यसायाह 55
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version
परमेस्सर अइसा भोजन देत ह जेहसे सच्ची तृप्ति मिलत ह
55 “हे पियासे लोगों, आवा पानी पिआ।
अगर तोहरे पचन्क लगे नाहीं धन ही अहइ,
तउ एकर चिन्ता जिन करा।
आवा, खाना ल्या अउर खा।
तू पचन्क एकर कीमत देइ क जरूरत नाहीं अहइ।
बिना कउनो कीमत क दूध अउ दाखरस ल्या।
2 बियर्थ ही आपन धन अइसी कउनो वस्तु पइ काहे बर्बाद करत अहा जउन सच्चा भोजन नाहीं अहइ?
अइसी कउनो वस्तु बरे काहे स्रम करत अहा जउन फुरइ मँ तू पचन्क तृप्त नाहीं करती? मोर बात धियान स सुना।
तू पचे सच्चा भोजन पउब्या।
तू पचे उ भोजन क आनन्द लेब्या जेहसे तोहार पचन्क मन तृप्त हो जाइ।
3 जउन कछू मइँ कहत हउँ, धियान स सुना।
मोर सुना ताकि तोहार आतिमा जिअब।
तू पचे मोरे पास आवा अउर मइँ तोहरे सबन्क साथ एक करार करब जउन सदा-सदा क बरे बना रही।
इ करार वइसी ही होइ जइसी करार दाऊद क संग मइँ किहे रहेउँ।
मइँ दाऊद क वचन दिहे रहेउँ कि मइँ ओह पइ सदा करुणा करब।
अउर तू पचे उ वचन पइ बिस्सास कइ सकत ह।
4 मइँ आपन उ सक्ति क दाऊद क साच्छी बनाए रहेउँ जउन सबहिं रास्ट्रन बरे रही।
मइँ दाऊद क बहोत देसन क प्रसासक अउर ओनकर सेनापति बनाए रहेउँ।”
5 अनेक अग्यात देसन मँ अनेक अनजानी जातियन अहइँ।
तू ओन सबहिं जातियन क बोलउब्या,
जउन जातियन तोहसे अपरिचित अहइँ
किन्तु उ पचे पराइके तोहरे पास अहइ।
अइसा घटी काहेकि तोहार परमेस्सर यहोवा अइसा ही चाहत ह।
अइसा घटी काहेकि उ इस्राएल क पवित्तर तोहका मान देत ह।
6 तउ तू पचे यहोवा क हेरा।
कहूँ बहोत देर न होइ जाइ।
अब तू पचे ओका गोहराइ ल्या
जब तलक उ तोहरे पचन्क लगे अहइ।
7 हे पापियो! आपन पापपूर्ण जिन्नगी क तजा।
तू पचन्क चाही कि तू पचे बुरी बातन सोचब तजि द्या।
तू पचन्क चाही कि तू पचे यहोवा क लगे लउटि आवा।
जब तू पचे अइसा करब्या तउ यहोवा तू पचन्क क सुख देइ।
ओन सबहिं क चाही कि उ पचे यहोवा क सरन मँ आवइँ
काहेकि परमेस्सर हमका छिमा करत ह।
लोग परमेस्सर क नाहीं समुझ पइहीं
8 यहोवा कहत ह, “तोहार पचन्क विचार वइसे नाहीं, जइसे मोर अहइँ।
तोहार पचन्क राहन वइसे नाहीं जइसी मोर राहन अहइँ।
9 जइसे धरती स ऊँच सरग अहइँ वइसे ही तोहार राहन स मोर राहन ऊँच अहइ।
अउर मोर विचार तोहरे पचन्क विचारन स ऊँच अहइँ।”
इ सबइ बातन यहोवा ही कहेस ह।
10 अकासे स बर्खा अउर हिम गिरा करत हीं अउर उ पचे फुन नाहीं लउट जातेन जब तलक उ पचे धरती क नाहीं छुइ लेत हीं,
अउर धरती क गीला नाहीं कइ देत हीं।
फुन धरती पउधन क अंकुरित करत ह अउर ओनका बढ़ावत ह अउर उ सबइ पउधन किसानन क बरे बीज उपजावत हीं
अउर लोग ओन बीजन स खाइ बरे रोटियन बनावत हीं।
11 अइसे ही मोर मुख मँ स मोर सब्द निकसत हीं अउर जब तलक घटनन क घटाइ नाहीं लेतेन,
उ पचे वापस नाहीं आवत हीं।
मोर सब्द अइसी घटनन क घटावत हीं जेनका मइँ घटवावइ चाहत हउँ।
मोर सब्द उ सबइ सबहिं बातन पूरी कराइ लेत हीं जेनका करवावइ क मइँ ओनका पठवत हउँ।
12 “जब तू पचन्क आनन्द स भरिके सान्ति अउर एकता क साथ मँ उ धरती स छुड़ाइके लइ जावा जाइ रहा होइ जेहमाँ तू पचे बन्दी रह्या,
तउ तोहरे पचन क समन्वा खुसी मँ पहाड़ फट पडिहीं अउर थिरकइ लगिहीं।
पहाड़ियन नाच मँ फूटि पड़िहीं।
तोहार पचन्क समन्वा जंगल क सबहिं बृच्छ अइसे हलइ लगिहीं जइसे तालियन पीट रहा होइँ।
13 जहाँ कँटेरी झाड़ियन जमा करत हीं हुवाँ देवदार क बिसाल बृच्छ जमिहीं।
जहाँ खरपतवार जमा करत रहेन, हुवाँ हिना क बृच्छ जमिहीं।
इ सबइ बातन यहोवा क प्रसिद्ध करिहीं।
इ सबइ बातन प्रमाणित करिहीं कि यहोवा सक्तिपूर्ण अहइ, इ प्रमाण कबहुँ नस्ट नाहीं होइ।”
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.