Add parallel Print Page Options

मत्ती (लेवी) यीशु के पीछे चलने लगा

(मरकुस 2:13-17; लूका 5:27-32)

यीशु जब वहाँ से जा रहा था तो उसने चुंगी की चौकी पर बैठे एक व्यक्ति को देखा। उसका नाम मत्ती था। यीशु ने उससे कहा, “मेरे पीछे चला आ।” इस पर मत्ती खड़ा हुआ और उसके पीछे हो लिया।

10 ऐसा हुआ कि जब यीशु मत्ती के घर बहुत से चुंगी वसूलने वालों और पापियों के साथ अपने अनुयायियों समेत भोजन कर रहा था 11 तो उसे फरीसियों ने देखा। वे यीशु के अनुयायियों से पूछने लगे, “तुम्हारा गुरु चुंगी वसूलने वालों और दुष्टों के साथ खाना क्यों खा रहा है?”

12 यह सुनकर यीशु उनसे बोला, “स्वस्थ लोगों को नहीं बल्कि रोगियों को एक चिकित्सक की आवश्यकता होती है। 13 इसलिये तुम लोग जाओ और समझो कि शास्त्र के इस वचन का अर्थ क्या है, ‘मैं बलिदान नहीं चाहता बल्कि दया चाहता हूँ।’(A) मैं धर्मियों को नहीं, बल्कि पापियों को बुलाने आया हूँ।”

Read full chapter

लेवी (मत्ती) यीशु के पीछे चलने लगा

(मत्ती 9:9-13; लूका 5:27-32)

13 एक बार फिर यीशु झील के किनारे गया तो समूची भीड़ उसके पीछे हो ली। यीशु ने उन्हें उपदेश दिया। 14 चलते हुए उसने हलफई के बेटे लेवी को चुंगी की चौकी पर बैठे देख कर उससे कहा, “मेरे पीछे आ” सो लेवी खड़ा हुआ और उसके पीछे हो लिया।

15 इसके बाद जब यीशु अपने शिष्यों समेत उसके घर भोजन कर रहा था तो बहुत से कर वसूलने वाले और पापी लोग भी उसके साथ भोजन कर रहे थे। (इनमें बहुत से वे लोग थे जो उसके पीछे पीछे चले आये थे।) 16 जब फरीसियों के कुछ धर्मशास्त्रियों ने यह देखा कि यीशु पापीयों और कर वसूलने वालों के साथ भोजन कर रहा है तो उन्होंने उसके अनुयायिओं से कहा, “यीशु कर वसूलने वालों और पापीयों के साथ भोजन क्यों करता है?”

17 यीशु ने यह सुनकर उनसे कहा, “चंगे-भले लोगों को वैद्य की आवश्यकता नहीं होती, रोगियों को ही वैद्य की आवश्यकता होती है। मैं धर्मियों को नहीं बल्कि पापीयों को बुलाने आया हूँ।”

Read full chapter

लेवी (मत्ती) यीशु के पीछे चलने लगा

(मत्ती 9:9-13; मरकुस 2:13-17)

27 इसके बाद यीशु चल दिया। तभी उसने चुंगी की चौकी पर बैठे लेवी नाम के एक कर वसूलने वाले को देखा। वह उससे बोला, “मेरे पीछे चला आ!” 28 सो वह खड़ा हुआ और सब कुछ छोड़ कर उसके पीछे हो लिया।

29 फिर लेवी ने अपने घर पर यीशु के सम्मान में एक स्वागत समारोह किया। वहाँ कर वसूलने वालों और दूसरे लोगों का एक बड़ा जमघट उनके साथ भोजन कर रहा था। 30 तब फरीसियों और धर्मशास्त्रियों ने उसके शिष्यों से यह कहते हुए शिकायत की, “तुम कर वसूलने वालों और पापियों के साथ क्यों खाते-पीते हो?”

31 उत्तर में यीशु ने उनसे कहा, “स्वस्थ लोगों को नहीं, बल्कि रोगियों को चिकित्सक की आवश्यकता होती है। 32 मैं धर्मियों को नहीं, बल्कि पापियों को मन फिराने के लिए बुलाने आया हूँ।”

Read full chapter