Book of Common Prayer
संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक पद।
1 दीन का सहायक बहुत पायेगा।
ऐसे मनुष्य पर जब विपत्ति आती है, तब यहोवा उस को बचा लेगा।
2 यहोवा उस जन की रक्षा करेगा और उसका जीवन बचायेगा।
वह मनुष्य धरती पर बहुत वरदान पायेगा।
परमेश्वर उसके शत्रुओं द्वारा उसका नाश नहीं होने देगा।
3 जब मनुष्य रोगी होगा और बिस्तर में पड़ा होगा,
उसे यहोवा शक्ति देगा। वह मनुष्य बिस्तर में चाहे रोगी पड़ा हो किन्तु यहोवा उसको चँगा कर देगा!
4 मैंने कहा, “यहोवा, मुझ पर दया कर।
मैंने तेरे विरद्ध पाप किये हैं, किन्तु मुझे और अच्छा कर।”
5 मेरे शत्रु मेरे लिये अपशब्द कह रहे हैं,
वे कहा रहे हैं, “यह कब मरेगा और कब भुला दिया जायेगा?”
6 कुछ लोग मेरे पास मिलने आते हैं।
पर वे नहीं कहते जो सचमुच सोच रहे हैं।
वे लोग मेरे विषय में कुछ पता लगाने आते
और जब वे लौटते अफवाह फैलाते।
7 मेरे शत्रु छिपे छिपे मेरी निन्दायें कर रहे हैं।
वे मेरे विरद्ध कुचक्र रच रहे हैं।
8 वे कहा करते हैं, “उसने कोई बुरा कर्म किया है,
इसी से उसको कोई बुरा रोग लगा है।
मुझको आशा है वह कभी स्वस्थ नहीं होगा।”
9 मेरा परम मित्र मेरे संग खाता था।
उस पर मुझको भरोसा था। किन्तु अब मेरा परम मित्र भी मेरे विरुद्ध हो गया है।
10 सो हे यहोवा, मुझ पर कृपा कर और मुझ पर कृपालु हो।
मुझको खड़ा कर कि मैं प्रतिशोध ले लूँ।
11 हे यहोवा, यदि तू मेरे शत्रुओं को बुरा नहीं करने देगा,
तो मैं समझूँगा कि तूने मुझे अपना लिया है।
12 मैं निर्दोष था और तूने मेरी सहायता की।
तूने मुझे खड़ा किया और मुझे तेरी सेवा करने दिया।
13 इस्राएल का परमेश्वर, यहोवा धन्य है!
वह सदा था, और वह सदा रहेगा।
आमीन, आमीन!
संगीत निर्देशक के लिये उस समय का एक भक्ति गीत जब एदोमी दोएग ने शाऊल के पास आकर कहा था, दाऊद अबीमेलेक के घर में है।
1 अरे ओ, बड़े व्यक्ति।
तू क्यों शेखी बघारता है जिन बुरे कामों को तू करता है? तू परमेश्वर का अपमान करता है।
तू बुरे काम करने को दिन भर षड़यन्त्र रचता है।
2 तू मूढ़ता भरी कुचक्र रचता रहता है। तेरी जीभ वैसी ही भयानक है, जैसा तेज उस्तरा होता है।
क्यों? क्योंकि तेरी जीभ झूठ बोलती रहती है!
3 तुझको नेकी से अधिक बदी भाती है।
तुझको झूठ का बोलना, सत्य के बोलने से अधिक भाता है।
4 तुझको और तेरी झूठी जीभ को, लोगों को हानि पहुँचाना अच्छा लगता है।
5 तुझे परमेश्वर सदा के लिए नष्ट कर देगा।
वह तुझ पर झपटेगा और तुझे पकड़कर घर से बाहर करेगा। वह तुझे मारेगा और तेरा कोई भी वंशज नहीं रहेगा।
6 सज्जन इसे देखेंगे
और परमेश्वर से डरना और उसका आदर करना सीखेंगे।
वे तुझ पर, जो घटा उस पर हँसेंगे और कहेंगे,
7 “देखो उस व्यक्ति के साथ क्या हुआ जो यहोवा पर निर्भर नहीं था।
उस व्यक्ति ने सोचा कि उसका धन और झूठ इसकी रक्षा करेंगे।”
8 किन्तु मैं परमेश्वर के मन्दिर में एक हरे जैतून के वूक्ष सा हूँ।
परमेश्वर की करूणा का मुझको सदा—सदा के लिए भरोसा है।
9 हे परमेश्वर, मैं उन कामों के लिए जिनको तूने किया, स्तुति करता हूँ।
मैं तेरे अन्य भक्तों के साथ, तेरे भले नाम पर भरोसा करूँगा!
