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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 1-4

पहिला भाग

(भजनसंहिता 1–41)

सचमुच वह जन धन्य होगा
    यदि वह दुष्टों की सलाह को न मानें,
और यदि वह किसी पापी के जैसा जीवन न जीए
    और यदि वह उन लोगों की संगति न करे जो परमेश्वर की राह पर नहीं चलते।
वह नेक मनुष्य है जो यहोवा के उपदेशों से प्रीति रखता है।
    वह तो रात दिन उन उपदेशों का मनन करता है।
इससे वह मनुष्य उस वृक्ष जैसा सुदृढ़ बनता है
    जिसको जलधार के किनारे रोपा गया है।
वह उस वृक्ष समान है, जो उचित समय में फलता
    और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं।
वह जो भी करता है सफल ही होता है।

किन्तु दुष्ट जन ऐसे नहीं होते।
    दुष्ट जन उस भूसे के समान होते हैं जिन्हें पवन का झोका उड़ा ले जाता है।
इसलिए दुष्ट जन न्याय का सामना नहीं कर पायेंगे।
    सज्जनों की सभा में वे दोषी ठहरेंगे और उन पापियों को छोड़ा नहीं जायेगा।
ऐसा भला क्यों होगा? क्योंकि यहोवा सज्जनों की रक्षा करता है
    और वह दुर्जनों का विनाश करता है।

दूसरे देशों के लोग क्यों इतनी हुल्लड़ मचाते हैं
    और लोग व्यर्थ ही क्यों षड़यन्त्र रचते हैं?
ऐसे दशों के राजा और नेता यहोवा और उसके चुने हुए राजा
    के विरुद्ध होने को आपस में एक हो जाते हैं।
वे नेता कहते हैं, “आओ परमेश्वर से और उस राजा से जिसको उसने चुना है, हम सब विद्रोह करें।
    आओ उनके बन्धनों को हम उतार फेंके।”

किन्तु मेरा स्वामी, स्वर्ग का राजा, उन लोगों पर हँसता है।
परमेश्वर क्रोधित है और,
    यही उन नेताओं को भयभीत करता है।
वह उन से कहता है, “मैंने इस पुरुष को राजा बनने के लिये चुना है,
    वह सिय्योन पर्वत पर राज करेगा, सिय्योन मेरा विशेष पर्वत है।”

अब मै यहोवा की वाचा के बारे में तुझे बताता हूँ।
यहोवा ने मुझसे कहा था, “आज मैं तेरा पिता बनता हूँ
    और तू आज मेरा पुत्र बन गया है।
यदि तू मुझसे माँगे, तो इन देशों को मैं तुझे दे दूँगा
    और इस धरती के सभी जन तेरे हो जायेंगे।
तेरे पास उन देशों को नष्ट करने की वैसी ही शक्ति होगी
    जैसे किसी मिट्टी के पात्र को कोई लौह दण्ड से चूर चूर कर दे।”

10 इसलिए, हे राजाओं, तुम बुद्धिमान बनो।
    हे शासकों, तुम इस पाठ को सीखो।
11 तुम अति भय से यहोवा की आज्ञा मानों।
12 स्वयं को परमेश्वर के पुत्र का विश्वासपात्र दिखओ।
    यदि तुम ऐसा नहीं करते, तो वह क्रोधित होगा और तुम्हें नष्ट कर देगा।
जो लोग यहोवा में आस्था रखते हैं वे आनन्दित रहते हैं, किन्तु अन्य लोगों को सावधान रहना चाहिए।
    यहोवा अपना क्रोध बस दिखाने ही वाला है।

दाऊद का उस समय का गीत जब वह अपने पुत्र अबशालोम से दूर भागा था।

हे यहोवा, मेरे कितने ही शुत्र
    मेरे विरुद्ध खड़े हो गये हैं।
कितने ही मेरी चर्चाएं करते हैं, कितने ही मेरे विषय में कह रहे कि परमेश्वर इसकी रक्षा नहीं करेगा।

किन्तु यहोवा, तू मेरी ढाल है।
    तू ही मेरी महिमा है।
    हे यहोवा, तू ही मेरा सिर ऊँचा करता है।

मैं यहोवा को ऊँचे स्वर में पुकारुँगा।
    वह अपने पवित्र पर्वत से मुझे उत्तर देगा।

