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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 83

आसाप का एक स्तुति गीत।

हे परमेश्वर, तू मौन मत रह!
    अपने कानों को बंद मत कर!
    हे परमेश्वर, कृपा करके कुछ बोल।
हे परमेश्वर, तेरे शत्रु तेरे विरोध में कुचक्र रच रहे हैं।
    तेरे शत्रु शीघ्र ही वार करेंगे।
वे तेरे भक्तों के विरूद्ध षड़यन्त्र रचते हैं।
    तेरे शत्रु उन लोगों के विरोध में जो तुझको प्यारे हैं योजनाएँ बना रहे हैं।
वे शत्रु कह रहे हैं, “आओ, हम उन लोगों को पूरी तरह मिटा डाले,
    फिर कोई भी व्यक्ति ‘इस्राएल’ का नाम याद नहीं करेगा।”
हे परमेश्वर, वे सभी लोग तेरे विरोध में और तेरे उस वाचा के विरोध में जो तूने हमसे किया है,
    युद्ध करने के लिये एक जुट हो गए।
6-7 ये शत्रु हमसे युद्ध करने के लिये एक जुट हुए हैं: एदोमी, इश्माएली, मोआबी और हाजिरा की संताने, गबाली
    और अम्मोनि, अमालेकी और पलिश्ती के लोग, और सूर के निवासी लोग।
    ये सभी लोग हमसे युद्ध करने जुट आये।
यहाँ तक कि अश्शूरी भी उन लोगों से मिल गये।
    उन्होंने लूत के वंशजों को अति बलशाली बनाया।

हे परमेश्वर, तू शत्रु वैसे हरा
    जैसे तूने मिद्यानी लोगों, सिसरा, याबीन को किशोन नदी के पास हराया।
10 तूने उन्हें एन्दोर में हराया।
    उनकी लाशें धरती पर पड़ी सड़ती रहीं।
11 हे परमेश्वर, तू शत्रुओं के सेनापति को वैसे पराजित कर जैसे तूने ओरेब और जायेब के साथ किया था,
    कर जैसे तूने जेबह और सलमुन्ना के साथ किया।
12 हे परमेश्वर, वे लोग हमको धरती छोड़ने के लिये दबाना चाहते थे!
13 उन लोगों को तू उखड़े हुए पौधा सा बना जिसको पवन उड़ा ले जाती है।
    उन लोगों को ऐसे बिखेर दे जैसे भूसे को आँधी बिखेर देती है।
14 शत्रु को ऐसे नष्ट कर जैसे वन को आग नष्ट कर देती है,
    और जंगली आग पहाड़ों को जला डालती है।
15 हे परमेश्वर, उन लोगों का पीछा कर भगा दे, जैसे आँधी से धूल उड़ जाती है।
    उनको कँपा और फूँक में उड़ा दे जैसे चक्रवात करता है।
16 हे परमेश्वर, उनको ऐसा पाठ पढ़ा दे, कि उनको अहसास हो जाये कि वे सचमुच दुर्बल हैं।
    तभी वे तेरे काम को पूजना चाहेंगे!
17 हे परमेश्वर, उन लोगों को भयभीत कर दे
    और सदा के लिये अपमानित करके उन्हें नष्ट कर दे।
18 वे लोग तभी जानेंगे कि तू परमेश्वर है।
    तभी वे जानेंगे तेरा नाम यहोवा है।
तभी वे जानेंगे
    तू ही सारे जगत का परम परमेश्वर है!

भजन संहिता 145

दाऊद की एक प्रार्थना।

हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे राजा, मैं तेरा गुण गाता हूँ!
    मैं सदा-सदा तेरे नाम को धन्य कहता हूँ।
मैं हर दिन तुझको सराहता हूँ।
    मैं तेरे नाम की सदा-सदा प्रशंसा करता हूँ।
यहोवा महान है। लोग उसका बहुत गुणगान करते हैं।
    वे अनगिनत महाकार्य जिनको वह करता है हम उनको नहीं गिन सकते।
हे यहोवा, लोग उन बातों की गरिमा बखानेंगे जिनको तू सदा और सर्वदा करता हैं।
    दूसरे लोग, लोगों से उन अद्भुत कर्मो का बखान करेंगे जिनको तू करता है।
तेरे लोग अचरज भरे गौरव और महिमा को बखानेंगे।
    मैं तेरे आश्चर्यपूर्ण कर्मों को बखानूँगा।
हे यहोवा, लोग उन अचरज भरी बातों को कहा करेंगे जिनको तू करता है।
    मैं उन महान कर्मो को बखानूँगा जिनको तू करता है।
लोग उन भली बातों के विषय में कहेंगे जिनको तू करता है।
    लोग तेरी धार्मिकता का गान किया करेंगे।