संगीत निर्देशक के लिए कोरह परिवर का एक भक्ति गीत।
1 हे परमेश्वर, हमने तेरे विषय में सुना है।
हमारे पूर्वजों ने उनके दिनों में जो काम तूने किये थे उनके बारे में हमें बताया।
उन्होंने पुरातन काल में जो तूने किये हैं, उन्हें हमें बाताया।
2 हे परमेस्वर, तूने यह धरती अपनी महाशक्ति से पराए लोगों से ली
और हमको दिया।
उन विदेशी लोगों को तूने कुचल दिय,
और उनको यह धरती छोड़ देने का दबाव डाला।
3 हमारे पूर्वजों ने यह धरती अपने तलवारों के बल नहीं ली थी।
अपने भुजदण्डों के बल पर विजयी नहीं हुए।
यह इसलिए हुआ था क्योंकि तू हमारे पूर्वजों के साथ था।
हे परमेश्वर, तेरी महान शक्ति ने हमारे पूर्वजों की रक्षा की। क्योंकि तू उनसे प्रेम किया करता था!
4 हे मेरे परमेश्वर, तू मेरा राजा है।
तेरे आदेशों से याकूब के लोगों को विजय मिली।
5 हे मेरे परमेश्वर, तेरी सहायता से, हमने तेरा नाम लेकर अपने शत्रुओं को धकेल दिया
और हमने अपने शत्रु को कुचल दिया।
6 मुझे अपने धनुष और बाणों पर भरोसा नहीं।
मेरी तलवार मुझे बचा नहीं सकती।
7 हे परमेश्वर, तूने ही हमें मिस्र से बचाया।
तूने हमारे शत्रुओं को लज्जित किया।
8 हर दिन हम परमेश्वर के गुण गाएंगे।
हम तेरे नाम की स्तुति सदा करेंगे।
9 किन्तु, हे यहोवा, तूने हमें क्यों बिसरा दिया? तूने हमको गहन लज्जा में डाला।
हमारे साथ तू युद्ध में नहीं आया।
10 तूने हमें हमारे शत्रुओं को पीछे धकेलने दिया।
हमारे शत्रु हमारे धन वैभव छीन ले गये।
11 तूने हमें उस भेड़ की तरह छोड़ा जो भोजन के समान खाने को होती है।
तूने हमें राष्ट्रो के बीच बिखराया।
12 हे परमेश्वर, तूने अपने जनों को यूँ ही बेच दिया,
और उनके मूल्य पर भाव ताव भी नहीं किया।
13 तूने हमें हमारे पड़ोसियों में हँसी का पात्र बनाया।
हमारे पड़ोसी हमारा उपहास करते हैं, और हमारी मजाक बनाते हैं।
14 लोग हमारी भी काथा उपहास कथाओं में कहते हैं।
यहाँ तक कि वे लोग जिनका आपना कोई राष्ट्र नहीं है, अपना सिर हिला कर हमारा उपहास करते हैं।
15 मैं लज्जा में डूबा हूँ।
मैं सारे दिन भर निज लज्जा देखता रहता हूँ।
16 मेरे शत्रु ने मुझे लज्जित किया है।
मेरी हँसी उड़ाते हुए मेरा शत्रु, अपना प्रतिशोध चाहता हैं।
17 हे परमेश्वर, हमने तुझको बिसराया नहीं।
फिर भी तू हमारे साथ ऐसा करता है।
हमने जब अपने वाचा पर तेरे साथ हस्तक्षर की थी, झूठ नहीं बोला था!
18 हे परमेश्वर, हमने तो तुझसे मुख नहीं मोड़ा।
और न ही तेरा अनुसरण करना छोड़ा है।
19 किन्तु, हे यहोवा, तूने हमें इस स्थान पर ऐसे ठूँस दिया है जहाँ गीदड़ रहते हैं।
तूने हमें इस स्थान में जो मृत्थु की तरह अंधेरा है मूँद दिया है।
20 क्या हम अपने परमेश्वर का नाम भूले?
क्या हम विदेशी देवों के आगे झुके? नहीं!
21 निश्चय ही, परमेश्वर इन बातों को जानता है।
वह तो हमारे गहरे रहस्य तक जानता है।
22 हे परमेश्वर, हम तेरे लिये प्रतिदिन मारे जा रहे हैं।
हम उन भेड़ों जैसे बने हैं जो वध के लिये ले जायी जा रहीं हैं।
23 मेरे स्वामी, उठ!
नींद में क्यों पड़े हो? उठो!
हमें सदा के लिए मत त्याग!
24 हे परमेश्वर, तू हमसे क्यों छिपता है?
क्या तू हमारे दु:ख और वेदनाओं को भूल गया है?
25 हमको धूल में पटक दिया गया है।
हम औंधे मुँह धरती पर पड़े हुए हैं।
26 हे परमेस्वर, उठ और हमको बचा ले!
