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पिरगमुन की कलीसिया को मसीह का सन्देश

12 “पिरगमुन की कलीसिया के स्वर्गदूत को यह लिख:

“वह जो तेज दोधारी तलवार को धारण करता है, इस प्रकार कहता है:

13 “मैं जानता हूँ तू कहाँ रह रहा है। तू वहाँ रह रहा है जहाँ शैतान का सिंहासन है और मैं यह भी जानता हूँ कि तू मेरे नाम को थामे हुए है तथा तूने मेरे प्रति अपने विश्वास को कभी नहीं नकारा है। तुम्हारे उस नगर में जहाँ शैतान का निवास है, मेरा विश्वासपूर्ण साक्षी अन्तिपास मार दिया गया था।

14 “कुछ भी हो, मेरे पास तेरे विरोध में कुछ बातें हैं। तेरे यहाँ कुछ ऐसे लोग भी हैं जो बिलाम की सीख पर चलते हैं। उसने बालाक को सिखाया था कि वह इस्राएल के लोगों को मूर्तियों का चढ़ावा खाने और व्यभिचार करने को प्रोत्साहित करे। 15 इसी प्रकार तेरे यहाँ भी कुछ ऐसे लोग हैं जो नीकुलइयों की सीख पर चलते हैं। 16 इसलिए मन फिरा नहीं तो मैं जल्दी ही तेरे पास आऊँगा और उनके विरोध में उस तलवार से युद्ध करूँगा जो मेरे मुख से निकलती है।

17 “जो सुन सकता है, वह सुने कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कह रहा है!

“जो विजयी होगा, मैं उसे स्वर्ग में छिपा मन्ना दूँगा। मैं उसे एक श्वेत पत्थर भी दूँगा जिस पर एक नया नाम अंकित होगा। जिसे उसके सिवा और कोई नहीं जानता जिसे वह दिया गया है।

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