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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 87

कोरह वंशियों का एक स्तुति गीत।

परमेश्वर ने यरूशलेम के पवित्र पहाड़ियों पर अपना मन्दिर बनाया।
    यहोवा को इस्राएल के किसी भी स्थान से सिय्योन के द्वार अधिक भाते हैं।
हे परमेश्वर के नगर, तेरे विषय में लोग अद्भुत बातें बताते है।

परमेश्वर अपने लोगों की सूची रखता है। परमेश्वर के कुछ भक्त मिस्र और बाबेल में रहते है।
    कुछ लोग पलिश्ती, सोर और कूश तक में रहते हैं।
परमेश्वर हर एक जन को
    जो सिय्योन में पैदा हुए जानता है।
    इस नगर को परम परमेश्वर ने बनाया है।
परमेश्वर अपने भक्तों की सूची रखता है।
    परमेश्वर जानता है कौन कहाँ पैदा हुआ।

परमेश्वर के भक्त उत्सवों को मनाने यरूशलेम जाते हैं। परमेश्वर के भक्त गाते, नाचते और अति प्रसन्न रहते हैं।
    वे कहा करते हैं, “सभी उत्तम वस्तुएं यरूशलेम से आई?”

भजन संहिता 90

चौथा भाग

(भजनसंहिता 90–106)

परमेश्वर के भक्त मूसा की प्रार्थना।

हे स्वामी, तू अनादि काल से हमारा घर (सुरक्षास्थल) रहा है।
हे परमेश्वर, तू पर्वतों से पहले, धरती से पहले था,
    कि इस जगत के पहले ही परमेश्वर था।
    तू सर्वदा ही परमेश्वर रहेगा।

तू ही इस जगत में लोगों को लाता है।
    फिर से तू ही उनको धूल में बदल देता है।
तेरे लिये हजार वर्ष बीते हुए कल जैसे है,
    व पिछली रात जैसे है।
तू हमारा जीवन सपने जैसा बुहार देता है और सुबह होते ही हम चले जाते है।
हम ऐसे घास जैसे है,
    जो सुबह उगती है और वह शाम को सूख कर मुरझा जाती है।
हे परमेश्वर, जब तू कुपित होता है हम नष्ट हो जाते हैं।
    हम तेरे प्रकोप से घबरा गये हैं।
तू हमारे सब पापों को जानता है।
    हे परमेश्वर, तू हमारे हर छिपे पाप को देखा करता है।
तेरा क्रोध हमारे जीवन को खत्म कर सकता है।
    हमारे प्राण फुसफुसाहट की तरह विलीन हो जाते है।
10 हम सत्तर साल तक जीवित रह सकते हैं।
    यदि हम शक्तिशाली हैं तो अस्सी साल।
हमारा जीवन परिश्रम और पीड़ा से भरा है।
    अचानक हमारा जीवन समाप्त हो जाता है! हम उड़कर कहीं दूर चले जाते हैं।
11 हे परमेश्वर, सचमुच कोई भी व्यक्ति तेरे क्रोध की पूरी शक्ति नहीं जानता।
    किन्तु हे परमेश्वर, हमारा भय और सम्मान तेरे लिये उतना ही महान है, जितना क्रोध।
12 तू हमको सिखा दे कि हम सचमुच यह जाने कि हमारा जीवन कितना छोटा है।
    ताकि हम बुद्धिमान बन सकें।
13 हे यहोवा, तू सदा हमारे पास लौट आ।
    अपने सेवकों पर दया कर।
14 प्रति दिन सुबह हमें अपने प्रेम से परिपूर्ण कर,
    आओ हम प्रसन्न हो और अपने जीवन का रस लें।
15 तूने हमारे जीवनों में हमें बहुत पीड़ा और यातना दी है, अब हमें प्रसन्न कर दे।
16 तेरे दासों को उन अद्भुत बातों को देखने दे जिनको तू उनके लिये कर सकता है,
    और अपनी सन्तानों को अपनी महिमा दिखा।
17 हमारे परमेश्वर, हमारे स्वमी, हम पर कृपालु हो।
    जो कुछ हम करते हैं
    तू उसमें सफलता दे।

