Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 120-127

मन्दिर का आरोहण गीत।

मैं संकट में पड़ा था, सहारा पाने के लिए
    मैंने यहोवा को पुकारा
    और उसने मुझे बचा लिया।
हे यहोवा, मुझे तू उन ऐसे लोगों से बचा ले
    जिन्होंने मेरे विषय में झूठ बोला है।

अरे ओ झूठों, क्या तुम यह जानते हो
    कि परमेश्वर तुमको कैसे दण्ड देगा
तुम्हें दण्ड देने के लिए परमेश्वर योद्धा के नुकीले तीर और धधकते हुए अंगारे काम में लाएगा।

झूठों, तुम्हारे निकट रहना ऐसा है, जैसे कि मेशेक के देश में रहना।
    यह रहना ऐसा है जैसे केवार के खेतों में रहना है।
जो शांति के बैरी है ऐसे लोगों के संग मैं बहुत दिन रहा हूँ।
मैंने यह कहा था मुझे शांति चाहिए क्यों वे लोग युद्ध को चाहते हैं।

मन्दिर का आरोहण गीत।

मैं ऊपर पर्वतों को देखता हूँ।
    किन्तु सचमुच मेरी सहायता कहाँ से आएगी
मुझको तो सहारा यहोवा से मिलेगा जो स्वर्ग
    और धरती का बनाने वाला है।
परमेश्वर तुझको गिरने नहीं देगा।
    तेरा बचानेवाला कभी भी नहीं सोएगा।
इस्राएल का रक्षक कभी भी ऊँघता नहीं है।
    यहोवा कभी सोता नहीं है।
यहोवा तेरा रक्षक है।
    यहोवा अपनी महाशक्ति से तुझको बचाता है।
दिन के समय सूरज तुझे हानि नहीं पहुँचा सकता।
    रात में चाँद तेरी हानि नहीं कर सकता।
यहोवा तुझे हर संकट से बचाएगा।
    यहोवा तेरी आत्मा की रक्षा करेगा।
आते और जाते हुए यहोवा तेरी रक्षा करेगा।
    यहोवा तेरी सदा सर्वदा रक्षा करेगा!

दाऊद का एक आरोहणगीत।

जब लोगों ने मुझसे कहा,
    “आओ, यहोवा के मन्दिर में चलें तब मैं बहुत प्रसन्न हुआ।”
यहाँ हम यरूशलेम के द्वारों पर खड़े हैं।
यह नया यरूशलेम है।
    जिसको एक संगठित नगर के रूप में बनाया गया।
ये परिवार समूह थे जो परमेश्वर के वहाँ पर जाते हैं।
    इस्राएल के लोग वहाँ पर यहोवा का गुणगान करने जाते हैं। वे वह परिवार समूह थे जो यहोवा से सम्बन्धित थे।
यही वह स्थान है जहाँ दाऊद के घराने के राजाओं ने अपने सिंहासन स्थापित किये।
    उन्होंने अपना सिंहासन लोगों का न्याय करने के लिये स्थापित किया।

तुम यरूशलेम में शांति हेतू विनती करो।
    “ऐसे लोग जो तुझसे प्रेम रखते हैं, वहाँ शांति पावें यह मेरी कामना है।
    तुम्हारे परकोटों के भीतर शांति का वास है। यह मेरी कामना है।
    तुम्हारे विशाल भवनों में सुरक्षा बनी रहे यह मेरी कामना है।”

मैं प्रार्थना करता हूँ अपने पड़ोसियों के
    और अन्य इस्राएलवासियों के लिये वहाँ शांति का वास हो।
हे यहोवा, हमारे परमेश्वर के मन्दिर के भले हेतू
    मैं प्रार्थना करता हूँ, कि इस नगर में भली बाते घटित हों।

