अय्यूब 24
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version
24 “सर्वसक्तीमान परमेस्सर काहे नाहीं निआउ करइ बरे समइ मुकर्रर करत ह?
लोग जउन परमेस्सर क मानत हीं ओनका काहे निआउ क समइ क बेकार बाट जोहइ क पड़त ह?
2 “लोग आपन धन दौलत क चीन्हन क, जउन ओकर चउहद्दी बतावत हीं, सरकावत रहत हीं ताकि आपन पड़ोसी क थोड़ी अउर धरती हड़प लेइँ।
लोग पसु क चोराइ लेत हीं अउर ओनका दूसर चरागाहन मँ हाँक लइ जात हीं।
3 अनाथ बच्चन क गदहन क उ पचे चोराइ लइ जात हीं।
उ पचे राँड़ मेहरारुअन क बर्धन खोल लइ जात हीं जब तलक कि उ ओनकर कर्ज नाहीं चुकावत हीं।
4 उ पचे दीन जन क मजबूर करत ही कि उ तजिके दूर हटि जाइके मजबूर होइ जात ह,
एन दुस्टन स खुद क छुपावइ क।
5 “उ सबइ दीन लोग ओन जंगली गदहन जइसे अहइँ जउन मरु भूमि मँ आपन चारा हेरा करत हीं।
गरीबन अउ ओनकर बच्चन क मरुभूमि भोजन देत रहत ह।
6 गरीब लोगन क कउनो दूसर क खेत मँ अनाज काटइ चाही।
दुस्टन क अंगूरन क बगियन स बच भवा फलन उ पचे चुना करत हीं।
7 दीन लोगन क बगइर ओढ़नन क सबइ रात बितावइ क होइ।
सर्दी मँ ओनके लगे आपन क ढाँकइ बरे कछू नाहीं होइ।
8 उ पचे बर्खा स पहाड़न मँ भिज गवा अहइँ, ओनका बड़की चट्टानन स लिपट क रहइ क होइ,
काहेकि ओनके लगे कछू नाहीं जउन ओनका मौसम स बचाइ लेइ।
9 बूरे लोग ओन गदेलन क जेकर बाप नाहीं अहइ ओनकर महतारी स छिन लेत हीं।
उ पचे गरीब लोगन क आपन दास बनावत हीं।
10 गरीब लोगन क लगे ओढ़ना नाहीं होत हीं।
यह बरे ओन लोगन क नंगा ही घूमइ क होइ।
उ पचे दुस्टन क गठरी क भार ढोवत हीं, मुला फुन भी उ पचे भुखान रहत हीं।
11 गरीब लोग जइतून क तेल पेरिके निकारत हीं।
उ पचे कुंडन मँ अगूर सूँदत हीं फुन भी उ पचे पिआसा रहत हीं।
12 मरत भए लोग जउन आहें भरत हीं उ सबइ सहर मँ सुनाइ पड़त ह।
सतावा भवा लोग सहारा क पुकारत हीं, मुला परमेस्सर नाहीं सुनत ह।
13 “कछू अइसे लोग अहइँ जउन प्रकास क खिलाफ होत हीं।
उ पचे नाहीं जानइ चाहत हीं कि परमेस्सर ओनसे का करवावइ चाहत ह।
परमेस्सर क राह पइ उ पचे नाहीं चलत हीं।
14 हत्यारा भिंसारे जाग जात ह गरीबन अउ जरुरतवाले लोगन क हत्या करत ह।
उ राति मँ चोर क नाई बन जात ह।
15 उ मनई जउन बिभिचार करत ह, रात आवइ क बाट जोहा करत ह,
उ सोचत ह, ‘ओका कउनो नाहीं लखी’ अउर उ आपन मुँह ढाँपि लेत ह।
16 दुटठ मनई जब रात मँ अँधेरा होत ह तउ सेंधे लगाइके घरे मँ घुसत हीं।
मुला दिन मँ उ पचे आपन हि घरन मँ छुपा रहत हीं।
उ पचे प्रकास स बचत हीं।
17 ओन दुट्ठ लोग्गन क आँधियारा सबुह क नाई होत ह,
उ पचे आतंक अउ आँधियारा क मीत होत हीं।
18 “‘दुट्ठ लोग अइसे बाहइ दीन्ह जात हीं जइसे झाग बाढ़ क पानी पाइ।
उ धरती अभीसाप स ढकी बा जेकर उ पचे मालिक अहइँ।
कउनो भी अंगूर क बगियन मँ अंगुर जमा करइ बरे नाहीं जात ह।
19 जइसे गरम व सूखा मौसम पिघलत बरफ क पानी क सोख लेत ह,
वइसे ही दुस्ट लोग कब्र क जरिये लील जइहीं।
20 दुस्ट मनइयन मरइ क पाछे ओकर महतारी तलक ओका बिसरि जाइ।
दुस्ट लोगन क देह क कीरा खाइ जइहीं।
कउनो भी ओन लोगन क याद नाहीं रखइहीं।
दुस्ट जन गिरे भए बृच्छ क नाई नष्ट कीन्ह जइहीं।
21 दुस्ट मनई बाँझ मेहरारुअन क सतावा करत हीं।
उ पचे उ तरह क मेहरारु क दुःख देत हीं।
उ पचे कउनो भी राँड़ अउरत बरे
दाया नाहीं देखाँवत हीं।
22 दुस्ट मनई आपन सक्ती क उपयोग बलसाली क नस्ट करइ बरे करत हीं।
बुरे लोग सक्तीसाली होइ जइहीं मुला आपन ही जन्नगी क भरोसा नाहीं होइ
कि उ पचे जियादा दिन जी पइहीं।
23 होइ सकत ह कि तनिक समइ बरे परमेस्सर सक्तीसाली क सुरच्छित रहइ देइ,
मुला परमेस्सर सदा ओन पइ आँखी रखत ह।
24 दुस्ट मनई तनिक समइ बरे कामयाबी पाइ जात हीं, मुला फुन उ पचे नस्ट होइ जात हीं।
दूसर लोगन क तरह उ पचे भी मुर्झा जात हीं अउर उदास होइ जात हीं।
अनाजे क कटी भइ बाले क नाई उ पचे गिर जात हीं।’
25 “अगर इ सबइ बातन फुरइ नाहीं अहइँ
तउ कउन सिध्द कइ सकत ह कि मइँ झूठ कहेउँ ह?
कउन देखाँइ सकत ह कि मोर सब्द सत्तय नाहीं अहइँ?”
Awadhi Bible: Easy-to-Read Version. Copyright © 2005 Bible League International.