यहोवा दयालु है और करुणापूर्ण है।
    यहोवा तू धैर्य और प्रेम से पूर्ण है।
यहोवा सब के लिये भला है।
    परमेश्वर जो कुछ भी करता है उसी में निजकरुणा प्रकट करता है।
10 हे यहोवा, तेरे कर्मो से तुझे प्रशंसा मिलती है।
    तुझको तेरे भक्त धन्य कहा करते हैं।
11 वे लोग तेरे महिमामय राज्य का बखान किया करते हैं।
    तेरी महानता को वे बताया करते हैं।
12 ताकि अन्य लोग उन महान बातों को जाने जिनको तू करता है।
    वे लोग तेरे महिमामय राज्य का मनन किया करते हैं।
13 हे यहोवा, तेरा राज्य सदा—सदा बना रहेगा
    तू सर्वदा शासन करेगा।

14 यहोवा गिरे हुए लोगों को ऊपर उठाता है।
    यहोवा विपदा में पड़े लोगों को सहारा देता है।
15 हे यहोवा, सभी प्राणी तेरी ओर खाना पाने को देखते हैं।
    तू उनको ठीक समय पर उनका भोजन दिया करता है।
16 हे यहोवा, तू निज मुट्ठी खोलता है,
    और तू सभी प्राणियों को वह हर एक वस्तु जिसकी उन्हें आवश्यकता देता है।
17 यहोवा जो भी करता है, अच्छा ही करता है।
    यहोवा जो भी करता, उसमें निज सच्चा प्रेम प्रकट करता है।
18 जो लोग यहोवा की उपासना करते हैं, यहोवा उनके निकट रहता है।
    सचमुच जो उसकी उपासना करते है, यहोवा हर उस व्यक्ति के निकट रहता है।
19 यहोवा के भक्त जो उससे करवाना चाहते हैं, वह उन बातों को करता है।
यहोवा अपने भक्तों की सुनता है।
    वह उनकी प्रार्थनाओ का उत्तर देता है और उनकी रक्षा करता है।
20 जिसका भी यहोवा से प्रेम है, यहोवा हर उस व्यक्ति को बचाता है,
    किन्तु यहोवा दुष्ट को नष्ट करता है।
21 मैं यहोवा के गुण गाऊँगा!
    मेरी यह इच्छा है कि हर कोई उसके पवित्र नाम के गुण सदा और सर्वदा गाये।

भजन संहिता 85-86

संगीत निर्देशक के लिये कोरह वंशियों का एक स्तुति गीत।

हे यहोवा, तू अपने देश पर कृपालु हो।
    विदेश में याकूब के लोग कैदी बने हैं। उन बंदियों को छुड़ाकर उनके देश में वापस ला।
हे यहोवा, अपने भक्तों के पापों को क्षमा कर।
    तू उनके पाप मिटा दे।

हे यहोवा, कुपित होना त्याग।
    आवेश से उन्मत मत हो।
हमारे परमेश्वर, हमारे संरक्षक, हम पर तू कुपित होना छोड़ दे
    और फिर हमको स्वीकार कर ले।
क्या तू सदा के लिये हमसे कुपित रहेगा?
कृपा करके हमको फिर जिला दे!
    अपने भक्तों को तू प्रसन्न कर दे।
हे यहोवा, तू हमें दिखा दे कि तू हमसे प्रेम करता है।
    हमारी रक्षा कर।

जो परमेश्वर ने कहा, मैंने उस पर कान दिया।
    यहोवा ने कहा कि उसके भक्तों के लिये वहाँ शांति होगी।
    यदि वे अपने जीवन की मूर्खता की राह पर नहीं लौटेंगे तो वे शांति को पायेंगे।
परमेश्वर शीघ्र अपने अनुयायियों को बचाएगा।
    अपने स्वदेश में हम शीघ्र ही आदर के साथ वास करेंगे।
10 परमेश्वर का सच्चा प्रेम उनके अनुयायियों को मिलेगा।
    नेकी और शांति चुम्बन के साथ उनका स्वागत करेगी।
11 धरती पर बसे लोग परमेश्वर पर विश्वास करेंगे,
    और स्वर्ग का परमेश्वर उनके लिये भला होगा।
12 यहोवा हमें बहुत सी उत्तम वस्तुएँ देगा।
    धरती अनेक उत्तम फल उपजायेगी।
13 परमेश्वर के आगे आगे नेकी चलेगी,
    और वह उसके लिये राह बनायेगी।