अपने नित्य प्रेम के कारण हमारी रक्षा कर!
घोड़ों का दर्शन
7 जकर्याह ने फारस में दारा के राज्यकाल के दूसरे वर्ष के ग्यारहवें महीने के चौबीसवें दिन (अर्थात् शबात) यहोवा का दूसरा सन्देश पाया। (जकर्याह बेरेक्याह का पुत्र था और बेरेक्याह इद्दो नबी का पुत्र था।) सन्देश यह है:
8 रात को, मैंने एक व्यक्ति को लाल घोड़े पर बैठे देखा। वह घाटी में कुछ मालती की झाड़ियों के बीच खड़ा था। उसके पीछे लाल, भूरे और श्वेत रंग के घोड़े थे। 9 मैंने पूछा, “महोदय, ये घोड़े किसलिये हैं”
तब मुझसे बात करते हुए, स्वर्गदूत ने कहा, “मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि ये घोड़े किसलिये हैं।”
10 तब मालती की झाड़ियों के बीच स्थित उस व्यक्ति ने कहा, “यहोवा ने इन घोड़ों को पृथ्वी पर इधर—उधर घूमने के लिये भेजे हैं।”
11 तब घोड़ों ने मालती की झाड़ियों में स्थित यहोवा के दूत से बातें कीं। उन्होंने कहा, “हम लोग पृथ्वी पर इधर—उधर घूम चुके हैं, और सब कुछ शान्त और व्यवस्थित हैं।”
12 तब यहोवा के दूत ने कहा, “यहोवा, आप यरूशलेम और यहूदा के नगर को कब तक आराम दिलायेंगे अब तो आप इन नगरों पर सत्तर वर्ष तक अपना क्रोध प्रकट कर चुके हैं।”
13 तब यहोवा ने उस दूत को उत्तर दिया जो मुझसे बातें कर रहा था। यहोवा ने अच्छे शान्तिदायक शब्द कहे।
14 तब यहोवा के दूत ने मुझे लोगों से यह सब कहने को कहा:
सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है:
“मैं यरूशलेम और सिय्योन से विशेष प्रेम रखता हूँ
15 और मैं उन राष्ट्रों पर बहुत क्रोधित हूँ जो अपने को इतना सुरक्षित अनुभव करते हैं।
मैं कुछ क्रोधित हो गया था
और मैंने उन राष्ट्रों का उपयोग अपने लोगों को दण्ड देने के लिये किया।
किन्तु उन राष्ट्रों ने बहुत अधिक विनाश किया।”
16 अत: यहोवा कहता है, “मैं यरूशलेम लौटूँगा और उसे आराम दूँगा।”
सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “यरूशलम का निर्माण पुन: होगा।
और वहां मेरा मंदिर बनेगा।”
17 स्वर्गदूत ने कहा, “लोगों से यह भी कहो:
‘सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है,
मेरे नगर फिर सम्पन्न होंगे, मैं सिय्योन को आराम दूँगा।
मैं यरूशलेम को अपना विशेष नगर चुनूँगा।’”
कलीसियाओं के नाम यूहन्ना का सन्देश
4 यूहन्ना की ओर से
एशिया प्रान्त[a] में स्थित सात कलीसियाओं के नाम:
उस परमेश्वर की ओर से जो वर्तमान है, जो सदा-सदा से था और जो आनेवाला है, उन सात आत्माओं की ओर से जो उसके सिंहासन के सामने हैं 5 एवं उस यीशु मसीह की ओर से जो विश्वासपूर्ण साक्षी, मरे हुओं में से पहला जी उठने वाला तथा धरती के राजाओं का भी राजा है, तुम्हें अनुग्रह और शांति प्राप्त हो।
वह जो हमसे प्रेम करता है तथा जिसने अपने लहू से हमारे पापों से हमें छुटकारा दिलाया है। 6 उसने हमें एक राज्य तथा अपने परम पिता परमेश्वर की सेवा में याजक होने को रचा। उसकी महिमा और सामर्थ्य सदा-सर्वदा होती रहे। आमीन!
7 देखो, मेघों के साथ मसीह आ रहा है। हर एक आँख उसका दर्शन करेगी। उनमें वे भी होंगे, जिन्होंने उसे बेधा[b] था। तथा धरती के सभी लोग उसके कारण विलाप करेंगे। हाँ! हाँ निश्चयपूर्वक ऐसा ही हो-आमीन!