मैं आराम करने को लेट सकता हूँ। मैं जानता हूँ कि मैं जाग जाऊँगा,
    क्योंकि यहोवा मुझको बचाता और मेरी रक्षा करता है।
चाहे मैं सैनिकों के बीच घिर जाऊँ
    किन्तु उन शत्रुओं से भयभीत नहीं होऊँगा।

हे यहोवा, जाग!
    मेरे परमेश्वर आ, मेरी रक्षा कर!
तू बहुत शक्तिशाली है।
    यदि मेरे दुष्ट शत्रुओं के मुख पर तू प्रहार करे, तो उनके सभी दाँतों को तो उखाड़ डालेगा।

यहोवा अपने लोगों की रक्षा कर सकता है।
    हे यहोवा, तेरे लोगों पर तेरी आशीष रहे।

तारवाद्यों वाले संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक गीत।

मेरे उत्तम परमेश्वर,
    जब मैं तुझे पुकारुँ, मुझे उत्तर दे।
मेरी विनती को सुन और मुझ पर कृपा कर।
    जब कभी विपत्तियाँ मुझको घेरें तू मुझ को छुड़ा ले।

अरे लोगों, कब तक तुम मेरे बारे में अपशब्द कहोगे?
    तुम लोग मेरे बारे में कहने के लिये नये झूठ ढूँढते रहते हो।
    उन झूठों को कहने से तुम लोग प्रीति रखते हो।

तुम जानते हो कि अपने नेक जनों की यहोवा सुनता है!
    जब भी मैं यहोवा को पुकारता हूँ, वह मेरी पुकार को सुनता है।

यदि कोई वस्तु तुझे झमेले में डाले, तू क्रोध कर सकता है, किन्तु पाप कभी मत करना।
    जब तू अपने बिस्तर में जाये तो सोने से पहले उन बातों पर विचार कर और चुप रह।
समुचित बलियाँ परमेश्वर को अर्पित कर
    और तू यहोवा पर भरोसा बनाये रख।

बहुत से लोग कहते हैं, “परमेश्वर की नेकी हमें कौन दिखायेगा?
    हे यहोवा, अपने प्रकाशमान मुख का प्रकाश मुझ पर चमका।”
हे यहोवा, तुने मुझे बहुत प्रसन्न बना दिया। कटनी के समय भरपूर फसल और दाखमधु पाकर जब हम आन्नद और उल्लास मनाते हैं उससे भी कहीं अधिक प्रसन्न मैं अब हूँ।
मैं बिस्तर में जाता हूँ और शांति से सोता हूँ।
    क्योंकि यहोवा, तू ही मुझको सुरक्षित सोने को लिटाता है।

भजन संहिता 7

दाऊद का एक भाव गीत: जिसे उसने यहोवा के लिये गाया। यह भाव गीत बिन्यामीन परिवार समूह के कीश के पुत्र शाऊल के विषय मे है।

हे मेरे यहोवा परमेश्वर, मुझे तुझ पर भरोसा है।
    उन व्यक्तियों से तू मेरी रक्षा कर, जो मेरे पीछे पड़े हैं। मुझको तू बचा ले।
यदि तू मुझे नहीं बचाता तो मेरी दशा उस निरीह पशु की सी होगी, जिसे किसी सिंह ने पकड़ लिया है।
    वह मुझे घसीट कर दूर ले जायेगा, कोई भी व्यक्ति मुझे नहीं बचा पायेगा।

हे मेरे यहोवा परमेश्वर, कोई पाप करने का मैं दोषी नहीं हूँ। मैंने तो कोई भी पाप नहीं किया।
मैंने अपने मित्रों के साथ बुरा नहीं किया
    और अपने मित्र के शत्रुओं की भी मैंने सहायता नहीं किया।
किन्तु एक शत्रु मेरे पीछे पड़ा हुआ है।
    वह मेरी हत्या करना चाहता है।
    वह शत्रु चाहता है कि मेरे जीवन को धरती पर रौंद डाले और मेरी आत्मा को धूल में मिला दे।
यहोवा उठ, तू अपना क्रोध प्रकट कर।
    मेरा शत्रु क्रोधित है, सो खड़ा हो जा और उसके विरुद्ध युद्ध कर।
    खड़ा हो जा और निष्यक्षता की माँग कर।
हे यहोवा, लोगों का न्याय कर।
    अपने चारों ओर राष्ट्रों को एकत्र कर और लोगों का न्याय कर।
हे यहोवा, न्याय कर मेरा,
    और सिद्ध कर कि मैं न्याय संगत हूँ।
    ये प्रमाणित कर दे कि मैं निर्दोष हूँ।
दुर्जन को दण्ड दे
    और सज्जन की सहायता कर।
हे परमेश्वर, तू उत्तम है।
    तू अन्तर्यामी है। तू तो लोगों के ह्रदय में झाँक सकता है।