आरोहण गीत।

हे परमेश्वर, मैं ऊपर आँख उठाकर तेरी प्रार्थना करता हूँ।
    तू स्वर्ग में राजा के रूप में विराजता है।
दास अपने स्वामियों के ऊपर उन वस्तुओं के लिए निर्भर रहा करते हैं। जिसकी उनको आवश्यकता है।
    दासियाँ अपनी स्वामिनियों के ऊपर निर्भर रहा करती हैं।
इसी तरह हमको यहोवा का, हमारे परमेश्वर का भरोसा है।
    ताकि वह हम पर दया दिखाए, हम परमेश्वर की बाट जोहते हैं।
हे यहोवा, हम पर कृपालु है।
    दयालु हो क्योंकि बहुत दिनों से हमारा अपमान होता रहा है।
अहंकारी लोग बहुत दिनों से हमें अपमानित कर चुके हैं।
    ऐसे लोग सोचा करते हैं कि वे दूसरे लोगों से उत्तम हैं।

दाऊद का एक मन्दिर का आरोहण गीत।

यदि बीते दिनों में यहोवा हमारे साथ नहीं होता तो हमारे साथ क्या घट गया होता
    इस्राएल तू मुझको उत्तर दे
यदि बीते दिनों में यहोवा हमारे साथ नहीं होता तो हमारे साथ क्या घट गया होता
    जब हम पर लोगों ने हमला किया था तब हमारे साथ क्या बीतती।
जब कभी हमारे शत्रु ने हम पर क्रोध किया,
    तब वे हमें जीवित ही निगल लिये होते।
तब हमारे शत्रुओं की सेनाएँ
    बाढ़ सी हमको बहाती हुई उस नदी के जैसी हो जाती
    जो हमें डूबा रहीं हो।
तब वे अभिमानी लोग उस जल जैसे हो जाते
    जो हमको डुबाता हुआ हमारे मुँह तक चढ़ रहा हो।

यहोवा के गुण गाओ।
    यहोवा ने हमारे शत्रुओं को हमको पकड़ने नहीं दिया और न ही मारने दिया।

हम जाल में फँसे उस पक्षी के जैसे थे जो फिर बच निकला हो।
    जाल छिन्न भिन्न हुआ और हम बच निकले।
हमारी सहायता यहोवा से आयी थी।
    यहोवा ने स्वर्ग और धरती को बनाया है।

आरोहण गीत।

जो लोग यहोवा के भरोसे रहते हैं, वे सिय्योन पर्वत के जैसे होंगे।
    उनको कभी कोई भी डिगा नहीं पाएगा।
    वे सदा ही अटल रहेंगे।
यहोवा ने निज भक्तों को वैसे ही अपनी ओट में लिया है, जैसे यरूशलेम चारों ओर पहाड़ों से घिरा है।
    यहोवा सदा और सर्वदा निज भक्तों की रक्षा करेगा।
बुरे लोग सदा धरती पर भलों के ऊपर शासन नहीं करेंगे,
    यदी बुरे लोग ऐसा करने लग जायें तो संभव है सज्जन भी बुरे काम करने लगें।

हे यहोवा, तू भले लोगों के संग,
    जिनके मन पवित्र हैं तू भला हो।
हे यहोवा, दुर्जनों को दण्ड दे,
    जिन लोगों ने तेरा अनुसरण छोड़ा तू उनको दण्ड दे।

इस्राएल में शांति हो।

आरोहण गीत।

जब यहोवा हमें पुन: मुक्त करेगा तो यह ऐसा होगा
    जैसे कोई सपना हो!
हम हँस रहे होंगे और खुशी के गीत गा रहे होंगे!
    तब अन्य राष्ट्र के लोग कहेंगे,
    “यहोवा ने इनके लिए महान कार्य किये हैं।”
दूसरे देशों के लोग ये बातें करेंगे इस्राएल के लोगों के लिए यहोवा ने एक अद्भुत काम किया है।
    अगर यहोवा ने हमारे लिए वह अद्भुत काम किया तो हम प्रसन्न होंगे।

हे यहोवा, हमें तू स्वतंत्र कर दे,
    अब तू हमें मरुस्थल के जल से भरे हुए जलधारा जैसा बना दे।
जब हमने बीज बोये, हम रो रहे थे,
    किन्तु कटनी के समय हम खुशी के गीत गायेंगे!
हम बीज लेकर रोते हुए खेतों में गये।
    सो आनन्द मनाने आओ क्योंकि हम उपज के लिए हुए आ रहे हैं।

