को देखा तो उनसे विनती करने लगे कि वह उस क्षेत्र की सीमा से बाहर चले जाएँ.

Saral Hindi Bible (SHB)

New Testament, Saral Hindi Bible (नए करार, सरल हिन्दी बाइबल) Copyright © 1978, 2009, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.