दाऊद की प्रार्थना।

मैं एक दीन, असहाय जन हूँ।
    हे यहोवा, तू कृपा करके मेरी सुन ले, और तू मेरी विनती का उत्तर दे।
हे यहोवा, मैं तेरा भक्त हूँ।
    कृपा करके मुझको बचा ले। मैं तेरा दास हूँ। तू मेरा परमेश्वर है।
    मुझको तेरा भरोसा है, सो मेरी रक्षा कर।
मेरे स्वामी, मुझ पर दया कर।
    मैं सारे दिन तेरी विनती करता रहा हूँ।
हे स्वामी, मैं अपना जीवन तेरे हाथ सौंपता हूँ।
    मुझको तू सुखी बना मैं तेरा दास हूँ।
हे स्वामी, तू दयालु और खरा है।
    तू सचमुच अपने उन भक्तों को प्रेम करता है, जो सहारा पाने को तुझको पुकारते हैं।
हे यहोवा, मेरी विनती सुन।
    मैं दया के लिये जो प्रार्थना करता हूँ, उस पर तू कान दे।
हे यहोवा, अपने संकट की घड़ी में मैं तेरी विनती कर रहा हूँ।
    मैं जानता हूँ तू मुझको उत्तर देगा।
हे परमेश्वर, तेरे समान कोई नहीं।
    जैसे काम तूने किये हैं वैसा काम कोई भी नहीं कर सकता।
हे स्वामी, तूने ही सब लोगों को रचा है।
    मेरी कामना यह है कि वे सभी लोग आयें और तेरी आराधना करें! वे सभी तेरे नाम का आदर करें!
10 हे परमेश्वर, तू महान है!
    तु अद्भुत कर्म करता है! बस तू ही परमेश्वर है!
11 हे यहोवा, अपनी राहों की शिक्षा मुझको दे,।
    मैं जीऊँगा और तेरे सत्य पर चलूँगा।
मेरी सहायता कर।
    मेरे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण यही है, कि मैं तेरे नाम की उपासना करूँ।
12 हे परमेश्वर, मेरे स्वमी, मैं सम्पूर्ण मन से तेरे गुण गाता हूँ।
    मैं तेरे नाम का आदर सदा सर्वदा करूँगा।
13 हे परमेश्वर, तू मुझसे कितना अधिक प्रेम करता है।
    तूने मुझे मृत्यु के गर्त से बचाया।
14 हे परमेश्वर, मुझ पर अभिमानी वार कर रहे हैं।
    क्रूर जनों का दल मुझे मार डालने का यत्न कर रहे हैं, और वे मनुष्य तेरा आदर नहीं करते हैं।
15 हे स्वामी, तू दयालु और कृपापूर्ण परमेश्वर है।
    तू धैर्यपूर्ण, विश्वासी और प्रेम से भरा हुआ हैं।
16 हे परमेश्वर, दिखा दे कि तू मेरी सुनता है, और मुझ पर कृपालु बन।
    मैं तेरा दास हूँ। तू मुझको शक्ति दे।
    मैं तेरा सेवक हूँ, मेरी रक्षा कर।
17 हे परमेश्वर, कुछ ऐसा कर जिससे यह प्रमाणित हो कि तू मेरी सहायता करेगा।
    फिर इससे मेरे शत्रु निराश हो जायेंगे।
    क्योंकि यहोवा इससे यह प्रकट होगा तेरी दया मुझ पर है और तूने मुझे सहारा दिया।

न्यायियों 8:22-35

गिदोन एपोद बनाता है

22 इस्राएल के लोगों ने गिदोन से कहा, “तुमने हम लोगों को मिद्यानी लोगों से बचाया। इसलिए हम लोगों पर शासन करो। हम चाहते हैं कि तुम, तुम्हारे पुत्र और तुम्हारे पौत्र हम लोगों पर शासन करें।”