सुलैमान का मन्दिर का आरोहण गीत।

यदि घर का निर्माता स्वयं यहोवा नहीं है,
    तो घर को बनाने वाला व्यर्थ समय खोता है।
यदि नगर का रखवाला स्वयं यहोवा नहीं है,
    तो रखवाले व्यर्थ समय खोते हैं।

यदि सुबह उठ कर तुम देर रात गए तक काम करो।
    इसलिए कि तुम्हें बस खाने के लिए कमाना है,
तो तुम व्यर्थ समय खोते हो।
    परमेश्वर अपने भक्तों का उनके सोते तक में ध्यान रखता है।

बच्चे यहोवा का उपहार है,
    वे माता के शरीर से मिलने वाले फल हैं।
जवान के पुत्र ऐसे होते हैं
    जैसे योद्धा के तरकस के बाण।
जो व्यक्ति बाण रुपी पुत्रों से तरकस को भरता है वह अति प्रसन्न होगा।
    वह मनुष्य कभी हारेगा नहीं।
उसके पुत्र उसके शत्रुओं से सर्वजनिक स्थानों पर
    उसकी रक्षा करेंगे।

न्यायियों 18:1-15

दान लैश नगर पर अधिकार करता है

18 उस समय इस्राएल के लोगों का कोई राजा नहीं था और उस समय दान का परिवार समूह, अपना कहे जाने योग्य रहने के लिये भूमि की खोज में था। इस्राएल के अन्य परिवार समूहों ने पहले ही अपनी भूमि प्राप्त कर ली थी। किन्तु दान का परिवार समूह अभी अपनी भूमि नहीं पा सका था।

इसलिए दान के परिवार समूह ने पाँच सैनिकों को कुछ भूमि खोजने के लिये भेजा। वे रहने के लिये अच्छा स्थान खोजने गए। वे पाँचों व्यक्ति जोरा और एश्ताओल नगरों के थे। वे इसलिए चुने गए थे कि वे दान के सभी परिवार समूह में से थे। उनसे कहा गया था, “जाओ और किसी भूमि की खोज करो।”

पाँचों व्यक्ति एप्रैम प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र में आए। वे मीका के घर आए और वहीं रात बिताई। जब पाँचों व्यक्ति मीका के घर के समीप आए तो उन्होंने लेवीवंश के परिवार समूह के युवक की आवाज सुनी। उन्होंने उसकी आवाज पहचानी, इसीलिये वे मीका के घर ठहर गए। उन्होंने लेवीवंशी युवक से पूछा, “तुम्हें इस स्थान पर कौन लाया है? तुम यहाँ क्या कर रहे हो? तुम्हारा यहाँ क्या काम है?”

उसने उनसे कहा, “मीका ने मेरी नियुक्ति की है। मैं उसका याजक हूँ।”

उन्होंने उससे कहा, “कृपया परमेश्वर से हम लोगों के लिये कुछ मांगो। हम लोग कुछ जानना चाहते हैं। क्या हमारे रहने के लिये भूमि की खोज सफल होगी?”

याजक ने पाँचों व्यक्तियों से कहा, “शान्ति से जाओ। यहोवा तुम्हारा मार्ग दर्शन करेगा।”

इसलिए पाँचों व्यक्ति वहाँ से चले। वे लैश नगर को आए। उन्होंने देखा कि उस नगर के लोग सुरक्षित[a] रहते हैं। उन पर सीदोन के लोगों का शासन था। सीदोन भूमध्यसागर के तट पर एक महत्वपूर्ण और शक्तिशाली नगर था। वे शान्ति और सुरक्षा के साथ रहते थे। लोगों के पास हर एक चीज़ बहुत अधिक थी और उन पर प्रहार करने वाला पास में कोई शत्रु नहीं था और वे सीदोन नगर के लोगों से बहुत अधिक दूर रहते थे और अरामके लोगों से भी उनका कोई व्यापार नहीं था।[b]

पाँचों व्यक्ति सोरा और एश्ताओल नगर को वापस लौटे। उनके सम्बन्धियों ने पूछा, “तुमने क्या पता लगाया?”