8 प्रभु परमेश्वर वह जो है, जो था और जो आनेवाला है, जो सर्वशक्तिमान है, यह कहता है, “मैं ही अलफा और ओमेगा हूँ।”[c]
9 मैं यूहन्ना तुम्हारा भाई हूँ और यातनाओं, राज्य तथा यीशु में, धैर्यपूर्ण सहनशीलता में तुम्हारा साक्षी हूँ। परमेश्वर के वचन और यीशु की साक्षी के कारण मुझे पत्तमुस[d] नाम के द्वीप में देश निकाला दे दिया गया था। 10 प्रभु के दिन मैं आत्मा के वशीभूत हो उठा और मैंने अपने पीछे तुरही की सी एक तीव्र आवाज़ सुनी। 11 वह कह रही थी, “जो कुछ तू देख रहा है, उसे एक पुस्तक में लिखता जा और फिर उसे इफिसुस, स्मुरना, पिरगमुन, थूआतीरा, सरदीस, फिलादेलफिया और लौदीकिया की सातों कलीसियाओं को भेज दे।”
12 फिर यह देखने को कि वह आवाज़ किसकी है जो मुझसे बोल रही थी, मैं मुड़ा। और जब मैं मुड़ा तो मैंने सोने के सात दीपाधार देखे। 13 और उन दीपाधारों के बीच मैंने एक व्यक्ति को देखा जो “मनुष्य के पुत्र” के जैसा कोई पुरुष था। उसने अपने पैरों तक लम्बा चोगा पहन रखा था। तथा उसकी छाती पर एक सुनहरा पटका लिपटा हुआ था। 14 उसके सिर तथा केश सफेद ऊन जैसे उजले थे। तथा उसके नेत्र अग्नि की चमचमाती लपटों के समान थे। 15 उसके चरण भट्टी में अभी-अभी तपाए गए उत्तम काँसे के समान चमक रहे थे। उसका स्वर अनेक जलधाराओं के गर्जन के समान था। 16 तथा उसने अपने दाहिने हाथ में सात तारे लिए हुए थे। उसके मुख से एक तेज दोधारी तलवार बाहर निकल रही थी। उसकी छवि तीव्रतम दमकते सूर्य के समान उज्वल थी।
17 मैंने जब उसे देखा तो मैं उसके चरणों पर मरे हुए के समान गिर पड़ा। फिर उसने मुझ पर अपना दाहिना हाथ रखते हुए कहा, “डर मत, मैं ही प्रथम हूँ और मैं ही अंतिम भी हूँ। 18 और मैं ही वह हूँ, जो जीवित है। मैं मर गया था, किन्तु देख, अब मैं सदा-सर्वदा के लिए जीवित हूँ। मेरे पास मृत्यु और अधोलोक[e] की कुंजियाँ हैं। 19 सो जो कुछ तूने देखा है, जो कुछ घट रहा है, और जो भविष्य में घटने जा रहा है, उसे लिखता जा। 20 ये जो सात तारे हैं जिन्हें तूने मेरे हाथ में देखा है और ये जो सात दीपाधार हैं, इनका रहस्यपूर्ण अर्थ है: ये सात तारे सात कलीसियाओं के दूत हैं तथा ये सात दीपाधार सात कलीसियाएँ हैं।
लोगों में शैतान
(लूका 11:24-26)
43 “जब कोई दुष्टात्मा किसी व्यक्ति को छोड़ती है तो वह आराम की खोज में सूखी धरती ढूँढती फिरती है, किन्तु वह उसे मिल नहीं पाती। 44 तब वह कहती है कि जिस घर को मैंने छोड़ा था, मैं फिर वहीं लौट जाऊँगी। सो वह लौटती है और उसे अब तक खाली, साफ सुथरा तथा सजा-सँवरा पाती है। 45 फिर वह लौटती है और अपने साथ सात और दुष्टात्माओं को लाती है जो उससे भी बुरी होती हैं। फिर वे सब आकर वहाँ रहने लगती हैं। और उस व्यक्ति की दशा पहले से भी अधिक भयानक हो जाती है। आज की इस बुरी पीढ़ी के लोगों की दशा भी ऐसी ही होगी।”
यीशु के अनुयायी ही उसका परिवार
(मरकुस 3:31-35; लूका 8:19-21)
46 वह अभी भीड़ के लोगों से बातें कर ही रहा था कि उसकी माता और भाई-बन्धु वहाँ आकर बाहर खड़े हो गये। वे उससे बातें करने को बाट जोह रहे थे। 47 किसी ने यीशु से कहा, “सुन तेरी माँ और तेरे भाई-बन्धु बाहर खड़े हैं और तुझसे बात करना चाहते हैं।”
48 उत्तर में यीशु ने बात करने वाले से कहा, “कौन है मेरी माँ? कौन हैं मेरे भाई-बन्धु?” 49 फिर उसने हाथ से अपने अनुयायिओं की तरफ इशारा करते हुए कहा, “ये हैं मेरी माँ और मेरे भाई-बन्धु। 50 हाँ स्वर्ग में स्थित मेरे पिता की इच्छा पर जो कोई चलता है, वही मेरा भाई, बहन और माँ है।”
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