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12 मेरी संगिनी, हे मेरी दुल्हिन, तुम ऐसी हो
    जैसे किसी उपवन पर ताला लगा हो।
तुम ऐसी हो
    जैसे कोई रोका हुआ सोता हो या बन्द किया झरना हो।
13 तेरे अंग उस उपवन जैसे हैं
    जो अनार और मोहक फलों से भरा हो,
जिसमें मेंहदी
और जटामासी के फूल भरे हों; 14     जिसमें जटामासी का, केसर, अगर और दालचीनी का इत्र भरा हो।
जिसमें देवदार के गंधरस
    और अगर व उत्तम सुगन्धित द्रव्य साथ में भरे हों।

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