भजन संहिता 136

यहोवा की प्रशंसा करो, क्योंकि वह उत्तम है।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
ईश्वरों के परमेश्वर की प्रशंसा करो!
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
प्रभुओं के प्रभु की प्रशंसा करो।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
परमेश्वर के गुण गाओ। बस वही एक है जो अद्भुत कर्म करता है।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
परमेश्वर के गुण गाओ जिसने अपनी बुद्धि से आकाश को रचा है।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
परमेश्वर ने सागर के बीच में सूखी धरती को स्थापित किया।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
परमेश्वर ने महान ज्योतियाँ रची।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
परमेश्वर ने सूर्य को दिन पर शासन करने के लिये बनाया।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
परमेश्वर ने चाँद तारों को बनाया कि वे रात पर शासन करें।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
10 परमेश्वर ने मिस्र में मनुष्यों और पशुओं के पहलौठों को मारा।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
11 परमेश्वर इस्राएल को मिस्र से बाहर ले आया।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
12 परमेश्वर ने अपना सामर्थ्य और अपनी महाशक्ति को प्रकटाया।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
13 परमेश्वर ने लाल सागर को दो भागों में फाड़ा।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
14 परमेश्वर ने इस्राएल को सागर के बीच से पार उतारा।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
15 परमेश्वर ने फ़िरौन और उसकी सेना को लाल सागर में डूबा दिया।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
16 परमेश्वर ने अपने निज भक्तों को मरुस्थल में राह दिखाई।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
17 परमेश्वर ने बलशाली राजा हराए।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
18 परमेश्वर ने सुदृढ़ राजाओं को मारा।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
19 परमेश्वर ने एमोरियों के राजा सीहोन को मारा।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
20 परमेश्वर ने बाशान के राजा ओग को मारा।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
21 परमेश्वर ने इस्राएल को उसकी धरती दे दी।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
22 परमेश्वर ने उस धरती को इस्राएल को उपहार के रूप में दिया।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
23 परमेश्वर ने हमको याद रखा, जब हम पराजित थे।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
24 परमेश्वर ने हमको हमारे शत्रुओं से बचाया था।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
25 परमेश्वर हर एक को खाने को देता है।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
26 स्वर्ग के परमेश्वर का गुण गाओ।
    उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।

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प्रकाशित वाक्य 20:1-6

हज़ार वर्ष

20 फिर आकाश से मैंने एक स्वर्गदूत को नीचे उतरते देखा। उसके हाथ में पाताल की चाबी और एक बड़ी साँकल थी। उसने उस पुराने महा सर्प को पकड़ लिया जो दैत्य यानी शैतान है फिर एक हज़ार वर्ष के लिए उसे साँकल से बाँध दिया। तब उस स्वर्गदूत ने उसे महागर्त में धकेल कर ताला लगा दिया और उस पर कपाट लगा कर मुहर लगा दी ताकि जब तक हजार साल पूरे न हो जायें वह लोगों को धोखा न दे सके। हज़ार साल पूरे होने के बाद थोड़े समय के लिए उसे छोड़ा जाना है।

फिर मैंने कुछ सिंहासन देखे जिन पर कुछ लोग बैठे थे। उन्हें न्याय करने का अधिकार दिया गया था। और मैंने उन लोगों की आत्माओं को देखा जिनके सिर, उस सत्य के कारण, जो यीशु द्वारा प्रमाणित है, और परमेश्वर के संदेश के कारण काटे गए थे, जिन्होंने उस पशु या उसकी प्रतिमा की कभी उपासना नहीं की थी। तथा जिन्होंने अपने माथों पर या अपने हाथों पर उसका संकेत चिन्ह धारण नहीं किया था। वे फिर से जीवित हो उठे और उन्होंने मसीह के साथ एक हज़ार वर्ष तक राज्य किया। (शेष लोग हज़ार वर्ष पूरे होने तक फिर से जीवित नहीं हुए।)

यह पहला पुनरुत्थान है। वह धन्य है और पवित्र भी है जो पहले पुनरुत्थान में भाग ले रहा है। इन व्यक्तियों पर दूसरी मृत्यु को कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। बल्कि वे तो परमेश्वर और मसीह के अपने याजक होंगे और उसके साथ एक हज़ार वर्ष तक राज्य करेंगे।

मत्ती 16:21-28

यीशु द्वारा अपनी मृत्यु की भविष्यवाणी

(मरकुस 8:31-9:1; लूका 9:22-27)

21 उस समय यीशु अपने शिष्यों को बताने लगा कि, उसे यरूशलेम जाना चाहिये। जहाँ उसे यहूदी धर्मशास्त्रियों, बुज़ुर्ग यहूदी नेताओं और प्रमुख याजकों द्वारा यातनाएँ पहुँचा कर मरवा दिया जायेगा। फिर तीसरे दिन वह मरे हुओं में से जी उठेगा।

22 तब पतरस उसे एक तरफ ले गया और उसकी आलोचना करता हुआ उससे बोला, “हे प्रभु! परमेश्वर तुझ पर दया करे। तेरे साथ ऐसा कभी न हो!”

23 फिर यीशु उसकी तरफ मुड़ा और बोला, “पतरस, मेरे रास्ते से हट जा। अरे शैतान! तू मेरे लिए एक अड़चन है। क्योंकि तू परमेश्वर की तरह नहीं लोगों की तरह सोचता है।”

24 फिर यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, “यदि कोई मेरे पीछे आना चाहता है, तो वह अपने आपको भुलाकर, अपना क्रूस स्वयं उठाये और मेरे पीछे हो ले। 25 जो कोई अपना जीवन बचाना चाहता है, उसे वह खोना होगा। किन्तु जो कोई मेरे लिये अपना जीवन खोयेगा, वही उसे बचाएगा। 26 यदि कोई अपना जीवन देकर सारा संसार भी पा जाये तो उसे क्या लाभ? अपने जीवन को फिर से पाने के लिए कोई भला क्या दे सकता है? 27 मनुष्य का पुत्र दूतों सहित अपने परमपिता की महिमा के साथ आने वाला है। जो हर किसी को उसके कर्मों का फल देगा। 28 मैं तुम से सत्य कहता हूँ यहाँ कुछ ऐसे हैं जो तब तक नहीं मरेंगे जब तक वे मनुष्य के पुत्र को उसके राज्य में आते न देख लें।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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