पाँचों व्यक्तियों ने उत्तर दिया, “हम लोगों ने प्रदेश देखा है और वह बहुत अच्छा है। हमें उन पर आक्रमण करना चाहिये। प्रतीक्षा न करो। हम चलें और उस प्रदेश को ले लें। 10 जब तुम उस प्रदेश में चलोगे तो देखोगे कि वहाँ पर बहुत अधिक भूमि है। वहाँ सब कुछ बहुत अधिक है। तुम यह भी पाओगे कि वहाँ के लोगों को आक्रमण की आशंका नहीं है। निश्चय ही परमेश्वर ने वह प्रदेश हमको दिया है।”

11 इसलिए दान के परिवार समूह के छ: सौ व्यक्तियों ने सोरा और एश्ताओल के नगरों को छोड़ा। वे युद्ध के लिये तैयार थे। 12 लैश नगर की यात्रा करते समय वे यहूदा प्रदेश में किर्य्यत्यारीम नगर में रूके। उन्होंने वहाँ डेरा डाला। यही कारण है किर्य्यत्यारीम के पश्चिम का प्रदेश आज तक महनेदान कहा जाता है। 13 उस स्थान से छ: सौ व्यक्तियों ने एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश की यात्रा की। वे मीका के घर आए।

14 तब उन पाँचों व्यक्तियों ने जिन्होंने लैश की खोज की थी, अपने भाईयों से कहा, “क्या तुम्हें मालूम है कि इन घरों में से एक में एपोद, अन्य घरेलू देवता, एक खुदाईवाली मूर्ति तथा एक ढाली गई मूर्ति है? अब तुम समझते हो कि तुम्हें क्या करना है। जाओ और उन्हें ले आओ।” 15 इसलिये वे मीका के घर रूके जहाँ लेवीवंशी युवक रहता था। उन्होंने युवक से पूछा कि वह प्रसन्न है।

प्रेरितों के काम 8:1-13

1-3 इस तरह शाऊल ने स्तिफनुस की हत्या का समर्थन किया।

विश्वासियों पर अत्याचार

उसी दिन से यरूशलेम की कलीसिया पर घोर अत्याचार होने आरम्भ हो गये। प्रेरितों को छोड़ वे सभी लोग यहूदिया और सामरिया के गाँवों में तितर-बितर हो कर फैल गये। कुछ भक्त जनों ने स्तिफनुस को दफना दिया और उसके लिये गहरा शोक मनाया। शाऊल ने कलीसिया को नष्ट करना आरम्भ कर दिया। वह घर-घर जा कर औरत और पुरूषों को घसीटते हुए जेल में डालने लगा। उधर तितर-बितर हुए लोग हर कहीं जा कर सुसमाचार का संदेश देने लगे।

सामरिया में फिलिप्पुस का उपदेश

फिलिप्पुस सामरिया नगर को चला गया और वहाँ लोगों में मसीह का प्रचार करने लगा। फिलिप्पुस के लोगों ने जब सुना और जिन अद्भुत चिन्हों को वह प्रकट किया करता था, देखा, तो जिन बातों को वह बताया करता था, उन पर उन्होंने गम्भीरता के साथ ध्यान दिया। बहुत से लोगों में से, जिनमें दुष्टात्माएँ समायी थी, वे ऊँचे स्वर में चिल्लाती हुई बाहर निकल आयीं थी। बहुत से लकवे के रोगी और विकलांग अच्छे हो रहे थे। उस नगर में उल्लास छाया हुआ था।

वहीं शमौन नाम का एक व्यक्ति हुआ करता था। वह काफी समय से उस नगर में जादू-टोना किया करता था। और सामरिया के लोगों को आश्चर्य में डालता रहता था। वह महापुरुष होने का दावा किया करता था। 10 छोटे से लेकर बड़े तक सभी लोग उसकी बात पर ध्यान देते और कहते, “यह व्यक्ति परमेश्वर की वही शक्ति है जो ‘महान शक्ति कहलाती है।’” 11 क्योंकि उसने बहुत दिनों से उन्हें अपने चमत्कारों के चक्कर में डाल रखा था, इसीलिए वे उस पर ध्यान दिया करते थे। 12 किन्तु उन्होंने जब फिलिप्पुस पर विश्वास किया क्योंकि उसने उन्हें परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार और यीशु मसीह का नाम सुनाया था, तो वे स्त्री और पुरुष दोनों ही बपतिस्मा लेने लगे। 13 और स्वयं शमौन ने भी उन पर विश्वास किया। और बपतिस्मा लेने के बाद फिलिप्पुस के साथ वह बड़ी निकटता से रहने लगा। उन महान् चिन्हों और किये जा रहे अद्भुत कार्यों को जब उसने देखा, तो वह दंग रह गया।