10 जिन के मन सच्चे हैं, परमेश्वर उन व्यक्तियों की सहायता करता है।
    इसलिए वह मेरी भी सहायता करेगा।
11 परमेश्वर उत्तम न्यायकर्ता है।
    वह कभी भी अपना क्रोध प्रकट कर देगा।
12-13 परमेश्वर जब कोई निर्णय ले लेता है,
    तो फिर वह अपना मन नहीं बदलता है।
उसमें लोगों को दण्डित करने की क्षमता है।
    उसने मृत्यु के सब सामान साथ रखे हैं।

14 कुछ ऐसे लोग होते हैं जो सदा कुकर्मों की योजना बनाते रहते हैं।
    ऐसे ही लोग गुप्त षड़यन्त्र रचते हैं,
    और मिथ्या बोलते हैं।
15 वे दूसरे लोगों को जाल में फँसाने और हानि पहुँचाने का यत्न करते हैं।
    किन्तु अपने ही जाल में फँस कर वे हानि उठायेंगे।
16 वे अपने कर्मों का उचित दण्ड पायेंगे।
    वे अन्य लोगों के साथ क्रूर रहे।
    किन्तु जैसा उन्हें चाहिए वैसा ही फल पायेंगे।

17 मैं यहोवा का यश गाता हूँ, क्योंकि वह उत्तम है।
    मैं यहोवा के सर्वोच्च नाम की स्तुति करता हूँ।

उत्पत्ति 2:4-25

मानव जाति का आरम्भ

यह पृथ्वी और आकाश का इतिहास है। यह कथा उन चीज़ों की है, जो परमेश्वर द्वारा पृथ्वी और आकाश बनाते समय, घटित हुईं। तब पृथ्वी पर कोई पेड़ पौधा नहीं था और खेतों में कुछ भी नहीं उग रहा था, क्योंकि यहोवा ने तब तक पृथ्वी पर वर्षा नहीं भेजी थी तथा पेड़ पौधों की देख—भाल करने वाला कोई व्यक्ति भी नहीं था।

परन्तु कोहरा पृथ्वी से उठता था और जल सारी पृथ्वी को सींचता था। तब यहोवा परमेश्वर ने पृथ्वी से धूल उठाई और मनुष्य को बनाया। यहोवा ने मनुष्य की नाक में जीवन की साँस फूँकी और मनुष्य एक जीवित प्राणी बन गया। तब यहोवा परमेश्वर ने पूर्व में अदन नामक जगह में एक बाग लगाया। यहोवा परमेश्वर ने अपने बनाए मनुष्य को इसी बाग में रखा। यहोवा परमेश्वर ने हर एक सुन्दर पेड़ और भोजन के लिए सभी अच्छे पेड़ों को उस बाग में उगाया। बाग के बीच में परमेश्वर ने जीवन के पेड़ को रखा और उस पेड़ को भी रखा जो अच्छे और बुरे की जानकारी देता है।

10 अदन से होकर एक नदी बहती थी और वह बाग़ को पानी देती थी। वह नदी आगे जाकर चार छोटी नदियाँ बन गई। 11 पहली नदी का नाम पीशोन है। यह नदी हवीला प्रदेश के चारों ओर बहती है। 12 (उस प्रदेश में सोना है और वह सोना अच्छा है। मोती और गोमेदक रत्न उस प्रदेश में हैं।) 13 दूसरी नदी का नाम गीहोन है जो सारे कूश प्रदेश के चारों ओर बहती है। 14 तीसरी नदी का नाम दजला है। यह नदी अश्शूर के पूर्व में बहती है। चौथी नदी फरात है।