23 किन्तु गिदोन ने इस्राएल के लोगों से कहा, “यहोवा तुम्हारा शासक होगा न तो मैं तुम लोगों के ऊपर शासन करूँगा और न ही मेरा पुत्र तुम्हारे ऊपर शासन करेगा।”

24 इस्राएल के लोगों ने जिन्हें हराया, उनमें कुछ इश्माएली लोग थे। इश्माएली लोग सोने की कान की बालियाँ पहनते थे। इसलिए गिदोन ने इस्राएल के लोगों से कहा, “मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे लिये यह काम करो। मैं तुम में से हर एक से यह चाहता हूँ कि तुम लोगों ने युद्ध में जो पाया उसमें से एक—एक कान की बाली हमें दो।”

25 अत: इस्राएल के लोगों ने गिदोन से कहा, “जो तुम चाहते हो उसे हम प्रसन्नता से देंगे।” इसलिए उन्होंने भूमि पर एक अंगरखा बिछाया। हर एक व्यक्ति ने अंगरखे पर एक कान की बाली फेंकी। 26 जब वे बालियाँ इकट्ठी करके तौली गईं तो वे लगभग तैंतालीस पौंड निकलीं। इस वजन का सम्बन्ध उन चीजों के वजन से नहीं है जिन्हें इस्राएल के लोगों ने गिदोन को अन्य भेंटों के रूप में दिया था। उन्होंने चाँद के आकार और आँसू की बूंद के आकार के आभूषण भी उसे दिये और उन्होंने उसे बैंगनी रंग के चोगे भी दिये। ये वे चीजें थीं, जिन्हें मिद्यानी लोगों के राजाओं ने पहना था। उन्होंने मिद्यानी लोगों के राजाओं के ऊँटों की जंजीरें भी उसे दीं।

27 गिदोन ने सोने का उपयोग एपोद बनाने के लिये किया। उसने एपोद को अपने निवास के उस नगर में रखा जिसे ओप्रा कहा जाता था। इस्राएल के सभी लोग एपोद को पूजते थे। इस प्रकार इस्राएल के लोग यहोवा पर विश्वास करने वाले नहीं थे—वे एपोद की पूजा करते थे। वह एपोद एक जाल बन गया, जिसने गिदोन और उसके परिवार से पाप करवाया।

गिदोन की मृत्यु

28 इस प्रकार मिद्यानी लोग इस्राएल के शासन में रहने के लिये मजबूर किये गये। मिद्यानी लोगों ने अब आगे कोई कष्ट नहीं दिया। इस प्रकार गिदोन के जीवन काल में चालीस वर्षों तक पूरे देश में शान्ति रही।

29 योआश का पुत्र यरुब्बाल (गिदोन) अपने घर रहने गया। 30 गिदोन के अपने सत्तर पुत्र थे। इसके इतने अधिक पुत्र थे क्योंकि उसकी अनेक पत्नियाँ थीं। 31 गिदोन की एक रखैल भी थी। जो शकेम नगर में रहती थी। उस रखैल से भी उसे एक पुत्र था। उसने उस पुत्र का नाम अबीमेलेक रखा।

32 इस प्रकार योआश का पुत्र गिदोन पर्याप्त बूढ़ा होने पर मरा। गिदोन उस कब्र में दफनाया गया, जो उसके पिता योआश के अधिकार में थी। वह कब्र ओप्रा नगर में है जहाँ अबीएजेरी लोग रहते हैं। 33 ज्योंही गिदोन मरा त्योंही इस्राएल के लोग फिर परमेश्वर के प्रति विश्वास रखने वाले न रहे। वे बाल का अनुसरण करने लगे। उन्होंने बालबरीत को अपना देवता बनाया। 34 इस्राएल के लोग यहोवा, अपने परमेश्वर को याद नहीं करते थे, यद्यपि उसने उन्हें उन सभी शत्रुओं से बचाया जो इस्राएल के लोगों के चारों ओर रहते थे। 35 इस्राएल के लोगों ने यरुब्बाल (गिदोन) के परिवार के प्रति कोई भक्ति नहीं दिखाई, यद्यपि उसने उनके लिए बहुत से अच्छे कार्य किये थे।