यूहन्ना 5:30-47

30 “मैं स्वयं अपने आपसे कुछ नहीं कर सकता। मैं परमेश्वर से जो सुनता हूँ उसी के आधार पर न्याय करता हूँ और मेरा न्याय उचित है क्योंकि मैं अपनी इच्छा से कुछ नहीं करता बल्कि उसकी इच्छा से करता हूँ जिसने मुझे भेजा है।

यीशु का यहूदियों से कथन

31 “यदि मैं अपनी तरफ से साक्षी दूँ तो मेरी साक्षी सत्य नहीं है। 32 मेरी ओर से साक्षी देने वाला एक और है। और मैं जानता हूँ कि मेरी ओर से जो साक्षी वह देता है, सत्य है।

33 “तुमने लोगों को यूहन्ना के पास भेजा और उसने सत्य की साक्षी दी। 34 मैं मनुष्य की साक्षी पर निर्भर नहीं करता बल्कि यह मैं इसलिए कहता हूँ जिससे तुम्हारा उद्धार हो सके। 35 यूहन्ना उस दीपक की तरह था जो जलता है और प्रकाश देता है। और तुम कुछ समय के लिए उसके प्रकाश का आनन्द लेना चाहते थे।

36 “पर मेरी साक्षी यूहन्ना की साक्षी से बड़ी है क्योंकि परम पिता ने जो काम पूरे करने के लिए मुझे सौंपे हैं, मैं उन्हीं कामों को कर रहा हूँ और वे काम ही मेरे साक्षी हैं कि परम पिता ने मुझे भेजा है। 37 परम पिता ने जिसने मुझे भेजा है, मेरी साक्षी दी है। तुम लोगों ने उसका वचन कभी नहीं सुना और न तुमने उसका रूप देखा है। 38 और न ही तुम अपने भीतर उसका संदेश धारण करते हो। क्योंकि तुम उसमें विश्वास नहीं रखते हो जिसे परम पिता ने भेजा है। 39 तुम शास्त्रों का अध्ययन करते हो क्योंकि तुम्हारा विचार है कि तुम्हें उनके द्वारा अनन्त जीवन प्राप्त होगा। किन्तु ये सभी शास्त्र मेरी ही साक्षी देते हैं। 40 फिर भी तुम जीवन प्राप्त करने के लिये मेरे पास नहीं आना चाहते।

41 “मैं मनुष्य द्वारा की गयी प्रशंसा पर निर्भर नहीं करता। 42 किन्तु मैं जानता हूँ कि तुम्हारे भीतर परमेश्वर का प्रेम नहीं है। 43 मैं अपने पिता के नाम से आया हूँ फिर भी तुम मुझे स्वीकार नहीं करते किन्तु यदि कोई और अपने ही नाम से आए तो तुम उसे स्वीकार कर लोगे। 44 तुम मुझमें विश्वास कैसे कर सकते हो, क्योंकि तुम तो आपस में एक दूसरे से प्रशंसा स्वीकार करते हो। उस प्रशंसा की तरफ देखते तक नहीं जो एकमात्र परमेश्वर से आती है। 45 ऐसा मत सोचो कि मैं परम पिता के आगे तुम्हें दोषी ठहराऊँगा। जो तुम्हें दोषी सिद्ध करेगा वह तो मूसा होगा जिस पर तुमने अपनी आशाएँ टिकाई हुई हैं। यदि तुम वास्तव में मूसा में विश्वास करते 46 तो तुम मुझमें भी विश्वास करते क्योंकि उसने मेरे बारे में लिखा है। 47 जब तुम, जो उसने लिखा है उसी में विश्वास नहीं करते, तो मेरे वचन में विश्वास कैसे करोगे?”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International