15 यहोवा ने मनुष्य को अदन के बाग में रखा। मनुष्य का काम पेड़—पौधे लगाना और बाग की देख—भाल करना था। 16 यहोवा परमेश्वर ने मनुष्य को आज्ञा दी, “तुम बग़ीचे के किसी भी पेड़ से फल खा सकते हो। 17 लेकिन तुम अच्छे और बुरे की जानकारी देने वाले पेड़ का फल नहीं खा सकते। यदि तुमने उस पेड़ का फल खा लिया तो तुम मर जाओगे।”

पहली स्त्री

18 तब यहोवा परमेश्वर ने कहा, “मैं समझता हूँ कि मनुष्य का अकेला रहना ठीक नहीं है। मैं उसके लिए एक सहायक बनाऊँगा जो उसके लिए उपयुक्त होगा।”

19 यहोवा ने पृथ्वी के हर एक जानवर और आकाश के हर एक पक्षी को भूमि की मिट्टी से बनाया। यहोवा इन सभी जीवों को मनुष्य के सामने लाया और मनुष्य ने हर एक का नाम रखा। 20 मनुष्य ने पालतू जानवरों, आकाश के सभी पक्षियों और जंगल के सभी जानवरों का नाम रखा। मनुष्य ने अनेक जानवर और पक्षी देखे लेकिन मनुष्य कोई ऐसा सहायक नहीं पा सका जो उसके योग्य हो। 21 अतः यहोवा परमेश्वर ने मनुष्य को गहरी नींद में सुला दिया और जब वह सो रहा था, यहोवा परमेश्वर ने मनुष्य के शरीर से एक पसली निकाल ली। तब यहोवा ने मनुष्य की उस त्वचा को बन्द कर दिया जहाँ से उसने पसली निकाली थी। 22 यहोवा परमेश्वर ने मनुष्य की पसली से स्त्री की रचना की। तब यहोवा परमेश्वर स्त्री को मनुष्य के पास लाया। 23 और मनुष्य ने कहा,

“अन्तत! हमारे समाने एक व्यक्ति।
    इसकी हड्डियाँ मेरी हड्डियों से आईं
    इसका शरीर मेरे शरीर से आया।
क्योंकि यह मनुष्य से निकाली गई,
    इसलिए मैं इसे स्त्री कहूँगा।”

24 इसलिए पुरुष अपने माता—पिता को छोड़कर अपनी पत्नी के साथ रहेगा और वे दोनों एक तन हो जाएंगे।

25 मनुष्य और उसकी पत्नी बाग में नंगे थे, परन्तु वे लजाते नहीं थे।

इब्रानियों 1

परमेश्वर अपने पुत्र के माध्यम से बोलता है

परमेश्वर ने अतीत में नबियों के द्वारा अनेक अवसरों पर अनेक प्रकार से हमारे पूर्वजों से बातचीत की। किन्तु इन अंतिम दिनों में उसने हमसे अपने पुत्र के माध्यम से बातचीत की, जिसे उसने सब कुछ का उत्तराधिकारी नियुक्त किया है और जिसके द्वारा उसने समूचे ब्रह्माण्ड की रचना की है। वह पुत्र परमेश्वर की महिमा का तेज-मंडल है तथा उसके स्वरूप का यथावत प्रतिनिधि। वह अपने समर्थ वचन के द्वारा सब वस्तुओं की स्थिति बनाये रखता है। सबको पापों से मुक्त करने का विधान करके वह स्वर्ग में उस महामहिम के दाहिने हाथ बैठ गया। इस प्रकार वह स्वर्गदूतों से उतना ही उत्तम बन गया जितना कि उनके नामों से वह नाम उत्तम है जो उसने उत्तराधिकार में पाया है।

क्योंकि परमेश्वर ने किसी भी स्वर्गदूत से कभी ऐसा नहीं कहा:

“तू मेरा पुत्र;
    आज मैं तेरा पिता बना हूँ।”(A)

और न ही किसी स्वर्गदूत से उसने यह कहा है,

“मैं उसका पिता बनूँगा,
    और वह मेरा पुत्र होगा।”(B)

और फिर वह जब अपनी प्रथम एवं महत्त्वपूर्ण संतान को संसार में भेजता है तो कहता है,

“परमेश्वर के सब स्वर्गदूत उसकी उपासना करें।”(C)

स्वर्गदूतों के विषय में बताते हुए वह कहता है:

“उसने अपने सब स्वर्गदूत को पवन बनाया
    और अपने सेवकों को आग की लपट बनाया।”(D)

