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जंगल में शैतान द्वारा मसीह येशु की परख

(मारक 1:12-13; लूकॉ 4:1-13)

इसके बाद पवित्रात्मा के निर्देश में येशु को जंगल ले जाया गया कि वह शैतान द्वारा परखे जाएँ. उन्होंने चालीस दिन और चालीस रात उपवास किया. उसके बाद जब उन्हें भूख लगी, परखने वाले ने उनके पास आकर कहा, “यदि तुम परमेश्वर-पुत्र हो तो इन पत्थरों को आज्ञा दो कि ये रोटी बन जाएँ.”

येशु ने उसे उत्तर दिया, “लिखा है मनुष्य का अस्तित्व सिर्फ़ भोजन से नहीं परन्तु परमेश्वर के मुख से निकले हुए हर एक शब्द से होता है.”

तब शैतान ने येशु को पवित्र नगर में ले जाकर मन्दिर के शीर्ष पर खड़ा कर दिया और उनसे कहा, “यदि तुम परमेश्वर-पुत्र हो तो यहाँ से नीचे कूद जाओ क्योंकि लिखा है

“वह अपने स्वर्गदूतों को तुम्हारे सम्बन्ध में
    आज्ञा देंगे तथा वे तुम्हें हाथों-हाथ उठा
    लेंगे कि तुम्हारे पैर को पत्थर से चोट न लगे.”

उसके उत्तर में येशु ने उससे कहा, “यह भी तो लिखा है तुम प्रभु अपने परमेश्वर को न परखो.”

तब शैतान येशु को अत्यन्त ऊँचे पर्वत पर ले गया और विश्व के सारे राज्य और उनका सारा ऐश्वर्य दिखाते हुए उनसे कहा, “मैं ये सब तुम्हें दे दूँगा यदि तुम मेरी दण्डवत्-वन्दना करो.”

10 इस पर येशु ने उसे उत्तर दिया, “हट, शैतान! दूर हो! क्योंकि लिखा है तुम सिर्फ प्रभु अपने परमेश्वर की ही आराधना और सेवा किया करो.”

11 तब शैतान उन्हें छोड़ कर चला गया और स्वर्गदूत आए और उनकी सेवा करने लगे.

सेवकाई का प्रारम्भ गलील प्रदेश से

(मारक 1:14-15; लूकॉ 4:14-15; योहन 4:43-45)

12 यह मालूम होने पर कि बपतिस्मा देने वाले योहन को बन्दी बना लिया गया है, येशु गलील प्रदेश में चले गए 13 और नाज़रेथ नगर को छोड़ कफ़रनहूम नगर में बस गए, जो झील तट पर ज़बूलून तथा नप्ताली नामक क्षेत्र में था. 14 ऐसा इसलिए हुआ कि भविष्यद्वक्ता यशायाह की यह भविष्यवाणी पूरी हो:

15 यरदन नदी के पार समुद्रतट पर बसे ज़बूलून तथा नप्ताली प्रदेश
    अर्थात् गलील प्रदेश में,
    जहाँ [a]अन्यजाति बसे हुए हैं,
16 —उन्होंने, जो अन्धकार में निवास कर रहे हैं,
    एक तेज़ प्रकाश का दर्शन किया; उन लोगों पर,
जो ऐसे स्थान में निवास कर रहे हैं जिस पर मृत्यु-छाया है,
    प्रकाश उदय हुआ.

17 उस समय से येशु ने यह उपदेश देना प्रारम्भ कर दिया, “पश्चाताप करो क्योंकि स्वर्ग-राज्य समीप आ गया है.”

पहिले चार शिष्यों का बुलाया जाना

(मारक 1:16-20)

18 एक दिन गलील झील के किनारे चलते हुए येशु ने दो भाइयों को देखा: शिमोन, जो पेतरॉस कहलाए तथा उनके भाई आन्द्रेयास को. ये समुद्र में जाल डाल रहे थे क्योंकि वे मछुवारे थे. 19 येशु ने उनसे कहा, “मेरा अनुसरण करो—मैं तुम्हें मनुष्यों के मछुवारे बनाऊँगा.” 20 वे उसी क्षण अपने जाल छोड़ कर येशु का अनुसरण करने लगे.

21 जब वे वहाँ से आगे बढ़े तो येशु ने दो अन्य भाइयों को देखा—ज़ेबेदियॉस के पुत्र याक़ोब तथा उनके भाई योहन को. वे दोनों अपने पिता के साथ नाव में अपने जाल ठीक कर रहे थे. येशु ने उन्हें बुलाया. 22 उसी क्षण वे नाव और अपने पिता को छोड़ येशु के पीछे हो लिए.

सारे गलील प्रदेश में येशु द्वारा प्रचार और चंगाई की सेवा

(मारक 1:35-39; लूकॉ 4:42-44)

23 येशु सारे गलील प्रदेश की यात्रा करते हुए, उनके यहूदी-सभागृहों में शिक्षा देते हुए, स्वर्ग-राज्य के ईश्वरीय सुसमाचार का उपदेश देने लगे. वह लोगों के हर एक रोग तथा हर एक व्याधि को दूर करते जा रहे थे. 24 सारे सीरिया प्रदेश में उनके विषय में समाचार फैलता चला गया और लोग उनके पास उन सब को लाने लगे, जो रोगी थे तथा उन्हें भी, जो विविध रोगों, पीड़ाओं, प्रेतों, मूर्च्छा रोगों तथा पक्षाघात से पीड़ित थे. येशु इन सभी को स्वस्थ करते जा रहे थे. 25 गलील प्रदेश, देकापोलिस, येरूशालेम, यहूदिया प्रदेश और यरदन नदी के पार से बड़ी भीड़ उनके पीछे-पीछे चली जा रही थी.

Footnotes

  1. 4:15 गैर यहूदी अथवा अयहूदी