प्रेरितों के काम 4:1-12

पतरस और यूहन्ना: यहूदी सभा के सामने

अभी पतरस और यूहन्ना लोगों से बात कर रहे थे कि याजक, मन्दिर के सिपाहियों का मुखिया और कुछ सदूकी उनके पास आये। वे उनसे इस बात पर चिढ़े हुए थे कि पतरस और यूहन्ना लोगों को उपदेश देते हुए यीशु के मरे हुओं में से जी उठने के द्वारा पुनरुत्थान का प्रचार कर रहे थे। सो उन्होंने उन्हें बंदी बना लिया और क्योंकि उस समय साँझ हो चुकी थी, इसलिये अगले दिन तक हिरासत में रख छोड़ा। किन्तु जिन्होंने वह संदेश सुना उनमें से बहुतों ने उस पर विश्वास किया और इस प्रकार उनकी संख्या लगभग पाँच हजार पुरूषों तक जा पहुँची।

अगले दिन उनके नेता, बुजुर्ग और यहूदी धर्मशास्त्री यरूशलेम में इकट्ठे हुए। महायाजक हन्ना, कैफ़ा, यूहन्ना, सिकन्दर और महायाजक के परिवार के सभी लोग भी वहाँ उपस्थित थे। वे इन प्रेरितों को उनके सामने खड़ा करके पूछने लगे, “तुमने किस शक्ति या अधिकार से यह कार्य किया?”

फिर पवित्र आत्मा से भावित होकर पतरस ने उनसे कहा, “हे लोगों के नेताओ और बुजुर्ग नेताओं! यदि आज हमसे एक लँगड़े व्यक्ति के साथ की गयी भलाई के बारे में यह पूछताछ की जा रही है कि वह अच्छा कैसे हो गया 10 तो तुम सब को और इस्राएल के लोगों को यह पता हो जाना चाहिये कि यह काम नासरी यीशु मसीह के नाम से हुआ है जिसे तुमने क्रूस पर चढ़ा दिया और जिसे परमेश्वर ने मरे हुओं में से पुनर्जीवित कर दिया है। उसी के द्वारा पूरी तरह से ठीक हुआ यह व्यक्ति तुम्हारे सामने खड़ा है। 11 यह यीशु वही,

‘वह पत्थर जिसे तुम राजमिस्त्रियों ने नाकारा ठहराया था,
    वही अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पत्थर बन गया है।’(A)

12 किसी भी दूसरे में उद्धार निहित नहीं है। क्योंकि इस आकाश के नीचे लोगों को कोई दूसरा ऐसा नाम नहीं दिया गया है जिसके द्वारा हमारा उद्धार हो पाये।”

यूहन्ना 1:43-51

43 अगले दिन यीशु ने गलील जाने का निश्चय किया। फिर फिलिप्पुस को पाकर यीशु ने उससे कहा, “मेरे पीछे चला आ।” 44 फिलिप्पुस अन्द्रियास और पतरस के नगर बैतसैदा से था। 45 फिलिप्पुस को नतनएल मिला और उसने उससे कहा, “हमें वह मिल गया है जिसके बारे में मूसा ने व्यवस्था के विधान में और भविष्यवक्ताओं ने लिखा है। वह है यूसुफ का बेटा, नासरत का यीशु।”

46 फिर नतनएल ने उससे पूछा, “नासरत से भी कोई अच्छी वस्तु पैदा हो सकती है?”

फिलिप्पुस ने जवाब दिया, “जाओ और देखो।”

47 यीशु ने नतनएल को अपनी तरफ आते हुए देखा और उसके बारे में कहा, “यह है एक सच्चा इस्राएली जिसमें कोई खोट नहीं है।”

48 नतनएल ने पूछा, “तू मुझे कैसे जानता है?”

जवाब में यीशु ने कहा, “उससे पहले कि फिलिप्पुस ने तुझे बुलाया था, मैनें देखा था कि तू अंजीर के पेड़ के नीचे था।”

49 नतनएल ने उत्तर में कहा, “हे रब्बी, तू परमेश्वर का पुत्र है, तू इस्राएल का राजा है।”

50 इसके जवाब में यीशु ने कहा, “तुम इसलिये विश्वास कर रहे हो कि मैंने तुमसे यह कहा कि मैंने तुम्हें अंजीर के पेड़ के नीचे देखा। तुम आगे इससे भी बड़ी बातें देखोगे।” 51 इसने उससे फिर कहा, “मैं तुम्हें सत्य बता रहा हूँ तुम स्वर्ग को खुलते और स्वर्गदूतों को मनुष्य के पुत्र पर उतरते-चढ़ते देखोगे।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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