किन्तु अपने पुत्र के विषय में वह कहता है:

“हे परमेश्वर! तेरा सिंहासन शाश्वत है,
    तेरा राजदण्ड धार्मिकता है;
तुझको धार्मिकता ही प्रिय है, तुझको घृणा पापों से रही,
    सो परमेश्वर, तेरे परमेश्वर ने तुझको चुना है, और उस आदर का आनन्द दिया। तुझको तेरे साथियों से कहीं अधिक दिया।”(E)

10 परमेश्वर यह भी कहता है,

“हे प्रभु, जब सृष्टि का जन्म हो रहा था, तूने धरती की नींव धरी।
    और ये सारे स्वर्ग तेरे हाथ का कतृत्व हैं।
11 ये नष्ट हो जायेंगे पर तू चिरन्तन रहेगा,
    ये सब वस्त्र से फट जायेंगे।
12 और तू परिधान सा उनको लपेटेगा।
    वे फिर वस्त्र जैसे बदल जायेंगे।
किन्तु तू यूँ ही, यथावत रहेगा ही,
    तेरे काल का अंत युग युग न होगा।”(F)

13 परमेश्वर ने कभी किसी स्वर्गदूत से ऐसा नहीं कहा:

“तू मेरे दाहिने बैठ जा,
    जब तक मैं तेरे शत्रुओं को, तेरे चरण तल की चौकी न बना दूँ।”(G)

14 क्या सभी स्वर्गदूत उद्धार पाने वालों की सेवा के लिये भेजी गयी सहायक आत्माएँ हैं?

यूहन्ना 1:1-18

यीशु का आना

आदि में शब्द[a] था। शब्द परमेश्वर के साथ था। शब्द ही परमेश्वर था। यह शब्द ही आदि में परमेश्वर के साथ था। दुनिया की हर वस्तु उसी से उपजी। उसके बिना किसी की भी रचना नहीं हुई। उसी में जीवन था और वह जीवन ही दुनिया के लोगों के लिये प्रकाश (ज्ञान, भलाई) था। प्रकाश अँधेरे में चमकता है पर अँधेरा उसे समझ नहीं पाया।

परमेश्वर का भेजा हुआ एक मनुष्य आया जिसका नाम यूहन्ना था। वह एक साक्षी के रूप में आया था ताकि वह लोगों को प्रकाश के बारे में बता सके। जिससे सभी लोग उसके द्वारा उस प्रकाश में विश्वास कर सकें। वह खुद प्रकाश नहीं था बल्कि वह तो लोगों को प्रकाश की साक्षी देने आया था। उस प्रकाश की, जो सच्चा था, जो हर मनुष्य को ज्ञान की ज्योति देगा, जो धरती पर आने वाला था।

10 वह इस जगत में ही था और यह जगत उसी के द्वारा अस्तित्व में आया पर जगत ने उसे पहचाना नहीं। 11 वह अपने घर आया था और उसके अपने ही लोगों ने उसे अपनाया नहीं। 12 पर जिन्होंने उसे अपनाया उन सबको उसने परमेश्वर की संतान बनने का अधिकार दिया। 13 परमेश्वर की संतान के रूप में वह कुदरती तौर पर न तो लहू से पैदा हुआ था, ना किसी शारीरिक इच्छा से और न ही माता-पिता की योजना से। बल्कि वह परमेश्वर से उत्पन्न हुआ। 14 उस आदि शब्द ने देह धारण कर हमारे बीच निवास किया। हमने परम पिता के एकमात्र पुत्र के रूप में उसकी महिमा का दर्शन किया। वह करुणा और सत्य से पूर्ण था।

15 यूहन्ना ने उसकी साक्षी दी और पुकार कर कहा, “यह वही है जिसके बारे में मैंने कहा था, ‘वह जो मेरे बाद आने वाला है, मुझसे महान है, मुझसे आगे है क्योंकि वह मुझसे पहले मौजूद था।’”

16 उसकी करुणा और सत्य की पूर्णता से हम सबने अनुग्रह पर अनुग्रह प्राप्त किये। 17 हमें व्यवस्था का विधान देने वाला मूसा था पर करुणा और सत्य हमें यीशु मसीह से मिले। 18 परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा किन्तु परमेश्वर के एकमात्र पुत्र ने, जो सदा परम पिता के साथ है उसे हम पर प्रकट किया।[b]

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